BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, September 2, 2014

सौ दिन की सरकार के कामों का आकलन, दो मिनट में मैगी नूडल्‍स पका कर खाने या दागी जनप्रतिनिधियों के लिए फास्‍ट ट्रैक अदालत गठित करने जैसा ही एक शिगूफ़ा है।


Abhishek Srivastava


सौ दिन की सरकार के कामों का आकलन, दो मिनट में मैगी नूडल्‍स पका कर खाने या दागी जनप्रतिनिधियों के लिए फास्‍ट ट्रैक अदालत गठित करने जैसा ही एक शिगूफ़ा है। जिस देश में आखिरी आदमी की 'किस्‍मत' का सरकारों के बदलने से कोई ताल्‍लुक न हो, जहां भुखमरी एक शाश्‍वत राजकीय हिंसा का रूप ले चुकी हो और जहां दीवानी के मामलों में औसतन 12 साल तक अदालतों के चक्‍कर काटना एक स्‍वीकृत रवायत बन चुका हो, वहां जल्‍दबाज़ी का कोई भी विमर्श अनिवार्यत: प्रभुवर्ग के हित में ही होगा।

महीने भर से छुट्टी पर अपने गांव गए हमारे मित्र Abhishek Ranjan Singh 1923 से चला आ रहा एक खानदानी मुकदमा निपटा रहे हैं। मैं मानहानि के एक मामले में कुछ लोगों के साथ चार साल से अदालत के चक्‍कर काट रहा हूं। सोचिए, ऐसे में दाग़ी नेताओं के लिए फास्‍ट ट्रैक कोर्ट गठित करना किसी भीड़ भरे सरकारी अस्‍पताल में एक विशिष्‍ट वातानुकूलित आइसीयू खुलवा देने जैसा नहीं है? गर्ज़ ये, कि भाई हमने तो अपना इंतज़ाम कर लिया, तुम इसी व्‍यवस्‍था में सड़ते-गलते रहो, अनंत तक इंतज़ार करते रहो।

अब तो यह मान लीजिए कि चुनाव से पहले हम लोगों को एक फर्जी लड़ाई में खींच लिया गया था। जबरन पार्टी बना दिया गया था। कम से कम अब हमें बिके हुए मीडिया के खड़े किए फर्जी विमर्शों में पार्टी नहीं बनना चाहिए, फ़तवा नहीं देना चाहिए कि 100 दिन में ये हुआ और वो नहीं हुआ, गुरु उत्‍सव सही है या टीचर्स डे सही है, इत्‍यादि। सत्‍ता को चलाने वालों का दीर्घकालिक एजेंडा समझिए और उससे निपटने के दीर्घकालिक उपाय खोजिए। आज 100 दिन पर बहस हो रही है, कल वो एक साल पर करेंगे। उनके पास संख्‍याओं के अलावा और है ही क्‍या?

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