BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, February 13, 2014

व्यक्ति स्वतंत्र्य बनाम राज्य : ‘मैंने वह किया जो उचित मानता हूं’

व्यक्ति स्वतंत्र्य बनाम राज्य : 'मैंने वह किया जो उचित मानता हूं'

Author:  Edition : 

एडवर्ड स्नोडेन

12 जुलाई को मास्को में दिया गया वक्तव्य

edward-snowdenमेरा नाम एडवर्ड स्नोडेन है। एक महीने से थोड़ा पहले तक मेरा एक परिवार था, स्वर्ग में एक घर और मैं बहुत ऐशोआराम से रहता था। हां, मुझ में यह क्षमता भी थी कि तलाशी के बिना किसी वारंट के मैं आपके किसी भी संदेश-संवाद को जब्त कर सकता था और पढ़ सकता था। किसी के भी संदेश को किसी भी समय। यह लोगों की नियति को बदलने की ताकत है।

यह कानून की गंभीर अवहेलना है। मेरे देश के संविधान के चौथे और पांचवें संशोधन, विश्व मानवाधिकार के घोषणापत्र का 12वां अनुच्छेद तथा अनेक अध्यादेश व ग्रंथ इस तरह की विकराल, व्यापक जासूसी की व्यवस्थाओं का निषेध करते हैं, जबकि अमेरिकी संविधान इस तरह के कार्यक्रमों को गैरकानूनी मानता है। मेरी सरकार का तर्क है कि न्यायालय का एक गुप्त आदेश, जिसे देखने की दुनिया को इजाजत नहीं है, इस गैरकानूनी मसले को किसी तरह कानूनी बना देता है। ये आदेश न्याय की सर्वाधिक आधारभूत अवधारणा को ही भ्रष्ट कर देता है – वह यह कि न्याय को होता हुआ दिखना चाहिए। अनैतिक को गुप्त कानून से नैतिक नहीं बनाया जा सकता।

मैं न्यूरंबर्ग में 1945 में घोषित इस सिद्धांत को मानता हूं कि : 'व्यक्तियों के निजी स्तर पर अंतरराष्ट्रीय कर्तव्य हैं, जो आज्ञाकारिता के राष्ट्रीय दायित्व से आगे निकल जाते हैं। इसलिए नागरिकों का व्यक्तिगत स्तर पर कर्तव्य है कि वे घरेलू (स्वदेशी)कानूनों का उल्लंघन कर शांति और मानवता के विरुद्ध होने वाले अपराधों को होने से रोकें। '

तद्नुसार मैंने वह किया जो मैं उचित मानता हूं और मैंने इस गलत काम को सही करने का अभियान शुरू किया। इसे मैंने समृद्ध होने के लिए नहीं इस्तेमाल किया। न ही मैंने अमेरिकी गुप्त सूचनाओं को बेचने की कोशिश की।

मैं अपनी सुरक्षा के लिए किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर काम नहीं कर रहा हूं। इसकी जगह मुझे जो जानकारी थी, मैं उसे जनता तक ले गया जिससे कि उस पर, जिसका हम सबके जीवन पर प्रभाव पड़ता है, हम सब खुली चर्चा कर सकें और मैंने दुनिया से न्याय की मांग की।

जनता को उस जासूसी के बारे में बतलाने, जो हम सबको प्रभावित करती है, के नैतिक निर्णय की कीमत बड़ी साबित हुई है, पर यह सही काम था और मुझे इसे लेकर कोई अफसोस नहीं है।

उस समय से अमेरिकी सरकार और उसकी गुप्तचर एजेंसियां मुझे उदाहरण बनाने की कोशिश में लगी हैं, अन्य लोगों के लिए एक चेतावनी जो संभव हैं मेरी ही तरह बोलने की कोशिश करेंगे। मुझे अपने राजनीतिक अभिव्यक्ति के काम के लिए राष्ट्रविहीन बना दिया गया है, मेरे पीछे शिकारी कुत्ते छोड़ दिए गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने मुझे नो फ्लाई-सूची (ऐसा व्यक्ति जिसे किसी जहाज में जगह नहीं मिल सकती) में डाल दिया है। इसने मांग की कि हांगकांग मुझे अपने कानूनों को तोड़कर लौटा दे। इसने उन देशों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी जो मेरे मानवीय अधिकारों के और संयुक्त राष्ट्र संघ के शरण देने की व्यवस्था के पक्ष में खड़े हो सकते हैं। इसने यहां तक कि अपने सैनिक गठबंधन के साथियों को आदेश देकर एक राजनीतिक शरणार्थी की तलाश में एक लातिन अमेरिकी राष्ट्रपति के जहाज को उतरवाकर अभूतपूर्व कदम उठाया। ये खतरनाक कदम मात्र लातिन अमेरिकी देशों के सम्मान को ही खतरा नहीं हैं, बल्कि उस मूल अधिकार को ही खतरा हैं जिनमें हर व्यक्ति और राष्ट्र की भागादारी है। वह है बिना किसी उत्पीडऩ के रहने और शरण मांगने व पाने की।

इस ऐतिहासिक रूप से बेअनुपाती आक्रामकता के बावजूद दुनिया के कई देशों ने (मुझे) शरण देने का प्रस्ताव किया है। इन देशों में रूस, वेनेजुएला, बोलीविया, निकारागुआ और इक्वाडोर के प्रति मैं आभारी हूं और नतमस्तक हूं क्योंकि वे पहले थे जो कमजोरों द्वारा नहीं बल्कि ताकतवरों द्वारा किए जाने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ सामने आए। धमकियों के सामने अपने सिद्धांतों पर अटल रहकर उन्होंने दुनिया का सम्मान कमाया है। मेरी मंशा इन देशों में व्यक्तिगत तौर पर जाने और निजी तौर पर इनकी जनता और नेताओं के प्रति आभार प्रकट करने की है।

मैं आज औपचारिक रूप से मदद और शरण देने के सारे प्रस्तावों और भविष्य में भी जो दिए जाएंगे उनको स्वीकार करने की घोषणा करता हूं। उदाहरण के लिए वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो ने जो मुझे शरण दी है, उससे मेरा शरणार्थी का दर्जा औपचारिक हो गया है और अब किसी राष्ट्र के पास मेरे इस अधिकार को सीमित करने या उसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

पर जैसा कि योरोप और उत्तरी अमेरिका की कुछ सरकारों ने दिखा दिया है कि वे कानून के खिलाफ काम करने को तैयार हैं, यह प्रवृत्ति अभी भी बरकरार है। इस गैरकानूनी धमकी ने मेरा लातिन अमेरिकी देशों में जाना और हम सबको मिले अधिकार के मुताबिक शरणार्थी के रूप में वहां रह पाना असंभव कर रखा है।

ताकतवर राष्ट्रों द्वारा इस गैरकानूनी तरीके से काम करना हम सबके लिए एक खतरा है, इसलिए इसे सफल नहीं होने दिया जाना चाहिए।

तद्नुसार मैं आप लोगों से संबंधित राष्ट्रों से सुरक्षित लातिन अमेरिका जाने का मार्ग देने के लिए अनुरोध करने में सहायता चाहता हूं। साथ ही साथ मैं रूस में तब तक शरण चाहता हूं जब तक कि ये राज्य कानून को नहीं मानते और मुझे कानूनी तौर पर जाने की इजाजत नहीं देते।

मैं आज रूस को अपना प्रार्थनापत्र दूंगा और आशा करता हूं कि इसे सहृदयतापूर्वक स्वीकार कर लिया जाएगा।

अनु.: समयांतर

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