BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, November 21, 2014

क्‍या नेता और क्‍या प्रधान, सब सर्वत्र और समान रूप से पेलाएं।

 क्‍या नेता और क्‍या प्रधान, सब सर्वत्र और समान 


रूप 


से पेलाएं।


बड़ी समस्‍या है। प्रधानजी रोज़ नई बंडी और डिज़ाइनर कुर्ते पहनें तो ठीक। अडानी के खटोले से चलें तो ठीक। छह महीने में तीन महीने विदेश घूमें तो ठीक। हज़ारों करोड़ डॉलर अपने मित्र अडानी की अंटी में डाल दें तो मस्‍त। इधर नेताजी बग्‍धी में टहल लिए तो बेमतलब का हल्‍ला।

देखिए, जब आप व्‍यवस्‍था में विकास का पैमाना स्‍मार्ट सिटी, जीडीपी, एफडीआइ को बनाएंगे, लोगों की रईसी को उनके बचाए धन से नहीं बल्कि उनकी क्रय शक्ति से मापेंगे, तो नेता ने कोई टेंडर नहीं भरा है गांधीवाद का, कि बकरी का दूध पीता रहे। उसे भी मिल्‍कमेड पीने का अधिकार है। और वैसे भी, नेहरूजी खानदानी थे तो कपड़ा इंगलैंड से धुलवा लेते थे। जो खानदानी नहीं हैं वो जब पैसा आएगा तब फूंकेंगे। इसीलिए आज़म खान ने चिढ़कर ठीक ही जवाब दिया कि बग्‍धी में पैसा तालिबान-दाउद ने लगाया है। ये जो सवाल पूछने वाले रिपोर्टर हैं, उनसे पूछ कर देखिए कि तीस-चालीस हज़ार की तनख्‍वाह में तुम एलेन सॉली की साढ़े तीन हज़ार की शर्ट क्‍यों पहनते हो, तो अपने मामले में उनका पैमाना बदल जाएगा। आजकल तो बेरोजगार समाजवादी और वामपंथी भी तीन-चार हज़ार का जूता पहनते हैं, क्‍या करेंगे।

प्रधानजी आजकल रेडियो पर विज्ञापन कर रहे हैं कि अगर भारतवासी कम से कम पैसे में मंगल तक पहुंच सकते हैं तो सफाई क्‍यों नहीं कर सकते। दोगलापन देखिए, कि जहां पैसा लगाना है वहां कमखर्ची का पाठ पढ़ाया जा रहा है। ऐसा नहीं हो सकता कि देश के विकास का पैमाना अलग हो और व्‍यक्ति के विकास का पैमाना कुछ और। छोड़ दीजिए लोहियावाद को, वह अपनी उम्र जी चुका। काटने दीजिए इन्‍हें हज़ार फुट का केक, घूमने दीजिए विक्‍टोरियन बग्‍धा और अडानी के प्‍लेन में। बस इंतज़ार करिए उस दिन का जब यह धन-ऐश्‍वर्य लोगों की आंखों में निर्णायक रूप से गड़ने लगे। फिर न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। क्‍या नेता और क्‍या प्रधान, सब सर्वत्र और समान रूप से पेलाएं।

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