BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Monday, April 29, 2013

माकपाशासित त्रिपुरा में भी चिटफंड का निरंकुश साम्राज्य! कामरेड, इस पर भी बोले!

माकपाशासित त्रिपुरा में भी चिटफंड का निरंकुश साम्राज्य! कामरेड, इस पर भी बोले!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


नई दिल्ली में बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्र पर हमला और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बदसलूकी कीदुर्घटना के बाद बैकफुट पर चली गयी माकपा छात्र नेता सुदीप्त की पुलिस हिरासत में मृत्यु के खलाफ आंदोलन लंबा नहीं खींच पायी।​सत्तादल के हमलावर अभियान में माकपाइयों के लिए जानमाल बचाना मुश्किल हो गया था।बंगाल में शारदा समूह के गोरखधंधे के खुलासे के बाद ​​और इस प्रकरण में तडणमूल के नेताओं, मंत्रियों, सांसदों से लेकर परिवर्तनपंथी बुद्धजीवियों की लप्तता के सबूत सामने आते ही माकपा कैडरों में जान आ गयी है और वे नये सिरे से सड़कों पर उतरने लगे हैं।


जिलों में बड़ी बड़ी रैलियों का आयोजन करके तृणमूली भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागरण में लग गये हैं माकपा के शीर्ष नेता और पार्टी संगठन।बंगाल में चिटफंड साम्राज्यविस्तार में उनकी भूमिका केवारे में आरोपों का जवाब दिये बिना वे मौजूदा सरकार को घेरने में लगे हैं।


इसी बीच खुलासा हुआ कि देश में सबसे कम संपत्ति और आय वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मामिक सरकार भी चिटफंड समारोह में देखे जाते रहे हैं। दोहरा मानदंड नहीं होना चाहिए। यही वैज्ञानिक पद्धति है।अगर ममता बनर्जी ऐसे समारोह में शामिल होकर दोषी हैं तो माणिक सरकार क्यों नहीं?


अब खबर है कि त्रिपुरा में भी चिटफंड का कारोबार बेरोकटोक जारी है। जाहिर है कि राजनीतिक संरक्षण के बिना ऐसा हो ही नहीं सकता। बंगाल में यह साबित भी हो चुका है। त्रिपुरा में सत्ता दल के कई मंत्री और नेता पहले बी विवादों में रहे हैं। पर उनका चेहरा अभी बेनकाब नहीं हुआ है। माकपा​​ के लिए लगतार जीत का रहस्य यही है। पर इस पर कामरेडगण प्रकाश डालें कि वहां राजधानी आगरतला और त्रिपुरा नरेश की पूर्व राजधानी उदयपुर में नेक्सास, खामा इंडिया, वारिश जैसी चिटपंड कंपनियो को अपना अपना साम्राज्य कायम करने की सहूलियत कैसे मिल गयी और मेहनतकश जनता की पक्षधर सरकार आम जनता की पूंजी पर दिनदहाडे़ डाका डालने की इस प्रक्रिया को रोकने में नाकाम क्यों रही?


बंगाल में तो फिर भी शारदा समूह के मालिक सुदीप्त कीगिरफ्तारी हो गयी, त्रिपुरा सरकार ने क्या कार्रवाई की है?


अब हालत यह है कि आगरतला और उदयपुर समेत राज्यभर में चिटफंडकंपनियों में निवेश करने वालों के पास सिर धुनने के सिवाय कोई चारा​ ​ नहीं है।मीडिया में बंगाल की खबरे चौबीसों घंटे प्रसारित होते रहने और चिटफंड के खिलाफ केंद्रीय एजंसियों के सक्रिय होने के साथ ही त्रिपुरा की चिटफंजड कंपनिया कारोबार समेटकर भूमिगत हो जाने का विकल्प चुन लिया है। अब कामरेड माणकि सरकार निवेशक आम लोगों के हित में क्या करेंगे?


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