BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Monday, February 18, 2013

विनियंत्रित बाजार में बढ़े हुए दाम वापसी की राजनीति से हमें क्या मतलब?हड़ताल भी रस्म अदायगी के सिवाय कुछ नहीं!

 विनियंत्रित बाजार में बढ़े हुए दाम वापसी की राजनीति से हमें क्या मतलब?हड़ताल भी रस्म अदायगी के सिवाय कुछ नहीं!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

आर्थिक सुधारों और मुक्त बाजार की उदार अर्थव्यवस्था के बीस साल में मजदूर यूनियनें अब तक क्या छीलती रही हैं? उनके पीछे के जो राजनीतिक दल हैं, वे संसद और संसद के बाहर कौन सा प्रतिरोध खड़ा करते रहे हैं? मंहगाई के खिलाफ हड़ताल के जरिये यूनियनें कुल मिलाकर वेतन और भत्तों की लड़ाई ही लड़ रही हैं!
 

बाजार को नियंत्रण मुक्त करने का तो पुरजोर विरोध न राजनीति ने की और न अराजनीति ने। कारपोरेट हित में राजनीति अराजनीति औ​र ​इनका धर्म एकाकार है। पर मरणासण्ण जनता को दिलासा का आक्सीजन देते रहना सत्ता समीकरण सादने के लिए जरुरी है। सामने संसद का बजट सत्र है और पक्ष विपक्ष में प्रतियोगिता मची है मैंगो जनता का दिल ओ दिमाग कब्जाने की। मुक्त बाजार के लोकतंत्र में कुल हासिल यही है। ​​आप सिर्फ रियायतों और छूट की उम्मीद में जीते रहे, जो कारपोरेट और पूंजी के वर्चस्व के चलते कतई नामुमकिन है।पेट्रो कीमतों में ताजा वृद्धि से नाराजमजदूर संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ पहली बार एक साथ हमला बोलने जा रहे हैं। महंगाई रोकने में सरकार की नाकामी के खिलाफ 11 केंद्रीय कर्मचारी संगठनों और मजदूर संघों ने 20 फरवरी से दो दिनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। भाजपा ने भी सड़कों पर उतरने का संकेत दिया है।यह हड़ताल भी रस्म अदायगी के सिवाय कुछ नहीं है।आर्थिक सुधारों और मुक्त बाजार की उदार अर्थव्यवस्था के बीस साल में मजदूर यूनियनें अब तक क्या छीलती रही हैं? उनके पीछे के जो राजनीतिक दल हैं वे संसद और संसद के बाहर कौन सा प्रतिरोध खड़ा करते रहे हैं? 

बजट से पहले सरकार पर टैक्स मामलों में सफाई का दबाव बढ़ गया है। भारत दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा कि किसी भी देश की टैक्स नीति बिलकुल साफ होनी चाहिए। साथ ही, टैक्स दरों को कम रखना चाहिए।
डेविड कैमरून ने साफ कहा कि कंपनियों पर उचित टैक्स ही लगना चाहिए। जरूरत से ज्यादा टैक्स किसी भी कारोबार के लिए अच्छा नहीं है। भारत सरकार और वोडाफोन के बीच 11000 करोड़ रुपये का टैक्स मामला लंबे समय से फंसा हुआ है।

संप्रग सहयोगी द्रमुक के मुखिया एम. करुणानिधि ने पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी पर कहा है कि सरकार हमारी सुन नहीं रही है। उन्होंने इस मसले की तुलना मछुआरों पर श्रीलंकाई सैनिकों के हमले से की। करुणानिधि ने कहा कि लगातार विरोध के बावजूद मछुआरों पर हमले जारी हैं। इसी तरह पेट्रो पदार्थो के मामले में आलोचना के बाद सरकार बेफिक्र है। केंद्र को मूल्य निर्धारण व्यवस्था अपने हाथ में लेनी चाहिए।इसी तरह मूल्य वृद्धि के बारे में हम फेसबुक पर दीदी के ह्रदय विदारक  उद्गार पढ़ते रहते हैं।

 मंहगाई के खिलाफ हड़ताल के जरिये यूनियनें कुल मिलाकर वेतन और भत्तों की लड़ाई ही लड़ रही हैं।मसलन बैंक कर्मचारी यूनियनों ने 20 फरवरी से केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाई गई दो दिनों की बैंक हड़ताल को अपना पूरा समर्थन देने का फैसला किया है। देश में बढ़ती महंगाई और मजदूरी में वृद्धि की मांग को लेकर यह हड़ताल बुलाई गई है। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के अंतर्गत नौ बैंक यूनियनों ने भी 20 और 21 फरवरी को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) ने यह जानकारी दी है।इसके साथ ही भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक),अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) और आल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) सहित केंद्र की 11 ट्रेड यूनियनों ने वेतन में संशोधन की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।एनओबीडब्ल्यू ने कहा कि बैंक यूनियनें कर्मचारियों के वेतन संशोधन को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है। इसके साथ ही बैंकिंग कानूनों में भी कुछ बदलाव लाने की बात कही गई है।

