BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Wednesday, July 6, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/6
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


अपने बिजनेस की सोचें

Posted: 05 Jul 2011 11:25 AM PDT

आज अधिकतर यंग जेनरेशन कंपीटीटिव एग्जाम में असफलता और जॉब न मिलने के कारण हताश हैं। ऐसे में, अपने को बेरोजगार कहलाते हुए इधर-उधर भटक रहे हैं। यानी लिमिटेड जॉब अनलिमिटेड कैंडिडेट। ऐसी परिस्थिति में बहुत कम लोगों को सफलता मिलती है। नौकरी का आवेदन तो सैकड़ों लोग करते हैं, पर चयन तो सबका नहीं होता। जिसका चयन नहीं हो पाता, वह अपने आपको अयोग्य मानना शुरू कर देता है। हायर एजुकेशन के बाद सर्विस पर निर्भर रहने वाले युवा अपने भविष्य के प्रति अन्याय होना मान बैठते हैं। यंग जेनरेशन को अपनी हैसियत और रुचि के अनुसार, कोई बिजनेस चुनकर सेल्फ डिपेंड बनना चाहिए। बेरोजगारी के सागर से रोजगाररूपी मोती चुन सहेजकर रखना एजुकेटेड यंग जेनरेशन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। आज के अधिकतर शिक्षित युवाओं का झुकाव नौकरी की तरफ ज्यादा और बिजनेस की ओर कम है। बहुत कम ऐसे युवा हैं, जो स्वेच्छा से किसी बिजनेस की शुरुआत करते हैं। यदि करते भी हैं, तो बसा-बसाया फैमिली बिजनेस संभालते हैं। या सर्विस ना मिलने पर बहुत सोच- समझकर परिजनों की सलाह लेकर ही किसी अनुकूल बिजनेस की ओर कदम बढ़ाते हैं, जिनमें से कुछ सफलता की ओर आगे बढ़ते चले जाते हैं। कुछ डरकर पीछे हट जाते हैं। सेल्फ डिपेंड होने से ही सेल्फ-हेल्प मिलती है। यंग जेनरेशन को स्वयं का बिजनेस लगाकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए। कई युवा बिजनेस की स्टार्टिग में आने वाली कठिनाइयों से डर जाते हैं और बिजनेस करने का इरादा छोड़ देते हैं। कौन- सा बिजनेस अपनाना चाहते हैं, उसके विषय में कितनी जानकारी है, यह सब अपने मन में साफ कर लीजिए। फिर बिजनेस स्टार्ट करने के बारे में सोजिए। सदैव काम के प्रति पॉजिटिव एटीट्यूट रखिए और कभी भी अपने बिजनेस को निगेटिव रूप में ना लीजिए। कई बिजनेसमेन ऐसे भी हैं, जो दूसरे के बिजनेस से अपने व्यवसाय की तुलना कर अपने आपको कमजोर महसूस करते हैं। ऐसी तुलना ठीक नहीं है। सेल्फ बिजनेस को महत्व दें तथा मेहनत और सफलता के साथ आगे बढ़ें। का बोलबाला

यदि सेल्फ बिजनेस में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो बिजनेस करने से पहले रखें कुछ बातों का ध्यान-


. सबसे पहले तो इस फीलिंग्स को मन से निकाल दें कि जॉब नहीं मिली, इसलिए बिजनेस कर रहा हूं। किसी भी क्षेत्र में मजबूरी का भाव आपकी तरक्की में बाधक बनता है। . विपरीत परिस्थिति में भी कस्टमरों के साथ अपनत्व और विनम्रता से पेश आएं। यदि ग्राहक गुस्से में भी हो तो पेशेंस रखें। उसे वास्तविक हालात से अवगत कराएं। . व्यापारी को सर्वप्रथम नरम होना सीखना पड़ता है। रूखा व्यवहार बिजनेस के नियम के खिलाफ है। . विसनीयता बनाये रखें। बेचने से पहले उस सामान के बारे में जानकारी हासिल करें। कस्टमर से हमेशा सच बोले, क्योंकि झूठ बोलकर आप एक बार सामान बेच सकते हैं, बार-बार नहीं। . कंपनी द्वारा लिखी गुणवत्ता को नजरअंदाज न करें। अपने स्तर पर भी उसे परखें, उसके बाद ही कोई सामान सेल करें। . यदि आप किसी ऐसे व्यवसाय से जुड़े हैं, जो किसी हैंडमेड जैसे आभूषण निर्माण, प्रिंटिंग, टेलरिंग, इलेक्ट्रॉनिक या फर्नीचर आदि, तो आपके द्वारा दी गई तारीख पर ही डिलीवरी दें। कस्टमर को बार-बार घुमाने पर बिजनेस पर निश्चित तौर पर इसका प्रभाव पड़ता है। . यदि सामान खरीदते या देखते वक्त किसी कस्टमर से आपका कोई सामान टूट-फूट जाए, तो तुरंत रिएक्ट करने के बजाय ठंडे दिमाग से काम लें। यदि सामान कम मूल्य का हो तो 'कोई बात नहीं' कह कर टाल दें। यदि महंगा हो तो प्रॉफिट छोड़ अत्यंत विनम्र होकर सामान की वास्तविक कीमत मांगें। . शुरू में प्रॉफिट कम ही रखें। यह बिजनेस बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। ज्यादा लालच के चलते कभी भी नकली या मिलावटी सामान न बेचें। . गारंटी-वारंटी का पूरा ख्याल रखें और ग्राहकों को समझाने में खूब सहयोग करें। . कस्टमर को कभी शिकायत करने का मौका ना दें। यदि कोई शिकायत कर भी हो तो उसकी बातें ध्यानपूर्वक सुनें और जल्दी दूर करने की प्रयास करें। . प्रत्येक वर्ग के ग्राहकों के साथ एक जैसा बर्ताव करें। कस्टमर की क्वालिटी देखकर अपने व्यवहार और मूल्य में हेराफेरी ना करें। . सामान उधार ना बेचें। अगर बेचें भी तो उन कस्टमरों को, जिनसे निश्चित समय पर रकम मिलने की उम्मीद हो। . बिजनेस की बागडोर हमेशा अपने हाथ में रखें, किसी नौकर के भरोसे न छोड़ें क्योंकि नौकर ईमानदार जरूर हो सकता है पर बिजनेस हमेशा व्यवहार कुशलता और निष्ठा से चलता है और इसे खरीदा नहीं जा सकता। स्वयं को ही इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। . बिजनेस में नियमित होना बहुत जरूरी होती है। निश्चित समय पर दुकान खोले और बंद करें। . दुकान में मुख्य वस्तुओं के साथ सहायक वस्तु भी रखें, ताकि ग्राहकों को इधर-उधर भटकना ना पड़े। . यदि कोई इंडस्ट्री आदि लगानी हो तो कच्चे माल, लागत, खपत आदि का पूरा हिसाब-किताब पहले ही बनाकर विश्लेषण कर लें कि इस बिजनेस में कितनी प्रॉफिट की गुंजाइश है। . सीमित संख्या में नौकरियां हैं, इसे ध्यान में रखते हुए विकल्प के रूप में कृषि के अलावा बिजनेस ही एकमात्र धनोपार्जन का जरिया हैं। अत: किसी भी बिजनेस को लगन और मेहनत के साथ शुरू करना चाहिए, तभी सफलता आपके कदम चूमेगी।
(अनिता घोष,राष्ट्रीय सहारा,5.7.11)

