BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Tuesday, March 29, 2016

अब हमारे पास जंजीरों को खोने के सिवाय खोने को कुछ भी नहीं है।अब नहीं तो कभी नहीं। हम साथ साथ हैं और हम पीछे मुड़कर भी नहीं देखेंगे जब तक हम देश जोड़कर हालात न बदल दें! फासीवादी निरंकुश सत्ता के मुकाबला के लिए साझा मोर्चा जरुरी है,हर शख्स जो बजरंगी नहीं है,इसे समझने लगा है और लड़ाई का प्रस्थानबिंदू यही है। पलाश विश्वास


अब हमारे पास जंजीरों को खोने के सिवाय खोने को कुछ भी नहीं है।अब नहीं तो कभी नहीं।

हम साथ साथ हैं

और हम पीछे मुड़कर भी नहीं देखेंगे

जब तक हम देश जोड़कर हालात न बदल दें!

फासीवादी निरंकुश सत्ता के मुकाबला के लिए साझा मोर्चा जरुरी है,हर शख्स जो बजरंगी नहीं है,इसे समझने लगा है और लड़ाई का प्रस्थानबिंदू यही है।

पलाश विश्वास

आज ही हिमगिरि से लौटना हुआ कोलकाता।


आदिवासी हक हकूक के मामलों में लगातार लड़ रहे हिमांशु कुमार जी और नो सेज मूवमेंट के याहू ग्रुप जमाने से लगातार सक्रिय मानसी जी जो प्रकाश जी के साथ विवाह के बाद हमारे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की बहू भी हैं,ने धर्म,जाति और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर चर्चा के लिए हमें पालमपुर में संभावना  के वर्कशाप बुनियाद के लिए बुलाया तो उत्तर भारत को नये नजरिये से देखने को मिला।


वहां कश्मीर समेत पूरे देस के युवा छात्र सामाजिक कार्यकर्ता तो थे ही,हमारे अंबेडकरी साथी अशोक बसोतरा और जम्मू से उनके तीन साथी रास्ते में सड़क हादसे के बावजूद पहुंच गये।


पहलीबार ऐसा हुआ कि विभिन्न जाति धर्म के अत्यंत मेधावी और प्रतिबद्ध युवाओं और छात्रों को हमने लगातार दो दिनों तक संबोदित किया और उनके सवालों के जबाव में मेरे साथ बैठे अशोक बसोतरा ने बाकायदा अंबेडकरी विचारधारा और मिशन के मुताबिक मनुस्मृति और ब्राहम्णवाद के खिलाफ खुलकर बोलते हुए इस विमर्श को जाति उन्मूलन के एजंडे पर फोकस किया।


पहलीबार हम कश्मीर के साथियों के  जमीनी अनुभव सिलसिलेवार सुन रहे थे,जिन्हें हम लगातार साझा करते रहेंगे।


समन्वय कर रहे थे प्रवीण कुमार जी जिनके अर्थ शास्त्र की कक्षाओं में हम बाद में शामिल हुए।शशांक,मुहम्मद और रिकी जी सारे विमर्श के संचालन के पीछे हर मिनट सक्रिय रहे।


हिमांशुजी और मानसी जी तो थे ही,प्रकाश जी की मौजूदगी में बातचीत की धार बहुत गहराई तक पैठ रही थी।


सत्तर के दशक से लेकर रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या से पहले छात्र युवा पीढ़ी ने कभी इतने धैर्य से जाति धर्म भाषा पहचान से ऊपर उठकर देश दुनिया जोड़ने के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ कभी इतने सीधे तौर पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के विचारों को बदलाव के परिप्रेक्ष्य में सुना हो,मुझे याद नहीं पड़ता।


कम सकम रोहित वेमुला प्रकरण और जेएनयू प्रकरण से पहले छात्र युवाओं में अंबेडकर की विचारधारा पर चेतना सिर्फ बहुजन समुदायों के कुछेक छात्रों तक सीमाबद्ध थी और वह भी सत्ता में हिस्सेदारी की राजनीति कर रहे लोगों के हितों के मुताबिक थी।


मसलन कोलकाता में कोलकाता और जादवपुर विश्वविद्यालय से लेकर आईआईटी खड़गपुर,आईआईएम कलकाता,इलाहाबाद विश्वविद्यालय,बीएचयू,बंगलूर ,मुंबई,पुणे,चेन्नई,गुवाहाटी कश्मीर और पूर्वोत्तर के विश्वविद्यालयों में मनुस्मृति शासन के खिलाफ, संघवाद के खिलाफ लगातार जो आंदोलन जारी है,उससे साफ जाहिर है कियह तूफां किसी भी सूरत में थमने वाला नहीं है।


खास बात यह है कि नीले झंडे के साथ अंबेडकरी कार्यकर्ता बाकी लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं और सत्ता की राजनीति,उसके दांव पेंच,समीकरण और अंध राष्ट्रवाद के तमाम पैंतरों से हमारे छात्रों और युवाओं का आंदोलन अभीतक भटका नहीं है ,जैसा कि अतीत में हर छात्र युवा आंदोलन के साथ होता रहा है।



