BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, January 17, 2014

पारो का अवसान

पारो का अवसान

पलाश विश्वास

कथा देवदास के आत्मध्वंस केंद्रित है।पुरुषवर्चस्व की कथा में पारो देवदास की छाया है।उसी छाया में ही उसका वजूद है।


देवी चौधुरानी के तौर पर पारो को कभी कभार राज करने का मौका मिलता जरुर है,पर अमोघ पुरुषत्व में उसका आत्मसमर्पण ही कथा का चरमोत्कर्ष है।


सुचित्रा सेन ने  न  सिर्फ परदे पर दिलीपकुमार जैसे किंवदंती के साथ श्वेत श्याम विषाद के अटूट परिवेश में पारो होकर जिया है,बल्कि आजीवन उस पारो के किरदार को जीती रहीं।मरी भी  सुचित्रा सेन का नहीं,पारो का अवसान है यह।


आज अंततः मृत्यु में पारो का अवसान हो गया।देवदास के अंत के बाद पारो का क्या हुआ,किसी को खबर नहीं थी,कम से कम हमें जीती जागती पारो का जीवन संघर्ष मालूम है।यह कथा की विरासत तोड़ने का तात्पर्य है। वह 26 दिन से अस्पताल में भर्ती थीं। उनकी हालत गुरुवार रात को ज्यादा बिगड़ गई थी।


रीति और परंपरा तोड़कर परिजनों और चिकित्सकों के बजाय बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महानायिका के तिरोधान की घोषणा कर दी और वे ही राजकीय अंत्येष्टि का इंतजाम कर रही हैं।लगातार वे पिछले हफ्ते दो दो घंटे राजकाज को तिलांजलि देकर पारो के अवसान की इस घड़ी का इंतजार करती रहीं।पारोकथा का यह राजनीतिक  गिद्ध प्रसंग भी है।


काठ के ताबूत में भले ही जनता अपनी प्रिय महानायिका का दर्शन से वंचित हो और दर्शनार्थियों को भले ही नंदन में जाकर उनके चित्र पर माल्यार्पण करके संतोष करें,सत्ता और राजनीति के इस सदर्प हस्तक्षेप से महानायिका  का कितना सम्मान हुआ और उनकी गोपनीयता व निजता की कितनी रक्षा हो पायी,यह मामला सघन शोक पर्यावरण में अभी से विवादित हो गया।लेकिन सत्ता और राजनीति को अमूमन इसकी कोई परवाह नहीं होती।वह तो विशुद्ध फार्मूलाबद्ध रसायन शास्त्र है दरअसल।


जब तक इस स्मृति तर्पण के मुखातिब होंगे आप जिंदगी की तरह काठ के ताबूत में बंद रक्त मांस की सुंदरतम कलाकृति श्मशानचिता के हवाले हो जायेंगी और मुट्ठी भर राख के अलावा उस अप्रतिम विभाजन पीड़ित सौंदर्यगाथा से कुछ भी हासिल नहीं होगा।


सह कलाकार उत्तम कुमार के अंतिम दर्शन के बाद एक गहरायी शाम को अपनी सार्वजनिक छवि को जिस गोपनीयता और निजता के अंतराल में महानायिका ने छुपा लिया और आजीवन उसका निर्वाह किया,उस गोपनीयता को सर्वशक्तिमान शाश्वत मृत्यु भी अंततः तोड़ नहीं सकी।वह टूट रही है कहीं तो उसकी जिम्मेदार विशुद्ध राजनीति है और सत्ता और राजनीति के समक्ष परिजनों का असहाय आत्मसमर्पण है।


पारो हारकर भी हारती नहीं कभी।


लोग सुचित्रा सेन के अभिनय में सौंदर्यपरिधान के दीवाने हैं,रहेंगे युग युगांतर तक।


मुंबई का बाबू फिल्म में भाई बने देवानंद के साथ गीत दृश्य में सुचित्रा का जो रोमांचक अवतार है,उसकी तुलना सिर्फ आवारा के स्वप्न दृश्य में राजकपूर नरगिस के स्क्रीन साझा या मधुबाला के कुछ विलक्षण पलों से ही की जा सकती है।


हमभी उस सौंदर्यबोध से निश्चय ही मुक्त नहीं है,लेकिन सुचित्रा के कलाजीवन में मुझे भारत विभाजन की शाश्वत पीड़ा की छाया मंडराती नजर आती है और इसलिए चाहे लाख दफा देवदास कथा पर फिल्म सुपर डुपर हजार करोड़िया हिट हो जाये,हमारी पारो वही सुचित्रा ही रहेंगी।


देवदास की वह विषाद कथा भारत विभाजन की कथा का भी सघन परिवेश है,जिसे सोलह साल की उम्र में विभाजन पीड़ित रमा ने उस पार बंगाल के पाबना के दिलालपुर गांव को छोड़ने के बाद कोलकाता पहुंचकर आदिनाथ सेन से सोलह साल की ही उम्र में विवाह हो जाने के बाद अपने सुचित्रा पुनर्जन्म में बार बार जिया है।


आज उनका पैतृक घर जमात के कब्जे में है और इस वक्त जमात के एकाधिकारवादी हमले में बांग्ला देश में अल्पसंख्यक जनजीवन बेदखल है सुचित्रा के पैतृक घर की तरह।


एकतरफा चुनाव जीतकर सत्ता के जोर से सुचित्रा सेन का वह घर दखलमुक्त जरुर हो सकता है,लेकिन विभाजन की त्रासदी से इस उपमहादेश के लोग सीमाओं के आर पार कभी मुक्त हो पायेंगे,ऐसा नहीं लगता।


हाल में हमने आजाद कश्मीर की मांग करने वालों से भी संवाद की कोशिशें की हैं।लेकिन उस संवाद को कायम नहीं रख पाये क्योंकि संवाद के लिए उनकी मांग है कि हम भारत से कश्मीर के अलगाव को पहले स्वीकार कर लें।वे बाकी देश से कोई संवाद इसी शर्त पर ही कर सकते हैं,ऐसा उनका दावा है।