सहायक कमांडेंट के तौर पर करिअर

Posted: 05 Jul 2011 11:00 AM PDT

अर्धसैनिक बलों में सहायक कमांडेंट साहस और चुनौतीभरा राजपत्रित अधिकारी का पद है। केंद्रीय पुलिस बल में सहायक कमांडेंट 497 पदों के लिए यूपीएससी ने आवेदन मांगे हैं। केंद्रीय पुलिस बल के तहत बीएसएफ में 111, सीआरपीएफ में 213, सीआईएसएफ में 15, आईटीबीपी में 36 और एसएसबी में 122 (कुल 497) पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने आवेदन प्रपत्र मांगे हैं।

आवेदन-प्रपत्र स्वीकार किए जाने के बाद उम्मीदवारों का चयन दो चरणों में किया जाता है। पहले चरण में लिखित परीक्षा 450 अंकों की है, जबकि दूसरे चरण में शारीरिक परीक्षण और मेडिकल चेकअप के साथ इंटरव्यू शामिल है। इंटरव्यू 200 अंक का है। लिखित परीक्षा में दो प्रश्नपत्र शामिल हैं। पहला प्रश्नपत्र जनरल एबिलिटी का है। यह 250 अंकों का है। इसके लिए निर्धारित समय दो घंटे हैं। इसमें 125 बहुवैकल्पिक प्रश्न होंगे। इसके तहत मेंटल एबिलिटी में रीजनिंग, क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूट, न्यूमेरिकल एबिलिटी, डाटा इंटरप्रिटेशन संबंधी सवाल पूछे जाएंगे। सामान्य विज्ञान के तहत सामान्य जानकारी, साइंटिफिक टेम्पर, कॉम्प्रिहैंशन, बॉयोटेक्नोलॉजी, सूचना तकनीक, पर्यावरण विज्ञान आदि संबंधी प्रश्न होंगे। करेंट इंवेट के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की समसामयिक घटनाएं, संगीत, सभ्यता, व्यापार, उद्योग, राजनीतिक घटनाक्रम आदि प्रश्न। भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के तहत भारतीय संविधान, सामाजिक ताना-बाना और प्रशासन, भारत की आर्थिक विकास यात्रा, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंधी मुद्दे, मानवाधिकार संबंधी प्रश्नों के अलावा भारतीय इतिहास, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, भारत और वि भूगोल संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरा प्रश्न पत्र जनरल स्टडीज, निबंध, कॉम्प्रिहैंशन का है। यह प्रश्नपत्र 200 अंकों का है। इसके लिए भी दो घंटे का समय तय किया गया है। प्रश्नपत्र के पहले हिस्से में स्वतंत्रता आंदोलन, भूगोल, राजनीति और अर्थव्यवस्था, सुरक्षा ज्ञान, मानवाधिकार आदि पांच टॉपिक दिए जाएंगे। किसी एक टॉपिक पर हिन्दी या अंग्रेजी लेख लिखना होगा। इसके लिए 80 अंक हैं। दूसरा भाग शेष 120 अंकों का है, इसका उत्तर केवल अंग्रेजी में देना होगा। इसके तहत कॉम्प्रिहैंशन, संक्षेपण और भाषा संबंधी प्रश्न होंगे। यहां यह याद रखना जरूरी है कि दूसरे प्रश्नपत्र की कॉपी की जांच उसी उम्मीदवार की होगी, जो पहले प्रश्नपत्र में सफल होंगे। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को कम से कम 55 फीसद अंक लाना होगा। .

शारीरिक दक्षता व चिकित्सीय जांच


सफल उम्मीदवारों को चिकित्सीय परीक्षण और शारीरिक दक्षता टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा। चिकित्सीय परीक्षण में उम्मीदवारों की लंबाई, वजन,सीना, आंखों की जांच की जाएगी। स्टैंर्डड के अनुरूप उम्मीदवारों की शारीरिक दक्षता की जांच होगी। इसके तहत, पुरुष उम्मीदवार को 100 मीटर रेस 16 सेकेंड में और 800 मीटर रेस तीन मिनट 45 सेकेंड में पूरा करना है जबकि महिला के लिए 100 मीटर रेस के लिए 18 सेकेंड और 800 मीटर के 4 मिनट 45 सेकेंड का समय दिया गया है। पुरुष उम्मीदवार को 3.5 मीटर, जबकि महिला को 3 मीटर लंबीकूद करनी होगी, इसके लिए अधिकतम तीन मौके मिलेंगे। इसके अलावा, पुरुष उम्मीदवारों से 7.26 किग्रा का गोला कम से कम 4.5 मीटर तक फेंकना होता है।
इंटरव्यू/ पर्सनालिटी टेस्ट

शारीरिक दक्षता में सफल होने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इंटरव्यू 150 अंकों का है।

फाइनल सिलेक्शन

इंटरव्यू के बाद लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में उम्मीदवार को मिले प्राप्तांक को जोड़ा जाएगा और कैटेगरी-वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी।

