BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, June 6, 2012

अन्ना के 'दुश्मन' के दर पर रामदेव

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 अन्ना के 'दुश्मन' के दर पर रामदेव

अन्ना के 'दुश्मन' के दर पर रामदेव

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अन्ना के 'दुश्मन' के दर पर रामदेव

नितिन गडकरी के बाद रामदेव ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री शरद पवार से मुंबई में मुलाकात की है. वही शरद पवार जिसे लोकपाल के लिए बननेवाली ड्राफ्टिंग कमेटी में रखने के लिए भी अन्ना हजारे तैयार नहीं थे, अब काले धन के सवाल पर बाबा रामदेव के समर्थन में उतर आये हैं. मुलाकात काले धन के विषय पर थी. शरद पवार ने रामदेव के कामों की तारीफ की और कालेधन पर उनके प्रयास का समर्थन किया.

बाबा रामदेव का समर्थन करते हुए शरद पवार ने कहा,' बाबा रामदेव ने देश की भलाई के लिए काम किया है. अब उन्होंने ने अपने हाथ में एक नया काम लिया है, कालेधन को सामने लाने का. अगर कालेधन को वापस पा लिया जाता है तो इससे गरीबों का लाभ होगा. रामदेव के विचार और परामर्श शुभ हैं." जाहिर है, शरद पवार कालेधन के विषय पर रामदेव के साथ हैं.

शरद पावर का रामदेव के साथ मिलना कांग्रेस के लिए हैरानी की बात तो है ही, लेकिन उससे ज्यादा परेशानी की बात खुद अन्ना हजारे के लिए है जिनके साथ दो दिन पहले मंच पर रामदेव बैठकर उतरे थे. कांग्रेस की परेशानी यह हो सकती है कि वे यूपीए के एक प्रमुख घटक हैं. भले ही रामदेव को पवार का समर्थन सरकार के लिए कोई खास संकट न बने लेकिन फिर भी यह कांग्रेस के लिए एक नया राजनीतिक झटका अवश्य है. वह भी तब जब ठीक एक दिन पहले सोनिया गाँधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में रामदेव समेत सिविल सोसाइटी के विरुद्ध कड़े शब्दों का इस्तमाल किया था और सरकार का बचाव किया था यह कहकर कि सरकार पर भ्रष्टचार के आरोप षड़यंत्र के तहत लगाये जा रहे हैं.

लेकिन सोनिया से ज्यादा संकट अब टीम अन्ना और अन्ना हजारे के लिए है. शरद पवार अन्ना के राजनीतिक दुश्मनों में रहे हैं इसलिए यह मुलाकात कम से कम अन्ना हजारे को रास नहीं आई होगी. तो क्या इसीलिए शरद पवार ने बाबा रामदेव से मुलाकात कर ली और दो बोल बोल दिये कि संदेश सोनिया गांधी या कांग्रेस को ही नहीं अन्ना हजारे तक भी जाए कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. शरद पवार ठहरे राजनीतिक आदमी. अगर अन्ना को नीचा दिखाने का कोई मौका उनके हाथ लगता है तो भला वे उसे क्यों छोड़ देंगे?

रामदेव आजकल टीम अन्ना के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. लेकिन जिस व्यक्ति से मदद मांगने पहुंचे हैं उसका नाम खुद ही भ्रष्ट मंत्रियों की उस सूची में शामिल है जिसे टीम अन्ना ने जारी किया है. हो सकता है कि इस कदम से टीम अन्ना और रामदेव में दूरियां बढ़ें. फ़िलहाल लाख टके का सवाल यही है कि सोनिया गाँधी के रूख़ की जानकारी होने के बाद भी पवार रामदेव के साथ क्यूँ हैं?

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