सशस्त्रबल विशेषाधिकार कानून खत्म करने की हमारी मांग बहुत पुरानी है,कश्मीर में भी नागरिक अधिकार,मानवाधिकार और लोकतंत्र की बहाली के हर आंदोलन के साथ हैं और आजाद कश्मीर की मांग करने वालों की हर बात भारतीय जनता तक पहुंचाने के लिए भी हम बिना शर्त तैयार है,लेकिन एक देश भक्त भारतीय के नाते हम एक और विभाजन  को किसी कीमत पर स्वीकार कर नहीं सकते।


विडंबना है कि कश्मीर सिर्फ उस हिमालयी भौगोलिक ईकाई का नाम नहीं है,भारत विभाजन की जो स्थाई समस्या कश्मीर है,वैसा ही एक कश्मीर उस पार बंगाल मैं है।


जैसे कश्मीर के लिए भारतीयसेना को बार बार लड़ना पड़ा,वैसे ङी उसपार बंगाल के कश्मीर को आजादी देने की लड़ाई में शामिल होना पड़ा भारतीय सेना को। लेकिन रक्त की नदियों का बहना न उस पार बंद हुआ और न उसपार।


लेकिन कश्मीर समस्या के समाधान में सत्तावर्ग देशहित और जनहित को हाशिये पर रखकर बार बार हिमालयी भूल दोहराता है,लेकिन उसपार बंगाल के कश्मीर मसले को सुलझाने की पहल न भारत सरकार करती है और न उस कश्मीर में युद्धबंदी जनजीवन की परवाह इसपार बंगाल को है।देश के भीतर जो अनगिनत कश्मीर पैदा कर दिये गये हैं,उनकी चर्चा करके हम तो बार बार आपकी नींद में खलल डालते ही हैं।


उसी रक्त नदी का पर्याय जीती रही सुचित्र सेन।सुचित्रा के चेहरे पर,समूचे शरीर पर उस खून का नामोनिशान नहीं था,लोकिन उनके दिलो दिमाग में लगातार वह रक्त नहीं बहती रही है।शायद मृत्यु के पार भी वह उसी रक्त नदी में समाहित हैं।


सुचित्रा की फिल्में में निष्णात होने का हमारे लिए मतलब है विशुद्ध रक्तस्नान।मनोरंजन तो हर्गिज नहीं।नहीं।नहीं।नहीं।


इस महादेश की महात्रासदी को वे खामोशी से अपनी फिल्म दीप ज्वेले जाई की तरह जीती रहीं,जिस किरदार को खामोशी में जीने के बाद गाइड और तीसरी कसम की वहीदा एक मुकम्मल अभिनेत्री बन पायी।


त्रासदी यह है कि हमें अपने भीतर बाहर बहती उस अनंत रक्त नदी का अहसास तक नहीं है।इसी लिए यह देश न अब हमारे अंदर कहीं है और न बाहर है।जो है वह वंचितों पीड़ितों के अनंत आर्तनाद मध्ये मुक्तबाजार में नवधनाढ्य क्रयशक्ति का शीत्कार है या फिर अबाध एकाधिकारवादी आक्रामक पूंजी का अनंत अश्वमेधी उत्सव है।


सुचित्रा सेन के अवसान का एक मतलब वह कालसर्प अभिशाप भी है,जिसके तहत इस उपमहाद्वीप की नियति हजारों साल से जारी कुरुक्षेत्र युद्ध की निरंतरता है,निरंतर विभाजन है और अपने कश्मीर से लगातार लगातार अलगाव और संवादहीनता है।अपनी अपनी अस्मिता में कैद राष्ट्रद्रोह में निष्णात हो जाना है और फिर भी राष्ट्रगान गाना है।राष्ट्र झंडा को राजनीति में लहराना है।


पारो के अवसान के शोकमुहूर्त पर भी हम इस नियति से जूझने का उपाय करें तो पारो के दिलो दिमाग में बहते विभाजन पीड़िक कश्मीर ,पंजाब और बंगाल के विभाजन पीड़ित अभिज्ञता से गुजरना होगा.जो अंततः अभिनेत्री रमा सुचित्रा सेन की आत्म शक्ति है और बाकी सारी अभिनेत्रियों के मुकाबले वे इस तलस्मी रूपहले पर्दे को अलविदा कहकर गोपनीयता और निजता के साथ बत्तीस साल का एकांत जीवन कहने के बाद उसी उत्तुंग लोकप्रियता और उसी अटूट किंवदंती मध्य समाधिस्थ हो सकीं।


शरणार्थी कालोनी की अपह्रत अणिमा,जिससे हिंदी के दर्शकों का सामना न हुआ जैसे कि सुचित्रा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म सप्तपदी हिंदी में नहीं बनी,इसलिए हमारे लिए सुचित्रा के उस रुप का बखान करना मुश्किल है।


उत्तमकुमार के साथ जिस साढ़े चुआत्तर फिल्म में रमा की अप्रतिद्वंद्वी जोड़ी बनी और आज की हिरोइनों की तुलना में करीब करीब अपने दिलीप कुमार की तर्ज पर महज पैसठ फिल्म करके भारतीय फिल्म इतिहास की वह महानायिका बन गयी,उसमें भी वह शरणागत विभाजन पीड़ित परिवार की संघर्षरत युवती है।


पारो का विषाद और निजी जीवन में चिर गांभीर्य की इस पृष्ठभूमि में हम उन्हें अपने बेहद करीब महसूसते रहे हैं,कभी उनसे मिले बगैर।


শুক্রবার ভোর রাতে ম্যাসিভ হার্ট অ্যাটাকের পর মাল্টি অর্গান ফেলিয়র হয়। ডাক্তারদের হাজার প্রচেষ্টাতেও বাঁচানো যায়নি মহানায়িকাকে। তাঁর অন্তরালে থাকার সিদ্ধান্তকে সম্মান জানিয়ে অন্তেষ্টিক্রিয়ার পরবর্তী কাজ করা হল।


बांग्ला सिनेमा की महानायिका सुचित्रा सेन का कोलकाता के अस्पताल में आज निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थीं।


