BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Monday, April 4, 2016

केंद्रीय वाहिनी तूणमूली बाहुबलियों के लिए छाता का काम कर रही है और दीदी को भी वाकओवर

बाकी देश में जाति और धर्म के नाम,मंडल कमंडल गृहयुद्ध महाभारत रचने वाले अश्वमेधी केसरिया सिपाहसालारों के सारे अचूक रामवाण बंगाल में फेल

केंद्रीय वाहिनी तूणमूली बाहुबलियों के लिए छाता का काम कर रही है और दीदी को भी वाकओवर

साख कोई नहीं बची,गुपचुप गठबंधन का खुलासा हो गया तो संघी आपस में ही भिड़ने लगे

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बाकी देश में जाति और धर्म के नाम,मंडल कमंडल गृहयुद्ध महाभारत रचने वाले अश्वमेधी केसरिया सिपाहसालारों के सारे अचूक रामवाण बंगाल में फेल हो गये हैं।


छत्तीस इंच का सीना तानकर धर्मोन्मदी ध्रूवीकरण का ब्रह्मस्त्र भी इस बार काम नहीं करने वाला है ।


मां दुर्गा की शरण में जाकर असुरों के वध का आवाहन भी बेकार हो गया।अब संघ परिवार के नेता कार्यकर्ता नेता  आपस में ही घमासान करने लगे हैं।


संघ परिवार के अंध राष्काट्रवाद और फर्जी हिंदुत्व का  तिलिस्म टूटा तो आगे आगे बाकी देश में बी यही नजारा गुले गुलशन होने वाला है।


हावड़ा में द्रोपदी रूपा गांगुली को प्रत्याशी बनाये जाने का इतना ज्यादा विरोध हुआ कि वहां कार्यकर्ताओं की पहली बैठक में ही टिकट के दावेदार रायसाहब के समरथकों ने कुर्सियों से पंतगबाजी कर दी और रूपा और दूसरे नेताओं के सामने वंदेमातरम और भारत माता की जय के उद्घोष के साथ रूपा समर्थकों को धुन डाला ,जिससे कमसकम दो तीन लोगं को अस्पताल में भरती करना पड़ा।


यह वाकया खासा गौरतलब है क्योंकि  इन्हीं रूपा गांगुली को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुकाबले विकल्प नेतृत्व बतौर पेश करते हुए  सिर्फ उनके मेकअप वैन पर लाखों का खर्च पार्टी कर रही थी।


संघ समर्थित रूपा  गांगुली संघ परिवार की सबसे बड़ी स्टार है और पूरे प्रदेश में उन्हें कमल की खेती करनी थी।वे हावड़ा में हुगलीकिनारे कमल कीचड़ में बुरी तरह फंस गयी हैं।


इससे बुरा हाल तो यह है कि दुर्गापुर आसनसोल के भाजपाई गढ़ों में भी भाजपा के केद्रीय मंत्रियों और नेताओं को सुनने के लिए किराये की भीड़ जुटाना भी मुश्किल हो रहा है।


हालत इतनी खराब है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा की जोड़ासांको विदानसभा इलाके में भाजपा के गढ़ में हालत पतली है।जहां बड़ा बाजार चीरकर सेंट्रल एवेन्यू से हावड़ा को निकाले जाने वाले अधबने फ्लाईओवर का मलबा अभी हटाया नहीं जा सका है और वहां सत्तादल की उम्मीदवार स्मिता बक्शी मौजूदा एमएलए हैं,जिनका कुनबा इस हादसे के लपेटे में हैं।उनकी पार्टी के नेता ही उन्हें कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और उनके कई परिजन जमीन की दहकती आंच से परेशां न जाने कहां कहां भूमिगत हैं।


स्मिता को जनसमर्थन नहीं मिल रहा है क्योंकि मलबे से अभी भारी सड़ांध हैं और सिंडिकेट के सारे तार उनसे उलझे हैं।


इसका कोई फायदा बड़बोले राहुल सिन्हा को हो नहीं रहा है।उनकी पदयात्रा में न भीड़ हो रही है औरकार्यकर्ता उनके साथ हैं।प्रदेश नेतृत्व तो उनके बागी तेवर से परेशान है।


मां दुर्गा काआवाहन करके बेहतरीन अदाकारी मनुस्मृति संसद में और संसद के बाहर सड़कों में और बंगल में भी रो धो कर दुर्गाभक्तों को जगा नहीं सकीं तो नेताजी फाइलों के बहाने नेहरु वंश को कठघरे में खड़ा करके नेताजी की विरासत हड़पने की मंशा भी पूरी होती नहीं दीख रही।


नेताजी के वंशज चंद्र कुमार बोस ममता बनर्जी के मुकाबले बंगाल में संघ परिवार की ओर से घोषित पहले प्रत्याशी हैं और वे न टीवी के परदे पर हैं और न अखबारों में।जबकि मुख्यमंत्री के इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले लोकसभा में भाजपा को बढ़त मिली हुई थी ।


जैसे जैसे दीदी मोदी गठबंधन का खुलासा हो रहा है और दीदी केसरिया वसंत बहार हो रही हैं,कोई ताज्जुब भी नहीं होना चाहिए कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने चंद्र कुमार बोस को डमी बतौर खड़ा करके दीदी को वाकओवर दे दिया है।


संघ परिवार के कबाड़ से उठाकर प्रदेश इकाई का नेतृत्व सौंपकर उग्र हिंदुत्व की लाइन का बंगाल में बसे गाय पट्टी के हिंदीभाषियों पर भी असर नहीं हुआ।


देश के बाकी हिंदी भाषियों को जितनी जल्दी ऐसी शुभ विवेक का आसरा मिले,उतना ही भला है।कयामती मंजर बदल जायेगा।


इन नये प्रदेश अध्यक्ष का अता पता नहीं चल रहा है जो कल तक विश्वविद्यालयों में घुसकर शिक्षकों और छात्रों को कालर पकड़कर खींच लाने और देशभक्ति का सबक देने के लिए गुर्रा रहे थे।


जेएनयू की तर्ज पर यादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों पर राजद्गोह का मुकदमा शुरु करने के लिए राजभवन में सर्वोच्च नेतृत्व के कैंप का असर यह हुआ कि आईआईटी आीआईएम यादवपुर और कोलकाता के बाद विश्वभारती में भी फासिज्म के खिलाफ आवाजें गूंजने लगी हैं।


असम और गुजरात और देश के बाकी हिस्सों की तरह बंगाल में दंगों की आग सुलगाना भी मुश्किल है तो अंध राष्ट्र वाद के तीर भी चल नहीं सकते।


शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई,सेबी,ईडी समेत तमाम केंद्रीय एजंसियों ने बहुत कुछ हिला डुलाकर,पूछताछ गिरफ्तारी इत्यादि दिखाकर मामला रफा दफा कर दिया और अब नारद स्टिंग के रोज रोज रोज हो रहे धमाकों में सत्ता दल के मत्री सांसद इत्यादि घूस लेते हुए दिखाये जाने के बावजूद,सारा वोट लूट लेने का दावा करते दिखाये जाने के बावजूद न चुनाव आयोग और न केंद्रीय एजंसियों और न केंद्र सरकार ने किसी जांच पड़ताल की नौबत आने दी है।


नकली जिहाद की पोल खुल ही गयी थी।


अब बाकी कलर शांतिपूरण मतदान कराने के बहाने बूथों पर तैनात केंद्रीय बलों के सत्तादल के बाहुबलियों का छाता बनकर दीखने से पूरी हो गयी है।

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