BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, June 7, 2013

जन्म दिवस पर हेमवती नंदन बहुगुणा की याद

जन्म दिवस पर हेमवती नंदन बहुगुणा की याद

Hemwati-Nandan-Bahugunaउत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के 95वें जन्म दिवस पर क्षेत्र के कई स्थानों पर लोगो ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये। गुप्तकाशी के ह्यूण गाँव में भी स्व. बहुगुणा को ग्रामीणों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर याद किया। श्री बहुगुणा के बचपन की पढ़ाई प्रा.वि. गुप्तकाशी में ही हुई थी।

25 अप्रैल 1919 में तत्कालीन पौड़ी जिले के बुधाणी गाँव में श्री बहुगुणा का जन्म हुआ था। गुप्तकाशी में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करके डीएवी कॉलेज देहरादून से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वर्ष 1936 से 1942 तक विद्यार्थी आंदोलन का सफल नेतृत्व किया। विद्यार्थी काल से ही श्री बहुगुणा स्व0 लाल बहादुर शास्त्री के सम्पर्क में रहे। वर्ष 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो की ख्याति से बहुगुणा घर-घर में प्रसिद्ध हो गये। अंग्रेजों की चूलें हिलाने वाले श्री बहुगुणा पर अंग्रेजों द्वारा जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर पाँच हजार का ईनाम रखा गया था, लेकिन उन्होंने भूमिगत रहते ही अंग्रेजों को अपने हौसले तथा वीरता का परिचय दे दिया। उनके जज्बे को देखते हुए उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन का प्रथम डिटेक्टर चुना गया। 1 फरवरी 1943 को उन्हें दिल्ली में जामा मस्जिद के निकट गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, लेकिन 1945 में जेल से छूटते ही श्री बहुगुणा ने देश के कई नामी-गिरामी आंदोलनकारियों के साथ रहकर अंग्रेजों की ईट से ईट बजा दी।

वर्ष 1952 से लगातार उ.प्र. कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। वर्ष 1963 से 1969 तक उ.प्र. कांग्रेस महासचिव के पद पर शोभित रहे। वर्ष 1957 में संसदीय सचिव 1958  में उ.प्र. सरकार में श्रम और उद्योग विभाग के उपमंत्री रहे। वर्ष 1967 में आम चुनाव के पश्चात उ.प्र. सरकार में आम सभा गठन होने के बाद श्री बहुगुणा को अखिल भारतीय कांग्रेस का महामंत्री चुना गया। वर्ष 1971 में केन्द्र में संचार मंत्री तथा नवम्बर में ही कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गये। 8 नवम्बर 1973 को श्री बहुगुणा ने उ.प्र. में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई विशिष्ट पदों पर आसीन होकर देशवासियों की सेवा की।

उनके बाल्यकाल में तब केदारघाटी में महज गुप्तकाशी में प्राथमिक विद्यालय हुआ करता था। इसी विद्यालय में श्री बहुगुणा ने तीन वर्ष तक अध्ययन किया। उनके अध्यापक रहे ह्यूण निवासी स्व. श्री परमानंद द्वारा उ.प्र. से श्रम भगवान के नाम से प्रकाशित पत्र में लिखा गया कि माता-पिता अपने से बढ़कर अपने पुत्र को तथा गुरू अपने से बढ़कर अपने शिष्य को देखना चाहता है। आज की परिस्थितियाँ कुछ विषम सी हो गयी हैं। आज मैं यह लिखते हुए महान गौरव का अनुभव कर रहा हूँ कि मुझे एक कुशल प्रशासक, महान राजनीतिज्ञ तथा जन सेवी श्री बहुगुणा के तीन वर्ष तक गुप्तकाशी में अध्यापक बने रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वर्ष 1926 में उनके पिता रेवती नंद बहुगुणा ने अपने पुत्र हेमवती नंदन को पढ़ाने की बात की। बालक हेमवती का अक्षर ज्ञान नहीं था, अतः मैंने इन्हें सर्वप्रथम अक्षर ज्ञान दिया। उस समय चौथी कक्षा तक ही प्राइमरी की शिक्षा होती थी। वे पढ़ने में बड़े तेज तथा हाजिर-जबाब थे। वे इतने नटखट थे कि कभी कलम तोड़ देते थे, तो कभी कमेड़ा जिससे पाटी में लिखा जाता था, को गिरा देते। मै उन्हें बहुत डाँटता था। पौड़ी से आये गिरधारी ने एक बार मेरा फोटो लेना चाहा, मैं उस समय स्काउट ड्रेस में था। बालक बहुगुणा का चूड़ाकर्म संस्कार भी नहीं हुआ था। अध्यापक परमानंद सेमवाल के पु़त्र आनंद मणि सेमवाल कहते हैं कि कई बार पूज्य पिताजी कहते थे कि बहुगुणा जी पैरों में कम ही चप्पलें पहनते थे। उनकी बुद्धिमता तथा चातुर्यता को देखते हुए लोगों ने उनका नाम शतावधानी रख दिया। अर्थात् ऐसा व्यक्ति जो एक बार में कई लोगो की बातें सुने और सबका सकारात्मक प्रत्युत्तर दे।

http://www.nainitalsamachar.in/95th-birth-anniversary-of-h-n-bahuguna/

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