देर शाम 82 वर्षीय अदाकारा को सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई थी। गुजरे जमाने की अदाकारा को श्वसन तंत्र में संक्रमण को लेकर 23 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।


सुचित्रा का जन्म आज के बांग्लादेश के पाबना जिले में 1931 में हुआ था। इन्होंने 1952 में पहली फिल्म शेष कथा में अभिनय किया, लेकिन यह फिल्म रिलीज नहीं हुई। इसके अगले साल इनकी फिल्म '7 नंबर क़ैदी' आई। इसके बाद 1955 में विमल रॉय की बांग्ला फिल्म 'देवदास' में पारो का किरदार निभाया।


सुचित्रा सेन बंगाली सिनेमा की एक ऐसी हस्ती थीं, जिन्होंने अपनी अलौकिक सुंदरता और बेहतरीन अभिनय के दम पर लगभग तीन दशक तक दर्शकों के दिलों पर राज किया और 'अग्निपरीक्षा', 'देवदास' तथा 'सात पाके बंधा' जैसी यादगार फिल्में कीं।हिरणी जैसी आंखों वाली सुचित्रा 1970 के दशक के अंत में फिल्म जगत को छोड़कर एकांत जीवन जीने लगीं। उनकी तुलना अक्सर हॉलीवुड की ग्रेटा गाबरे से की जाती थी, जिन्होंने लोगों से मिलना-जुलना छोड़ दिया था।


लेकिन अंतराल में जाने का बाद भी सिर्फ एकबार सहकलाकार उत्तम कुमार के निधन के बाद देर शाम अकेले में उनका अंतिम द्रशन करने चली आयी थी,फिर कभी वह सार्वनिक नहीं हुईं।


बॉलीवुड में भी इन्होंने कई फिल्में कीं। इसमें से फिल्म 'आंधी' की खासी चर्चा रही। सुचित्रा सेन को 1972 में पद्मश्री सम्मान मिला। 2012 में इन्हें पश्चिम बंगाल सरकार के सर्वश्रेष्ठ अवार्ड बंग भूषण से सम्मानित किया गया।


उनकी बेटी मुनमुन सेन ने बताया कि आज तड़के कोलकाता के अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।


बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने बंगाली सिनेमा की महान अभिनेत्री सुचित्रा सेन को अपनी श्रृद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्हें उनकी सुदंरता, प्रतिभा, रहस्यों के लिये हमेशा याद किया जायेगा।


सुचित्रा सेन की नातिन राइमा और रिया सेन भी अभिनेत्री हैं। सुचित्रा बांग्ला और हिंदी फिल्मों में की स्टार अभिनेत्रियों में एक रही हैं। बांग्ला फिल्मों के सुपर स्टार उत्तम कुमार के साथ उनकी रोमांटिक जोड़ी मशहूर रही।


1952 में फिल्म 'शेष कोथाय' से अपना फिल्मी सफर करने वाली सुचित्रा पहली भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्हें अपने अभिनय के लिए किसी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अवार्ड से नवाजा गया था।

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নিভল অগ্নিশিখা, চন্দনের চিতায় শেষকৃত্য সুচিত্রার

বেলা ৩টে: এখনও পর্যন্ত: চির অন্তরালে গেলেন মহানায়িকা। কেওড়াতলা মহাশ্মশানে চলছে তাঁর শেষকৃত্য। CR দাস পার্কে চন্দনের চিতায় দাহ করা হল তাঁকে। মুখাগ্নি করেন তাঁর মেয়ে মুনমুন সেন। তার আগে গান স্যালুটে শেষ শ্রদ্ধা জানানো হয়। তেইশে ডিসেম্বর শ্বাসকষ্ট এবং বুকে সংক্রমণ নিয়ে বেলভিউতে ভর্তি হয়েছিলেন মহানায়িকা। তারপর টানা ছাব্বিশ দিন তাঁকে বাঁচানোর লড়াই চালিয়ে গেছেন চিকিত্সকরা। আজ সকাল আটটা পঁচিশে ম্যাসিভ হার্ট অ্যাটাকে শেষ হয়েছে সব লড়াই। দুপুর সাড়ে বারোটা নাগাদ সুচিত্রা সেনকে নিয়ে বেলভিউ ক্লিনিক থেকে বের হয় শববাহী শকট। মহানায়িকাকে প্রথমে নিয়ে যাওয়া হয় তাঁর বালিগঞ্জ সার্কুলার রোডের বাড়িতে। সেখান থেকে গোলপার্ক রামকৃষ্ণ মিশন ঘুরে দেহ পৌছয় কেওড়াতলা মহাশ্মশানে।


১টা ৪৬: নিভল অগ্নিশিখা, মায়ের মুখাগ্নি করেলেন মেয়ে মুনমুন সেন।


১টা ২৫: কেওড়াতলায় শায়িত রয়েছে মহানানিয়ার দেহ


১টা ২২: গান স্যালুট দেওয়া হচ্ছে মহানায়িকাকে।


১টা ১৫: তাঁর ব্যক্তত্বের জুড়ি মেলা ভার। ওনার জন্য অনেক গান গেয়েছি। মাঝে মাঝে স্টুডিওতে দেখা হয়েছে। যখনই কথা বলতেন খুব ভদ্র ভাবে।


১টা: বাড়ি থেকে রওনা দিল মহানয়িকার শেষযাত্রা। যাবে গোলপার্ক রামকৃষ্ণ মিশনে।


১২টা ৫২: রাজ্যপালের তরফে শেষ শ্রদ্ধা।


১২টা ৫০: দেহ পৌঁছল বালিগঞ্জের বাড়িতে। রয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বন্ধ করে দেওয়া হয়েছে বাড়ির দরজা। সাধারণ মানুষ অপেক্ষায়।