रणनीति

सफल होने के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए नियमित दौड़, लंबी-कूद, पुल अप, गोला फेंक आदि का अभ्यास बहुत जरूरी है। शारीरिक परीक्षण के लिए भले ही अंक निर्धारित नहीं है लेकिन चयन-प्रक्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। . निर्धारित समय-सीमा में सभी प्रश्नों का उत्तर देना आसान नहीं है। इसके लिए निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है। बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को अगर रिवाइज कर लिया जाए तो सामान्य ज्ञान और विज्ञान के प्रश्नों को हल करना काफी हद तक सुविधाजनक हो जाएगा। समसामयिक घटनाओं की जानकारी को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचारपत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है। पढ़ाई करते समय महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करना चाहिए और नोट किए तथ्यों को रोजाना देखना चाहिए। अंग्रेजी की तैयारी के लिए नियमित अंग्रेजी अखबार पढ़ें और अंग्रेजी के शब्द भंडार बढ़ाने का प्रयास करें। निर्धारित समय और सीमित शब्दों में किसी टॉपिक पर लेख लिखना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए अभ्यास आवश्यक है।
(दीपक'राजा',राष्ट्रीय सहारा,5.7.11)

अस्पताल प्रशासन में करिअर

Posted: 05 Jul 2011 10:30 AM PDT

स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के बढ़ते महत्व को देखते हुए हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन और हेल्थ केयर मैनेजमेंट की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में काम करने वालों के लिए नौकरी के अवसर भी बढ़ रहे हैं। हर व्यक्ति डॉक्टर या नर्स तो नहीं बन सकता, इस क्षेत्र में और भी कई पद हैं, जो हॉस्पिटल के लिए जरूरी होते हैं।

हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन एंड हेल्थकेयर मैनेजमेंट का स्पेशल कोर्स इस लिहाज से बेहद खास है कि यह हेल्थ सेक्टर में न केवल बेजोड़ करियर है बल्कि नाम के साथ दाम भी दिलाता है। अमेरिका में हुआ हालिया सव्रे बताता है कि हेल्थ मैनेजमेंट टॉप के 10 प्रोफेशन में शामिल है। आज के दौर में सरकारी अस्पताल हों या प्राइवेट, सब फस्र्ट क्लास सर्विस देने के लिए कंपिटिशन कर रहे हैं। यही वजह रही कि शिक्षण संस्थानों ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन में नया कोर्स निकाला है, जो मेडिकल और नॉन-मेडिकल लोगों के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है। यह कोर्स हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की टेक्निक सिखाता है ताकि वे हॉस्पिटल के एडमिनिस्ट्रेटिव अफेयर्स को ठीक से समझ सकें। इसके अलावा, यह कोर्स रोगियों को हैंडिल करना भी सिखाता है। हेल्थ सर्विसेज की प्लानिंग, कंट्रोलिंग, डायरेक्टिंग और मैनेजिंग की शिक्षा भी देता है।

कोर्स

अधिकतर कॉलेज और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन और हेल्थकेयर मैनेजमेंट में कोर्स ऑफर करते हैं। कुछ तो हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए कोर्स भी ऑफर करते हैं तो कुछ केवल हॉस्पिटल मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स। शॉर्ट-टर्म और डिस्टेंस लर्निग प्रोग्राम भी उपलब्ध हैं।

कैसे लें दाखिला


इस कोर्स में दाखिले के लिए ग्रेजुएशन में कम से कम 50 प्रतिशत अंकों का होना जरूरी है। एप्टिटय़ूड टेस्ट के बाद पर्सनल इंटरव्यू क्लीयर करने के बाद ही इस कोर्स में दाखिला मिलता है।
कार्य

हॉस्पिटल मैनेजर का काम हॉस्पिटल के अलावा आउट-पेशेंट क्लीनिक और ट्रीटमेंट क्लीनिक में भी होता है। इनका मुख्य काम रोगियों को कंफर्टेबल महसूस कराना है ताकि उन्हें बेहतर ट्रीटमेंट मिल सके। हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन का कोर्स करने वाले लोगों को हेल्थ मैनेजर और हेल्थ कंसल्टेंट की नौकरी मिल सकती है। वे चाहें तो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों में भी काम कर सकते हैं। बड़े कॉरपोरेट हॉस्पिटल, पब्लिक हॉस्पिटल, प्राइवेट सेक्टर के हॉस्पिटल, क्लीनिक, नेशनल और इंटरनेशनल हेल्थकेयर ऑग्रेनाइजेशन और इंश्योरेंस कंपनियों में नौकरी के बेहतरीन मौके हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के मौके के अलावा, मेंटल हेल्थ ऑग्रेनाइजेशन, रीहैबिलिटेशन सेंटर, फार्मास्यूटिकल्स एंड हॉस्पिटल सप्लाई फर्म, मेडिकल सॉफ्टवेयर कंपनियां और हॉस्पिटल कंसल्टिंग फर्म में भी कई मौके उपलब्ध हैं। शुरू में बतौर असिस्टेंट हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर या मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया जा सकता है। कई सालों के अनुभव के बाद अपना नर्सिग होम या हॉस्पिटल भी खोला जा सकता है।

आमदनी

इस कोर्स को करने के बाद शुरुआत 15,000 रुपये से आसानी से हो सकती है। आपका एजुकेशनल रिकॉर्ड अच्छा है तो अधिक सैलरी भी मिल सकती है। कॉलेज लेक्चरर के तौर पर तो 20,000 रुपये आसानी से मिल सकते हैं। अनुभव के बाद तो 50,000 रुपये प्रतिमाह कमाना कोई बड़ी बात नहीं(राष्ट्रीयसहारा,5.7.11)।

अभिनय में करिअर

Posted: 05 Jul 2011 10:00 AM PDT

लगभग सभी सारे पैरंट्स अपने बच्चों से यही उम्मीद करते हैं कि वे डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस ऑफिसर जैसा ही कोई करियर चुनें लेकिन अब ऐसे स्टूडेंट्स भी सामने आ रहे हैं जो वही करियर चुनते हैं जो उनका दिल चाहता है। कुछ साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक्टिंग में भी करियर बनाया जा सकता है लेकिन अब नए-नए टीवी चैनल्स और बॉलिवुड में नए एक्टर्स के लिए काफी मौके रहते हैं। आप थिएटर से भी एक्टिंग की शुरुआत कर सकते हैं। आज इस फील्ड में पैसे के साथ नाम और शोहरत भी कमाई जा सकती है।

