BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, February 17, 2016

वकीलों के हंगामें पर सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लिया ऐसा निर्णय


वकीलों के हंगामें पर सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लिया ऐसा निर्णय


Reporter ArunKumarRTI NEWS




सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों का जो दल जायजा लेने भेजा उसमें कपिल सिब्‍बल, राजीव धवन, हरेंद्र रावल, दुष्‍यंत दवे, एडीन राव और अजीत सिन्‍हा शामिल हैं। इस दौरान वकील कपिल सिब्‍बल ने कहा कि वह दूसरी राजनीति पार्टी से जुड़े हैं। ऐसे में गलत संदेश जा सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को दरकिनार करते हुए उन्‍हें हालात का जायजा लेने के लिए भेज दिया। इस बीच इस पैनल के खिलाफ भी गुस्साए वकीलों ने नारेबाजी की। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि पटियाला हाउस कोर्ट में कन्‍हैया की पेशी के लिए माहौल ठीक नहीं है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 वकीलों का पैनल वहां भेजा।

उच्‍चतम न्‍यायालय ने जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय मामले में सोमवार को पटियाला हाउस अदालत में सुनवाई के दौरान पत्रकारों पर हमले की आलोचना की। न्‍यायालय ने कहा है कि जो कुछ भी हुआ वह निन्‍दनीय है और अदालत परिसर  में सुरक्षा के मुद्दे पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए। उच्‍चतम न्‍यायालय ने दिल्‍ली पुलिस आयुक्‍त को निर्देश दिया है कि वे विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ अध्‍यक्ष कन्‍हैया कुमार के लिए पर्याप्‍त सुरक्षा सुनिश्चित करे। कन्‍हैया कुमार को आज दिल्‍ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश किया जाना है।

उच्‍चतम न्‍यायालय ने जे एन यू विवाद से संबंधित एक याचिका पर अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि कन्‍हैया कुमार की हिरासत के बारे में सुनवाई के दौरान अदालत में कुछ लोगों को ही उपस्थित रहने की अनुमति होगी। कन्‍हैया कुमार की पुलिस हिरासत की अवधि आज समाप्‍त हो रही है। न्‍यायालय ने कहा है कि सुनवाई के दौरान एक जांच अधिकारी तथा कन्‍हैया के परिवार के दो सदस्‍यों के अलावा, केवल पांच पत्रकारों, इतने ही वकीलों और विश्‍वविद्यालय के दो विद्यार्थियों तथा दो शिक्षकों को ही उपस्थित रहने की इजाजत होगी।

न्‍यायालय ने दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के महापंजीयक को निर्देश दिया है कि वे पटियाला हाउस अदालत में उपस्थित रहें ताकि उन लोगों की  पहचान की जा सके जिन्‍हें अदालत कक्ष और परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई है। विश्‍वविद्यालय के पूर्व छात्र जयप्रकाश  ने कल एक जनहित याचिका दायर कर कन्‍हैया कुमार और पत्रकारों की सुरक्षा की मांग की थी। उसने सोमवार को अदालत में कन्‍हैया कुमार की पेशी के दौरान हमले में शामिल लोगों पर आवश्‍यक कार्यवाही करने की भी मांग की। मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।

नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी की कार्रवाई को रोकने का आदेश दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को पटियाला हाउस कोर्ट परिसर को पूरी तरह खाली कराने का आदेश दिया है। 

कोर्ट ने आज पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया की पेशी के लिए अंतरिम निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट परिसर में 25 पत्रकार मौजूद रह सकते हैं। कोर्ट ने कहा, कोर्टरूम में जांच अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। कोर्टरूम में कन्हैया के वकील, जेएनयू के दो फैकल्टी, दो दोस्त या परिवार के लोग, 5 पुलिसवाले और पांच पत्रकार मौजूद रहेंगे।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि हमने पटियाला कोर्ट में सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस ने कहा कि कोर्ट में हुई घटना की जांच हो रही है। दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से कहा गया कि वह भी मामले की जांच कर रहा है। दो बजे जिला जज अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। याचिकाकर्ता के अलावा मामले में केटीएस तुलसी, प्रशांत भूषण भी बहस कर रहे हैं।

जेएनयू के पूर्व स्टूडेंट एनडी जयप्रकाश की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कन्हैया के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोई व्यवधान न हो यह सुनिश्चित किया जाए।

याचिका में ये भी मांग की गई थी कि कोर्ट परिसर में सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना जरूरी है ताकि कोई भी शख्स हिंसा का शिकार न हो। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता भी फिजिकल वॉयलेंस का शिकार हुआ है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में जेएनयू स्टूडेंट, टीचर और जर्नलिस्ट कोर्ट में सुनवाई के लिए मौजूद थे लेकिन तभी उनके साथ कुछ लोगों ने हिंसा की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
- पत्रकारों को कोर्टरूम में जाने का अधिकार
- पत्रकारों की सुरक्षा बेहद अहम
- कोर्टरूम में आम लोगों की बजाए पत्रकारों की उपस्थिति जरूरी
- पत्रकार कोर्ट की सुनवाई को लोगों को तक पहुंचाते है
- कई बार हमने देखा कि लोग आरोपी के लिए कोर्ट तक मार्च करते हैं
- आरोपी के समर्थक कोर्ट रूम में नारेबाजी भी कर देते हैं, क्या इसे अनुमति दी जानी चाहिए
- मद्रास का उदाहरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर बार पुलिस पर आरोप लगते हैं
- वो एक्शन ले तो दोनों पक्ष आरोप लगाते हैं और ना ले तो भी आरोप लगते हैं
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