BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Friday, December 30, 2016

राम के नाम सौगंध भीम के नाम! मनुस्मृति का जेएनयू मिशन पूरा, जय भीम के साथ नत्थी कामरेड को अलविदा है।सहमति से तलाक है। बहुजनों को वानरवाहिनी बनाने वाला रामायण पवित्र धर्मग्रंथ है,जिसकी बुनियाद पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रामराज्य में मनुस्मृति अनुशासन है।सीता का वनवास,शंबूक हत्या है। अब संघ परिवार ने बाबासाहेब अंबेडकर को भी ऐप बना दिया है। डिजिटल लेन देन के लिए बनाया भीम ऐप

राम के नाम सौगंध भीम के नाम!

मनुस्मृति का जेएनयू मिशन पूरा, जय भीम के साथ नत्थी कामरेड को अलविदा है।सहमति से तलाक है।

बहुजनों को वानरवाहिनी बनाने वाला रामायण पवित्र धर्मग्रंथ है,जिसकी बुनियाद पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रामराज्य में मनुस्मृति अनुशासन है।सीता का वनवास,शंबूक हत्या है।

अब संघ परिवार ने बाबासाहेब अंबेडकर को भी ऐप बना दिया है।

डिजिटल लेन देन के लिए बनाया भीम ऐप, किया लॉन्च।

न नेट, न फोन आने वाले समय में सिर्फ आपका अंगूठा काफी है।

आगे आधार निराधार मार्फत दस दिगंत सत्यानाश है।


पलाश विश्वास

नोटबंदी के बावनवें दिन नोटबंदी के पचास दिन की डेडलाइन पर अभी बेपटरी है भारत की अर्थव्यवस्था।नकदी  के बिना सारा जोर अब डिजिटल कैशलैस वित्तीय प्रबंधन पर है।राजकाज और राजकरण भी नस्ली सफाये का समग्र एजंडा है।एफएम कारपोरेट का दावा है कि हालात अब सामान्य हैं।परदे पर सपनों का सौदागर हैं।

बहुजनों को वानरवाहिनी बनाने वाला रामायण पवित्र धर्मग्रंथ है,जिसकी बुनियाद पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का रामराज्य में मनुस्मृति अनुशासन है।

अब संघ परिवार ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को भी ऐप बना दिया है।

डिजिटल लेन देन के लिए बनाया भीम ऐप, किया लॉन्च।

न नेट, न फोन आने वाले समय में सिर्फ आपका अंगूठा काफी है।

आगे आधार निराधार मार्फत दस दिगंत सत्यानाश है।

भीम ऐप हैं और निराधार आधार कैसलैस डिजिटल आधार। नागरिकता, गोपनीयता, निजता, संप्रभुता का बंटाधार।

भारत तीसरे विश्वयुद्ध में बाकी विश्व के खिलाफ अमेरिका और इजराइल का पार्टनर और ग्लोबल सिपाहसालार ट्रंप,पुतिन साझेदार।

नाटो का प्लान बायोमेट्रीक यूरोप में खारिज,भारत में डिजिटल कैशलैस आधार। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दागी अपराधी की तरह हर कैशलैस लेनदेन पर नागरिक या बहुजन बहुजन अपना फिंगर प्रिंट भीम ऐप से अपराधी माफिया गरोहों और कारपोरेट कंपनियों को,साइबर अपराधियों को हस्तांतरित करते रहें।

भीम ऐप डिजिटल क्रांति है।बहुजन राजनीति केसरिया है।

राजनीति के तमाम खरबपति अरबपति करोड़पति शिकारी खामोश हैं।सर्वदलीय संसदीय सहमति है।बहुजन भक्तिभाव से गदगद हैं,समरस हिंदुत्व है और पवित्र मंदिरों में प्रवेश महिलाओं का भी अबाध है।समता है।न्याय भी है।संविधान है। कानून का राज भी है।लोकतंत्र के सैन्यतंत्र में सिर्फ नागरिक कबंध दस डिजिट नंबर हैं।कारपोरेट इंडिया नागपुर में शरणागत है।सुनहले दिन आयो रे।छप्पर फाड़ दियो रे।

अब आपका ही अंगूठा आपकी पहचान और आपका बैंक होगा वही आपका अंगूठा। भीम ऐप के लिए आपका अंगूठा ही काफी है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आधार को बुनियादी सेवा लेनदेन के लिए अनिवार्य बनाने की इस अवमानना के लिए जयभीम ऐप लांच किया है पेटीेमप्रधानमंत्री ने।बहुजन समाज का नारा चुराकर संघ परिवार का नारा हैः


बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय...जयभीम ऐप गरीबों का खजाना है।

खजाना मिला है तो सभी अलीबाबा चालीस चोर हैं।

साथ में खूबसूरत गाजर भी कि अब लोग गूगल पर भीम की जानकारी तलाशेंगे। बहुजन अपने बाबासाहेब की जानकारी गुगल से मांगेंगे,जहां सारी जानकारी पर,समूचे सूचना तंत्र पर,मीडिया पर,साहित्य संस्कृति पर,इतिहास भूगोल,मातृभाषा पर  सरकारी संघी नियंत्रण है।बहुजन गुगल में फेसबुक,सोशल नेटवर्क के अलावा कहां हैं?वहां भी दस दिगंत सेसंरशिप है।हर प्रासंगिक पोस्ट ब्लाक या डिलीट या स्पैम है।

जाहिर है कि बहुजनों के मसीहा से बाबासाहेब को विष्णु भगवान बनाने की तैयारी है।गौरतलब है कि पेटीएमपीएम कल राष्ट्र को संबोधित करने वाले हैं। राष्ट्र को संदेश देने से पहले बहुजनों को संदेश दे डाला पेटीएमपीएम ने,वही जो संघ परिवार का असल और फौरी मकसद दोनों है।

जाहिर है कि बहुजनों की खातिर ही डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पेटीएमपीएम ने नया मोबाइल ऐप भीम लॉन्च किया है जो बिना इंटरनेट चलेगा। पेटीएमपीएम ने कहा कि सरकार ऐसी टेक्नोलॉजी ला रही है जिसके जरिए बिना इंटरनेट के भी आपका पेमेंट हो सकेगा। गरीब का अंगूठा जो कभी अनपढ़ होने की निशानी था वह डिजिटल पेमेंट की ताकत बन जाएगा।

पेटीएमपीएम ने  डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने वालों को सम्मानित किया। लकी ग्राहक योजना और डिजि-धन व्यापार योजना के तहत 7,229 विजेता भी लकी ड्रॉ के जरिए चुने गए।

पेटीएमपीएम ने  कहा कि टेक्नोलॉजी को लेकर काफी भ्रामक समझ है। वो  टेक्नोलॉजी का नहीं बल्कि गरिबों का खजाना है।

पिछली बार 8 नवंबर को जब पेटीएमपीएम ने राष्ट्र को संबोधित किया था तो नोटबंदी का बड़ा फैसला लिया। लिहाजा लोगों को इस बार पेटीएमपीएम से बड़ी उम्मीदें हैं। लोगों को कितना ब्लैकमनी जमा हुआ इसका हिसाब चाहिए। आम आदमी को उम्मीद है कि अपने कल के संबोधन में पीएम विथड्राल लिमिट बढ़ाने कि घोषणा करेंगे। आयकर विभाग ने जिन लोगों पर कार्यवाही की उन पर सरकार कितने दिनो में कार्यवाही करेगी सरकार इसका रोड मैप देगी। इसके साथ ही डिजिटल पेमेंट का रोड मैप भी रखा जाएगा।

केसरिया राजकाज का दावा है कि  भीम ऐप 2017 का देशवासियों के लिए उत्तम से उत्तम नजराना है।

पहले से साफ ही था कि चिड़िया की आंख पर ही निशाना है।

नोटबंदी के मध्य़ यूपी में नोटों के साथ केसरिया मोटरसाईकिलों और बजरंगी ट्रकों की बरसात के मध्य मायावती की बसपा के खजाने पर छापा।बहुजन समाज को तितर बितर करके यूपी दखल करने का मास्टर प्लान बखूब है।

समाजवादियों के मूसलपर्व में भी किसका हाथ है,यह गउमाता की समझ से परे भी नहीं है।राष्ट्र के नाम संदेश शोक संदेश में चाहे जो हो,नोटबंदी का औचित्य साबित करना मकसद कतई नहीं है।नकितना कालाधन निकला,कितनी नकदी चलन में है,कब बैंकों से एटीएम से पैसा मिलेगा,कोई हिसाब नहीं मिलने वाला है जुमलों के सिवाय।

