BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, July 6, 2012

अब तो ऐसे ही हांका जाएगा उत्तराखंड

अब तो ऐसे ही हांका जाएगा उत्तराखंड

http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-08-56/81-blog/2809-uttrakhand-khandudi-vijay-bahuguna

ऊर्जा प्रदेश, पर्यटन प्रदेश, शिक्षा प्रदेश और हर्बल प्रदेश. ये सब नाम अलग-अलग सरकारों द्वारा उत्तराखंड को दिए गए हैं और इनमें से कोई भी नाम अब तक सार्थक नहीं हो पाया है. दूसरे बहुगुणा ने भी इन सौ दिनों में ऐसा कुछ नहीं किया...

मनु मनस्वी

उत्तराखंड में इन दिनों अजीब सा माहौल है. शांत समझी जाने वाली देवों की यह भूमि सियासतदानों के कुकृत्यों से दूषित होती जा रही है. जिस प्रकार बेहद भोले और शरीफ इंसान को हर कोई अपनी सुविधानुसार इस्तेमाल करता है, उसी तरह कुछ उत्तराखंड के साथ भी हुआ. राजनेताओं से लेकर नौकरशाह और विभागीय अधिकारियों ने उत्तराखंड रूपी शांत गाय को जमकर दुहा और जब थक गए, तो बड़ी ही 'शालीनता' से दूसरों को भी दुहने का मौका दिया. नतीजा, प्रदेश पर हजारों करोड़ का कर्ज, जिसकी जिम्मेदार जनता नहीं, लेकिन मजबूरन उसे कर्ज का भागी बनना पड़ रहा है.

uttarakhand-farming

अब इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि इस ऊर्जा प्रदेश में ऊर्जा नहीं, पर्यटन प्रदेश में पर्यटन की दुर्दशा, शिक्षा प्रदेश में शिक्षा की बेकद्री, और हर्बल प्रदेश में जड़ी-बूटियों के नाम पर मोटा खेल. ये सब प्रदेश अलग-अलग नहीं, बल्कि सरकारों द्वारा उत्तराखंड को दिए गए नाम हैं. और उत्तराखंड के लिए इनमें से कोई भी नाम अब तक सार्थक नहीं हो पाया है.

हाल ही में बनी बहुगुणा सरकार गुणा-भाग की राजनीति में इस कदर व्यस्त है कि उसे उस जनता की ही फिक्र नहीं, जिसने उसे सत्ता का स्वाद चखाया (उसकी काबिलियत के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कि भाजपाई ढकोसलों से वह आजिज आ चुकी थी). वैसे भी इस देश में ले-देकर जनता के पास दो ही विकल्प हैं- कांग्रेस या भाजपा.

बहुगुणा ने भी इन सौ दिनों में ऐसा कुछ नहीं किया कि उनमें हेमवती नंदन बहुगुणा की एक हल्की सी धुंधली छवि भी नजर आए. बल्कि ऐसा लग रहा है कि उन्हें उत्तराखंडी कहलाने में ही शर्म महसूस हो रही है. बहुगुणा की कुटिलता की कहानी किरन मंडल से सफलतापूर्वक चलकर होते हुए भीमलाल आर्य स्टेशन पर पहुंचने ही वाली थी, लेकिन भीमलाल की अपने ही क्षेत्र जनता द्वारा हुई 'हूटिंग' के बाद जब बहुगुणा को लगा कि यदि भीमलाल को भी किरन मंडल की तरह 'हैंडल' किया गया, तो उनका भांडा फूट सकता है, तो उन्होंने झट से भीमलाल से कन्नी काट ली.

कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि भले ही भीमलाल ने खुद को भाजपा का कर्मठ सिपाही बताते हुए कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया हो, लेकिन जरा सी भी अक्ल रखने वाला आसानी सक बता सकता है कि भीमलाल की जबान से कांग्रेस के ठूंसे शब्द ही प्रस्फुटित हो रहे हैं. कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि कुछेक भाजपाई ही बहुगुणाई धूर्तता के आगे नतमस्तक होकर अपनी ही पार्टी को मटियामेट करने पर तुले हैं. यही लोग कमजोर आत्मबल वाले विधायकों को कांग्रेसी दरवाजे पर सजदा करने भेज रहे हैं.

दूसरी ओर भाजपा अपने कीले से छूटे विधायकों को लेकर इतनी खीझ गई है कि गुंडई पर उतर आई है. बीते दिनों इसका एक नजारा देखने को मिला, जब एक भाजपाई व्यापारी उमेश अग्रवाल ने एक कांग्रेसी दिग्गज के पुत्र को सरेबाजार पीट डाला. ये वही उमेश हैं, जिन्हें खुद को उत्तराखंड के हितों का स्वघोषित मसीहा कहने वाले जनरल के राज में खुली छूट मिली थी. जब जनरल भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं पर अंकुश लगाने की हुंकार भरते थे, उस समय ये उमेश उनके बगलगीर बने रहते थे.

कहा तो यह भी जाता है कि खंडूड़ी अपने पायजामे भी उमेश की मर्जी के अनुसार ही खरीदते थे. अब जब ऐसे दिग्गज का वरदहस्त प्राप्त हों तो करोड़ों के वारे-न्यारे तो होंगे ही साथ ही खुली गुंडई दिखाने का अधिकार भी मिल ही जाएगा. 'चोरी और ऊपर से सीनाजोरी' की कहावत को चरितार्थ करते हुए इन जनाब ने कांग्रेसी सपूत की पिटाई तो की ही, साथ ही अपने व्यापारी लंपटों को लेकर देहरादून बंद भी करवा डाला. हालांकि छुट्भैये व्यापारियों ने पीठ पीछे पानी पी-पीकर इस बंद का विरोध किया, पर, जब बात उमेश की हो तो भला इंकार कैसे करते! खैर, बंद कुछ घंटों के लिए ही सही, पर सफल रहा और ये संदेश भी दे गया कि अब देवभूमि को भी ऐसे ही गुंडई के बल पर हांका जाएगा.

manu-manasveeमनु मनस्वी पत्रकार हैं.

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