BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, June 6, 2012

बेअंत का हत्यारा अकाल तख़्त का है प्यारा

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बेअंत का हत्यारा अकाल तख़्त का है प्यारा

बेअंत का हत्यारा अकाल तख़्त का है प्यारा

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बेअंत का हत्यारा अकाल तख़्त का है प्यारा

आपरेशन ब्लू स्टार की २८ वीं वर्षगांठ पर अकाल तख्त ने राजोआना को सम्मानित करने का फैसला लिया है. अकाल तख़्त ने राजोआना की बहन कमलदीप कौर को उसकी ओर से सम्मान स्वीकार करने के लिए आमंत्रित किया है. देश के कानून के तहत राजोआना भले ही राष्ट्रद्रोह और मुख्यमंत्री की हत्या का अरोपसिद्ध फांसी की सजायाफ्ता है लेकिन अकाल तख़्त के लिए वह एक "जिन्दा शहीद" है.

किसी व्यक्ति की हत्या में शामिल कातिल को सजा मिलनी ही चाहिए. यह दुनिया का सामान्य नियम है लेकिन सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ऐसा नहीं मानता है. यह आपत्तिजनक है. तब और जब मरने वाला व्यक्ति पंजाब का तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हो और मारने वाला कोई सामान्य अपराधी नहीं बल्कि आतंकवाद और अलगाववाद की राजनीति का मोहरा बलवंत सिंह राजोआना हो तब यह बात न केवल आपत्तिजनक होती है बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी. जिससे राष्ट्र-जीवन और शांति बहाली की स्थिति अशांति में बदल सकती है.

यह बात भूलने की नहीं है फिर भी एक बार याद दिलाना उचित होगा कि पंजाब में आतंकवाद और अलगाववाद को समाप्त कर उसे राष्ट्र का एक अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की सिख आतंकवादियों ने अगस्त १९९५ में एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी थी. आत्मघाती बमबाज दिलावर सिंह ने उनकी जान ली थी. आरोपी बलवंत सिंह राजोआना भी आत्मघाती दस्ते का हिस्सा था. योजना के मुताबिक दिलावर सिंह के असफल होने की स्थिति में राजोआना को मुख्यमंत्री की हत्या करनी थी. लेकिन, धर्मान्धता के नाम पर मरने का सौभाग्य दिलावर ने बलवंत को नहीं मिलने दिया. लेकिन बेअंत सिंह की हत्या का हिस्सा बनने के आरोप से दिलावर बलवंत को नहीं बचा सका. न्यायालय ने उसे फंसी की सजा सुनाई है. फ़िलहाल वह पटियाला जेल में बंद है. पंजाब की सिख राजनीति की वजह से वह आज भी फांसी से बचा हुआ है और बेअंत सिंह की आत्मा और उनके परिजनों को न्याय का इंतजार है.

बेअंत सिंह की शहादत से पंजाब अलग होने से तो बच गया और आतंकवाद की लपटें भी मद्धिम पड़ गयीं. लेकिन आपरेशन ब्लू स्टार के बहाने ये लपटें अन्दर ही अन्दर जल रही हैं. इसका प्रमाण है अकाल तख्त का हालिया कदम जिसमें उसने राजोअना को सम्मानित करने का फैसला किया है. पंजाब में सत्तारूढ़ अकाली दल को भी अकाल तख्त के निर्णय से कोई ऐतराज नहीं है. अपने संवैधानिक दायित्यों को धता बताते हुए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अकाल तख़्त के निर्देश पर राजोआना को बचाने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास निवेदन किया है. गृह मंत्रालय मामले की जांच कर रहा है. यह महत्वपूर्ण तो होगा ही कि राजोआना को क्या सज़ा मिलाती है लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण यह होगा कि अकाल तख़्त कब चेतेगा और धर्म के नाम पर कब तक हत्या, आतंकवाद और अलगाववाद को पोषता रहेगा.

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