BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Friday, May 31, 2013

जब अन्याय और अत्याचार चर्म पर पहुँचता है तो नक्सलवाद जन्मता है!



--------


जब अन्याय और अत्याचार चर्म पर

पहुँचता है तो नक्सलवाद जन्मता है!


महाराष्ट्र के एक गॉंव में एक आततायी द्वारा कई दर्जन महिलाओं के साथ जबरन बलात्कार किया जाता रहा। पुलिस कुछ करने के बजाय बलात्कारी का समर्थन करती रही। अन्तत: एक दिन सारे गॉंव की महिलाओं ने मिलकर उस बलात्कारी को पीट-पीट कर मार डाला। इस प्रकार की घटनाएँ आये दिन अनेक क्षेत्रों में सामने आती रहती हैं। इसी प्रकार की अनेकों घटनाओं को एक साथ मिला दिया जाये या बहुत सारे लोगों के सामूहिक और लम्बे अन्याय और अत्याचार को एक करके देखें और उसके सामूहिक विरोध की तस्वीर बनाएं तो स्वत: ही नक्सवाद नजर आने लगेगा।


डॉ पुरुषोत्तम मीना 'निरंकुश 

  

छत्तीसगढ में नक्सलियों के हमले में अनेक निर्दोष लोगों सहित वरिष्ठ कॉंग्रेसी नेताओं के मारे जाने के बाद देशभर में एक बार फिर से नक्सलवाद को लेकर गरमागर्म चर्चा जारी है। यह अलग बात है कि नक्सलवादियों द्वारा पिछले कई वर्षों से लगातार निर्दोष लोगों की हत्याएँ की जाती रही हैं, लेकिन इस बारे में छोटी-मोटी खबर छपकर रह जाती हैं।


हाल ही में छत्तीसगढ में नक्सलियों द्वारा किये गये कत्लेआम से सारे देश में दहशत का माहौल है, जिस पर समाचार-पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशियल मीडिया में अनेक दृष्टिकोणों से चर्चा-परिचर्चा और बहस-मुबाहिसे लगातार जारी हैं। कोई नक्सलियों को उड़ा देने की बात कर रहा है तो कोई नक्सलवाद के लिये सरकार की कुनीतियों को जिम्मेदार बतला रहा है।


इसके साथ-साथ घटना के तीन दिन बाद इस बारे में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी की ओर से मीडिया को जारी प्रेस नोट में स्वीकारा गया है कि 'दमन की नीतियों' को लागू करने के लिए हमने कॉंग्रेस के बड़े नेताओं को निशाने पर लिया है। लेकिन साथ ही हमले में कॉंग्रेस के छोटे कार्यकर्ताओं और गाड़ियों के ड्राइवरों व खलासियों के मारे जाने पर खेद भी जताया। माओवादी संगठन की ओर से जारी चार पेज के प्रेस नोट में कहा गया है, 'दमन की नीतियों को लागू करने में कॉंग्रेस और बीजेपी समान रूप से जिम्मेदार रही हैं और इसलिए कॉंग्रेस के बड़े नेताओं पर हमला किया।'


कॉंग्रेस के बड़े नेताओं को मारे जाने को सही ठहराते हुए गुड्सा उसेंडी ने कहा, 'राज्य के गृहमंत्री रह चुके छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल जनता पर दमनचक्र चलाने में आगे रहे थे। उन्हीं के समय में ही बस्तर इलाके में पहली बार अर्द्ध-सैनिक बलों की तैनाती की गई थी। यह भी किसी से छिपी हुई बात नहीं कि लंबे समय तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहकर गृह विभाग समेत अनेक अहम मंत्रालयों को संभालने वाले कॉंग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल भी आम जनता के दुश्मन हैं, जिन्होंने साम्राज्यवादियों, दलाल पूंजीपति और जमींदारों के वफादार प्रतिनिधि के रूप में शोषणकारी नीतियों को बनाने और लागू करने में सक्रिय भागीदारी निभाई।'


उसेंडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और कॉंग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा के बीच नक्सवादियों के मामले में तालमेल का उदाहरण सिर्फ इस बात से ही समझा जा सकता है कि मीडिया में कर्मा को रमन मंत्रिमंडल का 16वां मंत्री कहा जाने लगा था। सलवा जुडूम की चर्चा करते हुए प्रेस नोट में कहा गया है कि 'बस्तर में जो तबाही मची, क्रूरता बरती गई, इतिहास में ऐसे उदाहरण कम ही मिलेंगे।' प्रेस नोट में आरोप है कि कर्मा का परिवार भूस्वामी होने के साथ-साथ आदिवासियों का अमानवीय शोषक और उत्पीड़क रहा है।


बयान में साफ शब्दों में आरोप लगाया गया है कि सलवा जुडूम के दौरान सैकड़ों महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उसेंडी का कहना है कि इस कार्रवाई के जरिए एक हजार से ज्यादा आदिवासियों की मौत का बदला लिया गया है, जिनकी सलवा जुडूम के गुंडों और सरकारी सशस्त्र बलों के हाथों हत्या हुई थी।


इस बयान ने प्रशासन और सरकार के साथ-साथ भाजपा एवं कॉंग्रेसी राजनेताओं की मिलीभगत की हकीकत भी सामने ला दी है। संकेत बहुत साफ हैं कि यदि सरकार या प्रशासन इंसाफ के बजाय दमन की नीतियों को अपनाएंगे तो नतीजे ऐसे ही सामने आयेंगे। इसलिये केवल नक्सलवादियों के मामले में ही नहीं, बल्कि हर एक क्षेत्र में सरकार और प्रशासन के लिये यह घटना एक सबक की तरह है। जिससे सीखना चाहिये कि लगातार अन्याय को सहना किसी भी समूह के लिये असंभव है। जब अन्याय और अत्याचार चर्म पर पहुँच जाते हैं तो फिर इस प्रकार के अमानवीय दृश्य नजर आते हैं। 


हमें नहीं भूलना चाहिये कि महाराष्ट्र के एक गॉंव में एक आततायी द्वारा कई दर्जन महिलाओं के साथ जबरन बलात्कार किया जाता रहा। पुलिस कुछ करने के बजाय बलात्कारी का समर्थन करती रही। अन्तत: एक दिन सारे गॉंव की महिलाओं ने मिलकर उस बलात्कारी को पीट-पीट कर मार डाला। इस प्रकार की घटनाएँ आये दिन अनेक क्षेत्रों में सामने आती रहती हैं। इसी प्रकार की अनेकों घटनाओं को एक साथ मिला दिया जाये या बहुत सारे लोगों के सामूहिक और लम्बे अन्याय और अत्याचार को एक करके देखें और उसके सामूहिक विरोध की तस्वीर बनाएं तो स्वत: ही नक्सवाद नजर आने लगेगा।


दु:ख तो ये है कि नक्सलवाद और नक्सवादियों का क्रूर चेहरा तो मीडिया की आँखों से सबको नजर आता है, लेकिन दलितों, आदिवासियों, स्त्रियों और मजलूमों के साथ हजारों सालों से लागातार जारी शोषण और भेदभाव न तो मीडिया के लिये प्राथमिकता सूची में है और न हीं आम जनता के लिये ऐसे विषय रोचक हैं। सनसनी पैदा करने वाली बातें और घटनाएँ सबकों चौंकाती हैं। इसलिये शहीद-ए-आजम भगत सिंह से लेकर आज के नक्सलवादी और आतंकवादी सनसनी पैदा करके अपनी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिये बड़ी घटनाओं को जन्म देते रहे हैं। ये अलग बात है कि आज के आतंकी और नक्सलवादी भगत सिंह जैसा देशभक्ति का जज्बा नहीं रखते।


-लेखक : होम्योपैथ चिकित्सक, फेमली काउंसलर, सम्पादक-प्रेसपालिका (पाक्षिक), नेशनल चेयरमैन-जर्नलिसट्स, मीडिया एण्ड रायटर्स वेलफेयर एशोसिएशन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) और संगठित षड़यंत्र के चलते जिला जज ने उम्र कैद की सजा सुनाई, चार वर्ष से अधिक समय चार-जेलों में व्यतीत किया। हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने दोषमुक्त/निर्दोष ठहराया। मोबाइल : 085619-55619, 098285-02666

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...