BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, August 28, 2013

मजीठिया वेतनमान क्यों जरूरी?

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Details Category: [LINK=/vividh.html]विविध[/LINK] Created on Wednesday, 28 August 2013 14:07 Written by महेश्वरी प्रसाद मिश्र                                                                     यदि समाज में संचार का स्वच्छ वातावरण बनाना है तो उसके लिए पत्रकारों को निष्पक्ष होना जरूरी है और पत्रकार तभी निष्पक्ष पत्रकारिता कर सकते हैं जब उन्हें अपेक्षा के अनुरूप वेतन मिले, जाब सिक्योरटी मिले। नहीं तो वे आय का अन्य रास्ता खोजेंगे जो भ्रष्टाचार के द्वार से होकर जाता है।  यूं तो श्रम विभाग खुद को मजदूरों का हितैषी बताता है लेकिन पत्रकारों के साथ किस तरह का शोषण हो रहा है, कोई नहीं देखता। कहने को तो केन्द्र सरकार ने मजीठिया वेतन बोर्ड लागू कर वाह -वाही लूट ली लेकिन मालिक किस तरह पत्रकारों व सरकार को लूट रहे है इसे कोई नहीं देखता।     [B]क्या होता है पत्रकारों के साथ[/B] बेरोजगार युवाओं को विभिन्न मीडिया संस्थान अपने हित के लिए उपयोग करता है और वहीं खबर बनाने देता है जिससे उन्हें व्यवसायिक लाभ होता है। पत्रकार की नौकरी हमेशा तलवार की नोंक पर होती है इसकी गारंटी नहीं होती है कल नौकरी करने आएंगा या नहीं।  ज्वानिंग के समय पत्रकारों को नियुक्ति पत्र भी नहीं दिया जाता जिससे कोई यह सिद्ध नहीं कर सकता कि उक्त व्यक्ति अमुक संस्थान में पत्रकार था। यहां तक कि संस्थान पत्रकारों को अपना परिचय पत्र भी नहीं देती। वेतन की बात आती है तो क्षेत्र में बेरोजगारों की उपलब्धता के अनुसार वेतन की बोली लगाई जाती है उसमें छुट्टी लेने पर आनाकानी, साप्ताहिक अवकाश नहीं दिया जाता।  लेकिन सरकार ने उक्त सब के लिए कानून बनाया हुआ है जैसे किसी पत्रकार को नौकरी से निकालने से पहले 6 माह पहले सूचना देनी होती है। भोजन समय जोड़कर 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता। हफ्ते में निर्धारित घंटे ही काम करा सकते है आदि लेकिन पालन कहां होता। [B]क्या करती है कंपनियां[/B] कंपनियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। वे श्रम विभाग के पूछने पर कह देती हैं कि यहां कोई काम नहीं करता। नोटिस नहीं लेते, लेते भी हैं तो कह देते हैं कि ठेके के कर्मचारी हैं, प्लेसमेन्ट एजेंसी के कर्मचारी काम कर रहे हैं। सरकार के लचर रवैये का फायदा उद्योगपति उठा रहे हैं। [B]क्या करें [/B] सरकार को मजीठिया वेतन बोर्ड को लेकर सख्ती बरतनी चाहिए। ठेका व प्लेसमेंट के नाम पर हो रही लूट बंद करनी चाहिए। उन्हीं पत्रकारों को रिपोटिंग का अधिकार देना चहिए, जिनका लाइसेंस है। आकस्मिक रूप से छापामार कर ये पता लगाना चहिए कि उक्त संस्थान में कितने लोग कार्य कर रहे हैं। नियुक्ति से पहले मीडिया संस्थान को कर्मचारी रखने की अनुमति श्रम विभाग से मिले। [B]महेश्वरी प्रसाद मिश्र[/B] पत्रकार

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