Wednesday, 31 July 2013 09:34 |
प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। करीब 58 साल से चल रहे आंदोलन के बाद पृथक तेलंगाना राज्य बनाने का रास्ता साफ हो गया है। यूपीए और कांग्रेस ने मंगलवार को अलग-अलग बैठक में इस मुद्दे पर आमराय से अपनी मुहर लगा दी है।यूपीए समन्वय समिति में घटक दलों की राय जानने के बाद कांग्रेस ने अपनी कार्यसमिति की बैठक में एक प्रस्ताव पास कर आनन फानन में इस पर फैसला कर लिया। इस प्रस्ताव के मुताबिक पृथक तेलंगाना में इस आंध्र प्रदेश के दस जिले शामिल होंगे। हैदराबाद दस साल तक दोनों राज्य की साझा राजधानी रहेगी। इस बीच रायलसीमा क्षेत्र के किसी स्थान को विकसित कर उसे आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाई जाएगी। कांग्रेस के मुताबिक अगले छह महीने में तेलंगाना राज्य के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
यूपीए ने लगाई मुहर, आंध्र के दस जिले होंगे शामिल,
विधेयक के भावी बिंदुओं को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति में पास प्रस्ताव में बहुत कुछ कहा गया है। प्रस्ताव में केंद्र सरकार से यह अनुरोध किया गया है कि वह संविधान के आधार पर पृथक तेलंगाना राज्य बनाने के लिए कदम उठाए। साथ ही एक निश्चित समय सीमा के भीतर आंध्र, रायलसीमा के लोगों की बिजली, पानी और कानून व्यवस्था जैसी चीजों से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए एक प्रणाली विकसित करेगी। प्रस्ताव में केंद्र से यह भी अनुरोध किया गया है कि दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की साझा राजधानी बनी रहे। ऐसे कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाए, जिससे दोनों राज्य साझा राजधानी के जरिए ठीक तरह से काम कर सकें। आंध्र प्रदेश के बचे हुए हिस्से के लिए दस सालों के भीतर एक नई राजधानी बनाई जाए। पोलवरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए और इसे पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि मुहैया की जाए। आंध्र प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों और जिलों के विकास के लिए पर्याप्त राशि दी जाए। आंध्र प्रदेश में स्थिति शांतिपूर्ण: शिंदे जनसत्ता ब्यूरो नई दिल्ली, 30 जुलाई। तेलंगाना मुद्दे पर जल्द कोई फैसला किए जाने की संभावनाओं के बीच केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि आंध्र प्रदेश में स्थिति शांतिपूर्ण है। तेलंगाना मुद्दे पर चर्चा के लिए बुधवार को कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि आंध्र प्रदेश में कानून व्यवस्था बिल्कुल ठीक है। बैठक में तेलंगाना मुद्दे पर विचार विमर्श किया गया। इस मुद्दे पर कोई फैसला घोषित करने के बाद पैदा होने वाली किसी स्थिति से निबटने के लिए केंद्र ने आंध्र प्रदेश में अर्द्धसैनिक बलों के एक हजार अतिरिक्त जवान भेजे हैं। मौजूदा 1200 अर्द्धसैनिक जवानों के अलावा अतिरिक्त बलों को तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों में तैनात किए जाने की संभावना है क्योंकि अगर केंद्र सरकार पृथक तेलंगाना राज्य के गठन का फैसला करती है तो इन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन हो सकता है। केंद्रीय बलों के अलावा, कर्नाटक सैन्य पुलिस के 200 और तमिलनाडु सैन्य पुलिस के 100 जवानों को हैदराबाद और इसके आसपास के क्षेत्रों में तैनात किया गया है। गृह मंत्रालय के अधिकारी राज्य सरकार के अधिकारियों से संपर्क में हैं और उनसे तेलंगाना मुद्दे पर कोई फैसला आने पर राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए कहा है। पिछले सप्ताह, बाकी पेज 8 पर उङ्मल्ल३्र४ी ३ङ्म स्रँी ८ आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव पीके मोहंती और पुलिस महानिदेशक वी दिनेश रेड्डी को राजधानी बुलाया गया था जहां शिंदे और गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने उनसे करीब एक घंटे तक बंद कमरे में बैठक की थी और वहां की स्थिति की समीक्षा की थी। वहीं दूसरी ओर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाई गई है जिसमें पृथक तेलंगाना के मुद्दे पर चर्चा होगी। विशेष बैठक बुधवार की सुबह होगी लेकिन इसका एजंडा नहीं बताया गया है। कैबिनेट की नियमित बैठक गुरुवार को ही होगी। अभी औपचारिकता पूरी होने में लगेगा छह महीने का वक्त 'केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सिद्धांतत: इस संबंध में मंत्री समूह के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना है। 'आंध्र प्रदेश राज्य विधायिका को भी अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर प्रस्ताव पारित करना होगा । 'गृह मंत्रालय राज्य सरकार से मिले प्रस्ताव के आधार पर तेलंगाना के गठन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को नोट सौंपेगा। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 40 दिन का समय लगेगा । 'मंत्री समूह के सुझावों व सिफारिशों के आधार पर गृह मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए एक अन्य नोट तैयार करेगा। 'इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल से राज्य पुनर्गठन विधेयक पारित करने और राष्ट्रपति से इस विधेयक को राज्य विधायिका के लिए संदर्भित करने की सिफारिश करने का आग्रह किया जाएगा। 'इस बीच वित्त मंत्रालय एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा, जो पुनर्गठित राज्य के लिए वित्तीय प्रबंधन व व्यावहारिकता को लेकर सुचारू प्रक्रिया व उपाय सुझाएगा। 'दूसरी कैबिनेट बैठक के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से सिफारिश करेंगे कि संविधान के अनुच्छेद-3 के तहत मसौदा विधेयक को राज्य विधायिका के विचारार्थ भेजा जाए ताकि 30 दिन के भीतर उसका नजरिया आ सके। 'राज्य विधायिका की सिफारिशों को मसौदा विधेयक में शामिल किया जाएगा और इसकी समीक्षा कानून मंत्रालय करेगा। 'फिर राज्य पुनर्गठन विधेयक के मसौदे को लेकर तीसरा नोट तैयार होगा और इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा ताकि विधेयक को संसद में पेश किया जा सके। http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/49689--29- |
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