सारा जोर कैशलैस डिजिटल हंगामे पर है।जिसका फौरी लक्ष्य यूपी दखल है।

यह कैशलैस डिजिटल हंगामा विशुध माइंड कंट्रोल तमाशा है।ब्रेनवाश है बहुजनों का,जो कत्लेआम के जश्न के लिए अनिवार्य है।वही फासिज्म का निरंकुश राजकाज है।राजकरण भी वही और वित्तीय प्रबंधन भी वही।अबाध नस्ली सफाया।

।नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष की मोर्चाबंदी के खिलाफ छापेमारी अभियान तेज हो रहा है। अन्नाद्रमुक और बसपा के बाद अब दीदी की तृणमूल कांग्रेस निशाने पर है।

डिजिमेला जयभीम करतब से पहले कोलकाता में सीबीआई ने टीएमसी  सांसद तापस पाल को गिरफ्तार कर लिया है।

गौरतलब है कि माकपा ने 2011 के विधानसभा चुनाव से पहले रोजवैली के गिरफ्तार सर्वेसर्वा गौतम कुंडु के साथ कलिंपोंग और कोलकाता में दीदी,मुकुल राय और उनके सिपाहसालारों की बैठकें होने का आरोप लगाया था।

2011 के बाद 2016 के अंत में सीबीआई एक्शन जबरदस्त है।दीदी का कालाधन भी निकलने वाला है।संदेश राष्ट्र के नाम बदस्तूर यही है।

विपक्ष को तितर बितर करने का दशकों से आजमाया रामवाण सीबीआई छापा है।भगदड तो जारी है।राजनीतिक विपक्ष खत्म है।

बहुजन भी शिकंजे में फंसे हैं।भीम के नाम सौगंध है।

बाकी देश गैस चैंबर या फिर मृत्यु उपत्यका है।

तापस पाल की गिरफ्तारी के बाद बिना नाम बताये पत्रकारों से कहा गया है कि गौतम कुंडु के साथ प्रभावशाली कमसकम पंद्रह लोगों की बैठकें होती रही हैं और लाखों की लेनदेन भी बारंबार होती रही हैं।वाम दावे के मुताबिक जीत के वे नोटों से भरे सूटकेसों का अभी अता पता नहीं है।

सीबीआई के मुताबिक उन हाई प्राोफाइल बैठकों में तापस पाल भी मौजूद थे और बाकी लोगों के बारे में वे जानते हैं।इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि वे सवालों के जवाब संतोषजनक नहीं दे रहे हैं।

संसद में तृणमूल सचेतक सुदीप बंदोपाध्याय को भी सीबीआई ने तलब किया है।सोम मंगल को वे सीबीआई के मुखातिब होंगे।आगे लंबी कतार है।

जाहिर है वक्त सनसनी का है।सनसनी में नोटबंदी का किस्सा उसीतरह रफा दफा है जैसे मनुस्मृति का किस्सा, सर्जिकल स्ट्राइक हो गया। सनसनी और धमाकों की रणनीति से नोटबंदी का किस्सा रफा दफा करने की तैयारी है।मगर यूपी जीतने का टार्गेट निशाना बराबर हैं।इसीलिए बाबासाहेब अब संघ परिवार का ऐप हैं।

जेएनयू पर हमला भी इसी रणनीति का हिस्सा है।बहुजन छात्रों को अलगाव में डालने का यह जबर्दस्त दिलफरेब खेल है जो कामयाब होता नजर आ रहा है।बहुजन छात्र और कामरेड क्रांतिकारी दोनों एक दूसरे से निजात पाने को बौरा गये लगते हैं और जाहिर है कि तरणहार इकलौता संघ परिवार है।जावड़ेकर धन्य हैं।

धन्य है बहुजन छात्रों के निलंबन पर कामरेडों की क्रांतिकारी खामोशी भी।

कामरेड इसीतरह बहुजनों को केसरिया कांग्रेस खेमे में हांकते रहे हैं दशकों से।

क्रांति से बहुजनों का यह तलाक सहमति से है।

जाहिर है कि संघ परिवार की बाड़ाबंदी में दाखिले के बाद बहुजनों का जो होना था वही हो रहा है।भूखे शेरों की मांद में चारा बनने के लिए बेताब बहुजनों का यही कर्मफल है।कारपोरेट इंडिया के तंत्र मंत्र यंत्र हिंदुत्व तो पहले से था ही,अब वह तेजी से अंबेडकर मिशन में तब्दील हैं।मिशन के दुकानदार भले वे ही पुराने चेहरे हैं।

जाहिर है कि भाजपा और संघ परिवार के साथ साथ कारपोरेट इंडिया के नस्ली सफाये के एजंडा का असली मास्टरकार्ड बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ही हैं और अब उनका बीज मंत्र भी जयभीम है,फिर अब भीम ऐप है। क्योंकि यूपी और गायपट्टी ही नहीं,बाकी देश की आंखें भी यूपी के नतीजों पर टिकी है।

बहुजनों की आबादी बानब्वे फीसद है।

पचास फीसदी आबादी ओबीसी की और ओबीसी सत्ता में है तो बाकी आम जनता को हांकने के लिए जयभीम जयभीम समां है मुक्तबाजारी कार्निवाल का।

यूपी की जीत बहुजन एकता तोड़कर ही मिल सकती है और संघ परिवार इसके लिए कुछ भी करेगा।राम से बने हनुमान पहले से मोर्चाबंद हैं और अब मलाईदार पढ़े लिखे बहुजनों की सेवा व्यापक पैमाने पर समरसता मिशन में ली जा रही है।

सोदपुर हाट में एक बुजुर्ग बीएसपी नेता की किराने की दुकान है।आज हाट में गया तो उनने कहा कि यूपी में बहनजी जीत रही हैं।वे जीतती हैं तो बाकी देश में फिर जयभीम जयभीम है।इसपर हमने कहा कि यूपी में नोटों की वर्षा हो रही है और समाजवादी दंगल का फायदा भी संघ परिवार को होना है।

उनने बहुत यकीन के साथ कहा कि मुसलमान संघ परिवार को वोट नहीं देंगे और वे इस बार बहनजी के साथ हैं।बहुजनों को यही खुशफहमी है।वे बंटे रहेंगे और उम्मीद करेंगे कि मुसलमान उनके लिए सबकुछ नीला नीला कर दें।मौका पड़ा तो बहुजन मुसलमानों का साथ भी न देंगे।

हमने उनसे ऐसा नहीं कहा बल्कि हमने निवेदन किया कि बंगाल में मतुआ और शरणार्थी सारे बहुजन हैं और वे ही सारे के सारे बजरंगी हैं तो आप बंगाल में बैठकर यूपी के बहुजनों के बारे में इतने यकीन के साथ दावा कैसे कर सकते हैं।

पहली बार हमने किसी बंगाली सज्जन से सुना,बंगाल के बहुजन बुड़बक हैं और बिहार के बहुजन भी बराबर बुड़बक हैं लेकिन यूपी के बहुजन उतने बुड़बक भी नहीं हैं।

फिर मैंने निवेदन किया कि बहन जी तो कई दफा मुख्यमंत्री बन गयीं तो सामाजिक न्याय और समता का क्या हुआ,बाबासाहेब का मिशन का क्या हुआ।

उनने जबाव में कहा,कुछ नहीं हुआ लेकिन आरएसएस को हराना अंबेडकर मिशन को बचाने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है।

उनने जबाव में कहा,भाजपा ने अगर यूपी जीत ली तो न अंबेडकर मिशन बचेगा और न देश बचेगा।

हाट में खड़े यह संवाद सुनते हुए एक अजनबी बुजुर्ग ने कह दिया,दो करोड़ वेतनभोगी पेंशनभोगी हैं तो सिर्फ दो हजार नेता नेत्री हैं।नोटबंदी के बाद जिस तेजी से आम जनता तबाह है,इन दो हजार नेता नेत्रियों के पैरों तले कुचले जाने से पहले जनता अब किसी भी दिन बगावत कर देगी।

हम कुछ जवाब दे पाते,इससे पहले वे निकल गये।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री पेटीएम ने नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने के बाद दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में डिजिधन मेला का उद्घाटन किया। इस मेले का उद्घाटन देश में डिजिटल पेमेंट और कैशलेस इंडिया को बढ़ावा देने के लिए किया गया। इस मेले में प्रधानमंत्री  पेटीएम ने भीम ऐप की की घोषणा की।

