BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, July 20, 2012

डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने की तिवारी की गुहार सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई

डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने की तिवारी की गुहार सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई

Friday, 20 July 2012 16:03

नयी दिल्ली, 20 जुलाई (एजेंसी) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी की के खून की जांच संबंधी डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने और उनके खिलाफ दाखिल पितृत्व मामले की सुनवाई बंद कमरे में कराने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया। 
न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने नारायण दत्त तिवारी की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि गोपनीयता बरतने संबंधी उच्चतम न्यायालय का 24 मई का आदेश डीएनए जांच के लिए खून का नमूना लेने और उच्च न्यायालय को रिपोर्ट देने के मकसद से था। 
न्यायमूर्ति खेत्रपाल ने कहा, ''आप उच्चतम न्यायालय के आदेश का गलत मतलब नहीं निकाल सकते। डीएनए जांच के लिहाज से रक्त का नमूना लेने के उद्देश्य से यह आदेश था।''
उन्होंने डीएनए रिपोर्ट खोलने के लिए 27 जुलाई की तारीख तय की।
87 वर्षीय तिवारी ने अपने आवेदन में दावा किया था कि शीर्ष अदालत के आदेश में पितृत्व मामले की सुनवाई पूरी होने तक डीएनए रिपोर्ट गोपनीय रखने के लिए कहा गया था।
तिवारी ने अपने आवेदन में कहा था, ''सभी संबंधित पक्षों को उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाए। डीएनए रिपोर्ट पूरी तरह सीलबंद होनी चाहिए और पूरा मुकदमा होने तक या मुकदमे में उचित स्तर तक गोपनीयता बरकरार रखी जाए।''
तिवारी ने 29 मई को डीएनए जांच के लिए खून का नमूना अपने देहरादून स्थित आवास पर दिया था। उन्हें उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद नमूना देना पड़ा।    उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का जिक्र करते हुए तिवारी के वकील बहार..उ..बुरकी ने कहा कि स्पष्ट है कि डीएनए रिपोर्ट तब तक गोपनीय रहेगी जब तक मुकदमा समाप्त नहीं हो जाता।

वकील ने यह भी कहा कि मामले में वादी :रोहित: और उसकी मां रिपोर्ट को खुलवाने और सार्वजनिक कराने में कोई कोर..कसर नहीं छोड़ रहे ताकि मुकदमा खत्म होने से पहले मीडिया का ध्यान अनावश्यक रूप से इस ओर केंद्रित रहे।
इससे पहले दिल्ली के रहने वाले 32 वर्षीय रोहित शेखर ने तिवारी की अर्जी का विरोध किया। उसने तिवारी के खिलाफ 2008 में पितृत्व मामला दाखिल कर उनके अपना पिता होने का दावा किया था।    
शेखर के वकील अमित सिब्बल ने कहा कि तिवारी मामले को लटकाने के प्रयास कर रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल को अपने आदेश में तिवारी को डीएनए जांच कराने का आदेश दिया था और उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
हैदराबाद के 'सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स' :सीडीएफडी: ने हाल ही में तिवारी, रोहित और उसकी मांग उज्ज्वला शर्मा की डीएनए रिपोर्ट सीलबंद लिफाफों में उच्च न्यायालय में जमा की है।

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