১২টা ৪৩: রওনা দিল মহানায়িকার শেষ যাত্রা। কালো কাঁচের গাড়িতে মাহানায়িকার দ্দেহ


১২টা: কফিন বন্দী মহানায়িকার দেহ।


১১টা ৩৫- মৃতদেহ বালিগঞ্জের বাড়িতে নিয়ে যাওয়া হবে।


১১টা ৩৫- চন্দন কাঠের চিতায় দাহ করা হবে সুচিত্রা সেনকে


১১টা ৩২- রবীন্দ্রসদনে মহানায়িকার প্রতিকৃতিতে শ্রদ্ধা জানাতে পারবেন সাধারণ মানুষ


১০টা ৩৫- 'আমাদের প্রিয়জনকে হারালাম'- মুখ্যমন্ত্রী


১০টা ৩৫- 'আত্মার শান্তি কামনা করি।' -মুখ্যমন্ত্রী


১০টা ৩০- 'রাজ্যসরকার গান স্যালুট দেবে।'


১০টা ৩০- 'শেষকৃত্য ব্যাপারে পরিবারই সিদ্ধান্ত নেবে।'- মুখ্যমন্ত্রী


১০টা ৩০- 'স্বেচ্ছা নির্বাসনে গিয়েছিলেন, আমরা সেটার সম্মান করব।'- মুখ্যমন্ত্রী'


১০টা ৩০- ক্যাওড়াতলা মহা শ্মশানে শেষকৃত্য সম্পন্ন- ঘোষণা মুখ্যমন্ত্রীর


সকাল ১০টা ১৫- 'বড় মহীরূহের পতন'- মুখ্যমন্ত্রী


সকাল ১০টা ১৫- মৃত্যুর আনুষ্ঠানিক ঘোষণা করলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়


সকাল ৯টা ৩৫- হাসপাতালে এলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়


৯টা- মিডিয়ার নজর এড়িয়ে মৃতদেহ বাড় করার পরিকল্পনা।


৮টা ৩৫- মৃত্যু ঘোষণা নিয়ে দ্বিধাবিভক্ত ডাক্তারমহল। এখনই আনুষ্ঠানিক ঘোষণা চায় না পরিবার। কিছু ডাক্তার এই প্রস্তাবে নারাজ।


সকাল ৮টা ২৫- হৃদরোগে আক্রান্ত হয়ে মারা গেলেন মহানায়িকা সুচিত্রা সেন।


বৃহস্পতিবার সন্ধে থেকে শ্বাসকষ্ট শুরু। ফের সুচিত্রা সেনের শারীরিক অবস্থার অবনতি হয়েছে। রক্তে কমে গিয়েছে অক্সিজেনের মাত্রা। শারীরিক অবস্থার অবনতি হওয়ায় মহানায়িকাকে ফের নন ইনভেসিভ ভেন্টিলেশন দেওয়া হয়। বৃহস্পতিবার সন্ধেয় তাঁকে দেখতে হাসপাতালে যান মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

http://zeenews.india.com/bengali/kolkata/suchitra-sen-live-update_19483.html

Capturing the public's imagination for three decades through her ethereal beauty and intense celluloid performance, Suchitra Sensymbolized the golden age of Bengali cinema with memorable films like 'Agnipariksha', 'Devdas' and 'Saat Paake Bandha'.


The doe-eyed beauty turned a recluse after bidding adieu to the world of films in the late seventies and was often compared to Hollywoodicon Greta Garbo, who shunned public contact.


No other heroine in Bengal since Kanan Devi caught the public imagination as Sen did. In an era of black and white movies, her intense performances catapulted her to stardom.


Such was the popularity of the Sen that during Durga Puja, idols of Lakshmi and Saraswati were known to have been modelled on her face.


Sen on Friday died at the age of 82 after suffering a heart attack.


Beginning her career with Bengali film 'Shesh Kothai' in 1952, Sen went on to receive a National Award for her performance in Bimal Roy's 1955 Hindi classic 'Devdas', playing the defiant 'Paro' to Dilip Kumar's 'Devdas'.


She formed an unbeatable romantic pair with Bengali cinema legend Uttam Kumar. The duo gave a string of memorable hits such as 'Harano Sur' (1957), 'Agnipariksha' (1954),'Saptapadi' (1961), 'Grihadaha' (1967), 'Indrani' (1958), 'Sagarika' (1956), 'Bipasha' (1962), 'Kamal Lata' (1969), 'Alo Amar Alo' (1972), 'Har Mana Har' (1972) and 'Priyo Bandhabi' (1975).


Sen acted in 52 Bengali and seven Hindi films. 'Champakali', with Bharat Bhushan, 'Sarhhaad' and 'Bommbai Ka Babu' with Dev Anand and 'Mamta' were some of her other notable Hindi films.


However, her most famous Hindi film after 'Devdas' was 1974's 'Aandhi' by Gulzar. She earned wide acclaim for her role opposite Sanjeev Kumar in the film which landed in controversy due to similarities between her character and Indira Gandhi.


After her 1978 movie 'Pronoy Pasha' with Soumitra Chatterjee flopped, Sen quietly left the limelight and even allegedly refused the Dadasaheb Phalke Award in 2005 preferring not to make a public appearance.


As per her wishes, her family maintained secrecy even when she was hospitalized. The reason behind Sen's withdrawal from public life remains a mystery.


A follower of the Ramakrishna Mission order, Sen spent her retired life in meditation and prayer. In 1989, when Bharat Maharaj of the mission passed away, she was seen publicly walking all the way to the crematorium from Belur Math near Kolkata.


Her daughter Moon Moon, though a well-known Bengali actress, could never overcome the large shadow that her mother's beauty and acting prowess cast. Sen's grand-daughters Riya and Raima have also featured in some Bollywood flicks.


In 1963, Sen became the first Indian actress to be honoured at an international film festival - best actress award for 'Saat Paake Bandha' at Moscow film festival.


She was cast opposite matinee idol Uttam Kumar in 30 films from 1953 to 1975. The gossip mills linked Sen to her leading co-stars, Uttam Kumar in particular.


She earned both national and international acclaim for her performances as the quintessential romantic heroine be it in the role of 'Vishnupriya' in the fifties, 'Rina Brown' in the sixties or 'Bijaya' in the seventies.


The actress was born as Rama Dasgupta at Pabna ( Bangladesh) in 1931 to Karunamoy and Indira Dasgupta.


Suchitra married Dibanath Sen from an aristocratic family in 1947 before launching a successful acting career. There were rumours that the marriage suffered due to her successful acting career.


