BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Saturday, June 1, 2013

खनन परियोजनाओं पर ही औद्योगिक विकास में वृद्धि निर्भर , पर राजनीति और माओवाद के कारण हालत गंभीर!

खनन परियोजनाओं पर ही औद्योगिक विकास में वृद्धि निर्भर , पर राजनीति और माओवाद के कारण हालत गंभीर!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


खतरे की घंटी बजने लगी है। औद्योगिक विकास दर और कृषि विकास दर में गिरावट के साथ साथ विनिर्माण की हालत भी खस्ती हो गयी है।कृषि, विनिर्माण और खनन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च, 2013 की तिमाही में मात्र 4.8 प्रतिशत रही जो इससे पिछली तिमाही की तुलना में थोड़ा उपर है।खास तौर पर खनन क्षेत्र की हालत अत्यंत गंभीर है। पर्यावरण हरीझंडी न मिलने के कारण जहां परियोजनाएं शुररु ही नहीं हो पा रही है , वही कोयला ब्लाकों के आबंटन का विवाद अभी सुलझा नहीं है। वर्ष 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। यह एक दशक में वृद्धि का न्यूनतम स्तर है। इससे पिछले वित्त वर्ष आखिरी तिमाही जनवरी-मार्च,12 की आर्थिक वृद्धि 5.1 प्रतिशत और 2011-12 वाषिर्क वृद्धि 6.2 प्रतिशत थी।


हालत इतनी गंभीर है कि केंद्रीय ग्रामीम विकास मंत्री जयराम रमेश ने सारंडा में खनन पर दस साल तक प्रतिबंध लगा देने की मांग कर दी। वहीं आदिवासी मामलों के मंत्री किशोरदेव ने भी माओवाद के विस्तार के पीछे आदिवासियों के शोषण को जिम्मेदार बताया है।वित्त वर्ष 2013-14 के पहले माह यानी अप्रैल में आठ प्रमुख उद्योगों (कोर सेक्टर) के उत्पादन में 2.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले साल अप्रैल में कोर सेक्टर में 5.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इस साल अप्रैल में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस व खाद के उत्पादन में नकारात्मक वृद्धि की वजह से कोर सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर नहीं रह सका।

कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, खाद, स्टील, सीमेंट व बिजली शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल महीने में कोर सेक्टर में सबसे बढिय़ा प्रदर्शन सीमेंट का रहा।


माओवादी आंदोलन की चपेट हैं पूरा का पूरा खनन उद्योग तो देश का आदिवासी समाज भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलित है। देश के सारे आदिवासी इलाकों में विकास गतिविधियां ठप हो जाने सेविनिर्माण सेक्टर में भी प्रगति के आसार कम है। जबकि कृषि में विकास के लिए इतनी लंबी अवधि से उपेक्षा होती रही है कि फौरी कार्रवाई से कृषि को विकास की पटरी पर लाना असंभव है।


कुल मिलाकर दारोमदार खनन सेक्टर पर है। लेकिन माओवादी समस्या के साथ ही प्राकृतिक संपदा वाले राज्यों में गैर यूपीए सरकारों के असहयोग से खनन सेक्टर खस्ताहाल है। मसलन, कोल इंडिया की खाने सबसे ज्यादा झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में है, जहां जमीन की समस्या से लेकर माफिया राज और कानून व्यवस्था की स्थिति अत्यंत गंभीर है और राज्य सरकारें कोल इंडिया की कोई मदद नहीं कर पा रही हैं। झारखंड, उत्तराखंड और छतीसगढ़ में देश के अन्य राज्यों की तुलना में प्राकृतिक संसाधन बहुत अधिक हैं और तमाम प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां, पब्लिक सेक्टर की कंपनियां इन राज्यों में खनन से लेकर अलग-अलग कामों में लगे हुए हैं लेकिन उनके मुनाफा का शेयर वहां के स्थानीय लोगों को नहीं मिल पा रहा है। उन कंपनियों का जेब भर रहा है, मालिकान के जेब भर रहे हैं।


अकेले झरिया रानीगंज कोयलांचल में आग में जल रहे बेशकीमती कोकिंग कोयला को बचाने की योजना को क्रियान्वित कर दिया जाये, तो खनन सेक्टर के आंकड़े दुरुस्त हो सकते हैं और औद्योगिक विकास दर में भी इजाफा हो सकता है। पर राजनीतिक पहल के अभाव से राष्ट्रीयकरण से लेकर अब तक यह मामला लंबित है।


इसी बीच नए खनन विधेयक की समीक्षा के लिए एक नया विशेष समूह गठित किया गया है।उल्लेखनीय है कि संसदीय समिति ने अपनी सिफारिशों में प्रस्तावित विधेयक में खनन कंपनियों द्वारा अपने 26 प्रतिशत मुनाफे को परियोजना प्रभावित लोगों पर खर्च करने के प्रावधान को समाप्त करने की भी सिफारिश की है।


खनन मंत्रालय द्वारा गठित समूह इस बारे में स्थायी संसदीय समिति (कोयला एवं इस्पात) की सिफारिशों की समीक्षा करेगा। समिति ने अपनी रपट इसी महीने संसद में पेश की। मंत्रालय समिति से सुझाव मिलने के बाद विधेयक को कैबिनेट में भेजेगा।


खनन सचिव आर एच ख्वाजा ने राज्यों के खनन सचिवों को भेजे परिपत्र में कहा है कि स्थायी समिति की सिफारिशों के आलोक में विधेयक (खनन एवं खनिज विकास एवं नियमन विधेयक 2011) की समीक्षा होगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह फिर संसद में पेश होगा। ख्वाजा ने राज्यों पर अन्य भागीदारों से इस विधेयक पर अपने सुझाव टिप्पणियां 14 जून तक देने को कहा है। संसदीय समिति ने मुनाफा भागीदारी की जगह रायल्टी भुगतान आधारित प्रणाली की बात की है।


सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने ३१ मार्च को समाप्त तिमाही में ५,४१३.९ करोड़ रुपए का समेकित शुद्ध मुनाफा कमाया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के शुद्घ मुनाफ से ३५ प्रतिशत अधिक है। खर्चों में कमी की वजह से कंपनी के मुनाफे में बढ़ोतरी हुई।इस दौरान कंपनी का कुल खर्च घटकर १४,२२५ करोड़ रुपए रह गया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में १६,०२१ करोड़ रुपए था। कर्मचारियों के हितों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं पर कंपनी का खर्च भी घट कर ७,४६९ करोड़ रुपए रह गया, जो जनवरी-मार्च, २०१२ में ९,४६५ करोड़ रुपए रहा था।


पिछले वित्त वर्ष कंपनी की परिचालन आय बढ़कर ६८,३०२ करोड़ रुपए हो गई, जो वित्त वर्ष २०१२-१३ में ६२,४१५ करोड़ रुपए रही थी। ़वित्त वर्ष २०१२-१३ के दौरान कोल इंडिया ने ४५.२२ करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया था। इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंपनी ने ४३.५८ करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया था। कंपनी का उठाव भी बढ़कर ४६.५ करोड़ टन रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में ४३.३ करोड़ टन रहा था।


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