निरकुंश सत्ता से टकराने के मूड में छात्रों और युवाओं ने फासीवाद विरोधी तमाम विचारों और शक्तियों की गोलबंदी का जो बीड़ा उठाया है,पालमपुर में सभी समुदायों के के छात्रों और युवाओं के साथ लगभग हफ्तेभर पर्यावरण, राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था, ग्लोबीकरण और मुक्तबाजार,पितृसत्ता जैसे विषयों पर गहन विचार विनिमय के दौरान इसका अहसास गहराई से हुआ।


हमने देशभर के अपने अंबेडकरी साथियों से निरंतर संवाद जारी रखा है जैसे कि इस यात्रा के दौरान भी हिमाचल, कश्मीर, पंजाब,हरियाणा के साथियों के साथ आमने सामने और हर सूबे के साथियों से अन्य तमाम माध्यमों के जरिये हमारा संवाद जारी है।


इसलिए ऐसा कतई मत समझें  कि हम अकेले लिख या बोल रहे हैं या चल रहे हैं।आंदोलन और संगठन की बुनियादी शर्त यही है कि साथियों के लेकर चलना होता है।हम साथ साथ हैं।रहेंगे।


हम जो कह लिख रहे हैं ,वह समवेत स्वर ही समझें।

और यह स्वर बदलाव का अनिवार्य वक्तव्य है।


गुजरात के जनांदोलनों से दशकों से जुड़े और पर्यावरण से लेकर गुजरात नरसंहार तक के मामले में जमीन से जुड़कर जनांदोलन का नेतृत्व कर रहे रोहित प्रजापति के साथ वीडियो कांफ्रेंस में अद्भुत संवाद भी गजब का अनुभव है जैसा कि हम कह रहे थे कि मनुष्य और प्रकृति बुनियादी मुद्दे हैं और उनसे जुड़े हर मामले पर समग्र तौर पर विचार करके ही हमें देश और दुनिया को जोड़कर निरंकुश सत्ता का मुकाबला करना है।


रोहित जी गुजरात के विकास माडल का जो पर्दाफाश लगातार करते रहे हैं,इस संवाद में वह भी शामिल था जिसे हम साझा करते रहे हैं।


रोहित प्रजापति ने यकीन जताया कि अब हालात बेहद बेहतरीन हैं क्योंकि पहलीबार देश के छात्र युवा एकजुट हैं  और देश के हर हिस्से में दमन और उत्पीड़ने के बावजूद जनांदोलन जारी है।


रोहित प्रजापति ने यकीन जताया कि हम अपनी ताकतें जोड़ लें तोे निर्णायक जीत हमारी होगी और हम जीतेंगे यकीनन।


पालमपुर में कश्मीर से कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से लेकर गुजरात तक का प्रतिनिधित्व कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र  युवाओं के स्वर में इस संकल्प की गूंज सुनायी दी जो अब इस देश के हर कालेज.संस्थान और विश्वविद्यालय का मुख्य स्वर है।


विश्वविद्यालयों से बाबासाहेब के मिशन के तहत,जाति उन्मूलन के मिशन के तहत मनुस्मृति के खिलाफ,ब्राह्मणवादी रंगभेदी जाति व्यवस्था और भेदभाव के खिलाफ,संघवाद के खिलाफ जंग और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के लिए, मेहनतकशों के हकहकूक के लिए,नागरिक और मानवाधिकारों के लिए जंग जारी है।


मुक्त बाजार के तंत्र मंत्र यंत्र के खिलाफ जो इंसानियत के जुलूसों का अविराम सिलसिला चल पड़ा है,उसके आगे अब  सिर्फ समता और न्याय की मंजिल है।


अब हमारे पास जंजीरों को खोने के सिवाय खोने को कुछ भी नहीं है।अब नहीं तो कभी नहीं।


मुझे यह साझा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि सत्ता की राजनीति में शामिल मसीहावृंद के अलावा बाकी अंबेडकरी आंदोलन का हर कार्यकर्ता देशभर में छात्र युवाओं के इस आंदोलन के साथ हैं।


कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हमारे तमाम साथी साथ साथ हैं और वे तमाम लोग सक्रिय भी हैं।


जिन्हें इस बारे में शंका हो,वे अपने सूबे,जिला और तहसील के सक्रिय कार्यकर्ताओं से तुंरत संपर्क कर लें।


अब हम किसी एक संगठन या एक विचारधारा,एक जाति,एक धर्म,एक नस्ल,एक क्षेत्र के नजरिये से नहीं,बल्कि निरंकुश सत्ता के अभूतपूर्व दमनात्मक निषेधात्मक तंत्र मंत्र यंत्र के विरुद्ध हर मनुष्य की स्वतंत्रता और उनके हक हकूक और प्रकृति व परायवरण के हित में देश जोड़ों मुहिम के तहत बाबासहेब अंबेडकर के जाति उन्मूलन के एजंडे के तहत समता और न्याय  की मंजिल हासिल करके ही दम लेंगे।


पीड़ितों,उत्पीड़ितों,वंचितों,बहिस्कृतों,अछूतों की व्यापक एकता के लिए हम कुछ भी करने को तैयार है और यह सारे देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं को संकल्प हैं,जिनमें अंबेडकरी कार्यकर्ता भी शामिल हैं।


फासीवादी निरंकुश सत्ता के मुकाबला के लिए साझा मोर्चा जरुरी है,हर शख्स जो बजरंगी नहीं है,इसे समझने लगा है और लड़ाई का प्रस्थानबिंदू यही है।


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...