BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, November 29, 2015

किसी इंसान को कुत्ता कहकर इंसानियत की तौहीन न करें प्लीज! पलाश विश्वास


किसी इंसान को कुत्ता कहकर इंसानियत की तौहीन न करें प्लीज!

पलाश विश्वास
आज सवेरे उठते ही सविता बाबू ने बांग्ला दैनिक एई समय का पन्ना खोलकर दिखाते हुए कहा कि कुत्ते भी इंसान हैं लेकिन इंसान कुत्ता भी नहीं है।मां बाप ने अपने जिस जिगर के टुकड़े ,नन्हीं सी जान को ट्रेन में लावारिस छोड़ दिया और वह ट्रेन कारशेड में चली गयी।रातभर इंसानियत की शर्म जैसे इस कृत्य का प्रायश्चित्त करता रहा एक कुत्ता।कोलकाता के नजदीक डायबंड हारबार का यह वाकया है।

डायमंड हारबार एक पर्यटक स्थल भी है और गंगासागर की तीर्थयात्रा जिस लाट थ्री से शुरु होती है,वह डायमंड हारबर के पास ही है।थोड़ा आगे निकलिये तो काकद्वीप होकर नामखाना और फिर वकखालि का समुद्रतट है।यह मैनग्रोव फारेस्ट बद्वीप का इलाका है।जहां फ्रेजरगंज और वक खाली में समुंदर की खाड़ी के उसपार सुंदरवन का कोरइलाका है।यही नहीं,काकद्वीेप के पास कालनागिनी नदी किनारे नया पर्यटन स्थल न्यू वकखालि भी है।

पर्यटकों का हुजूम रोज उमड़ता है और कोई निगरानी होती नहीं है उनकी।स्थानीय लोगों के लिए वे अतिथि देवोभवः.. हमारे उत्तराखंंड में भी पर्यटकों के लिए कुछभी करने की पूरी मनमानी की छूट है।पर्यटन की आड़ में मनुष्यता का विसर्जन यह हो गया।

कल तड़के जब वह ट्रेन सुबह की पहली गाड़ी बनकर कारशेड पर चली आयी तो कोलकाता में मछलियां और सब्जियां ले जाने वाले,कामवाली मौसियों का हुजूम और नौकरीपेशा नित्ययात्री के साथ कोलकातामें पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्र छात्राओं का काफिला ट्रेन में किसीतरह जगह बनाने के रोजनामचे में दाकिल हो गये।
बच्चा मां बाप से बिछुड़कर आईलान की लाश की तरह रो रोकर थक हारकर ट्रेन की सीट पर सो गया।शुक्र है कि आठ नौ महीने के बेहद प्यारे उस बच्चे की जिस्म पर तब भी गर्म कपड़े थे।उसके बगल में दूध का बोतल और दवाइयां भी सही सलामत।

मां बाप को बच्चे को छोड़ना ही थी,तो वह मरे नहीं,इसकी परवाह क्यों करनी थी।कोलकाता और खाातौर पर शाम होते हीइन दिनों सर्दी होने लगी है।वीराने में खड़ी ट्रेन के अंदर कितनी ठंड होगी सोचिये।
पहरेदार कुत्ते को बच्चे की सुरक्षा का इतनाख्याल कि उसने किसी को ट्रेन के उस आखिरी डब्बे में तब तक दाखिल होने नहीं दिया,जबतक न कि जीआरपी के कुछजवानों ने बिस्कुटवगैरह से ललचाकर उसे बच्चे से अलहादा नहीं कर दिया।
मां बाप लापता है और जरुरी नहीं कि उनने ही बच्चे को छोड़ा हो यह किसी हैवान की कारस्तानी भी हो सकती है।

बच्चा बीमार हो गया है और उसकी एक आंख में तकलीफ है।उसे अस्पताल और चाइल्ड केयर के हवाले किया गया है।

मुझे तो मं बाप की चिंता हो रही है क्योंकि अपराध का बोलबाला ऐसा है कि वे सही सलामत हो,ऐसा भी जरुरी नहीं है।

इंसानियत का तकाजा है कि हम उम्मीदबी करें कि यह अपकर्म किसी मां बाप का हरगिज नहीं हो सकता।

जिनने भी इस मासूम बच्चे की यह गत कर दी,वह मनुष्यता का दुश्मन जरुर है औरमनुष्यता को उस कुत्ते का आभारमानना चाहिए।

किसी इंसान को कुत्ता कहकर इंसानियत की तौहीन न करें प्लीज!

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