Initially, Sen was more interested in singing than in acting. In 1951, she auditioned as a playback singer, but was instead offered a role by director Sukumar Dasgupta.


Dasgupta's assistant director Nitish Roy named her Suchitra by which name she went on to achieve celebrity status.


Her first film 'Sesh Kothay' (1952) remained unfinished and 'Sat Number Kayedi' with Samar Roy as the hero in 1953 was her first film to hit cinema houses.


That year three other films of hers were also released - Niren Lahiri's 'Kajari', 'Bhagaban Sri Krishna Chaitanya' and Nirmal Dey's 'Sade Chuttar' opposite Uttam Kumar.


In 1954, 'Agnipariksha' played to packed houses for a record 15 weeks and the Suchitra and Uttam were on their way to success.


The pair then had a string of runway successes due to their on-screen chemistry. But Suchitra's talent ensured the success of her films even without Uttam as her co-star.


'Uttar Phalguni', 'Sandhya Deeper Shikha', 'Deep Jeley Jai', with Basanto Chowdhury and 'Hospital' with Ashok Kumar, were also hits.


Legendary actress Suchitra Sen passes away

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Legendary actress Suchitra Sen passes away in Kolkata at 82 today.


See more of: Suchitra Sen

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এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: শুক্রবার সকাল ৮.২৫-এ হৃদরোগে আক্রান্ত হয়ে মারা গেলেন মহানায়িকা সুচিত্রা সেন। টানা ২৬ দিন চিকিত্‍‌সাধীন থাকার পর শেষ নিঃশ্বাস ত্যাগ করেন তিনি। মত্যুকালে তাঁর বয়স হয়েছিল ৮৩ বছর। ইতিমধ্যে হাসপাতালে পৌঁছে গিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। তিনিই আনুষ্ঠানিকভাবে মহানায়িকার মৃত্যুর খবর ঘোষণা করেছেন। তিনি এও জানিয়েছেন যে কেওড়াতলা মহাশশানে মহানায়িকার শেষকৃত্য সম্পন্ন হবে এবং তাঁকে সম্মান জানাতে গান স্যালুট-এর ব্যবস্থাও করা হবে রাজ্য সরকারের তরফ থেকে। তিনি মহানায়িকার সব ভক্তদের অনুরোধ করেছেন যাতে তাঁর অন্তরালে থাকার সিদ্ধান্তকে সবাই সম্মান জানান এবং কোনও রকম বিশৃঙ্খলা যেন সৃষ্টি না হয় সেই দিকেও বিশেষ নজর রাখতে বলেন। সুচিত্রা সেনের পরিবারের প্রতি তিনি সমবেদনা জানিয়েছেন।


বৃহস্পতিবার সন্ধে থেকেই তাঁর অবস্থার অবনতি হতে থাকে। শুক্রবার ভোর রাতে ম্যাসিভ হার্ট অ্যাটাকের পর মাল্টি অর্গান ফেলিয়র হয়। ডাক্তারদের হাজার প্রচেষ্টাতেও বাঁচানো যায়নি মহানায়িকাকে।


ইতিমধ্যে বেল ভিউ হাসপাতালের সামনে জড়ো হতে শুরু করেছে তাঁর গুণমুগ্ধ ভক্তরা। আসতে শুরু করেছেন পুলিশের বড় কর্তারা। এখনও পর্যন্ত অত্যন্ত গোপনীয়তার সঙ্গেই তাঁর সমস্ত চিকিত্‍‌সা হয়ে এসেছে। অনুমান করা হচ্ছে তাঁর অন্তরালে থাকার সিদ্ধান্তকে সম্মান জানিয়ে অন্তেষ্টিক্রিয়ার পরবর্তী কাজ করা হবে।

17 Jan, 2014 , 11.25AM IST

মহানায়িকা সুচিত্রা সেন (১৯৩১- ২০১৪)

12:49 PMনার্সিংহোমের বাইরে মহানায়িকাকে শেষবারের মতো দেখার জন্য ভিড় জমিয়েছেন ভক্তরা।---কুমার শঙ্কর রায়।


12:47 PMদেহ প্রথমে বালিগঞ্জের বাড়িতে নিয়ে যাওয়া হবে। তারপর কেওড়াতলায় তাঁর শেষকৃত্য করা হবে।

12:44 PMশেষবারের মতো দেখার অপেক্ষা। বেলভিউ নার্সিংহোমের ছাদে ভক্তরা।------কুমার শঙ্কর রায়।

12:38 PMঅমিতাভ বচ্চন : 'সুচিত্রা সেনের গ্ল্যামার চিরকাল দর্শকদের মনে থাকবে।'

12:23 PM'যাঁকে ছোঁয়া যায় না, স্পর্শ করা যায় না, শুধু অনুভূতি করা যায়। উনি একজন অসাধারণ মানুষ ছিলেন। ওনার অবসান হলেও আমাদের মধ্যে চিরদিনই থাকবেন।' : ঋতুপর্ণা সেনগুপ্ত।

12:18 PMমমতা বন্দ্যোপাধ্যায় : 'শান্তিতে নায়িকার শেষকৃত্য করতে প্রশাসনকে সাহায্য করুন। পরিবারের ইচ্ছাকে সম্মান জানানো উচিত।'

12:13 PM'মহানায়িকার আত্মার শান্তি কামনা করি' : প্রসেনজিত্‍।

12:12 PMমহানায়িকাকে শেষ সম্মান জানাতে বাড়িতে আসতে শুরু করেছেন টলিউডের অভিনেত্রী-অভিনেতারা। আসছেন বহু গুণীজনরাও।

12:10 PMইতিমধ্যে বেল ভিউ হাসপাতালের সামনে জড়ো হতে শুরু করেছে তাঁর গুণমুগ্ধ ভক্তরা।

12:00 PMমহানায়িকার জীবনাবসান

11:59 AMদুপুর ২টো নাগাদ রবীন্দ্র সদনে নায়িকার ছবিতে শেষ শ্রদ্ধা জানানো হবে : মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

11:58 AMবেলভিউ নার্সিংহোম থেকে সুচিত্রা সেনের দেহ নিজের বাড়িতে নিয়ে যাওয়া হতে পারে।