तो लीजिये,पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल के बढ़े दाम पर किसी तरह के रोलबैक से साफ इनकार कर दिया है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा है कि तेल के बढ़े दाम वापस नहीं होंगे। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते पेट्रोल के दाम में डेढ़ रुपए और डीजल में 45 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। इस बढ़ोतरी का बीजेपी समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था। विपक्ष ने इस मुद्दे पर बजट सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है।नीति निर्धारण में सर्वदलीय सहमति हो जाती है। जब नीति लागू हो जाती है तो सबकों अपने अपने सतीत्व और छवि की फिक्र हो जाती है। ऐसे में राजनीति और अराजनीति जनमुखी हो जाती है। इस जनपक्षधरता का एकमात्र एजंडा जनता को राहत देने के बजाय कारपोरेट हितों को आंच पहुंचाये बिना जनभावनाओं को सहलाने फुसलाने की कवायद है।खूब हंगामाखेज संसदीय बजट सत्र में यही बाजीगरी दिखाने की परंपरा में हम लोकतंत्र उत्सव मनाने के अभ्यस्त हैं।

यानी कारपोरेट हित में करारोपण का चाकचौबंद बंदोबस्त है और राजनीति तो कारपोरेट लाबिइंग के बिना एक कदम नहीं चल सकती। अराजनीति भी नहीं।जो राम है वही तो श्याम!अब तैयारी यह है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की भूमिका तैयार करते हुए वित्त मंत्रालय 2013-14 के बजट में सेवा कर और उत्पाद शुल्क कानून को एकसमान बना सकता है। इसके बाद सेनवैट क्रेडिट नियमों को भी आसान बनाया जा सकता है। सेनवैट क्रेडिट व्यवस्था के तहत कच्चे माल पर वसूले गए उत्पाद शुल्क या सेवा कर के एवज में तैयार उत्पाद पर कर में छूट मिल जाती है। इसके अलावा मंत्रालय स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की कुछ श्रेणियों को सेवा कर से छूट के दायरे में लाने पर विचार कर सकता है।फिलहाल उत्पाद शुल्क और सेवा कर की वसूली दो अलग-अलग कानूनों के तहत की जाती है। वित्त मंत्रालय ने जीएसटी लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए दोनों कानूनों के विलय के साफ संकेत दिए हैं। इसकी शुरुआत पंजीकरण, रिटर्न और आकलन जैसी आवश्यक प्रक्रियाओं को एक जैसा बनाकर की जा सकती है। सेवा और उत्पाद शुल्क के मामले में सेनवैट क्रेडिट और निपटारा आयोग तथा अपीलीय प्राधिकरण से संबंधित प्रावधान पहले ही एक जैसे बनाए जा चुके हैं।राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बतौर वित्त मंत्री पिछले साल अपने बजट भाषण में केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर कानून को एकसमान बनाने पर विचार के लिए एक टीम का गठन करने का प्रस्ताव किया था। टीम जीएसटी को ध्यान में रखते हुए मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था के तहत एकसमान कोड के व्यवहार्यता का परीक्षण पूरा कर चुकी है।


पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि ईंधन के दाम में हल्की वृद्धि की गई है ताकि उपभोक्ताओं पर बोझ कम पड़े। सरकार ने पिछले शुक्रवार को पेट्रोल के दाम 1.50 रुपये और डीजल के दाम 45 पैसे लीटर बढ़ा दिए। पेट्रोलियम मंत्री से जब पेट्रोल, डीजल मूल्य वृद्धि को वापस लेने के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, 'नहीं, ऐसा नहीं होगा।' उन्होंने कहा, 'हमारा देश अपनी कुल जरूरत का 73 से 75 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। हमें आयात बिल के रूप में 7 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है। हम आखिर इतना धन कैसे हासिल करेंगे।' पेट्रोल की कीमत में साढ़े तीन महीने के बाद वृद्धि की गई है जबकि डीजल में एक महीने के अंतराल में दूसरी बार वृद्धि की गई है। स्थानीय बिक्री कर या वैट को जोड़ा जाए तो उपभोक्ताओं पर बोझ कुछ अधिक पड़ेगा। दिल्ली में 16 फरवरी को जहां पेट्रोल का मूल्य 1.80 रुपये बढ़कर 69.06 रुपये प्रति लीटर हो गया वहीं डीजल 51 पैसे महंगा होकर 48.16 रुपये लीटर हो गया। मोइली ने कहा, 'मुझे लगता है कि हर कोई इसकी सराहना करेगा कि हमने उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ नहीं डाला गया है। यह केवल हल्की वृद्धि है।'वाइन ईंधन के मूल्य में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढऩे की संभावना है। महंगाई दर जनवरी महीने में तीन साल के निम्न स्तर 6.2 फीसदी पर आ गई। उन्होंने कहा, 'तेल आयात के लिए पैसा या तो हम कर बढ़ाकर दे सकते हैं या फिर इसका मूल्य बढ़ाकर इसका भार उपभोक्ताओं पर डाले।'

