BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, April 30, 2013

भारत में चालीस करोड़ मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं . यानी ईंट भट्टे पर , चाय की दूकान पर , शापिंग माल में , या बाबु साहब लोगों के बंगले के बाहर गार्ड बन कर खड़े हैं .

भारत में चालीस करोड़ मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं . यानी ईंट भट्टे पर , चाय की दूकान पर , शापिंग माल में , या बाबु साहब लोगों के बंगले के बाहर गार्ड बन कर खड़े हैं .

भारत में चालीस करोड़ मजदूर असंगठित क्षेत्र में...
Himanshu Kumar 9:59am Apr 30
भारत में चालीस करोड़ मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं . यानी ईंट भट्टे पर , चाय की दूकान पर , शापिंग माल में , या बाबु साहब लोगों के बंगले के बाहर गार्ड बन कर खड़े हैं .

इनकी हालत बहुत बुरी है . ना हफ्ते की छुट्टी का नियम , ना बीमारी में कोई रियायत , ना प्रसूति अवकाश 
हजारों मामलों में इनकी मजदूरी नियमानुसार हर सप्ताह ना मिलने के कारण इन्हें बंधुआ बन कर काम करना पड़ता है .

हज़ारों मामलों में काम करने वाली मजदूर औरतों का शरीरिक शोषण किया जा रहा है .

इनकी कोई सुनने वाला नहीं है .

हांलाकि इनके रक्षण के लिये कानून बनाये गये हैं लेकिन आज़ाद भरत में आज तक किसी अधिकारी को मजदूरों के अधिकारों की रक्षा में कोताही के लिये कोई सज़ा नहीं हुई है .

गरीब के खिलाफ अपराध को हम अपराध ही नहीं मानते .

श्रम कार्यालय के अधिकारियों और निरीक्षकों का काम है कि वो घूम घूम कर देखें कि हर मजदूर को न्यूनतम मजदूरी , छुट्टी अन्य सुविधाएँ दी जा रही हैं या नहीं .

इस देश में लाखों मेहनत कश लोग जानवरों की तरह जीने के लिये मजबूर हैं .

अदालतों ने स्वीकार कर लिया है कि मजदूर का मामला तो उसे पैसे देने वाले और मजदूर के बीच का है इसमें अदालत को आने की कोई ज़रूरत नहीं है .

मजदूरों से बारह घंटे सातों दिन काम कराया जा रहा है . 

आज सबसे ज़्यादा मुसीबत में दो ही लोग हैं . एक वो जो प्रकृति की गोद में रह रहे थे और दूसरे वे जो मेहनत कर के जीते हैं .

मज़े में और ताकतवर वो हैं जो दूसरों की मेहनत और दूसरों की प्राकृतिक सम्पदा पर कब्ज़ा कर रहे हैं और उन्हें ताकत के दम पर लूट रहे हैं .

ज्यादतर मामलों में लूटने की यह ताकत सरकार और पुलिस दे रही है .

ये आजदी का सपना नहीं था जनाब .

आजादी का सपना था कि गरीब का किसान का मजदूर का ज़्यादा ख्याल रखा जायेगा .

अपने वादा तोड़ दिया .

अब आप भगत सिंह या गांधी का नाम लेने के हकदार नहीं रहे .

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