इस भीम ऐप से कमसकम उत्तर भारत में सामाजिक न्याय की बहुजन राजनीति का काम तमाम करना स्वंवर का लक्ष्य है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना बाबासाहेब की वजह से हुआ,जो सर्वविदित सच है।इस सच को आधार बनाकर भारतीय रिजर्वबैंक की हत्या को जायज बता रहे हैं पेटीएमप्रधानमंत्री और बहुजन गदगद है।

बहुजनों के लिए मंकी बातें आज लता मंगेशकर के गाये सुपरहिट फिल्मी गानों से भी ज्यादा सुरीली है क्योंकि सारे बोल जयभीम जयभीम है।यानी कि हिंदुतव का ग्लोबल एजंडा अब राम के नाम नहीं,बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के नाम से अंजाम तक पहुंचाने का चाक चौबंद इंतजाम है।

गौरतलब है कि भारत के किसी प्रधानमंत्री ने पहलीबार इस तरह राजकाज और वित्तीय प्रबंधन अंबेडकर मिशन और अंबेडकर विचारधारा के मुताबिक चलाने का दावा किया है।पहले ही कहा जा रहा था कि नोटबंदी के लिए बाबासाहेब ने कहा था।

इस पर आदरणीय आनंद तेलतुंबड़े ने लिखा हैः

कहने की जरूरत नहीं है कि दलितों और आदिवासियों जैसे निचले तबकों के लोगों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है और वे भाजपा को इसके लिए कभी माफ नहीं करेंगे. भाजपा ने अपने हनुमानों (अपने दलित नेताओं) के जरिए यह बात फैलाने की कोशिश की है कि नोटबंदी का फैसला असल में बाबासाहेब आंबेडकर की सलाह के मुताबिक लिया गया था. यह एक सफेद झूठ है. लेकिन अगर आंबेडकर ने किसी संदर्भ में ऐसी बात कही भी थी, तो क्या इससे जनता की वास्तविक मुश्किलें खत्म हो सकती हैं या क्या इससे हकीकत बदल जाएगी? बल्कि बेहतर होता कि भाजपा ने आंबेडकर की इस अहम सलाह पर गौर किया होता कि राजनीति में अपने कद से बड़े बना दिए गए नेता लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा होते हैं.

राम के नाम  सौगंध अब भीम के नाम।

जेएनयू मिशन पूरा हो गया,जयभीम के साथ नत्थी कामरेड को अलविदा है।

रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के बाद देशभर के छात्रयुवा जैसे जाति धर्म की दीवारें तोड़कर जाति उन्मूलन के मिशन के साथ मनुस्मृति दहन कर रहे थे,उसका मूल मंत्र जयभीम कामरेड है।

मीडिया ने नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों के निलंबन की खबर को ब्लैकआउट करके संघ परिवार के मिशन को कामयाब बनाने में भारी योगदान किया है।

पिछली दफा भी कन्हैया के भूमिहार होने के सवाल पर बवाल खूब मचा था।

इस बार बहुजन छात्रों के निलंबन के खिलाफ सवर्ण कामरेडों की खामोशी का नतीजा यह है कि छात्रों युवाओं के मध्य भी अब जाति धर्म की असंख्य दीवारें इस एक कार्रवाई के तहत बना दी गयी है।

गौर करें कि कैशलैस डिजिटल इंडिया के वृंदगान के साथ संघ परिवार की तरफ से  नया साल अब जयभीम जयभीम  है।गोलवलकर सावरकर मुखर्जी का कहीं नाम नहीं है।यह सीधी सी बात बहुजनों की समझ से परे हैं और चाहते हैं नीली क्रांति।

पेटीएम के बाद अब रुपै की महिमा अपरंपार है।गौरतलब है कि बाबासाहेब के नाम कैशलैस डिजिटल लेनदेल का इनामी ड्रा के लिए अनिवार्य शर्त अब रुपै है।

नोटबंदी से पहले भारी पैमाने पर रुपै कार्ड का पिन चुराया गया था।

इस फर्जीवाड़ा का अभीतक कोई सुराग मिला नहीं है।

अब इनाम के लिए रुपै कार्ड की अनिवार्यता साइबर फ्राड का जोखिम उठाने का खुला न्यौता है।

पहले डिजिटल लेन देन पर छूट के ऐलान के बाद एफएमकारपोरेट ने साफ किया कि छूट डेबिट कार्ड पर मिलेगा,क्रेडिट कार्ड पर नहीं।

अब कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 'लकी ग्राहक योजना' और 'डिजि धन व्यापार योजना' लॉन्च की हैं। केंद्र की पुरस्कार योजनाएं 25 दिसंबर से शुरू हैं। ये 14 अप्रैल तक चलेंगी। हर हफ्ते सात हजार ग्राहक और कारोबारियों को पुरस्कार मिलेगा।

गौरतलब है कि  50 से 3000 रुपए तक की पेमेंट ही लकी ड्रॉ में शामिल होंगी। 3 हजार से ज्यादा के भुगतान इससे बाहर हैं।

गौरतलब है कि  प्राइवेट कार्ड या वॉलेट के भुगतान भी बाहर हैं।

अब साफ किया गया है कि रुपै अनिवार्य है और  सिर्फ यूपीआई, यूएसएसडी, आधार बेस्ड पेमेंट व रुपै कार्ड से होने वाला भुगतान ही लकी ड्रॉ में शामिल होगा।

मोबाइल लेनदेन के जिन तरीकों पर सबसे ज्यादा जोर है,वे इस प्रकार हैंः यूपीआई : यूपीआई एनईएफटी या आईएमपीएस ट्रांसफर से अलग है। इसके जरिए किसी भी बैंक खाते से किसी अन्य बैंक खाते में मोबाइल से तुरंत पैसे भेजे जा सकते हैं।

यूएसएसडी : साधारण मोबाइल से बैंकिंग के लिए सरकार ने यूएसएसडी बैंकिंग नाम से एक नई सुविधा शुरू की है। यह बैंकिंग सुविधा मोबाइल फ़ोन में *99# डायल करके प्रयोग की जाती है। अंग्रेजी के अलावा हिंदी समेत 10 क्षेत्रीय भाषाओं में बैंकिंग कर सकते हैं।

आधार बेस्ड पेमेंट : आपका आधार कार्ड आपके लिए एटीएम की तरह काम करेगा। इसके लिए आधार माइक्रो एटीएम लगाए जाएंगे। इस आधार माइक्रो एटीएम से आप पैसे निकाल सकते हैं। इसके लिए आपके पास बस आधार कार्ड होना चाहिए और कार्ड का नंबर आपके बैंक खाते के साथ जुड़ा होना चाहिए। अब आपको पैसे निकालने या ट्रांसफर करने के लिए पास के किसी आधार माइक्रो एटीएम पर जाना होगा।

डिजि-धन मेला में पहुंचे पीएम अपने विरोधियों पर भी खूब बरसे। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि 2 साल पहले सिर्फ गए की बात होती थी लेकिन अब आने की बात होती है। पहले खबरें होती थीं कितना गया लेकिन अब खबरें है कितना आया।

लोगों की पीएम से उम्मीद है कि बेनामी संपत्ति वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, इतनी तकलीफ के बाद अब आने वाले दिनों में क्या टैक्स बेनिफिट मिलेगा पीएम इस पर बताएं। हायर एजुकेशन पर टैक्स बहुत ज्यादा है उसे कम किया जाए।  मोदीजी करंट अकाउंट पर 50 हजार की लिमिट को बढ़ाये। महंगाई पर नियंत्रम किया जाए। सर्विस टैक्स कम हो जीएसटी को जल्दी लागू हो। इनकम टैक्स की लिमिट 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख की जाए।

उधर नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने पर आज कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी पूरी तरह नाकाम रही है और सरकार ने बिना कुछ सोचे समझे इस फैसले को लिया। उन्होंने ये भी कहा कि सिर्फ वक्त ही बताएगा कि जनता सरकार के इस कदम से कितना खुश है।





Thursday, December 29, 2016

तुगलकी राजकाज और राजकरण! नोटबंदी का पर्यावरण और बहुजनों का हिंदुत्व खतरनाक हैं दोनों! पलाश विश्वास


तुगलकी राजकाज और राजकरण!

नोटबंदी का पर्यावरण और बहुजनों का हिंदुत्व खतरनाक हैं दोनों!

