BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Saturday, July 11, 2015

तितास एक नदी का नाम

मित्रवर

'तितास एकटि नदीर नाम' को बांग्ला के पहले दलित उपन्यास का दर्जा हासिल है। इसके लेखक अद्वैत खुद दलित मालो समुदाय से थे। 1956 में जब यह उपन्यास छपा थातब तक अद्वैत मल्लबर्मन की मात्र सैंतीस साल की उम्र में अकाल मौत हो चुकी थी। वर्ण व्यवस्था और उसके भीतर से पैदा होनेवाली सामाजिक विकृतियों का मुखर प्रतिरोध इस उपन्यास को नया परिप्रेक्ष्य देता है। बंगाली समाज में मौजूद 'छुआछूत' और 'जातिप्रथा' के तमाम मार्मिक प्रसंग इस उपन्यास को व्यापक फलक और व्यापक परिप्रेक्ष्य की कथाकृति बनाते हैं। बांग्लाभाषी समाज की विषम संरचना ने सामाजिक दृश्य पट में जो कड़वाहट घोली हैउसकी तीखी और तिलमिला देनेवाली अनुभूति के लिए अद्वैत ने तितास किनारे बसे गाँवों को बैरोमीटर बनाया है जो पूरे बंगाल का बैरोमीटर बन गया है। इस बेहद महत्वपूर्ण उपन्यास का हिंदी अनुवाद तितास एक नदी का नाम हिंदी समय (http://www.hindisamay.com)पर प्रस्तुत करते हुए हम एक हार्दिक संतोष का अनुभव कर रहे हैं। साथ में पढ़ें कृपाशंकर चौबे का जायजा लेता हुआ आलेख बांग्ला दलित उपन्यास : अतीत और वर्तमान

 

कबीर ऐसे कवि हैं जो जितने प्रासंगिक अपने समय में थे उतने ही प्रासंगिक आज भी हैं। यहाँ कबीर की कविता पर केंद्रित सदानंद शाही का व्याख्यानसबदन मारि जगाये रे फकीरवा। कबीर की तरह महात्मा गांधी भी लगातार हमारे लिए जरूरी बने हुए हैं। यहाँ पढ़ें गिरीश्वर मिश्र का निबंध गांधी जी की मानव-दृष्टि : नियति और संभावना। कहानियों के अंतर्गत पढ़ें चर्चित युवा कथाकार जेब अख्तर की पाँच कहानियाँ - नालीअंबेदकर जयंतीजींस वाली लड़कीमैं ठीक हूँ पापा और एक्सट्रा वर्जिन। आलोचना में पढ़ें राजेंद्र यादव की कहानी 'उसका आनापर केंद्रित राकेश बिहारी का लेख आत्महंता उत्सवधर्मिता की कहानी तथा त्रिलोचन की कहानी 'सोलह आने' पर केंद्रित राहुल शर्मा का लेख व्यक्ति चरित्र की कसौटी 'सोलह आने' व्यंग्य के अंतर्गत पढ़ें अरविंद कुमार खेड़े के चार व्यंग्य - अंधा बाँटे रेवड़ीचल दरिया में डूब जाएँगधा बन कर ही खुश रहा जा सकता है और सुबह की सैर और कुत्ते। विशेष में पढ़ें मदन पाल सिंह का आलेख समकालीन फ्रेंच कविता और उसका विधान। इसी तरह सिनेमा के अंतर्गत प्रस्तुत है विजय शर्मा का लेखशेक्सपीयर सिनेमा के परदे पर। एक समय के बेहद चर्चित कवि कमलेश पिछले दिनों हमारे बीच में नहीं रहे। यहाँ उनकी कुछ कविताएँ प्रस्तुत की जा रही हैं। साथ में पढ़ें यशस्विनीसुभाष रायअनवर सुहैल और आत्माराम शर्मा की भी कविताएँ।

 

मित्रों हम हिंदी समय में लगातार कुछ ऐसा व्यापक बदलाव लाने की कोशिश में हैं जिससे कि यह आपकी अपेक्षाओं पर और भी खरा उतर सके। हम चाहते हैं कि इसमें आपकी भी सक्रिय भागीदारी हो। आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है। हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

 

सादरसप्रेम

अरुणेश नीरन

संपादकहिंदी समय

तितास एक नदी का नाम
(उपन्यास)
अद्वैत मल्लबर्मन
http://www.hindisamay.com/e-content/titas%20single%20page.pdf

'तितास एकटि नदीर नाम' को बांग्ला के पहले दलित उपन्यास का दर्जा हासिल है। इसके लेखक अद्वैत खुद दलित मालो समुदाय से थे। 1956 में जब यह उपन्यास छपा था, तब तक अद्वैत मल्लबर्मन की मात्र सैंतीस साल की उम्र में अकाल मौत हो चुकी थी। वर्ण व्यवस्था और उसके भीतर से पैदा होनेवाली सामाजिक विकृतियों का मुखर प्रतिरोध इस उपन्यास को नया परिप्रेक्ष्य देता है। बंगाली समाज में मौजूद 'छुआछूत' और 'जातिप्रथा' के तमाम मार्मिक प्रसंग इस उपन्यास को व्यापक फलक और व्यापक परिप्रेक्ष्य की कथाकृति बनाते हैं। सबसे तात्पर्यपूर्ण यह है कि हाशिए के आदमी को लिखने की कोशिश में ही अद्वैत की यह रचना संभव हुई है। बांग्लाभाषी समाज की विषम संरचना ने सामाजिक दृश्य पट में जो कड़वाहट घोली है, उसकी तीखी और तिलमिला देनेवाली अनुभूति के लिए अद्वैत ने तितास किनारे बसे गाँवों को बैरोमीटर बनाया है जो पूरे बंगाल का बैरोमीटर बन गया है।

जायजा
कृपाशंकर चौबे
बांग्ला दलित उपन्यास : अतीत और वर्तमान

काव्य परंपरा
सदानंद शाही
सबदन मारि जगाये रे फकीरवा

निबंध
गिरीश्वर मिश्र
गांधी जी की मानव-दृष्टि : नियति और संभावना

पाँच कहानियाँ
जेब अख्तर
नाली 
अंबेदकर जयंती
जींस वाली लड़की
मैं ठीक हूँ पापा 
एक्सट्रा वर्जिन

आलोचना
राकेश बिहारी
आत्महंता उत्सवधर्मिता की कहानी 
(संदर्भ : राजेंद्र यादव की कहानी 'उसका आना')
राहुल शर्मा
व्यक्ति चरित्र की कसौटी 'सोलह आने' 
(संदर्भ : त्रिलोचन की कहानी 'सोलह आने')

व्यंग्य
अरविंद कुमार खेड़े
अंधा बाँटे रेवड़ी 
चल दरिया में डूब जाए
गधा बन कर ही खुश रहा जा सकता है 
सुबह की सैर और कुत्ते

विशेष
मदन पाल सिंह
समकालीन फ्रेंच कविता और उसका विधान

कविताएँ
यशस्विनी
सुभाष राय
अनवर सुहैल
आत्माराम शर्मा

सिनेमा
विजय शर्मा
शेक्सपीयर सिनेमा के परदे पर

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