BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, June 6, 2013

सपा-बसपा के सामने बेबस हैं कांग्रेस और भाजपा

सपा-बसपा के सामने बेबस हैं कांग्रेस और भाजपा

बीपी गौतम

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लोकसभा चुनाव में अभी समय है, लेकिन राजनैतिक दल चुनाव की तैयारी में पूरी तरह जुटे नज़र आ रहे हैं। एक-एक नीति और योजना चुनाव को ध्यान में रख कर ही तैयार की जा रही है। हर दल जनता को लुभाने वाले फैसले लेते दिख रहे हैं, लेकिन बात उत्तर प्रदेश में हुये उपचुनाव की करें, तो कांग्रेस की नीति और योजनाओं के साथ भाजपा के नमो ग्लैमर को मतदाताओं ने पूरी तरह नकार दिया है।

उत्तर प्रदेश के हंडिया विधान सभा क्षेत्र में हुये उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के विजयी प्रत्याशी को 81, 655 मत मिले, वहीं दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी को 54, 838 मत मिले, लेकिन भारत निर्माण का नारा देने वाली कांग्रेस के प्रत्याशी को 2, 880 और नरेंद्र मोदी के कंधों पर सवार होकर पूर्ण बहुमत मिलने का सपना देखने वाली भाजपा के प्रत्याशी को 3, 809 मत मिले हैं। कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी को मिले मतों से साफ है कि लोकसभा चुनाव में भी सपा-बसपा के बीच ही घमासान होना है। पिछले दिनों हुये एक सर्वे में भी यूपी से बसपा को सब से अधिक सीट मिलने की संभावना जताई गई थी, जिससे सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के बाद भी राजनैतिक स्थिति में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होने वाला। लोकसभा के लिए देश में सब से अधिक सांसद उत्तर प्रदेश से चुने जाते हैं और मुख्य राष्ट्रीय दल कांग्रेस व भाजपा उत्तर प्रदेश में हाल-फिलहाल जनाधार विहीन हैं, साथ ही लोकसभा चुनाव तक ऐसा कोई चमत्कार भी नहीं होने वाला, जिससे यूपी के मतदाताओं का झुकाव उनकी ओर हो जाये। कुल मिला कर यूपी केमतदाताओं के योगदान के बिना यूपीए या एनडीए को बहुमत नहीं मिल सकता। कमोबेश यही स्थिति रहनी है, जो इस समय है। इसमें कोई कुछ कर भी नहीं सकता, क्योंकि उत्तर प्रदेश पूरी जातिवाद के मकड़जाल में जकड़ा हुआ है। जातिवाद के चलते ही यूपी के मतदाता सपा और बसपा के बीच बंट गए हैं।

हंडिया उपचुनाव में सपा प्रत्याशी को मिली जीत के संबंध में कांग्रेस या भाजपा की ओर से यह कहा जा सकता है कि महेश नारायण सिंह की मौत के चलते उनके बेटे को सहानुभूति मिल गई,लेकिन बसपा प्रत्याशी को मिले मत बसपा की मजबूती साबित करने के लिए काफी हैं। उत्तर प्रदेश की जनशक्ति सपा-बसपा के पास है, ऐसे में कांग्रेस इन दोनों दलों में से किसी के भी साथ गठबंधन कर मैदान में उतरे, तो यूपी के साथ केंद्र की राजनीति का परिदृश्य कुछ और ही होगा। कुछ राजनैतिक जानकार तर्क देते हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की सोच भिन्न होती है, इसलिए विधानसभा चुनाव के परिणामों से लोकसभा चुनाव की तुलना नहीं की जा सकती, ऐसे लोग यूपी के जातीय मकड़जाल को अच्छे से समझ नहीं पाये हैं, क्योंकि समाजवादीपार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के समर्थकों के पास कोई राजनैतिक सोच है नहीं। उनके नेता का निर्णय उनके लिए आदेश है, उस आदेश कोउनके समर्थक हर हाल में मानते रहे हैं और आने वाले चुनाव में भी मानेंगे। असलियत में माया-मुलायम के बीच राजनैतिक प्रतिद्वंदिता व्यक्तिगत रंजिश में बदल गई है, यही हाल समर्थकों का है,तभी शहर-शहर, गाँव-गाँव और बूथ-बूथ पर इन दोनों ही दलों के बीच जंग होती नज़र आती है। इसी सोच के चलते उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि सत्ता का हस्तांतरण हो रहा है औरसत्ता हस्तांतरण के चलते ही माया-मुलायम और मजबूत हो रहे हैं, क्योंकि सत्ता सपा के हाथ में हो, तो बसपाईयों की नींद उड़ी रहती है और सत्ता बसपा के हाथ में हो, तो पाई लगातार बेचैनरहते हैं। उत्तर प्रदेश में एक बार गैर सपा और गैर बसपा की सरकार बन गई, तो यह दोनों ही दलराजनैतिक दृष्टि से कमजोर हो जायेंगे और इन दोनों दलों के कमजोर होने पर ही कांग्रेस या भाजपा को पैर रखने को जगह मिलेगी, तब तक केंद्रीय राजनीति में अस्थिरता रहना स्वाभाविक ही है। लोकसभा चुनाव तक यूपी में कोई बदलाव नहीं होने वाला, इसलिए मान लेना चाहिए कि लोकसभा चुनाव से देश की आर्थिक और राजनैतिक स्थिति और भी जर्जर होगी।

बीपी गौतम

स्वतंत्र पत्रकार

8979019871 

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