BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Saturday, June 29, 2013

कहां गए तीन हजार लोग? अब तक नहीं मिला है कोई सुराग

कहां गए तीन हजार लोग? अब तक नहीं मिला है कोई सुराग


नई दिल्ली। उत्तराखंड में आए जलप्रलय के 13वें दिन आज बर्बादी के सरकारी आंकड़े जारी किए गए। इस आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक प्रभावित इलाकों में दो सौ गांव तबाह हुए हैं। इन गांवों के 2232 मकान ध्वस्त हो गए हैं। इस भयानक प्राकृतिक हादसे में 436 लोग घायल हुए हैं और अबतक तीन हजार लोगों का कोई पता नहीं चल पाया है। वहीं अबतक फंसे हुए ढ़ाई हजार लोगों को निकाले जाने का काम बचा हुआ है।

सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि इस तबाही में 154 पुल और 1642 सड़कें बह गई हैं। वहीं कर्ण प्रयाग और नैनीताल हाईवे अबतक बंद है। उत्तरकाशी के 110 गांवों में खाने पीने की समस्या अबतक बनी हुई है। 3727 गांव ऐसे हैं जहां बिजली पानी संचार ठप्प है और 968 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई हैं।

कहां गए तीन हजार लोग? अब तक नहीं मिला है कोई सुराग

सरकार की ओर से जारी इस बयान के मुताबिक राहत और बचाव कार्य के लिए बद्रीनाथ में नया हेलीपैड बनाया जाएगा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक केदारनाथ से पुलिस की 14 राइफलें गायब हुई थी जिसमें से दो मिल गई हैं। आंकड़ों के मुताबिक आज दूसरे दिन 15 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ है। राहत और बचाव कार्य में लगे जो जवान एमआई 17 हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए थे उनके शव आज देहरादून लाए जाएंगे और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।

25 जून तक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश से 540, महाराष्ट्र से 150, राजस्थान से 590, दिल्ली से 300, गुजरात से 139, मध्य प्रदेश से 800, आंध्र प्रदेश से 231, बिहार से 54 जम्मू से 5, और प. बंगाल से 20-25 लोग लापता हुए हैं।

लेकिन ये आंकड़े सरकारी हैं और 25 जून के हैं। आज 28 जून है और इस बीच लापता लोगों की संख्या लगातार बढ़ती रही है।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर तीन हजार लोग कहां हैं। आईबीएन 7 के पास बड़ी तादाद में लोगों ने अपने लापता संबंधियों के फोटो भेजे हैं। इनकी संख्या तकरीबन 3 हजार तक पहुंच गई है। त्रासदी से बचकर वापस आने वालों ने उस भयंकर मंजर का जिक्र किया है। इन्होंने चारों तरफ बिखरी हुई लाशें देखी हैं। इनका दिल हर आने वाले पल के साथ तेजी से धड़कता जा रहा है।

जब तक बचाव कार्य चल रहा है, इनकी आंखों में उम्मीद की किरण बाकी है। लेकिन अब बचाव का कार्य आखिरी चरण में है। सरकार भी कह चुकी है कि 29 जून तक बचाव काम पूरा कर लिया जाएगा। ऐसे में भला इन्हें कौन बताएगा कि इनके अपने कहां रह गए हैं। क्या वो जंगलों में कहीं भटक गए हैं या फिर किसी अनहोनी का शिकार बन गए। आखिर कहां रह गए हैं ये लोग।

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