11:57 AMবেলা ১টা নাগাদ কেওড়াতলা মহাশশ্মানে তাঁর শেষকৃত্য সম্পন্ন করা হবে।

11:55 AMপরিবারের তরফে জানানো হয়েছে, তাঁকে কাঠের চুল্লিতে দাহ করা হবে।

11:28 AMসুচিত্রা সেনের পরিবারের প্রতি মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় সমবেদনা জানিয়েছেন।

11:27 AMকেওড়াতলা মহাশশানে মহানায়িকার শেষকৃত্য সম্পন্ন হবে এবং তাঁকে সম্মান জানাতে গান স্যালুট-এর ব্যবস্থাও করা হবে রাজ্য সরকারের তরফ থেকে।

11:27 AMমৃত্যুকালে তাঁর বয়স হয়েছিল ৮৩ বছর। টানা ২৬ দিন চিকিত্‍‌সাধীন থাকার পর শেষ নিঃশ্বাস ত্যাগ করেন তিনি।

11:26 AMশুক্রবার সকাল ৮.২৫-এ হৃদরোগে আক্রান্ত হয়ে মারা গেলেন মহানায়িকা সুচিত্রা সেন।

http://eisamay.indiatimes.com/Legendary%20actress%20Suchitra%20Sen%20passes%20away/liveblog/28937133.cms


এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: শেষ হল পথ। শান্তিতে থাকতে চেয়েছিলেন তিনি। চলেও গেলেন শান্তিতেই। তিন দশক লোকচোক্ষুর আড়ালে থাকার অদম্য শক্তির পরিচয় দিয়েছিলেন মহানায়িকা। তাই তো এত বছর নিজেকে সকলের থেকে বিচ্ছিন্ন রেখেও সকলের কাছের মানুষ হতে পেরেছিলেন তিনি। সকল প্রজন্মের বাঙালির কাছে তাঁর চেয়ে বেশি পরিচিত হয়তো বা কেউ আছে। আজ সেই 'পরিচিতা'ই চিরকালের জন্য চোখ বুজেছেন। মহানায়িকার প্রয়াণে শোকস্তব্ধ চলচ্চিত্রজগত্। শোকাতুর বাংলার আম জনতা থেকে শুরু করে সকলেই। শেষ শ্রদ্ধা জানিয়েছেন অনেকেই--


মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়-- মহানায়িকার চলে যাওয়া আমাদের কাছে খুব বড় দুঃসংবাদ। বড় মহীরুহের পতন। আজকের দিন দুঃখের, শোকের। এই খবর আমাদের হৃদয় ভেঙে চুরমার করে দিচ্ছে। তিনি একজন বিস্ময়, গভীর আশ্চর্য। নিজেকে বহুদিন আড়াল করে রেখেছিলেন। কেউ কারও বিকল্প হয় না। তাঁর আত্মার শান্তি কামনা করি।


বিশ্বজিত্-- বাংলা ছবির জগতে খুব বড় ক্ষতি।


অপর্ণা সেন-- লেজেন্ডারি নায়িকা। উনি চলে যাওয়ার মধ্যে অনেক কিছুর অবসান নিহিত। বিরাট সময়ের অবসান। তাঁর ওপর তথ্যচিত্র করার ইচ্ছে ছিল। কিন্তু তিনি রাজি হননি। জানতাম তিনি রাজি হবেন না। তাঁর মৃত্যু একটি যুগের অবসান।


শাশ্বত বন্দ্যোপাধ্যায়-- আপামর বাঙালির মনের মহানায়িকা। সুচিত্রা সেন ছিলেন, সুচিত্রা সেন আছেন, সুচিত্রা থাকবেন। তাঁর চরিত্রের মধ্য দিয়ে বেঁচে থাকবেন তিনি।


হৈমন্তী শুক্ল-- এত বড় শিল্পী নিজেকে লুকিয়ে রাখতে পারেন, এটা আমাদের শেখার।


ঋতুপর্ণা সেনগুপ্ত-- নায়িকা হয়ে ওঠার দুর্দান্ত দৃষ্টান্ত কেউ দেখাতে পারেননি, পারবেন না। এত বছর লোকচক্ষুর আড়ালে থেকেও সকলের মনে আছেন তিনি। অন্য মাত্রায় নিজেকে নিয়ে যাওয়ার অদম্য প্রয়াস করেছেন। তাঁর কাজ সম্পর্কে কিছু বলার ধৃষ্টতা দেখাতে পারব না। মানুষ হিসেবে অদ্ভূত ক্ষমতা দেখিয়েছেন। তিনি সারাজীবন মহানায়িকা থাকবেন। সেখানে কোনওদিন কারও স্থান হবে বলে মনে করি না। সুচিত্রা সেন এবং রোম্যান্টিসিসমের ইতি কোনও দিন হবে না। তিনি চিরকাল অমর থাকবেন।

Abhishek Srivastava

बिचौलिया पूंजीवाद का साहित्यिक मेला आज से फिर शुरू हो रहा है जयपुर में। इस बार प्रायोजकों में कुछ नए कॉरपोरेट नाम जुड़े हैं। सबसे ऊपर सबसे बड़ा नाम ज़ी टीवी का है। वही ज़ी टीवी, जिसके मालिक और संपादक कोयले की दलाली में पकड़े गए थे। बाकी नाम खुद देख लीजिए। देश भर का भूजल सुखा देने वाले कोका कोला से लेकर शराब की दुनिया के बादशाह किंगफिशर, कर चुराने वाले वोडाफोन से लेकर अमेरिकी साम्राज्‍यवाद के ऑक्‍सीजन सिलिंडर फोर्ड कंपनी तक- हर कोई इस बार साहित्‍य अलापेगा। इस मेले को पब्लिक डिप्‍लोमेसी डिवीज़न का भी वरदहस्‍त प्राप्‍त है। मुझे लगता है कि हमारे समय की सबसे महान अश्‍लीलता का अगर कोई नाम हो सकता है तो वो है जयपुर लिटरेरी फेस्टिवल। आपका क्‍या खयाल है? मित्र Prakash K Ray, क्‍या हर बार की तरह इस बार भी कोई बयान नहीं जारी किया जाए? गोपाल जी से ज़रा बतियाइए। Panini ग्रू से भी।

