BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, August 7, 2013

आनंद स्वरूप वर्मा और मंगलेश डबराल ने वीरेन डंगवाल के साथ के चालीस साल से भी ज्यादा पुराने दौर को याद किया, तो पत्रकार पंकज श्रीवास्तव और भाषा सिंह ने उनकी कुछ व्यक्तिगत बातें शेयर कर लोगों को भावुक कर दिया. वीरेन डंगवाल ने खुद इस मौके पर अपनी कुछ कविताये

आनंद स्वरूप वर्मा और मंगलेश डबराल ने वीरेन डंगवाल के साथ के चालीस साल से भी ज्यादा पुराने दौर को याद किया, तो पत्रकार पंकज श्रीवास्तव और भाषा सिंह ने उनकी कुछ व्यक्तिगत बातें शेयर कर लोगों को भावुक कर दिया. वीरेन डंगवाल ने खुद इस मौके पर अपनी कुछ कवितायें सुनायीं...


viren-dangwal-and-kedarnath-singh

दीपक भारती

http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-26/78-literature/4231-ek-shaam-viren-dangwal-ke-sath-by-deepak-bharti-for-janjwar


ये पंक्तियां हैं सुप्रसिद्ध साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार वीरेन डंगवाल यानी वीरेनदा की एक कविता की. उनके प्रशंसक और चाहने वाले उन्हें वीरेन दा के नाम से ही जानते हैं.

मौका था 5 अगस्त को वीरेन डंगवाल के 66वें जन्मदिवस पर दिल्ली स्थित हिंदी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम का. भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह की किताब 'जानेमन जेल' के लोकार्पण का और इसी में आयोजित एक कविता पाठ का. सबसे बढकर यह कार्यक्रम इसलिए आयोजित किया गया था कि वीरेन दा जैसे बडे कवि को, जो उतना ही बडा आदमी भी है, सुनने का और उनके साथ कुछ आत्मीय पल बांटने का.

वीरेन दा को बडा असहज लग रहा था कि उनके जैसे आम आदमी का जन्मदिन देश की राजधानी में किसी समारोह के बतौर मनाया जा रहा है. हालांकि यह उनकी सहजता ही थी कि बीमार होने के बावजूद वह आयोजकों के बुलाने पर दिल्ली स्थित हिंदी भवन आए. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा भी कि 'पत्नी को उनके दिल्ली आने पर गंभीर ऐतराज था और उन्होंने (वीरेन दा की पत्नी ने) आयोजकों के बुलावे को सुनते ही ठुकरा दिया था.' लेकिन चिर युवा वीरेनदा तो युवाओं से ही शक्ति पाते हैं, वह भला आए बिना कैसे रह पाते. गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में एक कार्यक्रम में जाने के दौरान छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में वीरेनदा को हार्ट अटैक हुआ था. उसके बाद से वो बीमार चल रहे हैं.

इस मौके पर वीरेन डंगवाल कुछ पुराने दोस्तों आनंद स्वरूप वर्मा और कवि मंगलेश डबराल ने उनके साथ चालीस साल से भी ज्यादा पुराने दौर को याद किया, तो पत्रकार पंकज श्रीवास्तव और भाषा सिंह ने उनकी कुछ व्यक्तिगत बातें शेयर कर लोगों को भावुक कर दिया. वीरेन डंगवाल ने भी इस मौके पर अपनी कुछ कवितायें सुनायीं.

कार्यक्रम में बतौर वक्ता बोलते हुए आशुतोष कुमार ने कविता की ताकत बताई कि कैसे कविता अटल बिहारी वाजपेई जैसे दक्षिणपंथी सोच वाली पार्टी के नेता की मुलायम छवि को पेश करने का औजार बनाई जाती है. दूसरी तरफ अब किस तरह यह बताया जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी भी कविता लिखते हैं. उन्हें एक ऐसे सम्पूर्ण और कलाहृदयी व्यक्तित्व के तौर पर पेश किया जा रहा है, जो देश का प्रधानमंत्री बन सकता हो.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा और योगेंद्र आहूजा ने वीरेन डंगवाल के व्यक्तित्व को साझा कियाण् वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह ने वीरेन को बड़ा कवि बताते हुए वीरेन डंगवाल की एक कविता का पाठ कियाण् साथ ही यह भी बताया कि किस तरह वीरेन जिस जगह झुमका गिरा थाए उस शहर में बने रहे और वहां के जीवनए सड़कोंए लोगों को खूब दिल से लगाकर जीते रहेण्

