BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, May 24, 2015

हिन्दू राष्ट्र के जाटलैंड में दलित संहार

     हिन्दू राष्ट्र के जाटलैंड में दलित संहार

         

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डांगावास में दलितों के सामूहिक नरसंहार की सी बी आई जांच की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमति अरूणा रॉय तथा नेशनल फैडरेशन ऑफ इंडियन वुमन की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा, पीयूसीएल महासचिव कविता श्रीवास्तव तथा महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन लाडकुमारी जैन के नेतृत्व में जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया। पुलिस ने लाठियां भांजी जिससे कुछ लोगों को चोट पहुंची।                   …………………………………………………….................

राजस्थान का जाट बाहुल्य नागौर जिला जिसे जाटलैंड कह कर गर्व किया जाता है,आधिकारिक रूप से अनुसूचित जाति ,जनजाति के लिए एक अत्याचारपरक जिला 'है . यहाँ के दलित आज भी दोयम दर्जे के नागरिक की हैसियत से ही जीवन जीने को मजबूर है .दलित अत्याचार के निरंतर बढ़ते मामलों के लिए कुख्यात इस जाटलैंड का एक गाँव है डांगावास ,जहाँ पर तकरीबन 16 सौ जाट परिवार रहते है.इस गाँव को जाटलैंड की राजधानी कहा जाता रहा है .यहाँ पर सन 1984 तक तो दलितों को वोट डालने का अधिकार तक प्राप्त नहीं था ,हालाँकि उनके वोट पड़ते थे ,मगर नाम उनका और मतदान कोई और ही करता था .यह सिर्फ वोटों तक सीमित नहीं था ,जमीन के मामलों में भी कमोबेश यही हालात है .जमीन दलितों के नाम पर और कब्ज़ा दबंग जाटो का . राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 (बी ) भले ही यह  कहती हो कि किसी भी दलित की जमीन को कोई भी गैर दलित न तो खरीद सकता है और न ही गिरवी रख सकता है ,मगर नागौर सहित पूरे राजस्थान में दलितों की लाखों एकड़ जमीन पर सवर्ण काबिज़ है ,डांगावास में ही ऐसी सैंकड़ों बीघा जमीन है ,जो रिकॉर्ड में तो दलित के नाम पर दर्ज है ,लेकिन उस पर अनाधिकृत रूप से जाट काबिज़ है .

डांगावास के एक दलित दौलाराम मेघवाल के बेटे बस्तीराम की 23 बीघा 5 बिस्वा जमीन पर चिमनाराम नामक दबंग जाट ने 1964 से कब्ज़ा कर रखा था ,उसका शुरू शुरू में तो यह  कहना था कि यह ज़मीन हमारे 1500 रुपये में गिरवी है ,बाद में दलित बस्ती राम के दत्तक पुत्र रतना राम ने  न्यायालय की मदद ले कर अपनी जमीन से चिमनाराम जाट का कब्ज़ा हटाने की गुहार करते हुए एक लम्बी लडाई लड़ी और अभी हाल ही में नतीजा उसके पक्ष में आया .दो माह पहले मिली इस जीत के बाद दलित रतना राम मेघवाल ने अपनी जमीन पर एक छोटा सा घर बना लिया और वहीँ परिवार सहित रहना प्रारम्भ कर दिया . यह बात चिमनाराम जाट के बेटों ओमाराम तथा कानाराम जाट को बहुत बुरी लगी ,उसने जेसीबी मशीन ला कर उक्त भूमि पर तालाब बनाना शुरू कर दिया और खेजड़ी के हरे पेड़ काट डाले.इस बात की लिखित शिकायत रतना राम मेघवाल की ओर  से 21 अप्रैल 2015 को मेड़ता थाने में की गयी,लेकिन नागौर जिले के पुलिस महकमे में जाट समुदाय का प्रभाव ऐसा है कि उनके विरुद्ध कोई भी अधिकारी कार्यवाही करना तो दूर की बात है ,सोच भी नहीं सकता है,इसलिए कोई कार्यवाही नहीं की गयी .इसके बाद दलितों को जान से खत्म कर दने की धमकियाँ मिलने लगी और यह भी पता चला कि जाट शीघ्र ही गाँव में एक पंचायत बुला कर दलितों से जबरन यह जमीन खाली करवाएंगे अथवा मारपीट कर सकते है ,तो इसकी भी लिखित में शिकायत 11 मई को रतना राम मेघवाल ने मेड़ता थाने को देकर अपनी जान माल की  सुरक्षा की गुहार की ,फिर भी पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की .