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uchitra Sen

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This article contains weasel words: vague phrasing that often accompanies biased orunverifiable informationSuch statements should be clarified or removed. (January 2014)
Suchitra Sen
Suchitra Sen as Paro in Bimpal Roy's, Devdas (1955).jpg
Suchitra Sen as Paro in Bimal Roy's Devdas(1955)
BornRama Dasgupta
6 April 1931
PabnaBengal Presidency,British India
(now in Bangladesh)
Died17 January 2014 (aged 82) [1]
KolkataWest Bengal, India
NationalityIndian
Other namesRama (pronounced as Raw-maa)
Ethnicity Bengali
Years active 1953–1979
Notable work(s)Saat Pake Badha
Saptapadi
Shaapmochan
Harano Sur
Deep Jele Jai
ReligionHinduism
Spouse(s)Dibanath Sen
Children Moon Moon Sen
Awards Padma ShriBanga Bibhushan
SignatureSuchitra Sen English signature.jpg

Suchitra Sen (Bengali pronunciation: [ʃuːtʃiːraː ʃeːn] About this sound listen (help·info)) or Rama Dasgupta (About this sound listen (help·info); 6 April 1931 – 17 January 2014), was an Indian actress who acted in several Hindi and Bengali films. The movies in which she was paired opposite to Uttam Kumar became classics in the history of Bengali Cinema.[2]

She was the first Indian actress to be awarded at an international film festival, when she won the Silver Prize for Best Actress award for Saat Paake Bandha at the 1963 Moscow film festival.[3][4] She was awarded the Padma Shri in 1972 by Government of India.[5] In 2005, she refused the Dadasaheb Phalke Award in order to stay away from the public eye.[6] In 2012, she was conferred West Bengal Government's highest HonorBanga Bibhushan.[7]

Suchitra Sen is also commonly addressed as the 'Mahanayika' (literally meaning in Bengali- 'the great heroine'), signifying her legendary appeal, acting skills, classical grace and beauty and mass popularity down the decades, till modern times.

Personal life and education[edit]

Sen was born in Pabna in present day Pabna District of Bangladesh, on 6 April 1931.[8][9] Her father Karunamoy Dasgupta was the headmaster of the local school and her mother Indira Devi was a homemaker. She was their fifth child and third daughter. She had her formal education in Pabna.

She married Dibanath Sen, son of a wealthy Bengali industrialist, Adinath Sen in 1947[10] and had one daughter, Moon Moon Sen, who is a former actress.

Sen made a successful entry after marriage into Bengali films in 1952 and then a less successful transition to the Bollywood film industry. According to some unconfirmed but persistent reports in the Bengali press, her marriage was severely strained by her success in the film industry.

Career[edit]

Sen made her debut in films with Shesh Kothaay in 1952, but it was never released.[11] The following year saw her act opposite Uttam Kumar in Sharey Chuattor, a film by Nirmal Dey. It was a box-office hit and remembered for launching Uttam-Suchitra as a leading pair. They went on to become the icons for Bengali dramas for more than 20 years, becoming almost a genre to themselves.

She received a Best Actress Award for the film Devdas (1955), which was her first Hindi movie. Her patented Bengali melodramas and romances, especially with Uttam Kumar, made her the most famous Bengali actress ever. Her films ran through the 1960s and the 1970s. Her husband died, but she continued to act in films, such as the Hindi hit Aandhi (1974), where she played a politician. Aandhiwas inspired by India's Prime Minister Indira Gandhi. Sen received a Filmfare Award nomination as Best Actress, while Sanjeev Kumar, who essayed the role of her husband, won the Filmfare as Best Actor.A point to be noted, her husband,who himself was an industrialist, invested a lot in her success, but later a great deal of rift developed among them.

One of Suchitra's best known performances was in Deep Jwele Jaai (1959). She played Radha, a hospital nurse employed by a progressive psychiatrist, Pahadi Sanyal, who is expected to develop a personal relationship with male patients as part of their therapy. Sanyal diagnoses the hero, Basanta Choudhury, as having an unresolved Oedipal dilemma — the inevitable consequence for men denied a nurturing woman. He orders Radha to play the role though she is hesitant as in a similar case she had fallen in love with the patient. She finally agrees and bears up to Choudhury's violence, impersonates his mother, sings his poetic compositions and in the process falls in love again. In the end, even as she brings about his cure, she suffers a nervous breakdown. The film is full of beautiful, often partly lit, close ups of Sen which set the tone of the film and is aided by a mesmerizing performance by her. Asit Sen remade the film in Hindi as Khamoshi (1969) with Waheeda Rehman in the Suchitra Sen role.)

Suchitra's other landmark film with Asit Sen was Uttar Falguni (1963). Suchitra carries the film single-handedly in the dual role of a courtesan Pannabai and her daughter Suparna, a lawyer. In particular, she is brilliant as Pannabai, bringing much poise, grace and dignity in the role of a fallen woman determined to see her daughter grow up in a good, clean environment. Suchitra as Pannabai is able to connect directly with the viewer and make him or her feel deeply for all that she goes through the course of the film thus giving her death at the end a solid, emotional wallop. Her international success came in the year of 1963, when she won the best actress award in Moscow Film Festival for the movie Saat Paake Bandha. In fact, she is the first female to receive an international film award.

She refused Satyajit Ray's offer due to date problem; as a result Ray never made the film Devi Chaudhurani. She also refused Raj Kapoor's offer for a film under the RK banner. She retired from the screen in 1978 after a career of over 25 years to a life of quiet seclusion. She has avoided the public gaze after her retirement and has devoted her time to the Ramakrishna Mission.[8] Suchitra Sen was a contender for the Dadasaheb Phalke Award for the year 2005, provided she was ready to accept it in person. Her refusal to go toNew Delhi and personally receive the award from the President of India deprived her of that award.

