BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, May 16, 2013

एक और चिटफंड से जुड़ा मंत्री मदन मित्र का नाम, जिससे जुड़ें हैं पत्रकार और साहित्यकार भी!

एक और चिटफंड से जुड़ा मंत्री मदन मित्र का नाम, जिससे जुड़ें हैं पत्रकार और साहित्यकार भी!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


बंगाल में शारदा फर्जीवाड़े की जांच ठप हो जाने के मध्य राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्र का नाम एक और चिटफंड कंपनी के साथ जुड़ गया है। पिछले दिनों कोलकाता में असम से भागकर भूमिगत केकेएन कंपनी के मालिक कौशिक कुमार नाथ को गिरफ्तकतार किया गया है असम में दर्ज एफआईआर और असम पुलिस की कार्रवाई के तहत। इन्हीं के साथ माननीय मदन मित्र के मधुर संबंध बताये जाते हैं। कौशिक बाबू के खिलाफ आम जनता के​​ अलावा चिटफंड कंपनी एमपीएस और दूसरी कंपनियों की ओर से भी मामले दर्ज कराये जाते रहे हैं। बंगाल में उनके खिलाफ तमाम शिकायतें हैं, पर राजनीतिक संरक्षण की वजह से वे बिना रोकटोक बंगाल और पूर्वोत्तर बारत में मजे से धोखाधड़ी का कारोबार चलाते रहे हैं। असम की एक कंपनी के साथ 15 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में पुलिस ने कौशिक बाबू को गिरफ्तार किया है।यादवपुर थाने की पुलिस ने उन्हें साउथ सिटी से गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक, 15 लाख रुपये धोखाधड़ी के आरोप में गुवाहाटी स्थित कामरूप की एक अदालत ने उसके नाम पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।


यादवपुर थाने के अधिकारियों को असम पुलिस ने इसकी एक प्रतिलिपि भेजी थी, जिसके बाद आरोपी को रविवार दोपहर गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक असम की कंपनी महावीर इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड का कौशिक निदेशक है।

कुछ दिन पहले इस कंपनी द्वारा एक अन्य कंपनी को 15 लाख रुपये का चेक जारी किया गया था। उस चेक के बाउंस होने पर इस कंपनी के खिलाफ अदालत में एनआइ (नेगोशियेबल इंस्ट्रमेंट्स) एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करायी थी। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कौशिक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। अदालत के आदेश की कॉपी मिलते ही यादवपुर थाने की पुलिस रविवार सुबह बाघाजतीन स्थित कौशिक के घर में छापेमारी की।


मालूम हो कि केकेएन  और कौशिक नाथ से पत्रकारों का संबंध भी कम मधुर नहीं है। लगातार छह वर्ष से कौशिक नाथ के केकेएन समूह से   'जर्नलिज्म अवार्ड्स ' दिये जाते रहे हैं और अनेक पत्रकार इसके लिए खूब लालायित भी रहे हैं।अंग्रेजी, बांग्ला, हिंदी और उर्दू आदि के लेखकों को पुरस्कृत किया जाता है। करीब 19 तरह के अवार्ड दिये जाते हैं। सम्मान पत्र के अलावा 25 हजार रुपये तक के पुरस्कार दिये जाते हैं। गौरतलब है कि 'जर्नलिज्म अवार्ड्स 2011' का आयोजन केकेएन समूह व कैंडीड कम्यूनिकेशन संयुक्त रूप से करते हैं। इस अवार्ड से कई जानीमानी हस्तियां जुड़ी हैं, जो इसके गौरव में इजाफा करती हैं।इन्हींहस्तियों में एकाध मंत्री भी होंगे ही, इसमें अचरज की कोई बात नहीं है। साहित्यकार और पत्रकारों को चिटफंड सेसम्मनित होने पर जब शर्म आती नहीं है तो राजनेताओं को दोषी ठहराना शायद जायज भी नहीं है।


अंदाजा लगाइये छह साल में कितने पत्रकार और साहित्यकार केकेएन पुरस्कार पाकर कृतार्थ हुए हैं और चिटफंड कंपनियों के खिलाफ अब उनकी कलम किस तरह आग उगल रही है! अकेले किसी मदन मित्र को घेरने से यह तंत्र तो टूटेगा नहीं!


