BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, May 12, 2013

बंगाल में विदेशी मुद्रा का फैला जंजाल!

बंगाल में विदेशी मुद्रा का फैला जंजाल!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


केंद्रीय एजंसियां अब पूरे बंगाल में और देश के दूसरे हिस्सों में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सक्रिय हो गयी हैं। शारदा समूह के भंडाफोड़ के चलते ऐसा हुआ। लेकिन दूसरा बड़ा और राष्ट्रहित के विरुद्ध भयानक मामला विदेशी मुद्रा नियमन और नियंत्रण का है, जिसकी सिरे से अनदेखी हो रही है। चिटफंड कांड ने इस सिलसिले में भंडाफोड़ कर दिया।चूंकि चिटफंड कारोबार के सबसे बड़े लक्ष्य सीमावर्ती इलाके हैं और दूरदराज के गांव हैं, जिन्हें देस की वित्तीय गतिविधियों में शामिल होने का मौका नहीं हैं, तो इन कंपनियों के एजंट विदेशी मुद्रा  के कारोबार में भी शामिल हो जाते हैं। दार्जिलिंग जिले के नेपाल सीमा से सटे गांवों में शारदा समूह में नेपाली मुद्रा में निवेश करने का मामला खुल गया है।इस सिलसिले में पुलिस अब सिलीगुड़ी जोन के शारदा एजंचों से पूछताछ कर रही है। लेकिन केंद्रीय एजंसियां अभी हरकत में नहीं आयी हैं।


बंगाल के पहाड़ी हिस्सों और सिक्किम में भी नेपाली मुद्रा में चिटफंड कंपनियों के निवेश का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जबकि खास कोलकाता में और तमाम सीमावर्ती इलाकों में विदेशीमुद्रा का जंजाल फैल गया है। पुलिस और केंद्रीय एजंसियां नकली नोटों पर छापे मारती हैं। विदेशी मुद्रा को छूती नहीं हैं। छूती है तो अपने ही जेब में भर लेती है। इससे सीमा शुल्क विभाग और सीमाओं पर तैनात सुरक्षाबलों की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।


उत्तर और दक्षिण २४ परगना, नदिया, मालदह, मुर्शिदाबाद. दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी , कूचबिहार,दार्जिलिंग, सिक्किम, बिहार और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में धड़ल्ले से यह कारोबार चल रहा है।


विदेशी मुद्राओं के अवैध कारोबार के लिए मशहूर बांग्लादेश और नेपाल ​​सीमाओं पर तो वाकई कोई निगरानी है ही नहीं। अपेक्षाकृत तनावपूर्ण और बेहतर सुरक्षा इंतजाम के लिए चर्चित चीनी सीमाओं पर भी विदेशी मुद्राओं का प्रचलन अबाधित है। इसी तरह पूर्वोत्तर में म्यांमार से जुड़े राज्यों में विदेशी मुद्राएं प्रचलन में हैं। समुद्री सीमाओं पर गुजरात, महाराष्ट्र और केरल में यह बेहद आम है।​

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​मसलन यकीन नहीं आता तो आप उत्तर २४ परगना के वनगांव और बशीरहाट या फिर मालदह, मुर्शिदावाद और सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी में जाकर खुद तहकीकात कर सकते हैं कि कैसे यह कारोबार चलता है। दार्जिलिंग और गांतोक​ ​ में,बिहार के सीमावर्ती इलाकों में आपको नजारे खुद ब खुद नजर आ जायेंगे।


मणिपुर की राजधानी इंफाल के बाजारों में जहां सशस्त्र सैन्य विशेषाधिकार कानून सखती से लागू है, विदेशी वस्तुओं और विदेशी मुद्राओं का कारोबार मजे मजे में चलता है। त्रिपुरा की सीमाएं भी बंग्लादेश से लगी हैं और लगभग असुरक्षित हैं। हालत यह है कि बांग्लादेश से अपराधगिरोह आगरतला हवाई अड्डा परिसर संलग्न इलाकों में अपराध कर जाते हैं और सुरक्षा इंतजाम धरा का धरा रह जाता है।वित्तमंत्री बादल चौधरी का इलाका बिलोनिया उग्रवाद प्रभावित त्रिपुरी  आदिवासी बहुल इलाका है, जो कुमिल्ला जिले से जुड़ा है। वहां सीमा पर कोई खास इंतजाम भी नहीं है।दूसरी ओर, आगरतला से ढाका की दूरी महज ३ घंटे की है। आगरतला चटगांव के नजदीक है, जिसकी तुलना मुंबई के असुरश्क्षित समुद्रतट से की जाती है। चटगांव होकर आगरतला से कोई भी माल भारत में आसानी से घुस सकता है।


हवाई अड्डे पर सख्ती पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में बहुत ज्यादा सख्ती है। हवाई मार्ग से यह कारोबार आसान नहीं है। स्थलमार्ग पर यातायात की भारी समस्या है। रेलेवे नेटवर्क का विस्तार नहीं है। इसलिए पूर्वोत्तर के बजाय विदेशी मुद्रा के अवैध कारोबारियों के लिए खास कोलकाता, दार्जिलिंग और गांतोक काठमांडौ के पर्याय बने हुए हैं। लेकिन केंद्रीय एजंसिया अभी सो रही हैं।


बंगाल, सिक्किम और बिहार के सीमावर्ती इलाकों के जरिये, पर्यटन केंद्रों में ढीले सुरक्षा इंतजाम और कोलकाता में कानून व्यवस्था की अराजकता के कारण यह कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी  तेजी से फल फूल रहा है।चूंकि इस कारोबार में अंडरवर्ल्ड, माफिया, माओवादी, उग्रवादी, आतंकवादी, जिहादी त्तों का नेटव्रक जुड़ा हुआ है तो केंद्रीय एजंसियों के लोग पहले तो जान का​

​ जोखिम उठाने से परहे ज करते हैं और इन्ही ेजंसियों के कुछ लोग उनके पे रोल पर आ जाते हैं, इसी वजह से स्थिति इतनी विस्फोटक बन गयी है।


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