BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, June 24, 2012

फिल्‍म नहीं, बुखार है ये! #GangsOfWasseypur

http://mohallalive.com/2012/06/21/film-nahi-bukhar-hai-ye/

 ख़बर भी नज़र भीसिनेमा

फिल्‍म नहीं, बुखार है ये! #GangsOfWasseypur

21 JUNE 2012 2 COMMENTS

♦ राहुल तिवारी

रात में मेलबॉक्‍स पर राहुल ने अपने ब्‍लॉग बकतूत का लिंक भेजा। गैंग्‍स ऑफ वासेपुर को लेकर अपनी दीवानगी का जिक्र किया। फिल्‍म देखी नहीं और सिर्फ उसके इंतजार को लेकर दर्शकों की निर्दोष बेकरारी का प्रतिनिधित्‍व करती राहुल की बेचैनी यहां हम साझा कर रहे हैं : मॉडरेटर

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, आलम तो ये है कि कुछ लोग मुझ से चिढ़ चुके हैं। कारण कुछ भयावह नहीं। मैंने कोई क्राइम नहीं किया, किसी को छेड़ा नहीं, किसी को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया।

हां, गलती ये हुई कि बीते तीन महीने से मैं रोज एक फिल्म के बारे में कुछ न कुछ अपने फेसबुक पे लिखे जा रहा हूं। उस फिल्म का ट्रेलर आने के बाद, मतलब एक महीने से तो मैंने उसके अलावा कुछ लिखा ही नहीं।

शुरुआत में तो लोगों को मैं पागल लगता था। पर जब ये फिल्म कान्स में गयी और परचम लहरा कर आयी, तो लोग खुद बखुद समझ गये और धीरे धीरे इसके गीत, इसके डायलॉग सभी की जबान पर चढ़ता गया। आज हाल ये है कि पूरे सोशल मीडिया में या कहें तो वास्तविक बोलचाल में भी कोई किसी को ये कह के धमकी दे रहा है कि "तेरी कह के लूंगा…", कभी किसी से कोई कहता है कि "उस हरामी को हमें मिटाना है", कोई अपना नाम ये कह कर बता रहा है कि "सरदार खान नाम है हमारा, बता दीजिएगा सबको…" लोग अपनी जिंदगी का मकसद तक बदल रहे हैं। किसी ने लिखा कि "हमरे जिंदगी का एके मकसद है, बदला" … बिहारियों की तारीफ लोग यही कह के कर रहे हैं कि "जियs हो बिहार के लाला" हर तरफ वाइरल मार्केटिंग इस कदर फैल चुकी है कि इसके कई रूप आ चुके हैं… किसी ने तो गाली ही लिख डाली कहा उसके मुंह में तार डालके…! मेट्रो में भी लोगों को यही बातें करते सुनता है कि इस फिल्म को देखने जाएंगे। बिहारी तो बिहारी, पंजाबी भी इसकी धुन गुनगुनाने से नहीं शर्माते। मेरे किसी मित्र ने कहा – अब नहीं रहा जाता!

लोग खुद पागलों की तरह इसका इंतजार कर रहे हैं। मैं तो दबी जुबान में लिखता था, वो खुल के इजहार कर रहे हैं … किसी ऐसी फिल्म को लेकर, जो वास्तव में फिल्म है, जनता में इतना उत्साह मैंने तो पहले कभी नहीं देखा!

आज जिसे देखो, वो इसी की बातें कर रहा है, तो मैं कहां से गलत था? लाख चाहता हूं, फिर भी जब यूट्यूब खोलता हूं, तो खुद को इसके वीडियो से दूर नहीं रख पाता। फेसबुक पर पोस्ट करने बैठता हूं, तो इसके अलावा कुछ सोच नहीं पाता।

अब लोगों ने फिर से मेरे ऊपर उंगली उठाना शुरू किया, जब बीते कई दिनों से तो मैंने इस फिल्म को खुद के नाम के साथ जोड़ लिया है। दिल्ली में इस फैशन के दौर में भी मैंने बिहारी गमछा ओढ़ लिया है … और जब भी कोई उल्टा सीधा बोलता है, तो कह के लेने की धमकी खुद के अंदर घोल लिया है।

हालांकि कोई खास गलती नहीं है मेरी, फिर भी लोग टिपण्णी कर रहे हैं कि पागल हो गये हो क्या? तो मैं कहता हूं कि नहीं बउरा गया हूं। कोई पूछता है कि क्या है ऐसा वासेपुर में, तो मैं कहता हूं, 22 जून को देख लेना।

फिल्म नहीं बुखार है ये, जो सभी सिनेमा प्रेमियों को चढ़ गया है। ये बुखार अब तो 22 जून के बाद ही उतरेगा!

(राहुल तिवारी। S/Const कंपनी के एंप्‍लाई। एमके डीएवी स्‍कूल, डाल्‍टेनगंज से हाई स्‍कूल की पढ़ाई और सेंट जेवियर कॉलेज, रांची से ग्रैजुएट। राहुल से rahultiwary.redma@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)


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