Wednesday, August 7, 2013
Dilip C Mandal चरम आशावादी होना क्या होता है जानते हैं? यह 82 साल की अवस्था में ऐसे पेड़ लगाना है जिसके फल देखने की अपने जीवन-काल में उम्मीद न हो. मेरे पिताजी रासबिहारी मंडल यानी मास्टर साहब ने जीवन के आखिरी हफ्ते तक यह किया. आदिम जाति सेवा मंडल के स्कूल से उन्होंने शिक्षक के रूप में काम शुरू किया और लगभग आधी सदी तक पढ़ाते रहे. स्त्री शिक्षा, स्त्री अधिकारों और अंतर्जातीय विवाहों के कट्टर समर्थक. दहेज विरोधी मुहिम के अग्रणी रहे. जिस शादी में दहेज लिया-दिया गया हो, वहां उन्हें नहीं जाते मैंने देखा है. विस्थापितों के अधिकारों के समर्थक रहे...चाहता हूं कि प्रगतिशीलता, मॉडर्निटी और घनघोर आशावादिता के उनके कुछ गुण मुझमें भी आ पाएं.
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