किनके लिए है बेस्टः ऐसे युवा जिनमें कुछ कर दिखाने का जज्बा है और एक्टिंग का जुनून है उनके लिए यह बेस्ट ऑप्शन है। हालांकि इस फील्ड में काफी मेहनत और पेशंस की जरूरत होती है लेकिन इनसे भी ज्यादा जरूरी है एक्टिंग करने की काबलियत का होना। इस फील्ड में अगर आप करियर बनाना चाहते हैं तो आपके कॉन्फिडेंस का लेवल काफी ऊंचा होना चाहिए। आपका लक भी साथ होना बहुत जरूरी है। यह कोर्स उनके लिए बना है जो लोग फैसला करके पीछे नहीं हटते और चाहे कितनी भी मुश्किल हो हार नहीं मानते। इस फील्ड की सबसे खास बात यह है कि आप अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए भी काम की शुरूआत कर सकते हैं।


स्कोपः एक्टिंग की हॉबी को करियर बनाने से आपके सामने कई ऑप्शन खुल जाते है। एक बार परफेक्शन आने के बाद आप अपना पोर्टफोलियो बनवाकर काम तलाशने की शुरुआत कर सकते हैं। इस वक्त इंडिया में हिंदी, अंग्रेजी और दूसरी रीजनल लैंग्वज के सैकड़ों टीवी चैनल्स मौजूद हैं और लगातार नए चैनल लॉन्च हो रहे हैं। बॉलिवुड में भी अब नए एक्टर्स को लेकर कम बजट की फिल्में बनाने का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में फिल्मों में भी आपके लिए काफी ऑप्शन मौजूद हैं। एक बार एक्सपीरियंस होने के बाद आप अपना खुद का एक्टिंग स्कूल भी खोल सकते हैं। 

कहां से करें : एक्टिंग की फील्ड में सफल करियर बनाने के लिए वैसे तो आपमें टैलंट होना बहुत जरूरी है लेकिन आप किसी अच्छे इंस्टिट्यूट को जॉइन करके अपनी स्किल्स को प्रफेशनल टच दे सकते हैं। एक्टिंग की फील्ड का सबसे बड़ा इंस्टिट्यूट है नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा। इस इंस्टिट्यूट में सीटें बहुत कम होती हैं और आपको काफी मुश्किल एडमिशन प्रोसेस से गुजरना पड़ता है लेकिन अगर आप इस इंस्टिट्यूट में एडमिशन नहीं ले पाए तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलिविजन, दिल्ली फिल्म इंस्टिट्यूट और आरके फिल्म एंड मीडिया एकेडमी जैसे कई प्राईवेट इंस्टिट्यूट भी एक्टिंग में कोर्स कराते हैं। इस फील्ड में एंट्री करने का एक अच्छा जरिया थिएटर भी है। थिएटर में काम करके आपकी एक्टिंग स्किल्स बेहतर हो जाती हैं और एक्सपोजर भी मिलता है(मोहित कुमार,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,5.7.11)।

महाराष्ट्रःएमबीबीएस की कट ऑफ लिस्ट में रिकार्ड गिरावट

Posted: 05 Jul 2011 09:45 AM PDT

मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम की कट ऑफ लिस्ट में गिरावट आई है। राज्य वैद्यकीय शिक्षा व अनुसंधान निदेशालय की ओर से सोमवार से शुरू की गई प्रवेश प्रक्रिया के पहले दिन कट ऑफ लिस्ट 170 अंक पर आकर रुक गई। जबकि पिछले वर्ष पहले दिन कट ऑफ लिस्ट 185 थी।

प्रक्रिया के दूसरे दिन एमबीबीएस की सभी सीटें भर गई थीं। कट ऑफ में रिकार्ड गिरवट को देखते हुए यह माना जा रहा है कि इस बार एमबीबीएस की सीटें भरने में तीन दिन लगंेगे। संभवत: कट ऑफ लिस्ट इससे नीचे जा सकती है।

उम्मीदें हैं परवान पर

पहले दिन मेरिट लिस्ट कम होने से उन विद्यार्थियों को भी एमबीबीएस में दाखिला मिलने की उम्मीद जतायी जा रह है, जिन्हें 160 से 155 अंक सीईटी में मिले हैं। इसका कारण यह भी है कि काउंसिलिंग के मार्फत भरी जाने वाली सीटों और कालेजों की संख्या भी बढ़ी है। गत वर्ष तक 18 कालेजों की ढाई हजार सीटों पर दाखिला दिया गया था।


इस वर्ष चार निजी कालेजों ने काउंसिलिंग के मार्फत सीटें भरने का फैसला किया है, जिस कारण सीटों की संख्या बढ़कर तीन हजार से अधिक हो गई है। एमबीबीएस की कट ऑफ लिस्ट में गिरावट का फायदा उन विद्यार्थियों को मिलेगा, जो दूसरे विकल्प के तौर पर डेंटल पाठच्यक्रम को दिया है। अन्य मेडिकल पाठच्यक्रमों की कट ऑफ लिस्ट भी नीचे जा सकती है। 

कम आए रिजल्ट 

इस बार एमएचटी सीईटी परीक्षा में मेडिकल की स्कोरिंग काफी कम रही है। इसका असर कट ऑफ लिस्ट पर पड़ा है। पाठच्यक्रम की मेरिट लिस्ट 195 से शुरू हुई। टॉप टेन में 185 अंक पाने वाले विद्यार्थियों को भी स्थान मिला है। विदर्भ में 193 अंक से मेरिट शुरू हुई, जबकि गत वर्ष स्टेट मेरिट लिस्ट 198 से शुरू हुई थी। 

विदर्भ में मेरिट लिस्ट 196 से शुरू हुई थी। इसके अलावा मेडिकल पाठच्यक्रम प्रवेश पूर्व परीक्षा में 180 व 195 से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है। 160 से 179 अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है।

कहां से शुरू हुई काउंसिलिंग

सोमवार को मेडिकल कालेज सहित राज्य के तीन अन्य काउंसिलिंग केन्द्रों पर विद्यार्थियों को राज्य मेरिट लिस्ट के अनुसार बुलाया गया। पहले दिन इन केन्द्रों पर मेरिट लिस्ट क्रमांक 1 से 900 तक के विद्यार्थियों बुलाया गया था। इनमें से मेडिकल कालेज में 137 विद्यार्थियों का समावेश था। दोनों सत्रों में चार विद्यार्थी अनुपस्थित रहे।