अर्थव्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के लिए ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एक बार फिर सरकार को चेताया है। इस बार विदेश व्यापार में हो रहा घाटा उसके निशाने पर है। रेटिंग एजेंसी ने सरकार को कहा है कि बढ़ता व्यापार घाटा उसकी साख को नीचे ला सकता है। वर्तमान में भारत के लिए मूडीज की रेटिंग बीएए 3 है। यह निवेश के मामले में एजेंसी की तरफ से दी जाने वाली न्यूनतम रेटिंग है। इसके बाद अगर मूडीज रेटिंग घटाती है तो निवेश के मामले में भारत की साख नकारात्मक यानी जंक हो जाएगी।

ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत का व्यापार घाटा जनवरी में 20 अरब डालर के स्तर पर पहुंच गया है। इस पर मूडीज का कहना है, 'बढ़ता व्यापार घाटा नकारात्मक साख की तरफ ले जा रहा है। बढ़ते घाटे की भरपाई विदेशी मुद्रा कर्ज में वृद्धि से करनी होगी।' जनवरी, 2013 से पहले अक्टूबर, 2012 में भी व्यापार घाटा इससे भी अधिक 21 अरब डॉलर को छू चुका है।

मूडीज का मानना है कि व्यापार घाटे में वृद्धि से देश की मुद्रा अन्य विदेशी मुद्राओं की तुलना में कमजोर होती है। इससे आयातित जिंसें घरेलू बाजार में महंगी होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही ऊंचे स्तर पर चल रही महंगाई दर को और ऊपर जाने में मदद मिलेगी। साल 2011 में देश का व्यापार घाटा औसतन 13.5 अरब डॉलर मासिक रहा था, जबकि 2012 में यह 16 अरब डॉलर तक पहुंच गया। बीते तीन साल में ईंधन की बढ़ती कीमतों ने सरकार के आयात बिल को तेजी से बढ़ाया है। इसके अलावा सोने के भारी आयात ने भी विदेश व्यापार घाटा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

वर्ष , व्यापार घाटा [अरब डॉलर में]

2008 , 9.5

2009 , 9.5

2011 , 13.5

2012 , 16

[व्यापार घाटे का मासिक औसत]

एटक महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने शनिवार को कहा कि पहली बार सभी श्रमिक संघ एक साथ आए हैं। सरकार महंगाई, सरकारी उपक्रमों के विनिवेश और श्रम कानूनों का अनुपालन न होने के मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने दावा किया कि हड़ताल में दस करोड़ से ज्यादा कामगार शामिल होंगे। भाजपा से जुड़ी भारतीय मजदूर संघ और कांग्रेस से जुड़ी ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के अलावा इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) जैसे संगठनों ने संयुक्त रूप से हड़ताल का समर्थन किया है। इसके अलावा सड़क परिवहन, पोत, पेट्रोलियम, कोयला, स्टील, निर्माण कार्यो की यूनियनें भी हड़ताल में शामिल होंगी। बैंकिंग, बीमा और अन्य वित्तीय सेवाएं भी इसमें कूदेंगी। एटक के राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने सभी के लिए पेंशन और बोनस और भविष्य निधि के लिए लगी सीमा हटाने पर मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों का नियंत्रण अपने हाथ में ले।

पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाइक ने ईंधन की कीमतों में अस्थिरता के लिए संबंधित मंत्रालय में बार-बार फेरबदल को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि संप्रग की कोई नीति न होने से भ्रष्टाचार और महंगाई से जनता कराह रही है।

 