मार्क्सवादी चिंतक और प्रोफेसर प्रणय कृष्ण ने वीरेन डंगवाल की कविताओं के सुरए लयए तालए छंदए तेवर का बखूबी विश्लेषण किया और वीरेन डंगवाल की कविताओं के सबसे अलग होने के बारे में बतायाण् वक्ताओं ने वीरेन डंगवाल की कविताओं जलेबीए समोसाए पपीता का बार.बार जिक्र कियाण् वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने भी वीरेन जी की कई कविताओं का पाठ कियाण्

इस आयोजन की खास बात इसकी सहजता थी. भडास4मीडिया के जिस यषवंत को हम फेसबुक पर इतना अराजक और मौजूदा सिस्टम का धुर विरोधी पाते हैं, वह शख्स बेहद शालीनता से और पर्दे के पीछे रहकर वीरेन डंगवाल के जन्मदिन को खास बनाने में लगा हुआ था. जैसा कि साहित्यिक आयोजनों में होता है, जिस लेखक या कवि की किताब का विमोचन या लोकार्पण होता है, वह कायदे के साथ तैयारी से अपनी किताब और लेखन प्रक्रिया पर लेक्चर लिखकर आता है, यहां वैसा कुछ भी नहीं था.

रवींद्र त्रिपाठी ने कार्यक्रम का संचालन किया. अनौपचारिक रूप से कार्यक्रम को शुरू करते हुए वीरेन डंगवाल और उनकी कविता पर, कविता की ताकत पर वक्ताओं ने बिना किसी औपचारिकता के बोलना शुरू कर दिया. कार्यक्रम कितना आडंबररहित और आत्मीय था, यह इसी से समझा जा सकता है कि मंच पर बैठे वीरेन डंगवाल समेत बाकी अतिथियों को फूलों का गुच्छा तब सौंपा गया, जब दो-तीन लोग बोल चुके थे.

सच तो यह है कि वीरेन डंगवाल जैसे जीवट कवि, पत्रकार और इंसान को बीमारी के सामने असहाय देखने का मन नहीं करता और उन्होंने महसूस भी करा दिया कि वे किसी भी बीमारी से डरने वाले नहीं हैं. वह शायद इस बात को शिददत से महसूस कर रहे थे कि उन्हें हंसते, ठठाते देखने वाले लोग बीमारी के कारण उनके दबे चेहरे को देखकर घबराए हुए हैं, इसलिए उन्होंने खुलकर कहा कि अभी दुनिया से जाने का मेरा कोई इरादा नहीं है, यानी उनके पास करने के लिए चीजें हैं, युवाओं को देने के लिए सपने हैं.

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने वीरेनदा के आत्मीय संबोधन 'चूतिया' को कई बार याद किया और उनसे आग्रह किया कि वह किसी बीमारी का नाटक छोडकर हमारे आगे चलें, युवाओं को रास्ता दिखाएं. आउटलुक की फीचर एडीटर भाषा सिंह ने वीरेन डंगवाल को वीरेन चा संबोधित करते हुए बताया कि कैसे वीरेन चा की दो कविताएं सुनाकर उन्हें स्कूल में एडमिशन मिला और अब उनकी बेटी ने भी वे कविताएं याद कर ली हैं. उन्होंने कहा कि वीरेन चा एक कवि के साथ जीवंत और आत्मीय इंसान हैं. वह संबंधों को संजोकर रखते हैं और छोटी-छोटी बातों को स्नेह से याद करते हैं, जो उनके जीवन की ऐसी थाती है, जिससे बाकी कवियों को रश्क होना चाहिए

आयोजन में उनकी तमाम कविताओं का बीच-बीच में जिक्र्र किया गय. किसी ने उनकी 'तोप' कविता को याद किया तो किसी ने पीटी उषा पर लिखी गयी उनकी कविता को. किसी ने हम औरतें का, तो किसी ने एनजीओ का जिक्र किया तो खुद वीरेन डंगवाल ने इतने भले नहीं बन जाना, पढकर सुनाई.

वक्ताओं ने कहा कि कम लोग जानते होंगे कि वीरेन दा ने समोसे और जलेबी पर भी कविता लिखी है. जिन्हें कविता जटिल और दूर की चीज लगती हो, उन्हें कविताकोष पर रचनाकारों की सूची में वीरेन दा की कविताओं के नाम देखने चाहिए, हमारे आसपास की चीजें वहां कविताओं में मौजूद हैं.

वाकई किसी कवि के लिए इससे प्यारा अनुभव और क्या हो सकता है कि उसकी लिखी लाइनें लोगों के जेहन में बस जाएं और लोगों के लिए इससे बडा चमत्कार क्या हो सकता है कि वे इतना सरल लिखने और वैसा ही जीवन जीने वाले कवि को अपने बीच आम इंसान की तरह बैठा पायें. 

deepak-bharatiदीपक भारती एनजीओ में काम करते हैं.

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