वाशिंगटन यात्रा से प्रणव मुखर्जी का सरदर्द खत्म होने को है। इसके लिए कौशिक बसु की जरूर तारीफ करनी चाहिए, जिन्होंने राजनीतिक बाध्यताओं को वैश्विक पूंजी और अमेरिका के सामने बेनकाब करके भाजपा के हाथ के तोते उड़ा दिये। ऊपर से रेटिंग कटौती का दबाव। भाजपा नेतृत्व के सामने कोई विकल्प नहीं बचा। या तो आर्थिक सुधारों को लागू करने में यूपीए के साथ संसदीय तालमेल कर लें या फिर अड़ंगाबाजी से वौटबैंक समीकरण साधते हुए वैश्विक पूंजी और इंडिया इनकारपोरेशन की नाराजगी मोल लेकर विकल्प बनने की संभावना को ही दांव पर लगा दें। बोफोर्स मामले पर शोरगुल के पीछे परदे के पीछे सौदेबाजी हो गयी। कौशिक बसु को इसीकी उम्मीद थी। बसु और मुखर्जी की शास्त्रीय युगलबंदी दरअसल एक एक कारगर रणनीति रही है जिसके भरोसे बसु ने अगले छह महीने में बड़े आर्थिक सुधार लागू करने की बात कही। दोनों के जाल में फंस गये संघी काडर तमाम!वैश्विक साख निर्धारण एजेंसी स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स (एस एण्ड पी) ने बुधवार को भारत की रेटिंग घटाकर नकारात्मक कर दी और अगले दो साल में राजकोषीय स्थिति तथा राजनीतिक परिदृश्य में सुधार नहीं हुआ तो इसे और कम करने की चेतावनी दी है।
एस एण्ड पी ने भारत का वित्तीय परिदृश्य बीबीबी प्लस (स्थिर) से घटाकर बीबीबी नकारात्मक (स्थिर नहीं) कर दिया।लेकिन भारतीय शेयर बाजार के विश्लेषक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (एसऐंडपी) द्वारा देश की रेटिंग घटाए जाने को संदेह की नजर से देख रहे हैं। हालांकि भारत की सॉवरिन ऋण रेटिंग को घटा कर और नकारात्मक किए जाने के बावजूद दलाल पथ पर भी कारोबारियों के बीच इसे लेकर चिंता नहीं देखी गई। भारत की ऋण साख घटने पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कठोर कदम उठाए जाने के संकेत भी दिए।हालांकि शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा।
बिजली, रीयल्टी और ऑटो शेयरों में भारी बिकवाली से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 21 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ। पिछले सत्र में 56 अंक गंवाने वाला सेंसेक्स और 20.62 अंक टूटकर 17130.67 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 13 अंक टूटकर 5189 अंक पर बंद हुआ।डॉलर के मुकाबले रुपये में सुस्ती भरा कारोबार देखने को मिला है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की मामूली गिरावट के साथ 52.55 पर बंद हुआ है। आज के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे की मजबूती लेकर 52.51 पर खुला था। वहीं बुधवार को रुपया 15 पैसे मजबूत होकर 52.54 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था।इन आंकड़ों से भी भाजपा पर सरकार को समर्थन देने का दबाव बना है। बाजार क संकट में डालने का दोष संघ परिवार अपने मत्थे ओढ़ने को भला कैसे तैयार हो सकता है?
