BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, May 7, 2013

उत्तराखण्ड में न्यूनतम मज़दूरी का मुखर विरोध

उत्तराखण्ड में न्यूनतम मज़दूरी का मुखर विरोध

रुद्रपुर में श्रम भवन पर मज़दूरों ने किया प्रदर्शन

उत्तराखण्ड में न्यूनतम मज़दूरी का मुखर विरोध

उत्तराखण्ड में न्यूनतम मज़दूरी का मुखर विरोधरुद्रपुर (उत्तराखण्ड)। राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मज़दूरी को मज़दूरों के साथ धोखा बताते हुये उसके पुनरीक्षण की माँग करते हुये ऊधमसिंह नगर जिले के विभिन्न यूनियनों व श्रम संगठनों ने स्थानीय श्रमभवन पर प्रदर्शन कर राज्य सरकार को ज्ञापन भेजा। साथ ही, श्रम कानूनो के अनुपालन की भी माँग उठायी।

राज्य के प्रमुख सचिव, श्रम एवं सोवायोजन को भेजे गये ज्ञापन में कहा गया है कि यह शासन द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम मजदूरी दरों से भी लगभग 10 फीसदी कम घोषित की गयी। सरकार ने विभिन्न श्रम संगठनों द्वारा शासन के न्यूनतम मजदूरी पुनरीक्षण प्रस्ताव पर भेजे गये उन सुझावों को दरकिनार कर दिया जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन, माननीय सर्वोच्च न्यायालय व भारत के केन्द्र सरकार के मानकों के मद्देनजर न्यूनतम मजदूरी 10 से 15 हजार रूपये मासिक करने का सुझाव दिया गया था। यह माननीय उच्चतम न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय (सिविल अपील सं0 4336 (एन.एल.) 1991) के विपरीत है, जिसमें किसी भी परिस्थिति में न्यूनतम मजदूरी के लिए एक मानक निर्धारित किया गया था।

बता दें कि सरकार का पूर्ववर्ती प्रस्ताव अकुशल, अर्धकुशल, कुशल व अतिकुशल के लिए क्रमशः 5500, 5800, 6400 व 7200 रुपये मासिक था, लेकिन घोषित हुआ 4980/5050, 5545/5330, 5915/5610 व शून्य/5730।

सभा को सम्बोधित करते हुये वक्ताओं ने कहा कि मालिकों के हित में सरकार की यह पक्षधरता बेहद खतरनाक है। मजदूरों के हाड़ मांस तक को निचोड़ने वाले मालिकों के शोषण और दमन पर यह एक और सरकारी ठप्पा है। वैसे भी गैरकानूनी ठेका प्रथा के जारी खेल में बहुलांश के लिये तो न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती। मामूली दिहाड़ी पर 12-12 घन्टे खटना तो आज परम्परा बन चुकी है। एक तो, सुरसा की मुँह की तरह लगातार बढ़ती महँगाई ने आम मेहनतकश की कमर वैसे ही तोड़ रखी है। ऊपर से न्यूनतम मजदूरी के बहाने मजदूरों पर यह हमला जीने तक के अधिकार से वंचित करने का एक और रास्ता बनने जा रहा है। ऐसे में क्या एकजुट संघर्ष के अलावा क्या कोई रास्ता बचता है?

आक्रोशित श्रमिकों ने कहा कि राज्य में सिडकुल के तहत लगे कारखानों में श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन, गैरकानूनी ठेका प्रथा की बढ़ती जकड़बन्दी और दमन से श्रमिकों में रोष बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि वैधानिक रूप से यूनियन गठन के हर प्रयास पर मजदूरों का दमन एक परिपाटी बन गये है। सुरक्षा के तमाम मानदण्डों को ताक पर रखने के कारण कम्पनियों में हाथ-पाँव कटने से लेकर जान जाने तक की घटनायें बढ़ती जा रही हैं। इंजीनियरिंग उद्योगों में ट्रेनी के नाम पर अवैध शोषण खुले आम जारी है।

प्रदर्शन के माध्यम से भेजे गये पहले ज्ञापन में माँग की गयी कि न्यूनतम मजदूरी 12 हजार रुपये घोषित हो, वर्ष 2010 से एरियर का भुगतान हो और अगला वेतन पुनरीक्षण वर्ष 2015 में हो, न्यायपूर्ण वर्गीकरण के साथ प्रत्येक 3 वर्ष में मजदूरों की श्रेणियाँ उच्चीकृत हों, बोनस का भुगतान ग्रॉस सेलरी पर हो, वेतन पुनरीक्षण में राज्य की सभी यूनियनों को भागीदार बनाया जाय।

श्रम कानूनों के अनुपालन वाले ज्ञापन द्वारा राज्य के श्रम कानुन के अनुरूप गैर कानूनी ठेका प्रथा खत्म करने, गैर कानूनी ट्रेनिंग प्रथा पर रोक लगाने व ''स्थाई काम के लिए स्थाई रोजगार'' देने, "समान काम के लिए समान वेतन" का प्रावधान लागू करने, यूनियन बनाने के अधिकार पर हमले बन्द करने, विभिन्न कारखानों में मॉडल स्टैण्डिंग ऑर्डर के विपरीत पारित पंजीकृत स्थाई आदेशों की जाँच और संशोधन की प्रक्रिया चलाने, असाल, पारले संहित विभिन्न कारखानों में जारी औद्योगिक विवादों का न्यायहित में तत्काल निस्तारण करने एवं सिडकुल में हालात की जाँच-पड़ताल हेतु श्रमिक प्रतिनिधियों से युक्त संयुक्त जाँच टीम गठित कर हर माह निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने की माँग शामिल है।

इस अवसर पर इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र के कैलाश भट्ट, मज़दूर सहयोग केन्द्र के मुकुल, सीटू के मणिन्द्र मण्डल, एटक के कैलाश नाथ, सीपीआई के जी.एस.चीमा, वोल्टास श्रमिक संगठन के कुन्दन सिंह, थाई सुमित नील ऑटो कामगार यूनियनके सर्वेश कुमार, ब्रिटानिया श्रमिक संघ के चंदन दानू, शिरडी श्रमिक संगठन के पंकज कोरंगा, एलजीबी बर्कर्स यूनियन के विरेन्द्र सिंह, आसाल कामगार संगठन के धर्मेन्द्र कुमार, बीसीएच मज़दूर संघ के बसंत भट्ट, बैरॉक मज़दूर वर्कर्स यूनियन के मुकेश बडोला आदि ने सभा को सम्बोधित किया। संचालन पारले मज़दूर संघ के लक्ष्मी दत्त भट्ट व नैस्ले कर्मचारी संगठन के राजदीप बाठला ने किया।

(मुकुल की विज्ञप्ति)

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