BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, June 24, 2012

जहां जाना है जाओ, लेकर मत आना, नहीं तो एहिएं चीर देंगे

http://mohallalive.com/2012/06/22/anurajna-jha-on-richa-chadda/

सिनेमा

जहां जाना है जाओ, लेकर मत आना, नहीं तो एहिएं चीर देंगे

22 JUNE 2012 2 COMMENTS

♦ अनुरंजन झा

दोदिन पहले की बात है। गैंग्स ऑफ वासेपुर का गैंग दिल्ली में फिल्म के प्रमोशन में जुटा था। मनोज भाई से शाम में मिलना तय हुआ। एक रात पहले भी मनोज भाई, नवाज, रीमा सेन और उनके पति के साथ रात अविनाश जी और हम रात के खाने पर मिले थे। फिल्म से लेकर तमाम मुद्दों पर घंटो बातें हुई जौर आधी रात जब सब अपने घर को जाने लगे, तो तय हुआ कि कल फिर मुलाकात होगी। सुबह दस बजे जब प्रमोशन के दौरे पर निकलते वक्त मनोज भाई का फोन आया, शाम में तुम और अविनाश आ जाना। दोपहर में शाम का वक्त भी मुकर्रर हो गया। वैसे भी जब मनोज भैया दिल्ली में होते हैं, तो सारी व्यस्तताओं के बावजूद अपना कार्यक्रम उन्हीं के कार्यक्रम से तय होता है।

अविनाश जी पहले रोज तय समय से देर से पहुंचे थे और दूसरे रोज जरा जल्दी पहुंच गये और फिर हमें बताया कि चले आइएगा होटल की पहली मंजिल पर। पहली मंजिल पर एक सोफे पर मनोज भाई बिहारी गमछा डाले किसी रेडियो वाले को इंटरव्यू दे रहे थे। कुछ और लोग इंतजार में थे। दूसरे सोफे पर अविनाश जी एक खूबसूसरत लड़की के साथ, जिसने वेस्टर्न ड्रेस के ऊपर बिहारी गमछा डाल रखा था, बातचीत में मशगूल थे। अविनाश जी ने परिचय कराया, ये हैं वासेपुर के वुमनिया गैंग की लीडर।

जी मेरा नाम है रिचा चड्डा।

आपका प्रोमो देखा। असरदार है।

थैंक्स।

फिर मैं कुछ दूसरे जानने वालों से मुखातिब हो गया। 10-15 मिनट में फ्री होकर खाने का ऑर्डर प्लेस कर हम मनोज भाई के कमरे में आ गये।

बातों-बातों में मनोज जी ने कहा, अनुरंजन देखना रिचा फिल्म में चौंकाती है। अच्छे कलाकार की तारीफ से मनोज भाई पीछे नहीं हटते। थोड़ी देर में रिचा आयी। घर जाने की जल्दी थी उन्हें, इसलिए ज्यादा बात नहीं हो पायी। 10 मिनट की मुलाकात में रिचा एक्टर के साथ-साथ थोड़ी कुछ ज्‍यादा ही बिंदास लगीं। रिचा ने कहा कि हमने भी मुंबई से जर्नलिज्म का कोर्स किया है और पी साईंनाथ हमारे टीचर थे। यहां तक तो सब ठीक था। फिर रिचा ने कहा कि जब वो फिल्मों का रुख कर रही थीं, तो साईंनाथ ने उनकी मां से कहा कि आपकी बेटी हिरोइन बनने जा रही है, लेकिन यह जर्नलिज्म का नुकसान है।

मुझे अंदर-अंदर थोड़ी हंसी आयी कि वैसे ही कम नुकसान हुआ है पत्रकारिता का ग्लैमरस लड़कियों की वजह से, इनके इस प्रोफेशन में न आने से क्या फर्क पड़ेगा। खैर, उनकी सोच …. मेरी सोच।

तुमको ठरक मिटाना है .. जहां जाना है जाओ … बस घर मत लेकर आना … नहीं तो एहिएं चीर देंगे … खाना खाओ … ताकत आएगा … बाहर जाकर बेइज्जती मत कराना …

गैंग्स ऑफ वासेपुर देखते समय रिचा के इस सहज अंदाज ने ठिठका दिया। दिल्ली में पली-बढ़ी पंजाबी कल्चर की इस लड़की ने, जिसने दिल्ली के बाद मुंबई का ही रुख किया, जिस प्रवाह के साथ बिहार-झारखंड की एक मुस्लिम औरत का किरदार निभाया है, झकझोर कर रख देता है।

फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग देखकर निकला, तो रिचा को फोन किये बिना नहीं रह पाया। फिल्म के सभी पात्र अपनी मौजदूगी दर्ज कराते हैं … मनोज भाई, नवाज और बाकी कलाकारों के बारे कल लिखूंगा, लेकिन रिचा के लिए इतना तो कह ही सकता हूं कि पी साईँनाथ रिचा के बारे में क्या सोचते थे, क्या सोचते हैं, नहीं मालूम लेकिन रिचा ने अगर मुंबई का रुख न किया होता, तो नयी पीढ़ी स्मिता पाटिल और शबाना आजमी की शैली की अदाकार को इस दौर में नहीं देख पाती। रिचा में उन दोनों अभिनेत्रियों की खाई को भरने का माद्दा है। रिचा को भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामानाएं।

(अनुरंजन झा। वरिष्‍ठ टीवी पत्रकार। आईआईएमसी से पत्रकारिता की डिग्री। आजतक सहित कई टीवी चैनलों में जिम्‍मेदार पदों पर रहे। सीएनईबी न्‍यूज चैनल के सीओओ भी रहे। इन दिनों एक नये टीवी चैनल की तैयारियों में जुटे हैं। उनसे anuranjanjha@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

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