जीएमसी नागपुर पहली पसंद बना

पिछले कई वर्षो से विदर्भ के विद्यार्थियों की पहली पसंद मुंबई या पुणो था, लेकिन इस बार यह मोह भंग हो गया है। भविष्य में डाक्टर बनने का सपना लिए मेडिकल कालेज में पहुंचे विदर्भ के विद्यार्थियों ने नागपुर के मेडिकल कालेज को पहली पसंद के रूप में चुना। उसके बाद पुणो के मेडिकल कालेज को दूसरे वरियता दी। जबकि तीसरी पसंद के रूप में मुंबई के केईएम मेडिकल कालेजों को चुना।

दूसरे दिन की काउंसिलिंग डिटेल

मंगलवार को काउंसिलिंग के दूसरे दिन पहले सत्र में स्टेट मेरिट लिस्ट नंबर 901 से 1400 के विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। दूसरे सत्र में स्टेट मेरिट लिस्ट नंबर 1401 से 2000 तक के विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। पहला सत्र सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक तथा दूसरा सत्र दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलेगा(दैनिक भास्कर,नागपुर,5.7.11)।

डीयूःकरियर बड़ा या कैंपस

Posted: 05 Jul 2011 09:30 AM PDT

डीयू की कट ऑफ जितनी हाई जाती है स्टूडेंट्स में इसका क्रेज बढ़ता जाता है। सिर्फ स्टूडेंट्स ही नहीं पैरंट्स भी चाहते हैं कि उनके बच्चें डीयू में ही पढ़ें। डीयू एक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। चाहे किसी भी कोर्स या कॉलेज में एडमिशन हो जाए बस डीयू का ठप्पा लगना चाहिए। अगर डीयू में अपने फेवरिट सब्जेक्ट में एडमिशन नहीं मिल रहा तो किसी और कोर्स में एडमिशन लेने में भी स्टूडेंट्स हिचकते नहीं हैं।

ज्यादातर पैरंट्स का मानना है कि डीयू में पढ़ने वाले बच्चों की पर्सनैलिटी काफी अच्छी तरह से डिवेलप होती है। ऐसे ही एक पिता राजेश का कहना है कि बच्चों के पर्सनैलिटी डिवेलपमेंट के लिए डीयू में एडमिशन काफी जरूरी है। डीयू से ग्रैजुएशन करने के बाद स्टूडेंट्स पीजी लेवल पर अच्छा परफॉर्म करने के लिए तैयार हो जाते हैं। चाहे किसी भी कोर्स में एडमिशन मिले स्टूडेंट्स को ले लेना चाहिए। मेरे बच्चे को डीयू में एडमिशन मिलने से उसके करियर को लेकर मेरी टेंशन दूर हो गई।


ऐसा भी नहीं हैं कि लोग सिर्फ डीयू के ही पीछे हैं। ऐसे कई पैरंट्स भी हैं जिनका मानना है कि पढ़ाई में स्टूडेंट्स की चॉइस काफी मैटर करती है। ऐसी ही सोच रखने वाली अंजना का कहना है कि बच्चों की भी अपनी चॉइस होती है। जो वे करना चाहते हैं उन्हें करने देना चाहिए। इससे उनका करियर काफी जल्दी आगे बढ़ेगा। यूनिवर्सिटी सभी अच्छी होती हैं बस बच्चे का इंट्रेस्ट किस कोर्स को करने में हैं वहीं एडमिशन कराना चाहिए। 
कई पैरंट्स का यह भी मानना है कि बच्चों का करियर बार-बार नहीं बनाया जा सकता। इसलिए जरूरी है कि पैरंट्स और बच्चे आपस में बात करके कोई डिसीजन लें। खुली सोच रखने वाले भगवान दास का मानना है कि पैरंट्स हमेशा बच्चे के लिए अच्छा सोचते हैं पर कभी-कभी वह बच्चों को प्रेशराइज कर देते हैं। ऐसे हालात से बचने के लिए जरूरी है कि पैरंट्स और बच्चे मिलकर कोई डिसीजन ले। डीयू में एडमिशन होना काफी अच्छी बात है लेकिन डीयू लास्ट ऑप्शन नहीं है। 

कई ऐसे पैरंट्स भी हैं जो बच्चों को करियर चुनने की खुली छूट देते हैं। ऐसे ही एक पिता सुभाष कहते हैं कि डीयू हो या कोई और यूनिवर्सिटी पढ़ाई तो स्टूडेंट्स को ही करनी है। सभी को तो डीयू में एडमिशन नहीं मिल सकता इसलिए बच्चों पर डीयू में एडमिशन के लिए प्रेशर नहीं डालना चाहिए(शिल्पी भारद्वाज,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,5.7.11)।

छत्तीसगढ़ःहाईटेक होगी पुलिस भर्ती प्रक्रिया

Posted: 05 Jul 2011 09:15 AM PDT

पुलिस भर्ती में होने वाले घोटालों को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय पूरा सिस्टम बदल रहा है। हर उस रास्ते को बंद करने की कोशिश की गई है, जहां पक्षपात की गुंजाइश होती है। मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम रखने के लिए बायोमीट्रिक रिकार्ड से लेकर माइक्रोचिप तक सारे संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा। पुलिस भर्ती के फिजिकल टेस्ट के दौरान पहली बार रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआईडी) का इस्तेमाल होगा।

आमतौर पर ओलिंपिक गेम्स जैसे आयोजन में इसका इस्तेमाल होता है। इसकी शुरुआत अक्टूबर में होने वाली सब इंस्पेक्टर परीक्षा से होगी, जिसमें 400 पद भरे जाने हैं। इसके बाद आरक्षकों के 10 हजार से ज्यादा पदों की भर्ती में भी इसी तरीके का इस्तेमाल होगा।

केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को लिखे पत्र में पुलिस भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने कहा था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस मुख्यालय में प्रशासन विभाग पिछले चार महीने से इसी कवायद में लगा था।


बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान समेत दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की पुलिस भर्ती प्रक्रिया का बारीकी से अध्ययन करने के बाद उसकी खासियतों को लिया गया। बिहार में पुलिस आरक्षक भर्ती का आवेदन एक पेज की ओएमआर शीट में लिया जाता है। भर्ती प्रक्रिया में मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है। 


इससे भर्ती के दौरान होने वाली मानवीय भूलों को कम किया जा सकेगा। भर्ती स्थलों से सारे रिकार्ड 10-15 मिनट के अंदर ही पीएचक्यू पहुंच जाएंगे। पूरी भर्ती प्रक्रिया और उसमें इस्तेमाल होने वाले तरीकों की जानकारी छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट पर डाल दी गई है। पूरे सिस्टम को खड़ा करने के लिए पीएचक्यू हफ्तेभर के अंदर टेंडर को फाइनल करने जा रहा है। 

देश के कई राज्यों ने अपने यहां की भर्ती में इस तरह के तरीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। अक्टूबर में पुलिस सब इंस्पेक्टर की भर्ती में इस सिस्टम को टेस्ट किया जाएगा। बड़ी चुनौती आरक्षकों की भर्ती है, जिसमें 10 हजार रिक्त पदों को भरा जाना है। 

सारे आवेदन पत्र, प्रवेश पत्र छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। आईजी प्रशासन पवन देव ने बताया कि भर्ती में मॉडर्न टेक्नीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि पारदर्शिता बनी रहे। मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम रखने की कोशिश है। ताकि मानवीय भूल से बचा जा सके।

ये बदलाव 

- भर्ती के सारे आवेदनों की स्कैनिंग कर उसका डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हर आवेदक का परीक्षा के पहले बॉयोमीट्रिक रिकार्ड तैयार किया जाएगा, ताकि कोई मुन्नाभाई उसकी जगह एक्जाम ही न दे पाए। 

- प्रवेश पत्र इस तरह से डिजाइन किए जा रहे हैं कि जिलों के भर्ती अधिकारी को भी आवेदन के रोलनंबर तक का पता नहीं होगा। उसे पीएचक्यू एक बारकोड देगा, वही आवेदक की पहचान होगी। 

- भर्ती का सारा रिकार्ड ऑनलाइन नेटवर्क से सीधे पुलिस मुख्यालय के सेंट्रल सर्वर में पहुंच जाएगा। इसकी सारी जानकारी रीड ओनली होगी, यानि उसमें कोई भी अधिकारी संशोधन नहीं कर पाएगा। इस सर्वर को चालू करने के लिए फिंगर प्रिंट एक्सेस होगी। 

- सबसे ज्यादा गड़बड़ी फिजिकल टेस्ट के दौरान होती है। 1500 मीटर लंबी दौड़ समेत दो टेस्ट में आरएफआईडी टेक्नीक इस्तेमाल होगी। इसमें प्रतियोगी द्वारा दौड़ को पूरा करने में लिए गए समय का सटीक कैलकुलेशन होता है।

- भर्ती प्रक्रिया की पूरी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। रिजेक्ट आवेदनों की जानकारी भी वेबसाइट पर होगी। 

- आवेदकों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की जाएगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,5.7.11)।

पटना वीमेंस कॉलेज में कैजुअल वैकेंसी की मेधा सूची जारी

Posted: 05 Jul 2011 09:00 AM PDT

पटना वीमेंस कॉलेज में कैजुअल वैकेंसी (बची हुई सीटों पर नामांकन) की मेधा सूची सोमवार को जारी कर दी गई। छह जुलाई को इन सीटों पर नामांकन लिया जायेगा। मगध विविद्यालय के कॉलेजों में फॉर्म भरने की अंतिम दिन मंगलवार तक है। मगध विवि में मंगलवार के बाद किसी भी हालत में आवेदन नहीं लिया जायेगा। यहां सात जुलाई से मेधा सूची निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं पटना विविद्यालय के वाणिज्य कॉलेज में जारी पहली मेधा सूची पर नामांकन भी सोमवार को प्रारंभ हो गया। विवि में स्नातकोत्तर में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि ग्यारह जुलाई तक है। पटना वीमेंस कॉलेज में स्नातक विज्ञान में कुल 28 कैजुअल वैकेंसी है जिसमें 10 भौतिकी में और दस रसायनशास्त्र में। इसी प्रकार कॉमर्स में भी कुल 28 कैजुअल वैकेंसी हैं। स्नातक कला के हिन्दी में चौदह, मनोविज्ञान में 29, राजनीतिशास्त्र में 19, भौतिकी में नौ, संस्कृत में चार, गृह विज्ञान में चौदह, सामाजशास्त्र में 35 व इतिहास में 41 कैजुअल वैकेंसी है। पटना वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या सिस्टर डोरिस डिसूजा ने बताया कि इसके बाद कला संकाय के गृह विज्ञान, संस्कृत, हिन्दी व दर्शनशास्त्र विषय को छोड़कर अन्य किसी भी विषय में यहां नामांकन नहीं लिया जायेगा। इन विषयों में खाली बची सीटों की सूचना दस जुलाई के बाद दी जायेगी। पंद्रह जुलाई तक नामांकन प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त कर ली जायेगी। उधर, मगध महिला कॉलेज में भी पीजीडीसीए की मेधा सूची निकाली गई। पीजीडीसीए में नामांकन सात जुलाई को लिया जायेगा। वहीं विकलांग कोटे का नामांकन छह जुलाई को लिया जायेगा। मगध महिला कॉलेज में स्नातक विज्ञान, कला व कॉमर्स संकाय में गारेंटेड छात्रों का नामांकन लिया जा रहा है। नन गारेन्टेड का नामांकन छह जुलाई को लिया जायेगा। वाणिज्य महाविद्यालय में भी नामांकन आज से प्रारंभ हो गया। बीएन कॉलेज में छह जुलाई से नौ जुलाईके बीच नामांकन लिया जायेगा, जबकि पटना साइंस कॉलेज में छह से 12 जुलाई के बीच नामांकन लिया जायेगा। मगध विविद्यालय के जेडी वीमेंस कॉलेज, एएन कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज आदि में फॉर्म जमा किया जा रहा है। जेडी वीमेंस में मेधा सूची छह जुलाई को जारी की जायेगी। सात जुलाई से यहां से नामांकन शुरू हो जायेगा। अरविन्द महिला कॉलेज में सोमवार को दाखिला प्रारंभ हो गया। 20 जुलाई से कॉलेज में सत्र प्रारंभ हो जाएगा। बीडी कॉलेज में दस जुलाई तक छात्र फॉर्म भर सकेंगे(राष्ट्रीय सहारा,पटना,5.7.11)।

