BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, January 28, 2014

सूबे में महफूज नहीं हैं लड़कियाँ

सूबे में महफूज नहीं हैं लड़कियाँ

शब्बन खान 'गुल'

girls-unsafeसूबे में लड़कियाँ कतई महफूज नहीं हैं। महिलाओं की अस्मिता से खिलवाड़ करने की शर्मनाक घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। ऐसी घटनाओं में पुलिस की लापरवाही और शासन की संवेदनहीनता गंभीर सवाल खड़े करती है। महिला संगठनों और महिला अधिकारों पर काम करने वाले एनजीओ की भूमिका भी काफी निराशाजनक रहती है। जब किसी घटना पर ज्यादा बबाल मचता है, तब जाकर ये संगठन मीडिया में बड़े-बड़े लच्छेदार बयान देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। ऐसे मामले भी प्रकाश में आए हैं, जहाँ एनजीओ ने शुरूआती दौर में तो मामले की पैरवी तो की, लेकिन कुछ समय बाद परिदृश्य से गायब हो गए। यदि मामले ने कुछ तूल पकड़ा तो एक आध सिपाही और दरोगा के और कुछ बेगुनाह लोगों को पूछताछ के नाम पर पकड़कर मामले को ठंडा कर दिया जाता है। कुछ एक मामलों में सरकार पीडि़ता या परिजनों को नकद पैसा दे देती है, जो सरकार के अपनी जिम्मेदारी से भागने जैसा है। मगर जब तक ऐसी घटनाओं के दोषी तत्काल पकड़े जा कर दंडित नहीं होंगे, ऐसी दरिंदगी पर रोक लगना सम्भव नहीं है।

ताजा प्रकरण जनपद पौड़ी में बीरोंखाल विकासखंड के डालागाँव का है, जहाँ के निवासी यशपाल सिंह रावत की 17 वर्षीय बेटी 1 जनवरी 2014 को सुबह करीब 10 बजे घर का सामान और कापी-किताब लेकर बीरोंखाल आई थी, लेकिन इसके बाद वापस घर नहीं लौटी। परिजनों ने बीरोंखाल आकर पता किया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। यह रहस्य बना है कि जब किसी को भी लड़की के बारे में कुछ पता नहीं तो आखिर उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया ? जब लड़की का पिता मामला दर्ज कराने थाना धूमाकोट पहुँचा तो पुलिस आनाकानी करने लगी। मगर लोगों के काफी संख्या में थाने पहुँचकर दबाव बनाने से पुलिस ने प्राथमिकी तो दर्ज कर ली, मगर उसके बाद चुपचाप बैठ गई।

परिजनों को शक है कि लड़की का अपहरण करने में बीरोंखाल में मोबाइल की दुकान चलाने वाले इरशाद नामक युवक का हाथ हो सकता है, क्योंकि ये लोग लड़की पर अक्सर छींटाकशी करते थे। मगर परिजनों व क्षेत्र के लोगों द्वारा धूमाकोट के थाना प्रभारी खजान सिंह से इरशाद के मोबाइल पर सर्विलांस पर लगाने को कहा, लेकिन थानाध्यक्ष खजान सिंह का रवैया बेहद गैर जिम्मेदाराना रहा। संदिग्ध व्यक्ति आज भी बीरोंखाल में मौज काट रहे हैं।

हालाँकि पौड़ी की पुलिस अधीक्षक विमला गुंज्याल का कहना है कि यदि परिजनों को किसी पर शक है तो मुझे आकर बताएँ। उन लोगों को जाँच में जोड़ा जाएगा। मगर लड़की के पिता यशपाल सिंह रावत का कहना है कि जिस युवक पर शक है, उसे थाना पुलिस से पूरी छूट मिली हुई है। बीच-बीच में वह युवक बीरोंखाल से गायब रहकर पुनः आ जाता है। इससे लगता है कि लड़की को किसी बाहरी स्थान पर बंधक बनाकर रखा गया है। यदि उसके मोबाइल की कॉल डिटेल से लोकेशन ट्रेस की जाती तो सारी सच्चाई सामने आ सकती है।

पूर्व ग्राम प्रधान अशोक रावत का आरोप है कि पुलिस कोई ध्यान नहीं दे रही है। स्थानीय निवासी विधायक दिलीप सिंह रावत उर्फ महंत से भी मिले थे। उन्होंने कहा था कि तीन दिन में केस हल हो जाएगा, लेकिन उनका दावा हवाई साबित हुआ।

हैरत की बात है धूमाकोट पुलिस बीते दिनों हरिद्वार पथरी इलाके में एक छात्रा की रेप के बाद निर्मम हत्या की घटना से भी कोई सबक नहीं ले रही है। इस जघन्य घटना को एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन पुलिस दरिंदों तक नहीं पहुँच पाई है। केन्द्र सरकार के एक आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली कक्षा 7 की छात्रा अवकाश पर घर आई थी। सुबह आठ बजे शौच के लिए जाने के काफी देर तक भी जब वह वापस नहीं लौटी तो परिजनों ने खोजबीन की। फेसपुर पुलिस चौकी से लड़की की माँ को भगा दिया गया। काफी तलाश के बाद छात्रा का शव नग्न अवस्था में गन्ने के खेत में मिला। शव पर चोटों तथा दाँतों से काटे जाने के निशान थे। इससे साबित होता है कि उसे यातनाएँ देकर मारा गया। वहाँ भी जन उबाल आते ही सरकारी अमला और पक्ष-विपक्ष सक्रिय हुआ।

मौके पर पहुँचे मुख्यमंत्री ने पीडि़त परिवार को पाँच लाख का चैक देने के साथ ही दस लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की। लेकिन आहत परिजनों ने चैक लेने से इंकार करते हुए कहा कि उन्हें पैसा नहीं, इंसाफ चाहिए। पीडि़ता के नाम पर स्कूल खोले जाने की घोषणा भी लोगों को हजम नहीं हो रही है, क्योंकि जब कानूनन पीडि़ता का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता तो उसके नाम पर स्कूल का नाम कैसे रखा जा सकता है ?

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