BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, February 17, 2016

जे एन यू परिघटना पर लेखकों का बयान


Ashok Kumar Pandey
February 17 at 11:35am
 
जे एन यू परिघटना पर लेखकों का बयान 
हम हिन्दी के लेखक देश के प्रमुख विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 9 फरवरी को हुई घटना के बाद से जारी पुलिसिया दमन पर पर गहरा क्षोभ प्रकट करते हैं। दुनिया भर के विश्वविद्यालय खुले डेमोक्रेटिक स्पेस रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय सीमाओं के पार सहमतियाँ और असहमतियाँ खुल कर रखी जाती रही हैं और बहसें होती रही हैं। यहाँ हम औपनिवेशिक शासन के दिनों में ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में भारत की आज़ादी के लिए चलाये गए भारतीय और स्थानीय छात्रों के अभियानों को याद कर सकते हैं, वियतनाम युद्ध के समय अमेरिकी संस्थानों में अमेरिका के विरोध को याद कर सकते हैं और इराक युद्ध मे योरप और अमेरिका के नागरिकों और छात्रों के विरोधों को भी। सत्ता संस्थानों से असहमतियाँ देशद्रोह नहीं होतीं। हमारे देश का देशद्रोह क़ानून भी औपनिवेशिक शासन में अंग्रेज़ों
द्वारा अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने के लिए बनाया गया था जिसकी एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक समाज में कोई आवश्यकता नहीं। असहमतियों का दमन लोकतन्त्र नहीं फ़ासीवाद का लक्षण है। 
इस घटना में कथित रूप से लगाए गए कुछ नारे निश्चित रूप से आपत्तिजनक हैं। भारत के टुकड़े करने या बरबादी की कोई भी ख़्वाहिश स्वागतेय नहीं हो सकती। हम ऐसे नारों की निंदा करते हैं। साथ में यह भी मांग करते हैं कि इन विडियोज की प्रमाणिकता की निष्पक्ष जांच कराई जाए। लेकिन इनकी आड़ में जे एन यू को बंद करने की मांग, वहाँ पुलिसिया कार्यवाही और वहाँ के छात्रसंघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी कतई उचित नहीं है। जैसा कि प्रख्यात न्यायविद सोली सोराबजी ने कहा है नारेबाजी को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता। यह घटना जिस कैंपस में हुई उसके पास इससे निपटने और उचित कार्यवाही करने के लिए अपना मैकेनिज़्म है और उस पर भरोसा किया जाना चाहिए था। 
हाल के दिनों में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में ख्यात कवि और विचारक बद्रीनारायण पर हमला, सीपीएम के कार्यालयों पर हमला, दिल्ली के पटियाला कोर्ट में कार्यवाही के दौरान एक भाजपा विधायक सहित कुछ वकीलों का छात्रों, शिक्षकों और पत्रकारों पर हमला बताता है कि देशभक्ति के नाम पर किस तरह देश के क़ानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इन सबकी पहचानें साफ होने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न किया जाना इसे सरकारी संरक्षण मिलने की ओर स्पष्ट इशारा करता है। असल में यह लोकतन्त्र पर फासीवाद के हावी होते जाने का स्पष्ट संकेत है। गृहमंत्री का एक फर्जी ट्वीट के आधार पर दिया गया गंभीर बयान बताता है कि सत्ता तंत्र किस तरह पूरे मामले को अगंभीरता से ले रहा है। ऐसे में हम सरकार से मांग करते हैं कि देश में लोकतान्त्रिक स्पेसों को बचाने, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा और गुंडा ताकतों के नियंत्रण के लिए गंभीर कदम उठाए। जे एन यू छात्रसंघ अध्यक्ष को फौरन रिहा करे, आयोजकों का विच हंट बंद करे, वहाँ से पुलिस हटाकर जांच जेएनयू के प्रशासन को सौंपें तथा पटियाला कोर्ट में गुंडागर्दी करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दें। 
मंगलेश डबराल 
राजेश जोशी 
ज्ञान रंजन 
पुरुषोत्तम अग्रवाल 
असद ज़ैदी 
उज्जवल भट्टाचार्य 
मोहन श्रोत्रिय 
ओम थानवी 
सुभाष गाताडे 
अरुण माहेश्वरी 
नरेंद्र गौड़ 
बटरोही 
कुलदीप कुमार 
सुधा अरोड़ा 
सुमन केशरी 
नन्द भारद्वाज 
ईश मिश्र 
लाल्टू 
कुमार अम्बुज 
शमसुल इस्लाम 
सुधीर सुमन 
ऋषिकेष सुलभ 
विनोद दास 
राजकुमार राकेश 
हरिओम राजोरिया 
अनिल मिश्र 
नंदकिशोर नीलम 
अरुण कुमार श्रीवास्तव 
मधु कांकरिया 
सरला माहेश्वरी 
वंदना राग 
मुसाफिर बैठा 
अरविन्द चतुर्वेद 
प्रमोद रंजन 
हिमांशु पांड्या 
वैभव सिंह 
मनोज पाण्डेय 
शिरीष कुमार मौर्य 
अशोक कुमार पाण्डेय 
वर्षा सिंह 
विशाल श्रीवास्तव 
उमा शंकर चौधरी 
चन्दन पाण्डेय 
असंग घोष 
विजय गौड़ 
अरुणाभ सौरभ 
देवयानी भारद्वाज 
पंकज श्रीवास्तव 
कविता 
हरप्रीत कौर 
अनुप्रिया 
राकेश पाठक 
संजय जोठे 
रामजी तिवारी 
कृष्णकांत 
मनोज पटेल 
देश निर्मोही 
प्रज्ञा रोहिणी 
दीप सांखला 
अमलेंदु उपाध्याय 
प्रमोद धारीवाल 
अनिल कार्की 
देवेन्द्र कुमार आर्य 
प्रमोद कुमार तिवारी 
अरविंद सुरवाड़े (मराठी) 
आलोक जोशी 
रोहित कौशिक 
मनोज छबड़ा 
अमिताभ श्रीवात्सव 
ऋतु मिश्रा 
कनक तिवारी 
ईश्वर चंद्र 
नित्यानन्द गाएन 
शशिकला राय 
पंकज मिश्रा 
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