BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Saturday, May 11, 2013

पिछड़े-पुलिस ने किया दलितों की जमीन पर कब्ज़ा

पिछड़े-पुलिस ने किया दलितों की जमीन पर कब्ज़ा


महिलाओं के नोचे स्तन, किया अर्धनग्न

सपा समर्थक बबई यादव को लाभ पहुंचाने के लिए सपा के जिला महासचिव सईद कुरैशी के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने दलित महिला पार्वती, सविता राव, ममता, सरस्वती, कुन्ती और 80 साल की रामदुलारी को बुरी तरह मारा पीटा, उनके स्तन तक नोंच लिए और उन्हें अर्द्धनग्न अवस्था में जमीन पर पटक दिया...


सोनभद्र. उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से दबंगों द्वारा दलितों-आदिवासियों पर लगातार हमले हो रहे है और न्यायालयों तक के आदेशों की अवहेलना करते हुए उनकी जमीनों को कब्जा करने की घटनाएं हो रही है. इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले नेताओं समेत अधिवक्ताओं तक को शांतिभंग की आशंका में पाबंद किया जा रहा है, उन पर फर्जी मुकदमें कायम किए जा रहे है.

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अत्याचार के खिलाफ                       फ़ाइल फोटो

सोनभद्र जिले की नगर पंचायत चुर्क के दलित राजबली की भूमिधरी जमीन पर 25 अप्रैल को सपा समर्थक बबई यादव को लाभ पहुंचाने के लिए सपा के जिला महासचिव सईद कुरैशी के नेतृत्व में स्थानीय चौकी इंचार्ज और पुलिसकर्मियों ने दलित महिला पार्वती, सविता राव, ममता, सरस्वती, कुन्ती और 80 साल की रामदुलारी को बुरी तरह मारा पीटा, उनके स्तन तक नोंच लिए और उन्हें अर्द्धनग्न अवस्था में जमीन पर पटका गया. 

हद तो यह है कि गैरकानूनी तरीके से दलितों की जमीन पर कब्जा करने और उन पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं और पीडि़तों को ही मुल्जिम बना दिया गया है. सपा नेताओं की गुण्ड़ागर्दी का आलम यह है कि सपा के जिला महासचिव सरकारी अस्पताल में सरकारी डाक्टर को भगाकर पीडि़तों का मेडिकल तक नहीं होने दे रहे थे. दरअसल चुर्क नगर पंचायत में इस समय जेपी समूह का सीमेन्ट कारखाना चल रहा है, जिसके कारण यहां की जमीनें काफी कीमती हो गयी है और इस इलाके में खाली पड़ी जमीनों पर दबंगों की निगाहें है वह स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर इन जमीनों के मालिकों को आतंकित कर इन पर कब्जा कर रहे है. 

ऐसी जमीनें जो अभी भी खाली है उनमें से ज्यादातर दलितों और आदिवासियों के पास है क्योकि धन के अभाव में वह इन जमीनों पर निर्माण कार्य नहीं करा पाएं है. चुर्क में हुई यह धटना भी इसी का परिणाम है. इस घटना के खिलाफ न्याय के लिए पीडि़त दलित परिवार को सोनभद्र जिला कचहरी पर धरना देते हुए 15 दिन से ज्यादा बीत गया लेकिन जिला प्रशासन ने धटनास्थल पर जाना और इसकी जांच कराना तक मुनासिब नहीं समझा और उसे पीडि़तों की दुखभरी दास्तान को सुनने के लिए आज तक वार्ता करने का वक्त नहीं मिला. 

यह सब तब हो रहा है जब महिलाओं पर हमले का सवाल राष्ट्रीय सवाल बना हुआ है और सर्वोच्च न्यायालय तक ने महिलाओं के प्रति पुलिस द्वारा किए जा रहे दुर्व्यहार पर बार-बार रोष प्रकट किया है. वास्तव में उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलितों, महिलाओं और समाज के गरीब तबके पर हमला करने वाली ताकतों का जो मनोबल बढ़ा हुआ है उसकी बड़ी वजह कारपोरेट पूंजी के बदौलत माफियाओं की संरक्षणदाता मुलायम-मायावती मार्का राजनीति को भी जाता है. 

मायावती की राजनीति ने तो दलितों का सबसे बड़ा अहित किया उन्हें डा0 अम्बेडकर के संघर्ष के रास्ते से हटाकर मात्र वोट बैकं में तब्दील कर दिया परिणामस्वरूप दलितों पर हमले के मामले में अन्य किसी दल की रूचि नहीं रह गयी है. लेकिन जनपद की आंदोलन की ताकतें आइपीएफ, सीपीएम, सीपीआई, अपना दल ने पीडि़तों के इस घरने का समर्थन करने का फैसला लिया. सीपीएम, सीपीआई और आइपीएफ के राज्य नेतृत्व ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. जनपद के सहित्यकारों ने प्रख्यात साहित्यकार अजय शेखर के नेतृत्व में घरने का समर्थन किया एवं अधिवक्ताओं के विभिन्न संगठनों ने भी इस परिवार का समर्थन किया है. 

इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने कहा कि यह हालत मात्र चुर्क की नहीं है. अनपरा थाना क्षेत्र के कहुआनाला में न्यायालय के आदेश के बाबजूद कोल आदिवासियों और अल्पसंख्यकों का घर रात के अंधेरे में पुलिस के सहयोग से दबंगों द्वारा कब्जा कर लिया गया. राबर्ट्सगंज के पकरी में कोलों और अल्पसंख्यकों को मारा पीटा गया और उनका घर गिरा दिया गया. चतरा के ऊंची में दलितों को मारा पीटा गया, बुड़हर में दलितों की झोपडि़या तोड़ दी गयीं, सिलहटा और राजपुर में वनाधिकार कानून के बाद भी वन विभाग ने दर्जनों आदिवासियों पर मुकदमें कायम कर उन्हें जेल भेज दिया. 

अनपरा में ठेका मजदूरों के लोकप्रिय नेता और आइपीएफ के जिला प्रवक्ता सुरेन्द्र पाल, युवा अधिवक्ता शुद्धिनारायण पाण्डेय को 107/16 पाबंद कर दिया गया और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नागरिक आंदोलन के लोगों को फर्जी मुकदमें में जेल भेज दिया जा रहा है. सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली में दलित- आदिवासी समाज के लोग व्यवस्था से अलगाव और विक्षोभ की वजह से ही माओवाद के प्रभाव में चले गए थे जो उस क्षेत्र में लगातार चले लोकतांत्रिक आंदोलन की वजह से प्रभावित होकर राजनीति की मुख्यधारा में लौट आएं और इस क्षेत्र में माओवाद का प्रभाव समाप्तप्राय है. 

आज जनपद में कानून के लोकतांत्रिक शासन को खत्म कर दिया गया है और प्रशासन द्वारा लोकतांत्रिक आंदोलन की अवहेलना की जा रही है. दलितों और आदिवासियों के उत्पीड़न के मामलों में प्रशासन द्वारा जारी संवेदनहीनता लोकतांत्रिक आन्दोलन के बदौलत हासिल इस क्षेत्र की शांति को भंग करने का काम करेगी. इस नाते सोनभद्र में जारी आंदोलन गुण्ड़ा राज का मुकाबला करने और कानून के लोकतंत्रिक शासन की स्थापना के लिए है. यदि सरकार और प्रशासन ने पीडि़त परिवारों को न्याय नहीं दिया तो इसका खामियाजा सपा को भुगतना होगा.

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