पलाश विश्वास

हम शुरु से जल जंगल जमीन के हक हकूक को पर्यावरण के मुद्दे मानते रहे हैं।हम यह भी मानते रहे हैं कि मुक्तबाजारी अर्थव्यवस्था से प्रकृति,मनुष्यता,संस्कृति और सभ्यता के अलावा धर्म कर्म को खतरा है।

सभ्यता के विकास में मनुष्य और प्रकृति के संबंध हमेशा निर्णायक रहे हैं तो सभ्यता के विकास में पर्याववरण चेतना आधार रहा है।यही हमारे उत्पादन संबंधों का इतिहास हैं और इन्हीं उत्पादक संबंधों से भारतीय अर्थव्यवस्था बनी है,जिसका आधार कृषि है।धर्म कर्म और आध्यात्म का आधार भी वहीं पर्यावरण चेतना है।

ईश्वर कही हैं तो प्रकृति में ही उसकी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है।आस्था का आधार भी यही है।

मुक्तबाजारी हिंदुत्व को इसीलिए हम धर्म मानने से इंकार करते रहे हैं।यह विशुद कारपोरेट राजनीति है,अधर्म है।अंधकार का कारोबार है।नस्ली नरसंहार है।

भारत में पर्यावरण का पहरुआ हिमालय है तो सारे तीर्थस्थान वहीं हैं और वहां के सारे लोग आस्तिक है।यह आस्था दरअसल उनकी पर्यावरण चेतना है।पर्यावरण चेतना के बिना धर्म जैसा कुछ होता ही नहीं है,ऐसा हम मानते हैं।

नोटबंदी के डिजिटल कैशलैस मुक्तबाजारी नस्ली नरसंहार अभियान के निशाने पर प्रकृति,मनुष्यता,संस्कृति,सभ्यता के अलावा मनुष्य की आस्था,परंपरा,इतिहास के साथ साथ धर्म कर्म भी है।

नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते डिजिटल कैशलैस इंडिया की हवा निकल गयी है।सामने नकदी संकट भयावह है।

देश के चार टकसालों में शालबनी में कर्मचारियों ने ओवर टाइम काम करने से मना कर दिया है,जहं रात दिन नोटों की छपाई के बाद कैशलैस लेनदेन तीन चार सौ गुणा बढ़ने के बावजूद बैंक अपने ग्राहकों को नकदी देने असमर्थ हैं।

बाकी तीन टकसालों में भी देर सवेर शालबनी की स्थिति बन गयी तो इंटरनेट औरमोबाइल से बाहर भारत के अधिकरांश जनगण का क्या होगा,यह पीएमएटीएम और एफएम कारपोरेट के तुगलकी राजकाज और राजकरण पर निर्भर है।

यूपी में चुनाव है तो वहां नोट,मोटर साईकिलें और ट्रक भी आसमान से बरस रहे हैं।बंगाल बिहार ओड़ीशा और बाकी देश में जहां चुनाव नहीं है,आम जनता की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।राष्ट्र के नाम संदेश शोक संदेश से हालात नहीं बदलने वाले हैं।

नोटबंदी सिरे से फेल हो जाने के बाद नोटबंदी का पर्यावरण बेहद खतरनाक हो गया है।

इस देश की जनसंख्या में सवर्ण हिंदू बमुश्किल आठ फीसद हैं।

बाकी बानब्वे फीसद बहुजन हैं।

ब्राह्मणों और सवर्णों को अपनी दुर्गति के लिए गरियाने वाले ये बानब्वे फीसद बहुजन ही देश के असल भाग्यविधाता हैं।

पढ़े लिखे सवर्णों में ज्यादातर नास्तिक हैं।

पढ़े लिखे ब्राह्मण भी अब जनेऊ धारण नहीं करते।

इसके विपरीत पढे लिखे बहुजन कहीं ज्यादा हिंदू हो गये हैं और कर्मकांड में बहुजन  सवर्णों से मीलों आगे हैं।मंत्र तंत्र यंत्र के शिकंजे में भी ओनली बहुजन हैं।हिंदुत्व सुनामी में जो साधू संत साध्वी ब्रिगेड हैं,उनमें भी बहुजन कहीं ज्यादा हैं।बहुजनों के धर्मोन्माद से ही हिंदुत्व का यह विजय रथ अपराजेय है और यही मुक्तबाजार का सबसे बड़ा तिलिस्म है।कारपोरेट हिंदुत्व का सबसे बड़ा प्रायोजक है।अब तो रतन टाटा भी हिंदुत्व की शरण में नागपुर में शरणागत हैं।

जाहिर है कि नोटबंदी का पर्यावरण और बहुजनों का हिंदुत्व खतरनाक हैं दोनों।बेहद खतरनाक हैं और यही डिजिटल कैशलैस सैन्यतंत्र सैन्यराष्ट्र का चरित्र है।

नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने से पहले मुंबई से लेकर उत्तराखंड तक जो हिंदुत्व का एजंडा लागू हो रहा है,उसपर गौर करना बेहद जरुरी है।

गढ़वाल में भूंकप क्षेत्र भागीरथी और अलकनंदा घाटियों के आस पास चारधामों तक राजमार्ग पर्यटन विकास के लिए नहीं है।उत्तराखंड में चुनाव जीतने का रणकौशल भी यह नहीं है।हिमाचल और उत्तराखंड का केसरियाकरण बहुत पहले हो गया है।अब बाकी देश के केसरियाकरण के सिलसिले में यह राममंदिर आंदोलन रिलांच है जैसे केजरीवाल अन्ना ब्रिगेड का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन सिरे से आरक्षणविरोधी है,वैसे ही हिंदुत्व का यह एजंडा विशुध कारपोरेट एजंडा है।

हिंदुत्व के इस कारपोरेट एजंडा ने तो शिवसेना को भी अनाथ करके शिवाजी महाराज की विरासत पर कब्जा करने के लिए अरब सागर में शिवाजी भसान कर दिया है और मुंबई में राममंदिर का निर्माण भी हो गया है।संघ परिवार बाबासाहेब अंबेडकर के अंबेडकर भवन ढहाकर, कब्जा करके उसी जमीन पर बहुजनों का नया राममंदिर बाबासाहेब के नाम बना रहा है।

हम जहां हैं,उस कोलकाता के जलमग्न हो जाने का खतरा गहरा रहा है।हुगली नदी के दोनों किनारे कोलकाता और हावड़ा हुगली में भी टूट रहे हैं जैसे मुर्शिदाबाद और मालदह में टूट रहे हैं।तो सुंदर वन के सारे द्वीप डूबने वाले हैं।

पर्यावरण महासंकट में नोटबंदी का पाप धोने के लिए समुद्रतट से लेकर हिमालय तक मुक्तबाजारी कारपोरेट हमला तेज है।

सुंदरवन और पहाड़ों में रोजगार की तलाश में पलायन का परिदृश्य एक जैसा है।अभी सुंदर वन के गोसाबा में मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता तुषार कांजिलाल की टैगोर सोसाइटी फार रूरल डेवलपमेंट ने चार गांवों आनंदपुर,लाहिड़ीपुर,हैमिल्टनबाद और लाटबागान में घर घर जाकर समीक्षा की है।इन गांवों के पांच हजार तीन सौ एक सक्षम पुरुषों में दो हजार पांच सौ छसठ पुरुषों ने रोजगार की तलाश में गांव छोड़ दिया है। 618 महिलाओं ने भी गांव छोड़ दिया है।यह एक नमूना है।सुंदरवन ही नहीं उत्तराखंड के पहाड़ों के गांवों की तस्वीर यही है।

पर्यटन विकास की ही बात करें तो उत्तराखंड को बहुत कम निवेश पर मौजूदा रेलवे नेटवर्क के जरिये पूरे देश से जोड़ा जा सकता है जबकि नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए अब सिर्फ कोलकाता और नई दिल्ली से सीधी ट्रेनें हैं।मुंबई,चेन्नै,बेंगलुरु,जयपुर,अबहमदाबाद,नागपुर,भोपाल,रायपुर,भुवनेश्वर से अगर नैनीताल के लिए सीधी ट्रेन सेवा हो तो कुमायूं में पर्यटन विकास बहुत बढ़ सकता है।देहरादून हरिद्वार देशभर से जुड़ा है,वहां से रेलवे नोटवर्क को पूरे उत्तराखंड हिमाचल तक ले जाना फौरी जरुरत है।

सरकार ऐसा कुछ न करके गढवाल के केदार जलसुनामी इलाकों में बारहमहीने धर्म पर्यटन का बंदोबस्त कर रही है,तो इसका असल मकसद समझना जरुरी है।