राजनीति और मीडिया से संबंध बनाकर अपने जाली कारोबार के रक्षा कवच तैयार करने शारदा समूह से लेकर तमाम चिटफंड कंपनियों की दक्षता प्रश्नातीत है। राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसे टीवी चैनल और अखबारों के साथ चिटफंडिया पत्रकार भी खूब चल रहे हैं।कोलकाता , लखनऊ या गुवाहाटी कोई अपवाद नहीं है।


अब अखबारों में इन्हीं कौशिक नाथ के हाथों मिटाई खाते हुए एक तस्वीर छपी है, जो केकेएन संस्था  के दफ्तर में घुसते ही लोगों की नजर में आ जाती है।मदन मित्र के नाम विवादो की फेहरिस्त लगातार लंबीहोती जा रही है, पर वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास सिपाहसालार बने हुए हैं। इसीसे कौशिक नाथ के अबतक बचते​​ रहने का राज जुड़ा है, ऐसा निंदकों की राय है।


इस खुलासे से कोई फर्क पड़ने की उम्मीद नहीं है। क्योंकि मदन बाबू अपने खिलाफ जारी तमाम तस्वीरों, वक्तव्यों और वीडियो फुटेज को भी जालसाजी बताते रहे हैं और दीदी को उनपर पक्का यकीन हैं , जिन्हें अपने दल के नहीं, दूसरे तमाम लोगों की तस्वीरों और वक्तव्यों में ज्यादा दिलचस्पी है।


लोग तो तृणमूल नेत्री पियाली मुखर्जी को देवयानी की शक्ल देखते देखते भूल गये हैं, जिनकी रहस्यमय मौत होने से पहले तक वे मदन मित्र के संरक्षण में थीं और आरोप है कि अपने घनिष्ष्ठ मित्र सुदीप्त सेन के शारदा समूह में मदनबाबू की सिफारिश पर ही पियालीचालीस हजार की पगार पर कानूनी सलाहकार थीं।समझा जाता था कि कोलकाता के चर्चित पियाली मुखर्जी आत्महत्या मामले में पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा की मुश्किलें बढ़ सकती है। 28 वर्षीय पियाली मुखर्जी पेशे से वकील थी और कोलकाता के न्यू टाउन स्थित सिद्ध पाइन अपार्टमेंट के अपने फ्लैट में 26 मार्च को रहस्यमय हालात में मृत पाई गई थी।लेकिन दूसरों की मुश्किल आसान करने वाले लोग खुद कैसे मुश्किल में पड़ सकते हैं?


ताज़ा खुलासे के मुताबिक पियाली मुखर्जी और परिवहन मंत्री के बीच, अंतिम 10 दिनों में 75 बार बातचीत हुई थी जिसमें 41 बार पियाली मुखर्जी ने काल किया था जबकि मंत्री के 4 अलग-अलग नम्बरों से 34 बार काल किया गया है।


शारदा समूह की ओर से वकालत करती थी पियाली। पियाली को हर महीने चालीस हजार रुपये का वेतन देते थे सुदीप्त।लेकिन 40 हजार किराए के फ्लैट में रहती थी पियाली। उसके बाकी खर्चे कहां से चलते थे या जिस फाइव स्टार जीवन यापन की वह अभ्यस्त थीं, उसका ईंधन कहां से आता था,किसी को नहीं मालूम। वह इतनी बड़ी वकील नहीं थीं। सुदीप्त के मामले में मचे बवंडर ने इस राजनीतिक मामले पर परदा डाल दिया है जबकि पुलिस अभी यह बताने की हालत में नहीं है कि पियाली ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई।पियाली की रहस्यमय मौत से पहले उसके फ्लैट में उस पुलिस अफसर की मौजूदगी बतायी जाती है। यह भी आरोप है कि मंत्री के परिजनों से मौत से पहले पियाली की तीखी झड़प हुई थी उसी फ्लैट में.मंत्री, पुलिस और चिटफंड के त्रिशुल से एक अकेली महिला की कोलकाता में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गयी।जो सत्तादल की महिला नेता भी थीं। यह समीकरण अभूतपूर्व है।



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