एफडीआइ की बाधाएं हटाए भारत

 भारत अपनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] की राह की बाधाएं हटाए। यह सुझाव देते हुए अमीर देशों के संगठन ओईसीडी ने कहा है कि नियमन से जुड़ी अनिश्चितताएं भी दूर करनी होंगी। इसके अलावा संगठन ने आर्थिक विकास दर बढ़ाने के लिए वित्तीय क्षेत्र में और सुधार करने की सिफारिश की है। इनमें नए निजी बैंकों के प्रवेश को बढ़ावा और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए उधारी को धीरे-धीरे खत्म करने जैसे उपाय शामिल हैं।

अर्थव्यवस्था की सुस्ती से परेशान सरकार ने कुछ माह पहले मल्टी ब्रांड रिटेल और विमानन क्षेत्र में एफडीआइ संबंधी नियमों को नरम बनाया है। सरकार के तमाम कदमों के बावजूद चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर पांच से 5.5 फीसद के बीच रहने की उम्मीद है। वर्ष 2008-09 के वित्तीय संकट से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसद से अधिक रफ्तार से दौड़ रही थी।


वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड भी कच्चे माल पर कराधान के मसले पर विचार कर रहा है। वह सेनवैट क्रेडिट की मौजूदा योजना को सरल बनाने की जुगत भिड़ा रहा है। 

केपीएमजी के विश्लेषक प्रतीक जैन ने कहा, 'अगर सेनवैट क्रेडिट नियम सरल बनाए जाते हैं तो कर प्रणाली में अच्छा सुधार होगा। मंत्रालय को उन मामलों पर भी ध्यान देना चाहिए, जहां कच्चे माल पर ज्यादा शुल्क वसूला जाता है और तैयार उत्पाद पर कम।' उन्होंने कहा कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर के प्रावधानों में जहां भी फर्क है, उसे दुरुस्त किया जाना चाहिए। अगर उत्पाद शुल्क से मुक्त वस्तुओं के निर्यात पर रिफंड मिलता है तो सेवाओं के निर्यात में भी यही पैमाना होना चाहिए। पिछले बजट में भी सेनवैट क्रेडिट नियमों को संशोधित कर रिफंड प्रक्रिया और क्रेडिट के इस्तेमाल को आसान बनाया गया था। क्रेडिट का इस्तेमाल वाहनों की बिक्री, आपूर्ति, मरम्मत, किराये पर देने या उनके बीमा में करने की अनुमति है। 

मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की कुछ श्रेणियों को भी नकारात्मक सूची में लाया जा सकता हे। इसके तहत 17 सेवाओं को छोडकर सभी सेवाओं पर कर लगता है। फिलहाल प्री-स्कूल से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूल शिक्षा और प्रमाणित वोकेशनल पाठ्यक्रमों को नकारात्मक सूची में रखा गया है। इसके साथ ही सहायक शिक्षा सेवा और शिक्षण कार्य के लिए शिक्षण संस्थानों द्वारा अचल संपत्ति को किराये पर दिए जाने को भी सेवा कर से बरी रखा गया है। स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिकृत चिकित्सक या अद्र्घ-चिकित्सक की क्लीनिक को भी इससे बाहर रखा गया है। बजट में छूट वाली कुछ सेवाओं के साथ ही वैसी कुछ सेवाएं जिन पर कर वसूला जा रहा है, उसे नकारात्मक सूची में डाला जा सकता है।
जीएसटी के प्रारूप पर अंतिम सहमति के लिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम राज्यों के वित्त मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समिति के साथ गुरुवार को बैठक करेंगे। वह 2013-14 के बजट में जीएसटी का मोटा खाका पेश कर सकते हैं और जीएसटी के लिए सूचना तकनीक नेटवर्क की भी बजट में घोषणा की जा सकती है। फिलहाल केंद्र सरकार द्वारा वित्त कानून, 1994 के चैप्टर 5 के तहत अधिसूचित कुछ निश्चित सेवाओं के लेनदेन पर सेवा शुल्क वसूला जाता है। इसी तरह उत्पाद शुल्क केंद्रीय उत्पाद कानून के तहत वसूला जाता है।

चीनी पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का समर्थन

कृषि मंत्रालय ने खाद्य मंत्रालय की तरफ से केंद्रीय मंत्रिमंडल को भेजे गए उस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें चीनी पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की बात कही गई है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि राशन की दुकानों के लिए केंद्र सरकार यदि खुले बाजार से चीनी खरीदती है तो उसका वित्तीय बोझ कम किया जा सकेगा।

