BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, May 29, 2013

तृणमूल में अंतर्कलह विस्फोटक,एक मिनट में शताब्दी सबको खत्म कर देंगी!

तृणमूल में अंतर्कलह विस्फोटक,एक मिनट में शताब्दी सबको खत्म कर देंगी!




एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



बंगाली फिल्मों की अपने समय की जानीमानी अभिनेत्री शताब्दी राय पिछले कुछ अरसे से अपने संसदीय क्षेत्र में असंतुष्टों का सामना कर रही है। शारदा फर्जीवाड़े मामले में नाम उछलने के बादअब तक वे इस मामले में खामोश रहीं। मीडिया में छप रही सामग्री का ही अब तक वे नोटिस लेती रही और सफाई देती रही। अपनी सफाई में तृणमूलपंथी फिल्मकार अपर्णा सेन को भी उन्होंने लपेटने से परहेज नहीं किया और कहा कि अपर्णा तो शारदा समूह की पत्रिका की संपादक रही हैं और उनपर कोई आरोप नहीं लगा रहा। आज  ही उन्होंने सिउड़ी में एक बच्चे को गोद लिया। लेकिन अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति उनका ममत्व अब खत्म होने के कगार पर है।शारदा चिटफंड कांड को लेकर मुख्यमंत्री जहां मैदान में उतरकर सभी दागियों का बचाव कर रही है, वहीं पार्टी में घमासान मचा हुआ है। वीरभूम में जिसतरह सारे लोग सांसद केखिळाप आ गये हैं और सांसद उन्हें खुली चुनौती दे रही हैं, उससे पता चलता है कि स्थिति कितनी विस्पोटक हो चुकी है।


उन्होंने पूरे वीरभूम जिले के तृणमूल कार्यकर्ताओं और नेताओं को बेईमान, अहसानफरामोश और बिना वजूद का बता दिया और फिर पार्टी सुप्रीमो की तरह चेतावनी दी कि वे एक मिनट में सबको खत्म कर देंगी। शताब्दी का मिजाज तब बिगड़ा जबकि उनकी बुलायी कार्यकर्ताओं की सभा में बड़े पैमाने पर जिले के नेता और कार्यकर्ता गैरहाजिर रहे। पहले से ही अंतर्कलह से परेशान सांसद इस पर गुस्से से उबल पड़ी। उनहोंने दावा किया कि जिले में उनके बिना इन कार्यकर्ताओं और नेताओं का कोई वजूद ही नहीं है।


सांसद के गुस्से की खास वजह यह है कि इस बैठक में पार्टी के जिलाध्यक्ष अनुव्रत मंडल भी गैरमौजूद थे।ऐन पंचायत चुनाव से पहले सांसद के इस बयान से सत्तादल में अंतर्कलह फिर तेज हो जाने की आशंका है।सिउड़ी इंडोर स्टेडियम में हुई इस बैठक में तो पार्टी में एकता बनाये रखने की दीदी की सख्त हिदायत की खुद सांसद ने ही धज्जियां उधेड़ दी।


शारदा चिट फ़ंड कंपनी के दिवालिया होने के बाद इससे जुड़े हजारों निवेशक, दलाल और कर्मचारीयों के भविष्य पर अंधेरा छा गया है। कंपनी के दिवालिया होने के समाचार के बाद शारदा समूह की दूसरी कंपनियों पर ताले लग रहे हैं जिसकी वजह से इन कंपनियों में काम करने वाले हजारों कर्मचारी रास्ते पर आ गये है। जहां सत्ताधारी तृणमुल कांग्रेस और सीपीएम एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे है, चिट-फ़ंड में अपने पूरे जीवन की पूंजी लगाकर ठगे जमाकर्ता न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आये हैं। शारदा ग्रुप राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों से ऐन पहले ढहा है। इस घटना ने तृणमूल नेतृत्व की पेशानी पर बल ला दिया है, क्योंकि निवेशकों में से अधिकांश ग्रामीण गरीब लोग हैं।। अप्रैल के मध्य में जैसे ही घोटाले से पर्दे उठने शुरू हुए वैसे ही राजनेताओं और घोटालेबाजों के बीच कथित गठजोड़ की चेतावनी सामने आने लगी। जिन लोगों का नाम घोटाले में उछला है उनमें सबसे अग्रणी तृणमूल के राज्य सभा सांसद कुणाल घोष हैं।  सेन ने घोष पर असामाजिक तत्वों के साथ उनके कार्यालय में घुसकर चैनल-10 की बिक्री का जबरिया इकरारनामा कराने का आरोप लगाया है। पत्र में बंगाली दैनिक 'संवाद प्रोतिदिन' के मालिक संपादक सृंजय बोस (अब तृणमूल के राज्य सभा सांसद) पर अखबार को चैनल चलाने के लिए हर महीने 60 लाख रुपए भुगतान करने का दबाव डालने का आरोप लगाया है। सौदा यह हुआ था कि संपादक सेन के कारोबार को सरकार से बचाए रखेंगे।


इस मामले में जिस तीसरे तृणमूल सांसद का नाम उछला है वह बंगाली फिल्मों की अपने समय की जानीमानी अभिनेत्री शताब्दी राय हैं। राय ग्रुप की ब्रैंड एंबेस्डर थीं। राय ने कहा है कि उन्होंने कभी किसी उत्पाद की पैरवी नहीं की केवल कार्यक्रमों में एक अभिनेत्री के तौर पर रुपए लेकर हाजिर होती थीं।शताब्दी राय अब  मानने लगी हैं कि शारदा समूह के कार्यक्रमों में वे जाती रहीं हैं और उन्हें समूह से भुगतान भी होता रहा है। जो कि फिल्मी दुनिया के लोग किसी भी पेशेवर काम के लिए लेते रहते हैं। लेकिन वे अब भी सुदीप्त की कंपनी के ब्रांड एम्बेसेडर होने की बात सिरे से खारिज करती हैं। उन्हें शिकायत है कि तृणमूल सांसद होने की वजह से ही उन्हें विवाद में फंसाया जा रहा है। अब तृणमूल के लोग ही बचाव में यह दलील दे रहे हैं कि सभी लोग बेमतलब शताब्दी के पीछे पड़े हैं, जबकि कुणाल घोष और अर्पिता घोष की तरह मशहूर फिल्म निदेशक व अभिनेत्री अपर्णा सेन भी शारदा समूह की पत्रिका की संपादक रही हैं। दिनप्रतिदिन श्रद्धासमूह से जुड़ रहने के बाद भी मीडिया में उनका नाम विवाद में सिऱ्फ इसलिए घसीटा नहीं जा रहा है क्योंकि राज्य में मां माटी मानुष की सरकार बनने के बाद सत्तादल से उन्होंने खुद को अलग कर लिया। जबकि दीदी के भूमि आंदलन में वे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती रही हैं।​

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​मालूम हो कि लंबे समय तक महिलाओं की प्रमुक पत्रिका सानंदा की संपादक बतौर मीडिया में अपर्णा का बहुत सम्मान है। सानंदा छोड़ने के बाद वे श्रद्धा समूक की पत्रिका परमा की संपादक बन गयी।लेकिन कोई इसकी चर्चा तक नहीं कर रहा।इसीतरह   शारदा समूह के बंद अखबारों की खूब चर्चा हो रही है, पर रतिकांत बोस से तारा समूह के अधिग्रहण की खास चर्चा नहीं हुई। गौरतलब है कि तारा न्यूज के एफआईआर के आधार पर ही सुदीप्त की गिरफ्तारी हुई।



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