Death[edit]

She died at a hospital (Belle Vue Clinic, kolkata) in the morning of the 17th of January, 2014 at 8:25 AM due to a massive heart attack.[12][13] She had been admitted there due to a chronic chest infection 3 weeks ago. The Chief Minister of West BengalMamata Banerjee declared that, Suchitra Sen will be given a gun salute before her cremation[14]. Her Death has been condoled by many leaders including President of India Pranab Mukherjee, Prime Minister Manmohan Singh and BJP's Prime Ministerial CandidateNarendra Modi.[15]

Selected filmography[edit]

YearTitle RoleLanguage Notes
1952Shesh Kothay Bengali Unreleased
1953Saat Number Kayedi
1953Bhagaban Srikrishna Chaitanya BishnupriyaBengali
1953Sharey Chuattor RomolaBengali
1953Kajori
1954Sadanander Mela SheelaBengali
1954Agnipariksha Bengali
1954Ora Thaake Odhare
1954Grihaprabesh Bengali
1954Atom Bomb
1954DhuliMinati
1954 Maraner PareyTanimaBengali
1954Balaygras Manimala
1954 Annapurnar MandirBengali
1954Sanjher Pradip Bengali
1955Devdas Parvati (Paro)Hindi First Hindi film
1955Shapmochan MadhuriBengali
1955Sabar Uparey Bengali
1955Snaajhghar
1955Snaajher Pradeep Bengali
1955Mejo BouBengali
1955Bhalabaasa Bengali
1956SagarikaSagarika Bengali
1956Trijama SwarupaBengali
1956Amar BouBengali
1956Shilpi Bengali
1956Ekti RaatSwantana Bengali
1956Subharaatri Bengali
1957Harano Sur Dr. Roma BanerjeeBengali
1957Pathe Holo DeriMallika
1957 Jeeban Trishna
1957Chandranath Saraju
1957 Musafir Shakuntala VermaHindi
1957ChampakaliHindi
1958Rajlakshmi O Srikanta Rajlakshmi
1958Surya ToranAunita Chatarjee Bengali
1958Indrani Indrani
1959Deep Jwele Jaai RadhaBengali
1959Chaaowa PawoaBengali
1960Hospital Sarbari
1960Smriti Tuku ThaakShobha Bengali
1960Bombai Ka Baboo MayaHindi
1960SarhadHindi
1961Saptapadi Rina BrownBengali
1961Saathihara
1962Bipasha
1963Saat Paake Badha ArchanaBengali
1963Uttar Fhalguni Debjani / Pannabai / SuparnaBengali
1964Sandhya Deeper Sikha Jayanti BannerjeeBengali
1966Mamta Devyani / Pannabai / SuparnaHindi
1967Grihadaha Achala
1969 KamallataKamallata
1970Megh KaloDr. Nirmalya Roy Bengali
1971 Fariyaad
1971Nabaraag
1972Alo Amaar Alo AtashiBengali
1972Haar Maana Haar Bengali
1974Devi Chaudhurani PrafullamukhiBengali
1974Srabana Sandhya Bengali
1975 Priyo BandhabiBengali
1975Aandhi Aarti DeviHindi
1976DattaBijoyaBengali
1978Pranoy Pasha Bengali

Awards and nominations[edit]

YearAward ResultFilm
1963 Moscow Film Festival - Best actress award WonSaat Paake Badha[4]
1963Filmfare Best Actress Award NominatedMamta
1972Padma Shri For notable contribution in Arts[5]
1976Filmfare Best Actress Award NominatedAandhi
2012Banga Bibhushan WonLifetime Achievement in Film acting

References[edit]

  1. Jump up^ "Actress Suchitra Sen passes away". Filmcircle.com. Retrieved Jan 17, 2014.
  2. Jump up^ Sharma, Vijay Kaushik, Bela Rani (1998). Women's rights and world development. New Delhi: Sarup & Sons. p. 368.ISBN 8176250155http://books.google.co.in/books?id=qnJ9J9UygR0C&pg=PA368 Check |isbn= value (help).
  3. Jump up^ "Suchitra Sen, Bengal's sweetheart". NDTV. 17 January 2014. Retrieved 17 January 2014.
  4. Jump up to:a b "3rd Moscow International Film Festival (1963)"MIFF. Retrieved 2012-12-01.
  5. Jump up to:a b "Padma Awards Directory (1954-2013)"Ministry of Home Affairs. "1972: 130: Smt Suchitra Sen"
  6. Jump up^ "Suchitra Sen awarded Banga-Bibhusan"Zee News India. May 20, 2012. Retrieved 2 June 2012.
  7. Jump up^ Das, Mohua (May 20, 2012). "The perils of a packed prize podium Ravi Shankar declines award"Telegraph, Kolkata (Calcutta, India). Retrieved 2 June 2012.
  8. Jump up to:a b Deb, Alok Kumar. "APRIL BORN a few PERSONALITIES". www.tripurainfo.com. Retrieved 2008-10-23.
  9. Jump up^ "Garbo meets Sen Two women bound by beauty and mystery"Telegraph (Calcutta, India). July 8, 2008. Retrieved 2 June 2012.
  10. Jump up^ Chakraborty, Ajanta (Jun 18, 2011). "Actress Suchitra Sen's secrets out!". TNN (Times of India).
  11. Jump up^ Chatterjee, ed. board Gulzar, Govind Nuhalani, Saibal (2003). Encyclopaedia of Hindi cinema. New Delhi: Encyclopaedia Britannica. pp. PT647. ISBN 8179910660.
  12. Jump up^ "Veteran acctress Suchitra Sen dies in Kolkata hospital after massive heart attack". Financial Express. 2012-06-12. Retrieved 2014-01-17.
  13. Jump up^ "Suchitra Sen suffers massive heart attack, passes away - Entertainment - DNA". Dnaindia.com. 2013-10-22. Retrieved 2014-01-17.
  14. Jump up^ "BBC News - Suchitra Sen: Iconic Indian Bengali actress dies". Bbc.co.uk. Retrieved 2014-01-17.
  15. Jump up^ "Indian Leaders Condole the Sad Demise of Suchitra Sen"Biharprabha News. Retrieved 17 January 2014.

External links[edit]

1 comment:

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