BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, February 11, 2016

उत्तराखंड के अब तक के मुख्य मंत्रियों में श्री हरीश रावत सबसे अच्छे मुख्य मंत्री के रूप में उभरते दिखाई दे रहे हैं. जब से यह प्रदेश बना है, भारत की राजनीतिक परंपरा के अनुसार इस प्रदेश का श्राद्ध करने की चिन्ता सभी मुख्यमंत्रियों को रही है. असुविधाओं से सुविधाओं की ओर पलायन के कारण खाली होते प्रदेश को फिर से बसाने के लिए भू माफियाओं को खुली छूट देते हुए, लगातार देश के मैदानी भागों के अमीरों और विलासियों को प्राकृतिक छटा से भरपूर स्थलों पर मुक्त हस्त भूमि दे कर बसाया जा रहा है. उन्हें ग्रामीणों के चारागाहों और जल स्रोतों को नियंत्रण में लेने की खुली छूट दी जा रही है. यह समृद्ध उत्तराखंड के स्वप्न को यथार्थ में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

उत्तराखंड के अब तक के मुख्य मंत्रियों में श्री हरीश रावत सबसे अच्छे मुख्य मंत्री के रूप में उभरते दिखाई दे रहे हैं. जब से यह प्रदेश बना है, भारत की राजनीतिक परंपरा के अनुसार इस प्रदेश का श्राद्ध करने की चिन्ता सभी मुख्यमंत्रियों को रही है. असुविधाओं से सुविधाओं की ओर पलायन के कारण खाली होते प्रदेश को फिर से बसाने के लिए भू माफियाओं को खुली छूट देते हुए, लगातार देश के मैदानी भागों के अमीरों और विलासियों को प्राकृतिक छटा से भरपूर स्थलों पर मुक्त हस्त भूमि दे कर बसाया जा रहा है. उन्हें ग्रामीणों के चारागाहों और जल स्रोतों को नियंत्रण में लेने की खुली छूट दी जा रही है. यह समृद्ध उत्तराखंड के स्वप्न को यथार्थ में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. लगातार बिना भवन और अध्यापकों के विद्यालय खोलने का चमत्कार जितना इस प्रदेश में हुआ है, उतना शायद ही किसी अन्य प्रदेश में हुआ हो. लोक भाषाओं में जब धार्मिक कार्य नहीं हो सकते तो प्रशासनिक कार्य कैसे विहित हो सकते हैं यह सोच कर संस्कृत को दूसरी राजभाषा बनाया गया है. और यह देख कर कि उत्तराखंड भाषा संस्थान हिन्दी और संस्कृत के स्थान पर स्थानीय लोक भाषाओं को बढ़ावा देने लगा है, उसे लगभग निर्जीव कर दिया गया है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि अपने निजी हित के अलावा जनहित से जुड़े सारे काम धाम पुरोहितों ( ब्यूरोक्रेट्स) को सौंप कर स्वसुखासन में लीन रहे हैं
सभी मुख्यमंत्रियों भूमिदान, और को इस प्रदेश को स्वर्ग बनाने की चिन्ता रही है (य॒ह बात अलग है कि 'स्वर्ग' पूरे विश्व में अनादि काल से ही भोली भाली जनता को उल्लू बनाने और उसे अभावों और उत्पीड़्न को झेलने के लिए प्रेरित करने का सबसे बड़ा कारगर कदम रहा है.) पर श्री नारायण दत्त तिवारी के अलावा इस पद पर कोई भी मुख्यमंत्री अपना पूरा कार्यकाल नहीं भोग सका है. शायद इस पद को अभिशाप से मुक्त करने के लिए ही हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री जी धार्मिक कार्यों में अधिक लीन हैं. इस प्रदेश का श्राद्ध तो सबने किया पर श्राद्ध की दक्षिणा भी देनी होती है, इस बात का ध्यान किसी को नहीं रहा. पर वे, बुजुर्गों को मुफ्त यात्रा करवा रहे हैं, चार धाम यात्रा करवा रहे हैं ताकि उनका यह जीवन भले ही कष्टों में बीता हो मृत्यु के बाद उन्हें स्वर्ग मिले. अक्साइचिन में हिमस्खलन में दब गये सैनिकों को बचाने से भी अधिक जोर शोर से उन्होंने शीतकाल में हिमाच्छादित केदारनाथ का जीर्णोद्धार किया है.उन्हें राज्य की उतनी चिन्ता नहीं है जितनी कि राज्यगीत की है. ताकि धार्मिक कार्य के बाद गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर' की तरह उसका उपयोग किया जा सके.

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