BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, September 17, 2014

By Jagadishwar Chaturvedi वृन्दावन की विधवाएँ और पुंसवाद -

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By Jagadishwar Chaturvedi
वृन्दावन की विधवाएँ और पुंसवाद -

हेमामालिनी ने वृन्दावन की विधवाओं के बारे में स्त्री विरोधी बयान देकर विधवाओं को आहत किया है।ये विधवाएँ हमारे समाज का आईना हैं और ये हमारी स्त्री विरोधी राजनीति का महाकाव्य भी हैं। वृन्दावन की विधवाएँ अभी तक बस नहीं पायी हैं। सोनिया गांधी से लेकर हेमामालिनी , इन्दिरा गांधी से लेकर अटलबिहारी वाजपेयी, कांग्रेस से लेकर जनवादी महिला समिति तक का समूचा विधवा प्रलाप हमारी राजनीति में प्रच्छन्न और प्रत्यक्षतौर पर सक्रिय पितृसत्तात्मक विचारधारा के वर्चस्व की अभिव्यक्ति करता है। केन्द्र से लेकर राज्य तक कई सरकारें आई और गईं लेकिन विधवाओं की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ। न तो किसी सांसद -विधायक विकासनिधि का इनके पुनर्वास के लिए इस्तेमाल हुआ और न विधवाओं तक विधवा पेंशन या बेकारीभत्ता का धन पहुँचा । 
यह सोचने लायक बात है कि वृन्दावन में सैंकडों बेहद समृद्ध संत हैं लेकिन किसी ने दो मुट्ठी चावल से ज़्यादा की उनके लिए व्यवस्था नहीं की। आज़ादी के बाद लाखों लोगों को सरकार घर बनाकर दे चुकी है लेकिन इन विधवाओं के लिए घर बनाकर देने की किसी को चिन्ता नहीं है। यही हाल शैलानी पर्यटकों और नव-धनाढ्यवर्ग का है उसमें से भी कोई स्वयंसेवी सामने नहीं आया जो इन विधवाओं की हिफाज़त और ज़िन्दगी के बंदोबस्त के बारे में काम करता। कहने का अर्थ यह है कि विधवाएँ हमारे समाज में फ़ालतू और बेकार की चीज़ हैं। उनकी समाज हर स्तर पर उपेक्षा और अवहेलना करता रहा है,विधवाएँ बसायी जाएँ इसके लिए हमें स्त्री के प्रति अपना बुनियादी नज़रिया बदलने की ज़रुरत है। 
राजनेताओं और मीडिया के लिए विधवाएँ इवेंट और बयान हैं।ये लोग भूल जाते हैं कि वे हाड़ -माँस की साक्षात स्त्री हैं, उनके पास दिलदिमाग है। वे नैतिकदृष्टि से बेहतरीन मानकों को जी रही हैं। वे स्वाभिमानी हैं। वे भिखारी और अनाथ नहीं हैं। वे संवेदनशील स्त्री हैं यह बात किसी के मन में क्यों नहीं आती? क्यों महिला संगठनों ने पहल करके इन विधवाओं के पुनर्वास के बारे में अभी तक कोई ठोस स्कीम लागू नहीं की ?
विधवाएँ हमारे समाज की स्त्रीविरोधी तस्वीर का बर्बर पहलू है । इन औरतों की दुर्दशापूर्ण स्थिति को देखते हुए भी हम सब अनदेखी करते रहे हैं। विधवाओं को सहानुभूति की नहीं ठोस भौतिक मदद की ज़रुरत है। अधिकांश विधवाएँ बहुत ख़राब अवस्था में जीवन यापन कर रही हैं लेकिन केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक किसी का अभी तक ध्यान नहीं गया।इन विधवाओं की स्थिति यह है कि वे अपने दुखों को बोल नहीं सकतीं । अपने लिए हंगामा नहीं कर सकतीं।राजनीति नहीं कर सकतीं। वे जीवन से हार मानकर जिजीविषा के कारण किसी तरह जी रही हैं। उनको मदद करने वाले हाथ आगे क्यों नहीं आए यह प्रश्न अभी अनुत्तरित है। हम माँग करते हैं कि वृन्दावन की विधवाओं को तुरंत विधवापेंशन योजना के तहत पाँच हज़ार रुपया प्रतिमाह पेंशन दी जाय और मथुरा के सांसद और विधायक निधि फ़ण्ड और अन्य स्रोतों से मदद लेकर राज्य सरकार तुरंत उनके निवास के विधवा आश्रम बनाए। इन विधवाओं को मुफ़्त चिकित्सा ,बस और रेल से यात्रा के राष्ट्रीय पास उपलब्ध कराए जाएँ।

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