हिमालय के बारे में चेतावनियां सत्तर के दशक से जारी होती रही है।अब वर्ल्डवाइल्ड लाइफ फंड की 2011 की रपट के मुताबिक सुंदरवन इलाके के लिए डूब के खतरे की चेतावनी भी बासी हो चुकी है जबकि भारत के सारे समुद्रतट को परमाणु भट्टी में तब्दील करने का अश्वमेध अभियान जारी है।

शिवसेना ने मुंबई के सीने पर जैतापुर में पांच पांच परमाणु संयंत्र लगाने का अभी तक विरोध नहीं किया है जबकि शिवाजी की विरासत छिनने पर मराठी मानुष के जीवन मरण के दावेदार बौखला रहे हैं।

चेतावनी है कि अगले तीस सालों में सुंदरवन के पंद्रह लाख लोग बेघर होंगे और सुंदरवन के तमाम द्वीप डूब में शामिल होंगे।

हम अपने लिखे कहे में लगातार मुक्तबाजार के खिलाफ पर्यावरण आंदोलन तेज करने की बात करते रहे हैं।

हम बहुजन आंदोलन को भी पर्यावरण आंदोलन में बदलने के पक्षधर हैं।क्योंकि बहुजनों के हकहकूक के तमाम मामले जल जंगल जमीन आजीविका और रोजगार से जुड़े हैं और पार्कृति संसाधन उन्ही से छीने जा रहे हैं।क्योंकि कृषि भारत में पर्यावरण,जलवायु,जीवन चक्र और मौसम केसंतुलन का आधार है और भारत में कृषिजीवी आम जनता बहुजन हैं।हमारी किसी ने नहीं सुनी है।

अब हमारे लिए यह बहुत बड़ा संकट है कि कमसकम पहाड़ों में लगभग सारे राजनेता चिपको आंदोलन से जुड़े होने के बाद उनमें से ज्यादातर लोग अब कारपोरेट दल्ला बन गये हैं और हिमालय के हत्यारों में वे शामिल हैं।जाहिर है कि सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण कार्यकर्ता का चरित्र भी राजनीतिक संक्रमण से पूरी तरह बदल जाता है।आम जनता के बजाय उन्हें बिल्डरों,माफिया,प्रोमोटरों,कारपोरेट बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ज्यादा चिंता लगी रहती है।

यह बेहद खतरनाक स्थिति है।

बहुजनों के केसरियाकरण और बहुजनों के हिंदुत्व से ही सारा का सारा राजनीतिक वर्ग इस देश में बहुजनों के नस्ली नरसंहार के हिंदुत्व एजंडा को अंजाम दे रहा है।इसका प्रतिरोध न हुआ तो आगे सत्यानाश है।

डीएसबी जमाने के हमारे प्राचीन मित्र राजा बहुगुणा का ताजा स्टेटस हैः

हरीश रावत ने केदारधाम तो मोदी ने चारधाम से सिक्का जमाया ? उत्तराखंड की कौन कहे ?

राजा बहुगुणा आपातकाल के बाद नैनीताल जिला युवा जनता दल के अध्यक्ष थे।वनों की नीलामी के खिलाफ आंदोलन में वे जनतादल छोड़कर उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के कार्यकर्ता बने।28 नवंबर,1977 को नैनीताल में छात्रों पर लाठीचार्ज,पुलिस फायरिंग,नैनीताल क्लब अग्निकांड  के मध्य वनों की नीलामी के खिलाफ शेखर दाज्यू, गिरदा, राजीव लोचन शाह और दूसरे लोगों के साथ जेल जाने वालों में उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल थे।हरीश रावत जेल से निकलकर सीधे राजनीति में चले गये।

गौरतलब है कि इसीलिए हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने पर वाहिनी के चिपकोकालीन अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट ने एक आंदोलनकारी के हाथों में सत्ता की बागडोर होने की बात कहकर हलचल मचा दी थी।

तब डीएसबी के छात्र आज के सांसद प्रदीप टमटा भी वाहिनी के बेहद सक्रिय कार्यकर्ता थे।वह लंघम हास्टल में रहता था,जहां पहले राजा रहते थे।लंघम में रहते हुए ही राजा के साथ महेंद्र सिंह पाल की भारी भिड़ंत हो गयी थी।नैनीताल के सबसे धांसू छात्र नेता महेंद्र सिंह पाल भी हम लोगों के ही साथ थे।हम लोग ब्रुकहिल्स में रहनेवाले काशी सिंह ऐरी के साथ थे तो प्रदीप लंघम के ही शेर सिंह नौलिया के साथ।चिपको ने हम सभी को एकसाथ कर दिया।चिपको के दौरान प्रदीप के डेरे थे बंगाल होटल में मेरा कमरा,गिर्दा का लिहाफ और नैनीताल समाचार का दफ्तर।तो काशी सिंह ऐरी भी चिपकों के दौरान डीडी पंत और विपिन त्रिपाठी के साथ उत्तराखंडआंदोलन का हिस्सा बनने से पहले हमारे साथ थे।मतलब यह खास बात है कि उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय तमाम लोग चिपको आंदोलन से जुड़े थे।

अब सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी से राजनेता,मुख्यमंत्री से लेकर सांसद तक बनने वाले प्राचीन साथियों की पर्यावरण चेतना पर हमें शक है।हमारे साथी , हमें माफ करें।मैं जन्मजात तराई का मैदानी हूं।मातृभाषा भी बांग्ला है।ऊपर से शरणार्थी किसान परिवार से हूं।खांटी उत्तराखंडी होने का दावा कर नहीं सकता। हमें जितनी फिक्र उत्तराखंड की कोलकाता में 25 साल गुजारने के बावजूद हो रही है,उतनी फिक्र भी हमारे साथियों को उत्तराखंड की नहीं है,यह हमारे लिए गहरा सदमा है।वैसे उत्तराखंड की राजनीति और विधानसभा में भी हमारे पुराने साथी कम नहीं हैं।लेकिन महिला आंदोलनकारियों की बेमिसाल शहादतों और उत्तराखंड वासियों की आकांक्षा और संघर्षों से बने नये राज्य में वे क्या कर रहे हैं,समझ से परे हैं।

बारह महीने चार धाम यात्रा के हिंदुत्व प्रोजेक्ट पर राजा के सिवाय किसी का पोस्ट नहीं मिला है।

आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा फेसबुक या सोशल मीडिया पर नहीं हैं।चार धाम हिंदुत्व के सिलसिले में उनकी प्रतिक्रिया या कोई उनका मंतव्य हमारे सामने नहीं है। पत्रकारों को तुरंत उनसे देहरादून में साक्षात्कार करना चाहिए।

सुंदरलाल बहुगुणा  हमारी तरह नास्तिक नहीं हैं।विशुद्ध गांधीवादी हैं।वे धार्मिक हैं।पर्यावरण और जल जंगल जमीन के मसलों को वे सीधे आध्यात्म से जोड़कर देखते हैं।उनके विरोध का हथियार भी उपवास है। पर्यावरण संकट के मद्देनजर बरसों से वे पहाड़ों पर चढ़ नहीं रहे हैं और गोमुख पर रेगिस्तान बनते देख भविष्य में जल संकट के मद्देनजर उन्होंने बरसों से अन्नजल छोड़ दिया है।गंगा की अविराम जलधारा को बनाये रखने का नारा उन्होंने ही सबसे पहले दिया था।

आदरणीय सुंदर लाल बहुगुणा हमें कोई दिशा दें तो बेहतर।मुख्यमंत्री हरीश रावत या फिर केंद्र सरकार या प्रधानमंत्री को भी वे सलाह देने की हालत में हैं।

अभी हिमालय में तमाम ग्लेशियर पिघलने लगे हैं और एक एक इंच जमीन भूमाफिया ने दखल कर लिया है।बारह मास धर्म पर्यटन में पहाड़ियों का क्या हिस्सा होगा,मौजूदा पर्यटन वाणिज्य में पहाड़ियों की हिस्सेदारी के मद्देनजर इसे समझा जा सकता है।पर्यावरण,मौसम और जलवायु के परिदृश्य में माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहण पर्यटन का नजारा सामने हैं।

इसी सिलसिले में पहाड़ से ही इंद्रेश मैखुरी का यह स्टेटस भी उत्तराखंड में हिंदुत्व के जलवे को समझने के लिए मददगार हैः

हरीश रावत जी ने बुजुर्गों के मुफ्त तीर्थ घूमने की योजना निकाली,भूत-मसाण पूजने वालों को पेंशन की घोषणा की,छठ,करवाचौथ की छुट्टी कर डाली और अब जुमे की नमाज के लिए सरकारी कर्मचारियों को 90 मिनट की छुट्टी दे रहे हैं.हरीश रावत जी बुजुर्ग हैं,तीर्थ करने की उनकी उम्र है,छूट्टी की जरुरत है,उनको.तो क्यूँ न उनकी ही छुट्टी करके तीर्थ यात्रा पर रवाना कर दिया जाए.नहीं तो वे राज्य को ही मसाण बना कर उसकी पुजई करते रहेंगे !


