BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, May 7, 2013

नास्तिक ही थे दुनिया के सभी बेहतरीन इंसान

नास्तिक ही थे दुनिया के सभी बेहतरीन इंसान

पंजाबी पुस्तक 'नास्तिक वाणीलेखक साधु बेनिंग से एक मुलाक़ात 

शमशाद इलाही शम्स

पंजाबी पुस्तक 'नास्तिक वाणी' लेखक साधु बेनिंग के साथ शम्स

पंजाबी पुस्तक 'नास्तिक वाणी' लेखक साधु बेनिंग के साथ शम्स

टोरंटो। बीते दिनों तर्कशील सोसाईटी – टोरंटो के परचम तले प्रसिद्द पंजाबी साहित्यकार 'साधु बेनिंग से एक मुलाकात' कार्यक्रम का आयोजन मिसिसागा में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम साधु बेनिंग की हाल ही में प्रकाशित किताब "नास्तिक वाणी" को केन्द्र में रख कर आयोजित किया गया था। साधू बेनिंग कनाडा के कई पंजाबी रेडियो, टी. वी. कार्यक्रमों आदि में बहुत मुखरता के साथ बोलते रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि स्थानीय लोगों के इस भ्रम को तोड़ा जाये कि दक्षिणी एशिया से आने वाले लोग आमतौर पर बहुत धार्मिक होते हैं। उनकी आवाज़ और उनकी किताब 'नास्तिक वाणी' इस बात का प्रमाण है कि दक्षिणी एशिया से आने वाले लोग तर्कवादी, बुद्धिवादी और नास्तिक भी होते हैं।
कार्यक्रम में श्री बेनिंग ने अपनी साहित्यिक यात्रा पर विस्तार से चर्चा की और यह भी बताया कि कहानी, कविता, नाटक लिखने वाले लेखक को 'नास्तिक वाणी' (यह किताब भगत सिंह को समर्पित की गयी है) जैसे वैचारिक विषय पर लिखने की जरूरत क्यों पड़ी? चार्वाक, पेरियार जैसे भारतीय तर्क वादियों की परम्परा से प्रभावित बेनिंग पर समकालीन बुद्धिवादियों स्टीफन हॉकिन्स, क्रिस्टोफर हिचिंक्सन, सैम हैरिस, रिचर्ड डॉकिन्स, लॉरेन्स क्रॉस, एरिक माइसल्स जैसे लोगों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।

भारत में लगातार बढ़ रहे बाबा बाबी और विभिन्न धर्मो के अंधविश्वास ने उन्हें मजबूर किया कि यही सही वक्त है कि कोई तर्कसंगत आवाज़ भी इतिहास के इस दुर्भाग्यपूर्ण मुकाम पर अपने हस्ताक्षर दर्ज करे। जाति प्रथा के प्रबल विरोधी जाट सिख परिवार में पैदा हुये, वेन्कूवर निवासी साधु बेनिंग युनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलम्बिया से पंजाबी भाषा के सेवा निवृत प्राध्यापक भी हैं। उन्होंने कबूल किया कि मार्क्सवाद के अध्ययन ने उनके जीवन को तर्क संगत बनाने में एक बड़ी भूमिका अदा की। उन्होंने नास्तिकों के अराजकतापूर्ण व्यवहार की भी आलोचना करते हुये उनसे खुद को अलग किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्व पूँजीवाद की मौजूदा समस्याओं को मार्क्सवाद के जरिये ही समझा जा सकता है, सिर्फ नास्तिकता का प्रचार-प्रसार करके दुनिया नहीं बदली जा सकती।
प्रश्नोत्तर काल में एक प्रश्न के जवाब में बेनिंग ने कहा कि पिछले 400-500 साल के मानव इतिहास का अध्ययन करने से इस निष्कर्ष पर आसानी से पहुँचा जा सकता है कि दुनिया के सभी बेहतरीन इंसान नास्तिक ही थे।

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