नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने नीरा राडिया के औद्योगिक घरानों के प्रमुखों, नेताओं और दूसरे व्यक्तियों की टैप की गयी बातचीत से मिली जानकारी के आधार पर पांच साल तक कोई कार्रवाई नहीं करने पर आज आय कर विभाग और केन्द्रीय जांच ब्यूरो को आड़े हाथ लिया। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा की खंडपीठ ने कहा, ''यह अच्छी स्थिति नहीं है।'' न्यायाधीशों ने कहा कि यह बातचीत पांच साल पहले टैप की गयी थी लेकिन इस दौरान सरकारी अधिकारी चुप्पी साधे रहे । न्यायाधीश जानना चाहते थे कि क्या वे कार्रवाई के लिये अदालत के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं। न्यायाधीशों ने कहा, ''टेलीफोन टैपिंग पांच साल पहले की गयी थी, अब तक आपने :सरकारी प्राधिकारियों: क्या किया? क्या वे अदालत के आदेश का इंजतार कर रहे हैं। यह अच्छी स्थिति तो नहीं है कि सिर्फ अदालत के आदेश पर ही कार्रवाई होगी।'' न्यायालय ने आय कर विभाग को राडिया के टेलीफोन टैप करने के लिये अधिकृत किये जाने से संबंधित सारा रिकार्ड पेश करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने आय कर विभाग को यह भी स्प्ष्ट करने का निर्देश दिया कि टैपिंग की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों को सौंपी गयी थी क्या उन्होंने रिकार्डिंग के विवरण के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया और इस बातचीत में जिन आपराधिक मामलों का जिक्र हुआ है, क्या उनके बारे में सीबीआई को सूचित किया गया था। न्यायालय ने आय कर विभाग को इस आदेश पर छह अगस्त तक अमल करने का निर्देश दिया। इस मामले में अब छह अगस्त को आगे सुनवाई होगी। |
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