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Wednesday, December 28, 2016

#NoteBandiNasBandiEmergency #NoMoreRohith नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात पलाश विश्वास


#NoteBandiNasBandiEmergency

#NoMoreRohith

नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात

पलाश विश्वास

30 दिसंबर तक की मोहलत खत्म होने से पहले जेएनयू पर हमला नोटबंदी के सर्जिकल स्ट्राइक से,कैशलैस डिजिटल इंडिया से,दिवालिया बैंकिंग,लाटरी अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने का मास्टर स्ट्रोक तो नहीं है?रोहित वेमुला को भूलने की तरह फिर छात्र युवा देश भर में कत्लेआम के स्थाई बंदोबस्त को तो नहीं भूल रहे हैं?क्या संघ परिवार के पाले में बैठे बहुजन बुद्धिजीवियों के लिए नोटबंदी के जवाब में फिर अस्मिता राजनीति के समरसता उफान का यह मौका नहीं है?हम नहीं जानते हैं।आप?

इस पर तुर्रा यह कि फासिज्म के राजकाज राजकरण के समय में विपक्ष का चेहरा फिर वही ममता बनर्जी या फिर अरविंद केजरीवाल है।भूमिगत अन्ना ब्रिगेड परदे के पीछे सक्रिय है।यह अजब गजब स्वदेशी जागरण है।

दीदी के कैबिनेट में सिरे से बहुजनों का कोई रोल नहीं है और बंगाल में जीवन के किसी भी क्षेत्र में बहुजनों का कोई चेहरा नहीं है।दीदी के फेसबुक स्टेटस पर हिंदुत्व का महोत्सव है।केजरीवाल अन्ना ब्रिगेड की पूंजी फिर आरक्षण विरोध है।संघ परिवार के अगले प्रधानमंत्रित्व का दावेदार फिर वही केजरीवाल है।

दीदी ने लोकसभा विधानसभा चुनाव में वामपक्ष के साथ कांग्रेस को ठिकाने लगाने के लिए बंगाल का मुकम्मल केसरियाकरण कर दिया।कांग्रेस बंगाल में साइन बोर्ड है।नादानी की क्या कहें कि उन्हीं मोदी दीदी गठबंधन के मुकाबले कांग्रेस की फिर सत्ता में वापसी की तमन्ना है।

दीदी के सिपाहियों ने ही संसद में,संसद के बाहर  सबसे जियादा हंगामा बरपाया है और नोटबंदी पर संसद में कोई बहस नहीं हुई है।चंडूखाने में लोग इतने बेखबर भी नहीं होते।जितने वामपंथी और बहुजन सितारे हैं।दीदी के आगे पीछे घूमे हैं।बिना पड़ताल किये कि दीदी केजरीवाल के आगे पीछे कौन हैं।

बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि दीदी मोदी युगलबंदी की पहेली का क्या हुआ।सीबीआई ईडी क्यों मेहरबान हैं।

बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि दीदी मोदी युगलबंदी के आलम में दिल्ली की तृणमूल क्रांति और चिटफंड के खजाने के बीच दूरी कितनी है।

बंगाल में लोग यही पूछ रहे हैं कि देशभर में छापे में तमिलनाडु के मुख्यसचिव से लेकर मायावती के भाई के यहां रेड हुआ तो दक्षिण कोलकाता की सारी प्राइम प्रापर्टी पानी के मोल खरीदने वालों के खिलाप कोई रेड क्यों नहीं पड़ा।क्यों नहीं,नोटिस थमाने के बजाय बंगाल में शारद नारदा के सिपाहसालारों के यहां छापे पड़े।

हम बचपन से वामपंथियों को सियासती घोड़े जान रहे थे,रेस में घोडो़ं के बजाय अब गदहों को दौड़ते देख हैरानी हो रही है।

मायावती पर निशाना बंधते देखते ही नोटबंदी की सियासती जमात में भगदड़ मच गयी है और आप नोटबंदी से राहत मांग रहे हैं।

देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर यादवपुर विश्वविद्यालय का होक कलरव मौन है।कोलकाता में प्रेसीडेंसी,सेंटस्टीपेंस,कलकत्ता विश्वविद्यालय में सन्नाटा है।

देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला के साथी नोटबंदी पर खामोश हैं।ज्वाइंट फोरम के स्टेटस में नोटबंदी का जिक्र भी नहीं है।तमाम बहुजन बुद्धिजीवी या पेटीएम के साथ हैं या  अंबेडकर मिशनरियों की तरह मौन हैं या अपने अपने खजाने को बचाने की कवायद में मशगुल हैं।बामसेफ का राष्ट्रीय आंदोलन सिरे से गायब है।मूलनिवासी मौन हैं।क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

देश के इस सबसे मुश्किल वक्त पर अार्थिक अराजकता,नोटबंदी नसबंदी,नकदी संकट,भुखमरी,बेरोजगारी,मंदी के घनघोर संकट के वक्त छात्र युवा खामोश हैं। देश में छात्रों युवाजनों का समकालीन परिदृश्य से यह गुमशुदगी हैरतअंगेज है।

फिर मायावती के खिलाफ भगवा राम मोर्चाबंद हैं।यूपी जीतने को दलित बुद्धिजीवी की संघी मोर्चाबंदी भयानक है।नोटबंदी के साथ बहुजनों की केसरिया मोर्चाबंदी क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

अंबेडकर भवन विध्वंस के बाद अंबेडकर मसीहा और उनका परिवार बहुजनों का दुश्मन ? और उसी अंबेडकर मलबे पर  केसरिया अंबेडकर मिशन की सत्रह मंजिल इमारत के भव्य राममंदिरमार्का समरसता परियोजना के साथ उना रैली के बाद जयभीम कामरेड गायब है।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव,पंजाब में भी शिकस्त की आशंका, पांचों राज्यों में खासतौर पर यूपी में बहुजनों की केसरिया मोर्चाबंदी,समरसता अभियान, परिवर्तन यात्रा और फिर जेएनयू की हैरतअंगेज मोर्चाबंदी। यूपी में नोटों की वर्षा नोटबंदी नसबंदी के मध्य? क्यों?हम नहीं जानते हैं।आप?

हमने कैरम कभी कायदे से खेला नहीं है।कुश्ती कबड्डी बचपन में खूब खेला है।थोड़ा बहुत फुटबाल,हाकी और क्रिकेट भी।सब आउटडोर है।इनडोर सत्ता गलियारों का संसदीय खेल अनजाना है।डाइरेक्ट इनडायरेक्ट स्ट्राइक,सरजिकल स्ट्राइक के कलाकौशल हम जानते नहीं हैं।हम शतरंज के खिलाड़ी भी नहीं हैं।शह मात प्रेमचंद जी से साभार जान रहे थे,पियादों की घुड़चाल समझ नहीं पा रहे हैं।आप?

मौकापरस्त मलाईदार पढ़े लिक्खे बहुजन केसरिया बजरंगी  बिरादरी प्याज की परतों की तरह खिलने लगी है।

ऐसे तिलस्मी मुकाम पर मनुस्मृति विदाई के बाद एक बार फिर जेएनयू पर फोकस बनाने के लिए संघ परिवार का प्लान आखिर क्या है?आत्महत्या की कोशिश है? या सारे विश्वविद्यालय बंद कराने की युद्धघोषणा है?या 30 दिसंबर का बेनामी मास्टरस्ट्रोक यही है।यहींच।पियादों की घुड़चाल समझ नहीं पा रहे हैं।आप?

