BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, January 12, 2016

हंगामा क्यों है बरपा....? Sanjeev Chandan


Sanjeev Chandan

हंगामा क्यों है बरपा....

मैग्सेसे विजेता संदीप पाण्डेय को बी एच यू से हटाने पर हंगामा बरपा हुआ है, कुछ दिन पहले अमर्त्य सेन को अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद से हटाये जाने पर भी हंगामा हुआ था. 
१. पहले बात संदीप पाण्डेय की. कुछ दिनों पहले इनसे मिलने हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुछ छात्र गये थे ( छात्र बहुजन थे) और इनसे अनिल चमडिया के विश्वविद्यालय से हटाये जाने पर और बहुजन छात्रों की प्रताड़ना पर बात की और हस्तक्षेप की मांग की तो जनाब ने कहा कि ' यह विश्वविद्यालय का आन्तरिक मामला है' सवाल है कि अब इनका निकाला जाना विश्वविद्यालय का आतंरिक मामला न होकर जनता का सवाल कैसे बन गया.. ? 
2. अमर्त्य सेन कई सालों तक नालंदा वि वि के कुलाधिपति थे , चार लाख मिलते थे उन्हें, उनकी कुल उपलब्धि यह थी कि लगभग १० सालों में एक असोसिएट प्रोफ़ेसर को दो लाख से अधिक की सैलरी पर उन्होंने कुलपति बनवाया, जो अपने कार्यकाल में दो-चार यात्राएं ही कर सकी विश्वविद्यालय तक, शेष वो दिल्ली से ही सक्रिय रही, एक पी ए नियुक्त किया एक लाख की सैलरी पर. और कुल जमा हासिल - दो-चार दर्जन विद्यार्थी भवन रहित वि वि में अध्यन कर रहे हैं. 
3. अभी कल ही सामान्य सीट पर नियुक्त हुए Anil Kumar , मेरठ विश्वविद्यालय से हटाये गये हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश के महामहिम और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति को यह समझा दिया गया कि अनारक्षित सीट पर आरक्षित वर्ग का कोई व्यक्ति कैसे पढ़ा सकता है. अनिल को जिन आधारों पर हटाया गया है, उन आधारों को ही यदि उपयोग में लाया गया तो हमलोग जिस वि वि के खिलाफ लड़ रहे हैं उसकी कम से कम तीन दर्जन नियुक्तियां रद्द हो जायेंगी. लेकिन ऐसा इसलिए नहीं होगा क्योंकि वहां आरक्षित सीटों पर रोस्टर के हेर-फेर से अनारक्षित वर्ग के लोग पढ़ा रहे हैं.

4. पाण्डेय जी को लेकर दर्द क्यों खासकर तब, जब बहुजन वर्ग से आने वाले अनिल चमडिया हटाये गए थे तो पाण्डेय जी को तब के कुलपति विभूति राय से अपनी यारी प्रिय थी और यह मसला उन्हें आंतरिक लगा था.

खैर आवाज बुलंद करने वाले जरूर करें, लेकिन आवाजों के फर्क को इतिहास समझ रहा है..

Sanjeev Chandan's photo.
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