BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, August 29, 2013

आर्थिक संकट के लिए घरेलू कारक जिम्मेदार : प्रधानमंत्री

आर्थिक संकट के लिए घरेलू कारक जिम्मेदार : प्रधानमंत्री

Thursday, 29 August 2013 12:37

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि रूपये के मूल्य में गिरावट और तेल के दामों में वृद्धि का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है और देश कठिन आर्थिक संकट से गुजर रहा है जिसके लिए कुछ घरेलू कारक भी जिम्मेदार हैं।


सिंह ने राज्यसभा में कहा ''इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश कठिन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।''
यह बात सिंह ने रूपये के अवमूल्यन पर सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली द्वारा प्रतिक्रिया पूछे जाने पर कही।
उन्होंने कहा ''आर्थिक संकट के लिए कई कारण हैं। मैं इस बात से इंकार नहीं करूंगा कि कुछ घरेलू कारक भी जिम्मेदार हैं।''
रूपये और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालने वाले कुछ बाहरी कारण बताते हुए सिंह ने कहा कि अमेरिका का मौद्रिक रूख और सीरिया में तनाव के कारण उत्पन्न हालात तथा तेल के दामों पर इसके प्रभाव से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। 
उन्होंने कहा ''इन अनिश्चितिताओं को समझना होगा।''
सिंह ने कहा कि वह कल सदन में इस बारे में एक बयान देंगे और इसके लिए उन्हें कुछ समय की जरूरत है।  इससे पहले जब सदन की बैठक शुरू हुई तो जेटली ने रूपये के अवमूल्यन का मुद्दा उठाया। इस साल अमेरिकी डॉलर की तुलना में रूपया 20 फीसदी गिर चुका है।
जेटली ने कहा कि देश में दहशत है और लोग जानना चाहते हैं कि आखिर रूपये का अवमूल्यन कब रूकेगा।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ता जा रहा है। न केवल खाद्यान्न की कीमत बढ़ रही है बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में वृद्धि के रूप में मु्द्रास्फीति का आयात भी हो रहा है।

विपक्ष के नेता ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं बचा है और सेवा क्षेत्र के विस्तार में 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जो पहले 10 फीसदी थी। उन्होंने सवाल किया ''इस तरह के हालात में सरकार आखिर क्या करने जा रही है।''
जेटली ने कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम की 10 सूत्रीय योजना एक आर्थिक परिकल्पना है क्योंकि हर कोई जानता है कि राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे  (सीएडी) को कम करना होगा और निर्यात को बढ़ाना होगा।
उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आ रही है और मु्द्रास्फीति बढ़ रही है उससे देश 'मु्द्रास्फीति जनित मंदी' (स्टैगफ्लेशन) की ओर बढ़ रहा है। 
जेटली ने कहा कि वर्तमान हालात इसलिए उत्पन्न हुए हैं क्योंकि आर्थिक मुद्दे पर सही सोच विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल और खाद्य तेल का आयात तो जरूरी है लेकिन देश में कोयले की उपलब्धता मांग से अधिक होने के बावजूद, इसके कुप्रबंधन के कारण कोयला आयात पर 20 अरब डालर की राशि खर्च करनी पड़ती है।
भाजपा नेता ने कहा ''यह चिंताजनक स्थिति है। हम प्रधानमंत्री से यह जानना चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने क्या सोचा है। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वह सदन को और देश को विश्वास में लें।''
माकपा के सीताराम येचुरी ने जानना चाहा कि मनमोहन सिंह की अगुवाई में सुधारों के 22 साल के बाद देश एक बार फिर चौराहे पर क्यों है?

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