BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Thursday, May 16, 2013

आस्था और विश्वास को कट्टरता तक पहुँचने के पहले ही कुचल देना चाहिये

आस्था और विश्वास को कट्टरता तक पहुँचने के पहले ही कुचल देना चाहिये

रचना पाण्डेय

 

भारत के संविधान में राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष गणतन्त्र घोषित किया गया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि राज्य और राजनीति को सभी प्रकार के धार्मिक विश्वासों से दूर रहना चाहिये। व्यक्ति समाज की वास्तविक इकाई है परन्तु आज हम जिस राजनैतिक परिवेश में जी रहे हैं वहाँ आम आदमी और उसके सवालों से कोई भी पार्टी सरोकार नहीं रखती। आज व्यक्ति हाशिए पर है। दुर्भाग्यवश देश की राजनीति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धर्म को वोट बैंक की राजनीति के रूप में इस्तेमाल कर रही है। इससे देश में समाज के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच की खाई चौड़ी हो गयी है, जिसे पाटना लगभग नामुमकिन है और जो खतरनाक साबित हो रही है। सभी मुद्दों पर धार्मिक रंग चढ़ा कर देखा जाने लगा है। नेताओं ने धर्म को अपना हथियार बना रखा है। धर्म की आड़ में ही जातिवादी भेद-भाव, आरक्षण, आतंकवाद, नकसलवाद आदि के मसले उभरते हैं। इतिहास गवाह है कि अब तक देश में जितने भी दंगे-फसाद हुये हैं वे साम्प्रदायिक रहे हैं, चाहे सन् 1947 का भारत –पाक विभाजन की त्रासदी हो, चाहे सन् 1984 के सिख विरोधी दंगे हों, चाहे कश्मीर का मुद्दा हो, चाहे बाबरी मस्जिद विध्वंस हो या गुजरात का गोधरा काण्ड या नरोदा पाटिया काण्ड हो, मुम्बई बम धमाका हो, तसलीमा नसरीन या सलमान रश्दी का मामला हो या फिर हाल ही का सम्प्रदाय विशेष द्वारा राष्ट्र गीत के बहिष्कार का मामला हो, सभी के द्वारा देश का माहौल खराब किये जाने की मंशा ही रही है।

रचना पाण्डेय, लेखिका कोलकाता विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं।, Rachana Pandey

रचना पाण्डेय, लेखिका कोलकाता विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं।

धर्म वो नहीं जो घृणा कराता है और लड़ाता है। नैतिकता से हटकर की जाने वाली राजनीति अनिष्टकारी है। धर्म जब कट्टरता में तब्दील होता है तो वह हमेशा ही विनाश लाता है। आतंकवाद के विध्वंसकारी रूप के पीछे भी साम्प्रदायिक तत्व ही हैं। धर्म का वास्तविक अर्थ प्रेम, सद्भावना, समन्वय है जो व्यक्ति और राष्ट्र को एक सूत्र में बाँध कर रखता है। देश की राजनीति लोगों में अलगाव और घृणा का प्रचार कर रही है जिससे कि राजनीतिक दलों का उल्लू सीधा होता रहे। विकास और सुविधाओं से ध्यान हटाने के लिये राजनीतिक दल धर्म की राजनीति का सहारा लेते हैं, आम जनता को मूर्ख बनाते हैं। नेता जानते हैं कि भारतीय अपने धर्म को लेकर अत्यधिक भावुक होते हैं और यही वह मुद्दा है जिसके आधार पर फूट डालकर राज किया जा सकता है। आज के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश की राजनीति विशुद्ध जातिवादी दाँव-पेंच के भँवर में फँस चुकी है, पहले वोट के लिए दलितों को रिझाया गया और जब वे उनके चँगुल में फँस गये तब अब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ब्राम्ह्णो को रिझाने में लगे हैं। यहाँ तक कि दलितों के समर्थन में आगे आये दलित नेताओं ने आंबेडकर की नीतियों से हटाकर दलितों को केवल वोट बैंक में तब्दील कर दिया।

मुद्दा चाहे जो भी हो, देशहित को अनदेखी कर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिये। लोगों को धर्म के नाम पर अपनी दाल गलाने वालों के खिलाफ खुलकर सामने आना होगा। आम आदमी को अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। धर्म, सत्य, अहिंसा और नैतिकता का पाठ पढ़ाता है और इसे इसी रूप में इसे  अपनाना चाहिये। धर्म को सही अर्थ में न समझने की भूल करने वाले ही घृणा का बीज बोकर अधर्म की राजनीति करते हैं। आस्था और विश्वास को कट्टरता और कूटनीति तक पहुँचने के पहले ही कुचल देना चाहिये।

http://hastakshep.com/bol-ki-lab-azad-hain-tere/2013/05/16/faith-and-trust-must-be-crushed-before-reaching-fanatical#.UZTjOaKBlA0

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...