14 मई 2015 की सुबह 9 बजे के आस पास डांगावास गाँव में जाट समुदाय के लोगों ने अवैध पंचायत बुलाई ,जिसमे ज्यादातर वे लोग बुलाये गए ,जिन्होंने दलितों के नाम वाली जमीनों पर गैरकानूनी कब्ज़े कर रखे है ,इस हितसमूह ने तय किया कि अगर रतना राम मेघवाल इस तरह अपनी ज़मीन वापस ले लेगा तो ऐसे तो सैंकड़ो बीघा जमीन और भी है जो हमें छोडनी पड़ेगी ,अतः हर हाल में दलितों का मुंह बंद करने का सर्वसम्मत फैसला करके सब लोग हमसलाह हो कर हथियारों लाठियों ,बंदुको ,लोहे के सरियों इत्यादि से लैश होकर तकरीबन 500 लोगों की भीड़ डांगावास गाँव से 2 किमी दुरी पर स्थित उस जमीन पर पंहुची ,जहाँ पर रतना राम मेघवाल और उसके परिजन रह रहे थे .उस समय खेत पर स्थित इस घर में 16 दलित महिला पुरुष मौजूद थे,जिनमे पुरोहितवासनी पादुकला के पोखर राम तथा गणपत राम मेघवाल भी शामिल थे .ये दोनों रतना राम की पुत्रवधू के सगे भाई है ,अपनी बहन से मिलने आये हुए थे .दलितों को तो गाँव में हो रही पंचायत की  खबर भी नहीं थी कि अचानक सैंकड़ों लोग ट्रेक्टरों और मोटर साईकलों पर सवार हो कर आ धमके और वहां मौजूद लोगों पर धावा बोल दिया .उन्होंने औरतो को एक तरफ भेज दिया ,जहाँ पर उनके साथ ज्यादती की गयी तथा विरोध करने पर उनके हाथ पांव तोड़ दिए गए ,दो महिलाओं के गुप्तांगों में लकड़ियाँ घुसेड़ दी गयी ,वहीँ दूसरी ओर दलित पुरुषों पर आततायी भीड़ का कहर टूट गया .उन्हें ट्रेक्टरों से कुचल कुचल कर मारा जाने लगा ,लाठियों और लोहे के सरियों से हाथ पांव तोड़ दिए गए ,रतना राम के पुत्र मुन्ना राम पर गोली चलायी गयी ,लेकिन उसी समय किसी ने उसके सिर पर सरिये से वार कर दिया जिससे वह गिर पड़ा और गोली भीड़ के साथ आये रामपाल गोस्वामी को लग गई ,जिसने मौके पर ही दम तोड़ दिया .

जाटों की उग्र भीड़ ने मजदूर नेता पोखर राम के ऊपर ट्रेक्टर चढ़ाया तथा उनकी आँखों में जलती हुयी लकड़ियाँ डाल दी ,लिंग नौंच लिया .उनके भाई गणपत राम की आँखों में आक वृक्ष का दूध डाल कर आंखे फोड़ दी गयी .इस तरह एक पूर्व नियोजित नरसंहार के तहत पोखर राम ,रतना राम तथा पांचाराम मेघवाल की मौके पर ट्रेक्टर से कुचल कर हत्या कर दी गयी तथा गणपत राम एवं गणेश राम सहित 11 अन्य लोगों को अधमरा कर दिया गया .मौत का यह तांडव दो घंटे तक जारी रहा ,जबकि घटनास्थल से पुलिस थाना महज़ साढ़े तीन किमी दुरी पर स्थित है .लेकिन दुर्भाग्य से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ,पुलिस उपाधीक्षक तथा मेड़ता थाने का थानेदार तीनों ही जाट होने के कारण उन्होंने सब कुछ जानते हुए भी इस तांडव के लिए पूरा समय दिया और जब सब ख़त्म हो गया तब मौके पर पंहुच कर सबूत मिटाने और घायलों को हटाने के काम में लगे .मनुवादी गुंडों की दादागिरी इस स्तर तक थी कि जब उन्हें लगा कि कुछ घायल जिंदा बच कर उनके विरुद्ध कभी भी सिर उठा सकते है तो उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में मेड़ता अस्पताल पर हमला करके वहां भी घायलों की जान लेने की कोशिस की .अंततः घायलों को अजमेर उपचार के लिए भेज दिया गया और मृतको का पोस्टमार्टम करवा कर उनके अंतिम संस्कार कर दिए गए .

