BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Monday, April 30, 2012

आज फासिज्म की पराजय और जनता की विजय का महादिवस है -

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आज फासिज्म की पराजय और जनता की विजय का महादिवस है -

आज फासिज्म की पराजय और जनता की विजय का महादिवस है -

By  | April 30, 2012 at 8:45 am | No comments | आजकल | Tags: ,

हिटलर की पराजय का महाकाव्य

जगदीश्वर चतुर्वेदी

डा जगदीश्वर चतुर्वेदी, जाने माने मार्क्सवादी साहित्यकार और विचारक हैं. इस समय कोलकाता विश्व विद्यालय में प्रोफ़ेसर

आज के दिन सोवियत कम्युनिस्टों ,लाल सेना और सोवियत जनता की कुर्बानियों के कारण हिटलर को पराजित करने सफलता मिली। हिटलर और उसकी बर्बर सेना को परास्त करके कम्युनिस्टों ने दुनिया की महान सेवा की । आज के दिन का संदेश है कि कम्युनिस्ट विश्व मानवता के सच्चे सेवक और संरक्षक हैं।
बर्लिन आपरेशन के दौरान सोवियत सेनाओं ने शत्रु की 70 इंफेंट्री 12टैंक और 11मोटराइज्ड डिविजनों को नष्ट किया। 16 अप्रैल से 7 मई के बीच शत्रु के 4लाख 80 हजार सैनिकों और अफसरों को युद्धबंदी बनाया और डेढ़ हजार से अधिक टैंकों ,साढ़े 4 हजार विमानों और कोई 11हजार तोपों और मॉर्टरों पर कब्जा किया।
सोवियत लोगों को भी फासिस्ट जर्मनी पर इस अंतिम विजय की भारी कीमत चुकानी पड़ी। 18 अप्रैल से 8 मई 1945 के बीच दूसरे बेलोरूसी मोर्चों और पहले उक्रइनी मोर्चे पर 3लाख आदमी हताहत हुए। इसके विपरीत आंग्ल-अमरीकी फौजों ने पश्चिमी यूरोप में 1945 की सारी अवधि में केवल 2लाख 60 हजार आदमी गंवाये थे।
लालसेना के बर्लिन आपरेशन का सबसे मुख्य परिणाम था फासिस्ट जर्मनी का बिनाशर्त आत्मसमर्पण और यूरोप से युद्ध का अंत।बर्लिन आपरेशन की सफल परिणति का अर्थ था हिटलरी "नयी व्यवस्था" का विध्वंस,गुलाम बनाए गए यूरोप के सभी राष्ट्रों की मुक्ति और नाजीवाद,फासीवाद से विश्व सभ्यता का उद्धार।
आमतौर पर सेनाएं दुश्मन के शहरों पर कब्जे करती हैं, लूटमार करती हैं, औरतों के साथ बलात्कार करती हैं और विध्वंसलीला करती हैं। लेकिन बर्लिन को हिटलर से आजाद कराने के बाद सोवियत सेनाओं ने एक नयी मिसाल कायम की। उस समय बर्लिन शहर पूरी तरह तबाह हो गया था, आम बर्लिनवासी हिटलर के जुल्मोसितम से पूरी तरह बर्बाद हो चुका था, लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था,दवाएं नहीं थीं,ऐसी अवस्था में सोवियत सैनिकों ने अपना राशन-पानी बर्लिन की आम जनता के बीच में बांटकर खाया। इसके अलावा बर्लिन शहर को संवारने और संभालने में मदद की।
सोवियत सरकार ने बर्लिनवासियों को 96हजार टन अनाज,60हजार टन आलू,कोई 50 हजार मवेशी, और बड़ी मात्रा में चीनी,बसा और अन्य खाद्य सामग्रियां मुहैय्या करायी गयीं। महामारियों की रोकथाम के लिए तात्कालिक कदम उठाए गए और 96 अस्पताल (जिनमें 4 शिशु अस्पताल) ,10 जच्चाघर,146 दवाईयों की दुकानें और 6 प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र खोले गए। सोवियत सैनिकों ने किसी भी नागरिक के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया।
इस तरह सोवियत सेना ने सैन्य व्यवहार की आदर्श मिसाल कायम की। सोवियत सेना के इस व्यवहार की रोशनी में अमेरिका और नाटो सेनाओं के हाल ही में इराक और अफगानिस्तान में किए गए दुराचरण और अत्याचारों को देखें तो समाजवादी सेना और पूंजीवादी सेना के आचरण के अंतर को आसानी से समझा जा सकता है।
सोवियत सेनाओं के हिटलर को परास्त करके सारी दुनिया को अचम्भित ही नहीं किया साम्राज्याद की समूची मंशा को ही ध्वस्त कर दिया। कुछ तथ्य हमें हमेशा ध्यान रखने चाहिए।द्वितीय विश्व युद्ध 2हजार194 दिन यानी 6 वर्ष चला। उसकी चपेट में 61 राष्ट्र आए। जिनकी कुल आबादी 1 अरब 70 करोड़ थी। यानी विश्व की आबादी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा।  सामरिक कार्रवाइयां यूरोप,एशिया तथा अफ्रीका के 40 देशों के भूक्षेत्र में और अटलांटिक,उत्तरी,प्रशांत तथा हिंद महासागरों के व्यापक भागों में हुईं। कुल मिलाकर 11 करोड़ से अधिक लोगों को सेनाओं में भरती किया गया।इस दौरान बेशुमार सैन्य सामग्री का उत्पादन किया गया। 1सितम्बर 1939 से लेकर 1945 तक की अवधि के दौरान अकेले हिटलर विरोधी गठबंधन के सदस्य-देशों में 5 लाख 88हजार विमानों( इनमें से 4 लाख 25 हजार नागरिक विमान थे) , 2 लाख 36 हजार टैंकों, 14 लाख 76 हजार तोपों तथा 6 लाख 16 हजार मॉर्टरों का उत्पादन किया गया।इसी अवधि में जर्मनी ने कोई 1 लाख 9 हजार विमानों ,46 हजार टैंकों और एसॉल्ट गनों, 4 लाख 34 हजार से अधिक तोपों तथा मॉर्टरों तथा अन्य शस्त्रास्त्र का उत्पादन किया।

विश्वयुद्ध में सन् 1938 के दाम के अनुसार 260 अरब डालर की संपत्ति का नुकसान हुआ। 5करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए।सबसे ज्यादा क्षति सोवियत संघ की हुई। सोवियत संघ के 2 करोड़ से ज्यादा नागरिक मारे गए।एक हजार नगर और 70 हजार गांव नष्ट हुए। 32 हजार औद्योगिक उत्पादन केन्द्र नष्ट हुए। पोलैंड के 60 लाख,यूगोस्लाविया के 17 लाख, अमेरिका के 4 लाख,ब्रिटेन के 3 लाख 70 हजार,जर्मनी के 1 करोड़ 36 लाख आदमी मारे गए या बंदी बनाए गए। इसके अलावा यूरोप के सहयोगी राष्ट्रों के 16 लाख से अधिक लोग मारे गए।

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