 अक्टूबर 2012 में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने चीनी पर जारी दो तरह के नियंत्रण, चीनी जारी करने की नियंत्रित प्रणाली और लेवी चीनी दायित्व को फौरन खत्म करने का सुझाव दिया था।

 लेवी चीनी प्रणाली के तहत मिलों को अपने उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार को राशन की दुकानों से बेचने के लिए कम कीमत पर देना होता है, जिससे इस उद्योग को सालाना 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है।

 कृषि मंत्री शरद पवार ने एक समारोह में कहा, 'खाद्य मंत्रालय ने लेवी चीनी प्रणाली खत्म करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सब्सिडी वाली चीन की आपूर्ति जारी रखने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल सरकार मिलों से 17 रुपये प्रति किलो चीनी खरीदती है और 13.50 रुपये प्रति किलो बेचती है। लेवी प्रणाली खत्म होने के बाद सरकार को खुले बाजार से चीनी लेनी होगी।Ó

 उन्होंने कहा, 'वित्तीय बोझ कम करने और सब्सिडी वाली चीनी की आपूर्ति जारी रखने के लिए खाद्य मंत्रालय ने उत्पाद शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। हमने इसका समर्थन किया है।Ó

फिलहाल चीनी पर उत्पाद शुल्क करीब 70 पैसे प्रति किलो है। केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सालाना 27 लाख टन चीनी की जरूरत होती है। रंगराजन समिति ने चीनी जारी करने की उस प्रणाली को भी खत्म करने का सुझाव दिया था, जिसके तहत केंद्र सरकार चीनी का कोटा तय करती है जिसे खुले बाजार में बेचा जा सकता है।

 बजट में कृषि ऋण माफी के प्रस्ताव की संभावना के बारे में पवार ने कहा, 'मैंने इस बारे में अखबार में पढ़ा है। मुझे नहीं पता। यदि वित्त मंत्री ने कुछ कहा है तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

एक दिन में भारतीय निवेशकों को वीजा: कैमरन

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि उनके देश आने वाले भारतीय निवेशकों को एक दिन में वीजा जारी किया जाएगा। तीन दिन की भारत यात्रा पर पहुंचे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कैमरन ने सोमवार को ताज होटल में आयोजित कार्यक्रम में कहा, हम भारत से ब्रिटेन में निवेश के लिए आने वाले उद्यमियों के लिए एक दिन में वीजा देने की नीति लागू करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रिटेन अपने यहां भारतीय निवेशकों का स्वागत करेगा।भारतीय छात्रों पर कैमरन ने कहा कि ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में पढ़ने आने वाले भारतीय छात्रों की संख्या की कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके देश में इस तथ्य को लेकर जबरदस्त उत्साह है कि भारत अपने विश्वविद्यालयों में चार करोड़ सीटें जोड़ने की योजना बना रहा है। कैमरन मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करेंगे।

3 लाख होगी आयकर छूट की सीमा, 5 लाख तक नहीं देना होगा कोई टैक्स!

आम बजट 2013 में वित्त मंत्री आम आदमी को कई मामलों में राहत दे सकते हैं। सरकार इस बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.60 लाख रुपये कर सकती है। हालांकि, वित्त मंत्री पर इस सीमा को 3 लाख रुपये तक करने को लेकर सरकार का भारी दबाव है। कई कांग्रेसी नेताओं और खुद सोनिया गांधी इस टैक्स छूट को 3 लाख करने को कह रही हैं।  उधर, एक अन्य राहत के रूप में आम आदमी को मिलने वाली टैक्स रियायत की दर भी बढ़ सकती है। वर्तमान में बचत के रूप में 1 लाख रुपये तक सेविंग पर टैक्स नहीं लगता है। इस बजट में यह दायरा बढ़कर 2 लाख रुपये हो सकता है। हालांकि, सरकार इस बढ़ी हुई रियायत में सरकारी योजनाओं, पेंशन और इंश्योरेंस संबंधी निवेश को ज्यादा तवज्जो देगी। यानी दोनों को मिलाकर 5 लाख रुपये तक की सैलरी के साथ आम आदमी बचत को दिखाकर टैक्स देने से बच सकेगा।  आगे की स्लाइड पर क्लिक कर जानें कैसे 2.60 लाख रुपये तक की सैलरी पर नहीं लगेगा टैक्स। कैसे 4.60 लाख रुपये तक की आय पर नहीं देना होगा टैक्स। किन पर सरकार दे सकती है टैक्स में सबसे ज्यादा रियायत। जो सोनिया जी बोलेंगी वो मैं करूंगा.. जो राहुल बाबा मांगेंगे वो मैं उन्हें बजट में दूंगा...



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