इसके पीछे जोरदार कारपोरेट लाबिइंग ने भी भूमिका निभायी। आईपीएल मौसम में जनता का मिजाज भांपते हुए कांग्रेस ने भी तुरत फुरत देश में सबसे बड़े कारपोरेट आइकन सचिन तेंदुलकर राज्यसभा बनाने का फैसला कर लिया। बस, लांचिंग पैड तैयार, अब बस उड़ान का ही इंतजार है। मुद्दे अनेक हैं, घोटाले उससे ज्यादा।संसद में सोर मचाने और वाकआउट करने के मौके अनंत हैं। सरकार निर्विरोध मनचाहे कानून पास करा सकती है और इसमें विपक्ष की साख पर कोई आंच भी नहीं आयेगी। सांप भी मरेगा, पर लाठी हरगिज नहीं टूटने वाला। अब सांप कौन है समझ लीजिये।
महानतम क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर अब दिल्ली में सत्ता के गलियारों में भी चहलकदमी करेंगे। जल्द ही वो राज्यसभा के सांसद के तौर पर शपथ लेंगे। सरकार ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और फिल्म अभिनेत्री रेखा के नाम के प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी। सचिन देश के पहले क्रिकेटर होंगे जो देश के लिए खेलते हुए राज्यसभा के लिए चुने जाएंगे।इससे पहले सचिन ने सोचने के लिए थोड़ा वक्त मांगा। फिर उन्होंने इसके लिए हामी भर दी। यानि वो राज्यसभा के लिए 12 नामांकित सदस्यों में से एक होंगे। सूत्रों की माने तो सचिन अगले दो तीन दिन में अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
सूत्रों की माने तो सचिन को राज्यसभा में चुने जाने की भूमिका उसी दिन बन गई थी जिस दिन उद्योगपति मुकेश अंबानी ने उनके सम्मान में अपने घर पर पार्टी दी। उस दिन वहां केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला भी मौजूद थे। और उसी दिन इसका ताना बाना बुना गया। कयास तो ये भी लगाए जा रहे थे कि सचिन को फिलहाल सरकार भारत रत्न नहीं देना चाहती है। क्योंकि देश के कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो इस फेहरिस्त में सचिन से पहले आते हैं। इसलिए सचिन के सम्मान में ये रास्ता खोजा गया। बहरहाल देश के सांसद भी इंतजार कर रहे हैं कि सचिन संसद में आएं।
दूसरी तरफ एवरग्रीन ब्यूटी रेखा भी राज्यसभा पहुंच रही हैं। सरकार ने उनके नाम का प्रस्ताव भी भेजा है। रेखा ने राज्यसभा के लिए अपनी हामी भर दी है। 57 साल की रेखा आज भी बॉलीवुड की जान हैं। बॉलीवुड का कोई भी पुरुस्कार समारोह उनके बिना पूरा नहीं हो पाता है। रेखा इस उम्र में भी फिल्मों में लगातार काम कर रही हैं। अपने अभिनय की बदौलत बॉलीवुड में उन्होंने जो मुकाम बनाया है उस तक किसी भी अभिनेत्री का पहुंचना नामुमकिन है। रेखा कई राष्ट्रीय और फिल्म फेयर अवॉर्ड्स जीत चुकी हैं। 80 के दशक में उन्हें सुपरस्टार कहा जाता था। आज भी रेखा का जलवा बॉलीवु़ड में बरकरार है। सरकार ने रेखा की इसी प्रतिभा का सम्मान किया है। उन्हें देश की राज्यसभा के लिए चुनकर। इस वक्त बॉलीवुड से लेखक जावेद अख्तर राज्यसभा में हैं।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर, बिमल जालान का कहना है कि एसएंडपी द्वारा भारत का आउटलुक नेगेटिव किए जाने पर घबराने की जरूरत नहीं है।
बिमल जालान के मुताबिक आउटलुक से ज्यादा चिंता जीएएआर को कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर है। सब्सिडी बोझ को लक्ष्य में रखने के लिए सरकार को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने होंगे।
बिमल जालान को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द आर्थिक सुधारों को ओर कदम उठाएगी।
एसएंडपी ने भारत का आउटलुक स्टेबल से घटाकर नेगेटिव किया था और बीबीबी1 रेटिंग की फिर से पुष्टि की थी।
एसएंडपी का कहना है कि भारत में निवेश और विकास की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। व्यापार घाटा बढ़ने, विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने या आर्थिक सुधारों की ओर कदम न उठाए जाने पर भारत को डाउनग्रेड किया जा सकता है।
मॉर्गन स्टैनली के इमर्जिंग मार्केट्स इक्विटी टीम के हेड रुचिर शर्मा मानते हैं कि भारत इस साल 6-7 फीसदी की दर से तरक्की करेगा। सीएनबीसी आवाज़ संपादक संजय पुगलिया के साथ खास मुलाकात में रुचिर शर्मा ने विकास से जुड़े सारे मुद्दों पर अपनी राय रखी।
रुचिर शर्मा का मानना है कि भारत में विकास का ट्रेंड बदल गया है। उत्तर और पूर्वी इलाके के राज्य तेजी से विकास कर रहे हैं। हालांकि दक्षिण के राज्यों में विकास की रफ्तार धीमी हुई है।
