BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, April 30, 2015

‘जातिवादी समाज गुलामी, रंगभेद से बदतर’ : अरूंधति राय

'जातिवादी समाज गुलामी, रंगभेद से बदतर' : अरूंधति राय


नई दिल्‍ली 30 अप्रैल। अरूंधति राय ने कहा है कि जातिवाद से ग्रस्त समाज, गुलामी और यहां तक कि रंगभेदी समाज से भी बदतर है।

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नई दिल्ली स्थित कांस्टीटयूशन क्लब में 29 अप्रैल को भारत की पहली पूर्णतः हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी पत्रिका फारवर्ड प्रेस की छठवीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में अरुंधति राय

वे नई दिल्ली स्थित कांस्टीटयूशन क्लब में 29 अप्रैल को भारत की पहली पूर्णतः हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी पत्रिका फारवर्ड प्रेस की छठवीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहीं थीं। ''बहुजन राजनीति और साहित्य का भविष्य'' विषय पर केन्द्रित इस कार्यक्रम में अनुप्रिया पटेल, रामदास अठावले, अली अनवर, रमणिका गुप्ता, ब्रजरंजन मणि, श्योराज सिंह बेचैन, जयप्रकाश करदम, सुजाता परमिता व अरविंद जैन सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हिस्सेदारी की।

राय ने फारवर्ड प्रेस की चौथी बहुजन साहित्य वार्षिकी का लोकार्पण करने के बाद कहा''यह एक महत्वपूर्ण विचार है''। वे बहुजन साहित्य व अन्याय- जनित क्रोध से जातिवाद का मुकाबला करने के विचार की बात कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई लड़ते हुए भी हमें अपने दिलों में ''न्याय, प्रेम, सौन्दर्य, संगीत व साहित्य को संजोकर रखना चाहिए'' और इस लड़ाई को ''कड़वाहट से भरे बौने बने बिना'' लड़ना चाहिए।

आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के मुखिया अली अनवर ने कहा कि पसमांदा, बहुजन पहले हैं और मुसलमान बाद में। ''हम अल्पसंख्यक नहीं कहलाना चाहते। हम तो बहुजन हैं'', उन्होंने कहा। वे रामदास अठावले के इस प्रस्ताव पर चकित थे कि ऊँची जातियों के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के किसी भी निर्णय के लिए ''मानसिक दृष्टि'' से तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केवल सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ापन ही आरक्षण का आधार होना चाहिए।

''डी-ब्राहमनाईंजिग हिस्ट्री'' के लेखक ब्रजरंजन मणि ने ''सामाजिक प्रजातंत्र'' की बात कही और बहुजनों के बीच ''मुक्तिदायिनी एकता'' पर जोर दिया।

फिल्म निर्माता सुजाता परमिता ने कहा किदलित-बहुजन इतिहास में संस्कृति के पुत्र रहे हैं परंतु धर्म का इस्तेमाल उन्हें दास बनाने और उनकी संस्कृति को उनसे छीनने के लिए किया गया।

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अगर दमित समुदाय शिक्षित हो जाएगा तो उनके नेता समझौते करना बंद कर देंगे।

श्योराज सिंह बेचैन ने कांशीराम से उनकी चर्चा का स्मरण किया। यह तबकी बात है जब बसपा, उत्तरप्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर पहली बार अपनी सरकार बनाने जा रही थी। बेचैन ने कांशीराम को सलाह दी कि सत्ता के पीछे दौड़ने की बजाए उन्हें एक पत्रिका शुरू करनी चाहिए क्योंकि ''सामाजिक शक्ति, सांस्कृतिक शक्ति व बौद्धिक शक्ति'' ही बहुजनों का सही अर्थों में सशक्तिकरण करेगी।

इस मौके पर द्वितीय महात्मा जोतिबा व क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बलीजन रत्न सम्मानों सेब्रजरंजन मणि, ए. आर. अकेला (कवि, लोकगायक, लेखक व प्रकाशक) व डॉ हीरालाल अलावा (सीनियर रेसिंडेट, एम्स व जय आदिवासी युवा शक्ति के संस्थापक) से सम्मानित किया गया।


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