मनुस्मृति संविधान के रामराज्य में रोहित वेमुला अकेले नहीं है।नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ति का क्या होगा कह नहीं सकते,लेकिन रामराज्य में मनुस्मृति बहाल रखने खातिर हर शंबूक की हत्या का अब अनिवार्य सुधार कार्यक्रम है।इसीलिए नोटबंदी के पचास दिन पूरे होते न होते जेएनयू के बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात हो गया।महाभारत का कुरुक्षेत्र अब फिर जेएनयू है।पार्वती अब मोहनजोदोड़ो की डांसिग गर्ल है,तो वैज्ञानिक सोच की भ्रूण हत्या भी अनिवार्य है।

शुक्रवार को जेएनयू में हुई एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में टेस्ट की फीस बढ़ाने को लेकर भी फैसला लिया गया.आईआईटी खड़गपुर में फीस बढ़ाने के खिलाफ आंदोलन की खबर बासी हो गयी है।फीस बढ़ाने के बावजूद बहुजनों की एंट्री रोकने का ऐहतियाती इंतजाम जबर्दस्त है।गौरतलब हे कि जेएनयू में छात्राें देश का बेकी विश्वविद्यालयों के मुकाबले ज्यादा हैं तो बहुजन छात्र भी वहां ज्यादा है।जेएनयू बागी लड़ाकू छात्राओं और बेशुमार बहुजन छात्रों की वजह से मनुस्मृति की आंखों में किरकिरी है।

गौरतलब है कि दो बार नामंजूर करने के बाद आखिरकार जेएनयू ने 'योग दर्शन' और 'वैदिक संस्कृति' पर शॉर्ट टर्म कोर्स के प्रपोजल को मंजूर कर लिया है। अकैडमिक काउंसिल की मीटिंग में दोनों सर्टिफिकेट कोर्स को पास कर दिया गया है।

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद की तलाश की जंग दिल्ली पुलिस के लिये दिनोदिन भारी पड़ती जा रही है। बड़े-बड़े मामलों को सुलझाने वाली दिल्ली पुलिस के हाथ नजीब अहमद के मामले में अब तक खाली हैं।

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने धरना-प्रदर्शन न करने के लिए नोटिस बोर्ड लगा दिया है।

अब मुलाहिजा फरमायें।

शकील अंजुम।

सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज़। अब JNU से निलंबित। वाइस चांसलर के आदेश पर SC, ST और OBC छात्रों के साथ इनका सामाजिक बहिष्कार।

गौरतलब है कि  जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सोमवार को हुई विद्वत परिषद की बैठक में जबरदस्ती घुसकर अनुशासनहीनता करने वाले आठ छात्रों के खिलाफ जेएनयू प्रशासन ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। प्रशासन ने उनको विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधि से ही नहीं बल्कि हॉस्टल से भी निलंबित कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच समिति भी बैठा दी है। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह छात्र निलंबित रहेंगे। जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि जो भी इन छात्रों को कैंपस में बुलाएगा उस पर कार्रवाई होगी।

गौरतलब है कि  जेएनयू के शिक्षक काउंसिल बैठक में बाहरी छात्रों को एंट्री करवाने वाले करीब 20 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि काउंसिल बैठक में बाहरी छात्र भी पहुंच रहे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। बाहरी छात्रों की बैठक में एंट्री करवाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी जरूरी है। उधर, विश्वविद्यालय की इस कार्रवाई पर छात्रसंघ ने आपत्ति दर्ज करवाई है।

अब दिलीप मंडल के इस फेसबुकिया मंतव्य पर गौर करेंः

JNU में अफ़ज़ल गुरु मामले में भी कार्रवाई से पहले जाँच कमेटी बैठी थी। उस मामले में सभी छात्र अंदर आ गए।

वहीं,

SC-ST-OBC-माइनॉरिटी छात्रों को 24 घंटे के अंदर निकाल दिया। कोटा लागू करने और इंटरव्यू का नंबर घटाने की माँग से इतना ख़ौफ़।

निकालने के नोटिस पर लिखा है कि आगे जाँच भी होगी।

हद है।

दिलीप इस मामले को अफजल गुरु मामले में रिहा छात्रों से जोड़ क्यों रहे हैं,हमारी समझ से परे है।

आगे दिलीप ने लिखा हैः

देश भर में कहीं भी JNU मामले पर आंदोलन हो तो कृपया मुझे टैग कर दें। अब हम किसी भी और को, रोहित वेमुला की तरह, सांस्थानिक हत्या का शिकार बनने नहीं दे सकते।

उनको मिला जबाव भी लाजवाब हैः

स्नेहलभाई पटेल नोटबंदी कैशबंदी की #नाकामियों को छिपाने और देश की जनता का ध्यान दूसरी ओर भटकाने का षड्यंत्र jnu के दलित आदिवासी अल्पसंख्यक एवं ओबीसी के 12 छात्रों का निलंबन, दमनात्मक कार्रवाई और बहिष्कार की घटना है।

Gagan Rajanaik मंडल सर!पंडों के प्राण धर्म में बसते हैं।एक बार 60% ओबीसी भाई इनके धर्म को कसकर लात मार दें जैसा कि मराठी ओबीसी भाइयों ने किया।फिर देखिए थोड़े क्षण के लिए जलजला या सुनामी से कम तहलका नहीं होगा। हिंदुत्व को त्यागने की बात पूरे विश्वमीडिया में आग की तरह फैलेगी।फिर देखिए पंडों के प्राण कैसे सूखते हैं।बापबाप करेंगे।

अब फिर दिलीप का स्टेटसः

2016 की शुरुआत रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से हुई। साल के आख़िर में संघियों, द्रोणाचार्यों की नज़र राहुल सोनपिंपले और JNU के OBC, SC और माइनॉरिटी के साथियों पर है।

आज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संघी कुलपति ने मुलायम सिंह यादव, विश्वम्भर नाथ प्रजापति, दिलीप यादव, भूपाली, प्रशांत, मृत्युंजय, शकील आदि को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया।

#NoMoreRohith

एक आधुनिक लोककथा।

मोदी जी- पंडित जी, किसको निकाला? किस बात का हल्ला है?

JNU वाइस चांसलर - अहीर, कुर्मी, कोयरी, कुम्हार, मुसलमान, आदिवासी, दलितों को निकाल दिया है श्रीमान।

मोदी जी - बहुत अच्छा। क्या माँग कर रहे थे? किस बात का आंदोलन है?

वाइस चांसलर - यह देखिए इनका कितना खतरनाक पर्चा है श्रीमान। माँग कर रहे हैं कि शिक्षक पदों पर संविधान में दिया गया कोटा लागू करो। इंटरव्यू को वेटेज घटाओ। यह हो गया तो हम उन्हें कम नंबर देकर फ़ेल कैसे करेंगे। ये नामुराद जाने कैसे रिटेन एक्ज़ाम में अच्छा नंबर ले आते हैं।

मोदी जी - बहुत खूब पंडित जी।

इस संवाद से प्रसन्न होकर नागपुर के देवताओं ने मोदी जी पर फूल बरसाए।

Image may contain: text

Image may contain: 14 people, text and outdoor



विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम के डीएनए का नस्ली सफाया अब नोटबंदी का अगला चरण है।

देश के इस घनघोर संक्रमणकाल में रोहित वेमुला के साथी कहां सो रहे थे,छात्र युवा कहां मनुस्मृति दहन कर रहे थे,पता ही नहीं चला।

अब उन्हें कोंचकर जगाने का वक्त है।नया साल छात्रों का कारसेवक कायाकल्प का मनुस्मृति समय है।जो बहुजन जहां तहां घुस गये है,उनेहं कोड़े मारकर निकाल बाहर करने का सही वक्त है।

मनुस्मृति कोई व्यक्ति नहीं,बाकायदा वैदिकी संहिता है,याद दिलाने के लिए संघ परिवार को धन्यवाद।

पेटीएमपीएम ने 30 दिसंबर तक सुनहले दिनों के लिए मोहलत मांगी थी पचास दिनों की।गिनती में घपला वहीं से शुरु हुआ।इसी मुताबिक सारा देश नोटबंदी के पचास दिन पूरे होने के लिए 30 दिन का इंतजार कर रहा है।

8 नवंबर को नोटबंदी के लिए राष्ट्र के नाम पेटीएम संदेश जारी हो गया तो पेटीएम राजकाज के पचास दिन 28 दिसंबर को पूरे होते हैं।गणित में भारत के लोग इतिहास में इतने कच्चे नहीं थे।महाजनी व्यवस्था में सूदखोर की गिनती हमारा गणित हो गया है।आदरणीय सुरेंद्र ग्रोवर जी ने 28 को ही पचास दिन पूरे हो जाने की सूचना देकरहमारा भी गणित दुरुस्त कर दिया।हाईस्कूल पास करने के बाद हमने कभी हिसाब जोड़ा नहीं है और बेहिसाब जिंदगी गुजरती चली गयी।ग्रोवर साहेब का आभार।