रुचिर शर्मा के मुताबिक बाजार में कोई साफ संकेत देखने को नहीं मिल रहे हैं। लेकिन सेक्टर की बात करें तो कंज्यूमर सेक्टर में ग्रोथ की सबसे अच्छी संभावनाएं नजर आ रही हैं। इसके अलावा सीमेंट और फार्मा सेक्टर में भी ग्रोथ की अच्छी संभावनाएं मौजूद हैं। हालांकि कमोडिटी सेक्टर से दूरी बनाने में ही समझदारी होगी।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) द्वारा भारत के रेटिंग परिदृश्य को 'नेगेटिव' किए जाने के एक दिन बाद गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत है।रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के. सी. चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में तभी हस्तक्षेप करेगा जब केवल रेटिंग की वजह से ही नहीं बल्कि किसी भी वजह से मुद्रा बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की रेटिंग को कई बार बाजार पहले ही खपा लेता है।चक्रवर्ती ने बताया कि रिजर्व बैंक जून में अपनी अगली वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट पेश करेगा, जो देश की वित्तीय मजबूती को दर्शाएगी। इससे अर्थव्यवस्था की स्थिति का भी पता चलेगा। उन्होंने हैदराबाद में एक कार्यक्रम के मौके पर पत्रकारों से कहा, 'भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत है।
यह हमारा आंतरिक आकलन है। रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट जून में आएगी। उस समय आप देख पाएंगे कि स्थिति क्या है।'एसएंडपी रेटिंग के असर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कई बार बाजार रेटिंग में क्या आ रहा है उसके आधार पर पहले ही खरीद अथवा बिक्री कर उस घटना को हजम कर चुका होता है। एसएंडपी ने बुधवार भारत के क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को नेगेटिव कर दिया। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक स्थिति की समीक्षा कर रहा है और फिलहाल इस पर और कुछ नहीं कह सकता। बीमारी की जांच के बिना मैं कुछ नहीं कह सकता। पहले मैं जांच कर लूं। उसके बाद मैं जान सकूंगा कि क्या हो रहा है।'
कारपोरेट लाबिइंग का एकक नमूना यह है कि अमेरिका के 40 राज्यों में काम कर रही भारतीय कंपनियों ने विनिर्माण क्षेत्र में 82 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश किया है और हजारों लोगों को नौकरियां दी हैं। यह बात भारतीय व्यावसायिक मंच (आईबीएफ) के 2012 के सर्वेक्षण में कही गई।कैपिटल हिल में बुधवार को एक समारोह में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट (भारतीय जड़ें, अमेरिकी जमीन : अमेरिकी अर्थव्यवस्था और समाज में मूल्य संवर्धन) में अमेरिकी समुदायों पर भारतीय कम्पनियों के प्रभाव का उल्लेख किया गया है।समारोह में अन्य लोगों के अलावा अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा के इंडिया कॉकस के चार सह-अध्यक्ष-सीनेटर हॉन कॉर्निन, सीनेटर मार्क वार्नर, कांग्रेसमैन जोसेफ क्राउली और कांग्रेसमैन ईड रॉयस भी मौजूद थे।
अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा राव ने कहा कि भारतीयों और अमेरिकियों के एक दूसरे के देशों में आर्थिक और व्यापारिक गतिविधियों के तेजी से बढ़ने से दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी को महत्वपूर्ण आधार मिल रहा है।
परिसंघ की निदेशक संध्या सतवादी ने कहा कि आईबीएफ के जरिए हम अमेरिका में भारतीय निवेश की व्यापकता को उजागर करना चाहते हैं साथ ही भारतीय कम्पनियों के बारे में फैली कुछ भ्रांतियों को दूर करना चाहते हैं।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
- अमेरिकी आर्थिक सुस्ती के बाद भी सर्वेक्षण में शामिल 70 फीसदी कंपनियों ने 2005 से अब तक कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है।
- सर्वेक्षण में शामिल 34 फीसदी कम्पनियों ने अमेरिका में विनिर्माण कम्पनियों की स्थापना की और इनमें 82 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश किया।
- वर्ष 2005 से इन कम्पनियों ने अमेरिका में 72 विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की और हजारों लोगों की नौकरियां बचाईं तथा नई नौकरियां दीं।
- इन कम्पनियों की कुल आय 2010-11 में 23 अरब डॉलर से अधिक थी।
- इन कम्पनियों ने अकेले 2012 में 19 करोड़ डॉलर से अधिक शोध और विकास पर खर्च करने का अनुमान जताया है।
- इनमें से 65 फीसदी कम्पनियां कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) गतिविधियां चलाती हैं।
- इन गतिविधियों से 27 विश्वविद्यालयों, सामुदायिक कॉलेजों तथा उच्च विद्यालयों को सहायता मिल रही है।
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