BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, June 7, 2013

कमाई बंद है तो वेतन बढ़ाओ!मंत्रियों के लिए इस मंहगाई और आर्थिक नाकेबंदी में चूल्हा बंद होने की नौबत!

कमाई बंद है तो वेतन बढ़ाओ!मंत्रियों के लिए इस मंहगाई और आर्थिक नाकेबंदी में चूल्हा बंद होने की नौबत!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अबतक राजकीय कोषागार से अपना वेतन बाबत एक पैसा नहीं लिया है। वे एकदम निःस्वार्थ सेवाभाव से मां माटी मानुष की सरकार की अगुवाई कर रही हैं।लेकिन पार्टी तके तमाम छोटे बड़े नेताओं की माली हालत संगीन है। मंत्री सांसद तक को इधर उधर हाथ पांव मारने पड़ रहे हैं। चिटफंड पे रोल का पर्दाफाश हो चुका है। प्रोमोटर सिंडिकेट से भी बहुत लोगों का गुजारा नहीं होता। बड़ी परियोजनाएं चालू हो नही रही है। पीपीफी माडल लागू हो नहीं रहा है। दीदी की भूमि अधिग्रहण नीति का खामियाजा भुगतना पड़ रह है। काम धधंधे नहीं है तो कमीशन कहां से आयेगा? लिहाजा, कमाई बंद है तो वेतन बढ़ाओ!मंत्रियों के वेतन में इसीलिए इजाफा होने जा रहा है। बाकी मंत्रियों का वेतन बढ़ रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री का वेतन भी बढ़ाया जाना जरुरी है। हालांकि दीदी को अब भी वेतन नहीं छ आम जडनता ही उनकी असली पूंजी हैं।


हर महीने आर्थिक दफ्तर से मुख्यमंत्री के नाम वेतन का चेक बनता है और वह चेक उन्हें भेज बी दिया जाता है। लेकिन हर बार दीदी चेक लौटा देती हैं।पिछले दो साल से यही सिलसिला चल रहा है। पर बाकी मंत्रियों के लिए इस मंहगाई और आर्थिक नाकेबंदी में  चूल्हा बंद होने की नौबत है। चूंकि उनका वेतन बढाया जाना जरुरी है, इसलिए नियमानुसार मुख्यमंत्री का वेतन भी बढ़ाया जा रहा है। इससे पहले बतौर रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अपने उस निर्णय को उचित बताया है, जिसके तहत उन्होंने रेलवे की समितियों में बुध्दजीवियों और रंगकर्मियों को शामिल किया है और उनके लिए ऊंचे वेतन की व्यवस्था की है। जाहिर है कि अपने मंत्रियों की गरीबी से वे भी परेशान होंगी।


दरअसल केंद्रीय वेतनमान बढ़ने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में लगातार वृद्धि हुई है। विधायकों को भी वेतनवृद्धि का लाभ मिला है। लेकिन अब भी वंचित हैं राज्य के तमाम मंत्री । कर्मचारियों ौर विधायकों की तुलना में मंत्रीगण गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं।


राज्य की माली हालत और औद्योगिक गतिविधियों के मद्देनजर मंत्रियों की गरीबी रेखा लगातार नीचे खिसकती जा ही है। कुछ लोग तो राहत और मदद की गंगा में हाथ धो लेते हैं, लेकिन मंत्रियों को अपनी राजनीतिक छवि भी बचानी है। जब दीदी तमाम दागी मंत्रियों का बचाव करके पार्टी को हर चुनाव में जिताने के लिए दिन रात एक कर रही हैं तब मंत्रियों को भी उनकी छवि का ख्याल रखना पड़ता है। उनकी इसी मुसीबत के हल बतौर उनका वेतन बढ़ाने के लिए दीदी आखिरकार अपना वेतन भी बढ़ाने को तैयार हो गयी हैं।


राज्य सरकार के कर्मचारियों को मगर मंत्रियों के वेतन में बढ़ोतरी पर एतराज है। कर्मचारी संगठन अपने बकाया को लेकर रो रहे हैं और उनकी दलील है कि जब राज्य की माली हालत इतनी बुरी है तो मां माटी मानुष की सरकार के मंत्रियों का वेतन क्यों बढ़ना चाहिए!


इस पर पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी का कहना है कि मंत्री बनने की वजह से बतौर विधायक उन्हें जो वेतन भत्ता मिलता रहा है, वह तो मिल नही रहा है तो अब मंत्री होने के अपराध में वे आखिर कब तक गरीबी रेखा के नीचे जीने को मजबूर होंगे!


मुख्यमंत्री का वेतन इस वक्त आठ हजार रुपये प्रति माह है जबकि मंत्रियों का वेतन सात हजार रुपए प्रति महीने। भत्तों को मिलाकर मुख्यमंत्री का वेतन अड़तीस हजार है तो मंत्रियों का वेतन सैंतीस हजार।इसके मुकाबले परिवर्तन के बाद विधायकों का वेतन बारह हजार है और भत्तों समेत सैतालीस हजार रुपये।


शारदा मीडिया समूह के सीईओ बतौर तृणमूल सांसद कुणाल घोष को महीने में सोलह लाख रुपए का वेतन मिलता था!


फिर भी कर्मचारी संगठन बकाया 28 प्रतिशत डीए और केंद्र की तुलना में बकाया 35 प्रतिशत डीए का भुगतान न होने की शिकायत कर रहे हैं।लेकिन सच यह भी है कि पंचायत  चुनाव से ठीक पहले ग्रुप सी और ग्रुप डी के कैजुअल व कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की गयी है। ग्रुप डी के जिन कर्मचारियों का कार्यकाल 10 वर्ष से कम है उनका वेतन पांच हजार रुपये से बढ़ाकर सात हजार रुपये किया गया है। जिन कर्मचारियों का कार्यकाल 10 वर्ष से अधिक है उन्हें अब छह हजार रुपये के बजाये 8500 रुपये मिलेंगे।ग्रुप सी में जिनका कार्यकाल 10 वर्ष से कम है उनका वेतन 6600 रुपये से बढ़ाकर 8500 रुपये किया गया है। इसी तरह जिनका कार्यकाल 10 वर्ष से अधिक है उन्हें अब प्रतिमाह 8800 रुपये के बजाये 11 हजार रुपये मिलेंगे।इसके अलावा ममता बनर्जी सरकार मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को सरकार की ओर से वेतन दे रही हैं।मुख्यमंत्री ने तो शारदा समूह के दो चैनलों के कर्मचारियों को एक मुश्त सोलह हजार के अनुदान देने की घोषणा की है।


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