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयःआने थे 69 अंक, दे दिए माइनस 13 अंक

Posted: 05 Jul 2011 08:45 AM PDT

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेट)- 2011 में अंक देने में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में एक विद्यार्थी के 69 अंक की जगह विश्वविद्यालय ने उसे माइनस 13 अंक दे दिए। इसकी शिकायत की गई तो विश्वविद्यालय ने गलती मान ली और 69 अंक दे दिए।


राजधानी पब्लिक सीनियर सेकंडरी स्कूल, पचकोड़िया (जयपुर) के निदेशक रमेश यादव ने विश्वविद्यालय से छात्र कानाराम यादव पुत्र ताराचंद यादव निवासी धाना के कम अंक आने पर सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से मानक अंकतालिकाएं मांगी गईं, जिसके आधार पर कानाराम को अंक दिए गए थे। फिर मानक अंक तालिकाओं से जब बच्चे के पास मौजूद आंसरशीट की कार्बन कॉपी से मिलान किया तो उसके तीनों पेपर रसायन विज्ञान में 19, जीव विज्ञान में 15 और कृषि विज्ञान में 35 अंक सहित कुल 69 आ रहे हैं, जबकि विश्वविद्यालय ने 360 पूर्णाक में से बच्चे को रसायन विज्ञान में 6, जीव विज्ञान में माइनस 11 और कृषि विज्ञान में माइनस 8 अंक दिए हैं। इस तरह बच्चे को कुल माइनस 13 अंक प्राप्त हुए। रमेश ने बताया कि अगर वे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं मांगते तो इस गड़बड़ी का पता नहीं चलता। विश्वविद्यालय की मानक अंक तालिका प्राप्त कर मिलान किया तो छात्र के परीक्षा में रसायन विज्ञान में 19, जीव विज्ञान में 15 और कृषि विज्ञान में 35 अंक आ रहे हैं। यह अंक तब हैं जब बच्चे के गलत सवालों के माइनस मार्किग के अंक काटे गए हैं।

उधर विश्वविद्यालय के जेट 2011 के डिप्टी कोऑर्डिनेटर डॉ. बी.आर. रणवां ने बताया कि परीक्षा में दो अभ्यर्थियों के अंकों को लेकर शिकायत मिली थी। शिकायत सही पाए जाने पर दोनों के अंक सही कर दिए गए(दैनिक भास्कर,जयपुर/पचकोड़िया,5.7.11)।

बिहारःकटिहार में अब टीईटी फार्म के लिए नहीं करनी होगी मशक्कत

Posted: 05 Jul 2011 08:30 AM PDT

शिक्षक पात्रता परीक्षा के आवेदन फार्मो की बिक्री 11 जुलाई से शुरु किया जायेगा। इसके लिये अनुमंडल स्तर पर फार्म बिक्री करने की व्यवस्था की गयी है। कटिहार शहर में पांच, बारसोई में दो एवं मनिहारी अनुमंडल में दो-दो केंद्र बनाये गये है। इन्हीं केंद्रों पर ही फार्म जमा करने की भी व्यवस्था की गयी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री निवास तिवारी ने बताया कि कटिहार शहर के हरिशंकर नायक उच्च विद्यालय, उच्च विद्यालय बीएमपी, मध्य विद्यालय बीएमपी, गांधी उच्च विद्यालय रेलवे न्यू कॉलोनी एवं एमबीटी इस्लामियां उच्च विद्यालय में काउंटर खोल कर फार्म उपलब्ध रहेगा। वहीं मनिहारी में बीपीएसटी उच्च विद्यालय एवं पन्ना लाल सुरेंद्र लाल बालिका उच्च विद्यालय, बारसोई में उच्च विद्यालय बारसोई और मध्य विद्यालय बारसोई घाट में फार्म बिक्री की व्यवस्था की गयी है। इन सभी केंद्रों पर फार्म वितरण के लिये पांच-पांच काउंटर बनाये गये हैं। महिलाओं के लिये अलग से काउंटर की व्यवस्था की गयी है। फार्म वितरण की जिम्मेदारी वितरण केंद्र प्रभारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं विद्यालय के प्रधानाध्यापक को बनाया गया है। इसके अलावे फार्म वितरण की पूरे जिले के व्यवस्था देखने का जिम्मा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण को दिया गया है। डीओ ने बताया कि जिस केंद्रों से फार्म का क्रय किया जायेगा वहीं फार्म जमा भी लिये जायेंगे। जिन लोगों ने आवेदन प्रपत्र पूर्व में ले लिये है। वह तो मान्य है ही उसे किसी भी केंद्र में जमा कराया जायेगा। इसके अलावा फार्म खरीदने के लिये नकद अथवा ड्राफ्ट के जरिये शुल्क जमा कराया जा सकेगा। इसबार चौहार हजार आवेदन प्रपत्र उपलब्ध कराया गया है। पहले की तरह बिक्री केंद्रों पर भीड़ होने की स्थिति में अलग से काउंटर खोले जायेंगे। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि आवेदन प्रपत्र बिक्री के लिये जिले में एक नियंतण्रकक्ष स्थापित किया जायेगा। जिसका टेलीफोन नं. 06452-249705 होगा। इस नंबर पर कॉल कर आवेदन प्रपत्र संबंधी किसी भी जानकारी या परेशानी का समाधान किया जा सकेगा(राष्ट्रीय सहारा,कटिहार,5.7.11)।

जेएनवीयू की अधिकृत वेबसाइट हैंग, ए ग्रेड गंवाने के बावजूद जिम्मेदारों को परवाह नहीं

Posted: 05 Jul 2011 08:15 AM PDT

लाख कोशिश के बावजूद जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी की अधिकृत वेबसाइट jnvu.edu.in सामान्य रूप से नहीं चल रही है। इस वेब एड्रेस पर क्लिक करते ही 'इनडेक्स ऑफ/' लिखा आता है। फिर अटक जाती है।

