Wednesday, August 7, 2013
Uday Prakash मुझे समझ नहीं आ रहा है कि 'टाइम्स नाउ' में अरनब के दरबार में कांग्रेस, लेफ़्ट, सपा, बसपा और ज़िम्मेदार बौद्धिक क्यों जाते हैं? वहां सिर्फ़ और सिर्फ़ भाजपा और संघ के सदस्यों को हिस्सा लेना चाहिए. इससे लाभ क्या होता है? यह संवाद और बहस का कार्यक्रम नहीं, अरनब के मोनोलाग का प्रोग्राम है. उसे अब टीवी एंकर का काम छोड़ कर निर्मल बाबा की तरह 'प्रीचिंग' का एक तरफ़ा प्रोग्राम शुरू करना चाहिए.
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