अयोध्या में राममंदिर न बनने से राम की सौगंध खाने वाले बजरंगी बहुत परेशान होवै थे।वे फिर कारसेवक बनकर पता नहीं कहां कहां धमाल मचाने का मंसूबा बना रहे थे।यूपी फिर कब्जाैने की राह देख रहे थे।नोटबंदी की आड़ में जहां नोटों की बरसात जो हुई सो हुई,मोटर साईकिल और ट्रक तक बरसने लगे।मायावती को घेरकर  दो चार चापे मारकर विपक्षे के खेमे में हलचल मचा दी।राजनीतिक मोर्चाबंदी राहुल ममता मोर्चाबंदी तक सिमट गया,फिरभी यूपी अभी दूर है।इसका इंतजाम भी हो गया।रामराज्य मुकम्मल है।इस बीच मुंबई में डिजिटल इंडिया का राममंदिर बन गया।अरब सागर में भगवा झंडों की सुनामी में शिवाजी महाराज का भसान भी हो गया।

उत्तराखंड के माफियावृंद के साथ एक ही फ्रेम में शोभित कल्कि महाराज ने पूरे देस के लिए बारह मास चारधामों की यात्रा के लिए चार धाम राजमार्ग का शिलान्यास सुनहले दिनों के तोक आयात से एक दिन पहले कर दिया।यह चाकचौबंद इंतजाम है।आगे भुखमरी,बेरोजगारी और मंदी की मार है।हिंदू राष्ट्र में कितने करोड़ हिंदू जियेंगे,कितने करोड़ हिंदू मरेंगे,अतापता नहीं।लोक का सत्यानाश तो हो गया,परलोक में स्वर्गवास का स्थाई बंदोबस्त है।वैसे चार धामों के उत्तराखंडवासी तो पहले से स्वर्गवासी है।खासकर तब जब मुसलमानों के आतंकवाद की वजह से धरती का स्वर्ग इस वक्त बाकी देश के लिए केसरिया राजकाज में नर्क बना हुआ है।

इसके बावजूद हिंदुत्व के केसरिया कार्यक्रम और राजकाज,हिंदू राष्ट्र के मनुस्मृति संविधान के बारे में शक की कोई गुंजाइश रह गयी तो कल जेएनयू में एकमुश्त बारह बहुजन छात्रों पर कुठाराघात से वह दूर हो जानी चाहिए।मनुस्मृति विदाई और मनुस्मृति दहन के मध्य जयभीम कामरेड सुनामी का अता पता लापता हो गया था।अब फिर महाभारत का कुरुक्षेत्र जेएनयू में स्थानांतरित है।

इस पर फेसबुक में दिलीप मंडल के ताजा स्टेटस पर किन्हीं Jitendra Visariya का मंतव्य प्रासंगिक हैः

ठीक है आंदोलन भी करिए कि रोहित बेमुला कांड फिर से न दोहराया जाये!....यह मोदी पार्टी की एक चाल भी हो सकती है कि आप अपना भींगा जूता छोड़, जेएनयू की ओर दौड़ पड़ो । मैं कहता हूँ कि उन्हें तो हर बार की तरह अपना फैसला बदलना ही पड़ेगा, पर आप अपना जूता हाथ में तैयार रखो! वो भी पूरा भींगा हुआ! क्योंकि 50 दिन पूरे होने वाले हैं!!!

चूं चूं के मुरब्बे का ताजा अपडेट यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आगामी बजट से पहले नीति आयोग द्वारा आयोजित अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अर्थशास्त्रियों ने कई आर्थिक बिंदुओं मसलन कृषि, कौशल विकास और रोजगार सृजन, टैक्स और शुल्क संबंधी मामले, शिक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, आवास, पर्यटन, बैंकिंग आदि पर अपनी राय दी। बैठक में 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने पर सुझाव दिए गए। बैठक के बाद नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बताया कि विशेषज्ञों ने पीएम मोदी को बताया कि भारत को टूरिज्म में अधिक निवेश करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि  नीति आयोग में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अर्थशास्त्रियों ने आयकर दरों में कटौती करने तथा सीमा शुल्क दरों का वैश्विक स्तर पर प्रचलित दरों के साथ तालमेल बिठाने की वकालत की ताकि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिल सके। नीति आयोग के तत्वावधान में यह बैठक फरवरी में पेश होने वाले आम बजट से पहले हुई है।बैठक में नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की चर्चा नहीं हुई जबकि अर्थव्यवस्था को कम नकदी वाली बनाने के लिए डिजिटलीकरण के मुद्दे पर विचार विमर्श हुआ।

इसी बीच पुराने नोट पर अध्यादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब 31 मार्च 2017 के बाद एक समय में 10 से ज्यादा नोट रखने पर पाबंदी रहेगी, फिर चाहे ये नोट 500 के हों या 1000 के, या दोनों। रिसर्च के लिए अधिक से अधिक 25 नोट रख सकते हैं। नोट जमा करते वक्त गलत जानकारी देने पर 5,000 रुपये जुर्माना या जमा रकम का 5 गुना जुर्माना देना पड़ेगा। 31 मार्च, 2017 के बाद तय सीमा से ज्यादा नोट रखने पर 10,000 रुपये जुर्माना या जब्त रकम का 5 गुना जुर्माना देना पड़ेगा।

यही नहीं 30 दिसंबर के बाद 500 और 1000 के पुराने नोट जमा करने के लिए कठोर शर्तों को पूरा करना होगा। 30 दिसंबर के बाद पुराने नोट जमा करने से पहले ये बताना होगा कि आखिर अब तक नोट क्यों नहीं जमा किया। साथ ही खुद अगर रिजर्व बैंक नहीं पहुंच सकते तो डाक के जरिये पुराने नोट और साथ में घोषणापत्र भेज सकते हैं। घोषणापत्र में ये बताना होगा कि खुद क्यों नहीं आए, और अब तक नोट क्यों नहीं जमा किए। रिजर्व बैंक आपकी दलीलों से सहमत नहीं हुआ तो पुराने नोट को नकार भी सकता है।

गौरतलब है कि इसी बैठक के ऐन पहले सोना उछला और शेयर बादजार चढ़ गया।

मनी कंट्रोल का खुलासा यह हैः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल बड़े इकोनॉमिस्ट और सरकारी अफसरों से बैठक की। इस बैठक में देश के विकास के रोडमैप पर चर्चा की गई। नीति आयोग की इस बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाने, डायरेक्ट टैक्स में कटौती और कस्टम ड्यूटी में सुधार पर चर्चा हुई। बैठक में पीएम मोदी को कई सुझाव दिए गए और टैक्स ढांचे को आसान बनाने पर चर्चा हुई। इस बैठक में अलग-अलग सेक्टर के 13 विशेषज्ञ थे।


इस बैठक के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगढ़िया ने कहा कि इस बैठक में कस्टम ड्यूटी में सुधार, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव, इनपुट और आउटपुट पर समान ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी में बदलाव और रेवेन्यू न्यूट्रल रखने की सिफारिश की गई। इस बैठक में पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोग टैक्स चोरी नहीं करना चाहते। बशर्ते उन्हें ये भरोसा दिया जाए कि उनके टैक्स का सही इस्तेमाल हो रहा है।


वहीं नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने सीएनबीसी-आवाज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि बजट से पहले प्रधानमंत्री के साथ की गई बैठक सकरात्मक रही। अमिताभ कांत ने वित्त मंत्री जेटली की बात दोहराई और इस बजट में बड़े टैक्स रिफॉर्म के संकेत दिए।


जानकारों का मानना है कि आने वाले बजट में इन एक्सपर्ट्स की सिफारिशों के आधार पर बजट में बदलाव मुमकिन है। जिसके तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अभी इनकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा 2.5 लाख रुपये है। इसके अलावा इनकम टैक्स के सभी स्लैब बढ़ाए जा सकते हैं। कॉरपोरेट टैक्स की दरें भी कम हो सकती हैं। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में भी बदलाव मुमकिन है। इस बजट में इंपोर्ट ड्यूटी की विसंगतियां दूर की जाएंगी। इंपोर्ट ड्यूटी कच्चे माल पर कम, तैयार माल पर ज्यादा की जाएगी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की तैयारी की जाएगी।


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Tuesday, December 27, 2016

महत्वपूर्ण खबरें और आलेख क्या नोटबंदी के बाद अब बजट ही लीक हो गया? सोना उछला, शेयर बाजार चढ़ गया है



हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...