वेबसाइट नहीं चलने से हजारों स्टूडेंट्स को तो परेशानी हो ही रही है, यूनिवर्सिटी को अपनी ए ग्रेड से भी हाथ धोना पड़ गया। इसकी परवाह वेबसाइट संचालन के जिम्मेदारों अथवा प्रशासन को नहीं है। इस कारण से यूनिवर्सिटी को अन्य यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के मुकाबले शर्मिदगी झेलनी पड़ रही है।

जागरूक पाठक की सूचना पर डीबी स्टार टीम ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा लेने का दावा करने वाली यूनिवर्सिटी की वेबसाइट अपग्रेड होना तो दूर अभी तक अटकी पड़ी है। वेबसाइट के कारण नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल 'नाक' की टीम के सामने फजीहत हुई थी। साथ ही उसे अपना ए ग्रेड का ओहदा भी गंवाना पड़ा।

इतना होने पर भी वेबसाइट बंद ही पड़ी है। पता चला कि पिछले साल नवंबर से वेबसाइट हैंग होने लगी थी। मामले को इतना टाला गया कि सात महीने में भी यह दुरुस्त नहीं हो सकी। इसी यूनिवर्सिटी का एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज है। इसमें आईटी ब्रांच भी है। तब भी वेबसाइट का हैंग होना आश्चर्यजनक है।


पता चला कि यह वेबसाइट तत्कालीन रजिस्ट्रार एमएल भट्ट के समय शुरू हुई थी। तब से कभी यह सही तौर पर चली ही नहीं। आखिरकार दिसंबर 2010 में वेबसाइट डिजाइनर कंपनी और यूनिवर्सिटी में भुगतान को लेकर विवाद हो गया। तब कंपनी काम छोड़ गई।

राजस्थान की इस एकमात्र रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी में जोधपुर और आसपास के गांवों के साथ ही बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, सिरोही, नागौर आदि जिलों से स्टूडेंट्स पढ़ने आते है। इन्हें कोर्स से लेकर परिणाम की जानकारी लेने के लिए भटकना पड़ता है। 

ऐसे में वेबसाइट सही चले तो कई जानकारियां इंटरनेट पर मिलने से इन्हें राहत मिलती। अप्रैल के बाद से यूनिवर्सिटी में परिणामों और भर्ती प्रक्रिया का दौर चला। ये तमाम जानकारियां अगले दिन अखबारों से ही मिल पाई।

जल्द ही वेबसाइट को चालू करवा दिया जाएगा। न केवल वेबसाइट बल्कि यूनिवर्सिटी को ही ऑनलाइन किया जा रहा है। यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है इसलिए थोड़ा समय लग रहा है। अब कार्य अंतिम चरण में हैं। संभवतया एक महीने में वेबसाइट को शुरू कर दिया जाएगा।
प्रो. केएल शर्मा, सदस्य, नेट मैनेजमेंट कमेटी(मनीष बोहरा,दैनिक भास्कर,जोधपुर,5.7.11)

बिहारःइंटर में स्क्रूटनी के लिए आवेदन 8 से

Posted: 05 Jul 2011 08:00 AM PDT

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उच्च माध्यमिक विभाग (इंटर काउंसिल) में इंटर के लिए स्क्रूटनी (पुनरीक्षण) का आवेदन आठ जुलाई से प्रारंभ हो जायेगा। जो छात्र इंटरमीडिएट परीक्षा के रिजल्ट से संतुष्ट नहीं हैं वे स्क्रूटनी के लिए अपने जिले के ही निर्धारित स्टेट बैंक व इलाहाबाद बैंक शाखा के जरिये आदेवन कर सकते हैं। इसके लिए छात्रों को बोर्ड कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। इंटर स्क्रूटनी के लिए आवेदन 22 जुलाई तक किया जा सकता है। इसके बाद किसी भी हाल में आवेदन नहीं लिया जायेगा। पुनरीक्षण के लिए छात्रों को प्रत्येक विषय सौ रुपये व्यय करना होगा। स्क्रूटनी में सिर्फ अंकों की गणना की जायेगी। ना कि अगल से अंक दिये जायेंगे। यदि अन्दर के पृष्ठों के अंक मुख्य पृष्ठ पर अंकित नहीं किये गये होंगे तो उसमें सुधार होगा या फिर प्रदत्त अंकों के योग में यदि त्रुटि है तो उसमें सुधार किया जायेगा। स्क्रूटनी के दौरान अंक बढ़ भी सकते हैं तो घट भी सकते हैं। चालान की प्रति संबंधित बैंक शाखा में उपलब्ध होगी या इसे समिति के वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है। आवेदन में छात्र-छात्राओं को नाम, रौन नम्बर आदि समेत सभी जानकारियां सही भरना होगा। पुराने पाठय़क्रम से मैट्रिक परीक्षा की स्क्रूटनी के लिए आवेदन छह जुलाई से प्रारंभ होगा। यह बैंक के माध्यम से नहीं होगा बल्कि इसके लिए स्कूल प्राचार्य से अग्रसारित कराकर आवेदन परीक्षा समिति के कार्यालय में जमा करना होगा(राष्ट्रीय सहारा,पटना,5.7.11)।

बीबीए है आईपी का बिग बॉस

Posted: 05 Jul 2011 07:45 AM PDT

आईपी यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) कोर्स काफी पॉपुलर है। स्टूडेंट्स इन दिनों कन्फ्यूजन में हैं कि डीयू से बीकॉम करें या फिर आईपी के बीबीए कोर्स में एडमिशन ले लें। इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए स्टूडेंट्स को बीबीए कोर्स की एबीसी को समझना बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट का कहना है कि बीकॉम और बीबीए कोर्स की तुलना नहीं की जा सकती। जहां बीकॉम कोर्स में अकाउंट और फाइनैंस सेक्टर का अहम इनपुट होता है वहीं बीबीए में मैनेजमेंट स्किल्स सीखने को मिलती है। आईपी यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की डीन प्रो. अनु सिंह लाठर का कहना है कि जिन स्टूडेंट्स की मैथ्स और अकाउंट्स में अच्छी पकड़ है, उन्हें बीकॉम कोर्स को महत्व देना चाहिए लेकिन ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी कम्यूनिकेशन स्किल्स बेहतर है और मै



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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