पीड़ित दलितों के मौका बयान के आधार पर पुलिस ने बहुत ही कमजोर लचर सी एफ आई आर दर्ज की तथा दूसरी ओर रामपाल गोस्वामी की गोली लगाने से हुयी मौत का पूरा इलज़ाम दलितों पर डालते हुए गंभीर रूप से घायल दलितों सहित 19 लोगों के खिलाफ हत्या का बेहद मज़बूत जवाबी मुकदमा दर्ज कर लिया गया .इस तरह जालिमों ने एक सोची समझी साज़िश के तहत कर्ताधर्ता दलितों को तो जान से ही ख़त्म कर दिया ,बचे हुओं के हाथ पांव तोड़ कर सदा के लिए अपाहिज बना दिया और जो लोग उनके हाथ नहीं लगे या जिनके जिंदा बच जाने की सम्भावना है ,उनके खिलाफ हत्या जैसी संगीन धाराओं का मुकदमा लाद दिया गया ,इस तरह डांगावास में दबंग जाटों के सामने सिर उठा कर जीने की हिमाकत करने वाले दलितों को पूरा सबक सिखा दिया गया .राज्य की वसुंधराराजे की सरकार ने इस निर्मम नरसंहार को जमीनी विवाद बता कर इसे दो परिवारों की आपसी लडाई घोषित कर ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया .हालाँकि पुलिस ,प्रशासन और राज्य सरकार के नुमाईनदों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि दो पक्षों के खुनी संघर्ष में सिर्फ एक ही पक्ष के लोग क्यों मारे गए तथा घायल हुए है ,दुसरे पक्ष को किसी भी प्रकार की चौट क्यों नहीं पंहुची है और जब दलितों के पास आत्मरक्षा के लिए लाठी तक नहीं थी तो रामपाल को गोली मारने के लिए उनके पास बन्दुक कहाँ से आ गयी और फिर सभी दलित या तो घायल हो गए अथवा मार डाले गए तब वह बन्दुक कौन ले गया .जिससे गोली चलायी गयी थी .मगर सच यह है कि दलितों की स्थिति गोली चलाना तो दूर की बात ,वो थप्पड़ मारने का साहस भी अब तक नहीं जुटा पाए है .23 मई को एक और घायल गणपत राम ने भी दम तोड़ दिया है ,जिसकी लाश को लावारिस बता कर गुप चुप पोस्टमार्टम कर दिया गया .

नागौर जिला दलित समुदाय के लोगों की कब्रगाह बन गया है ,यहाँ पर विगत एक साल में अब तक दर्जनों दलितों की हत्यायें हो चुकी है ,इसी डांगावास गाँव में जून 2014 में जाटों द्वारा मदन मेघवाल के पांव तोड़ दिए गए है ,जनवरी 2015 में मोहन मेघवाल के बेटे चेनाराम की हत्या कर दी गयी ,बसवानी गाँव की दलित महिला जड़ाव को जिंदा जला दिया गया ,उसका बेटा भी बुरी तरह से झुलस गया .मुंडासर की एक दलित महिला को ज्यादती के बाद ट्रेक्टर के गर्म सायलेंसर से दाग दिया गया ,लंगोड़ में एक दलित को जिंदा ही दफना दिया गया ,हिरड़ोदा में दलित दुल्हे को घोड़ी से नीचे पटक कर जान से मारने का प्रयास किया गया .इस तरह नागौर की जाटलैंड में दलितों पर कहर जारी है और राजस्थान का दलित लोकतंत्र की नई नीरों ,चमचों की महारानी,प्रचंड बहुमत से जीत कर सरकार चला रही वसुंधराराजे के राज में अपनी जान के लिए भी तरस गया है .राज्य भर में दलितों पर अमानवीय अत्याचार की घटनाएँ बढ़ती जा रही है और राज्य के आला अफसर और सूबे के वजीर विदेशों में रिसर्जेंट राजस्थान 'के नाम पर रोड शौ करते फिर रहे है .कोई भी सुनने वाला नहीं है ,राज्य के गृह मंत्री तो साफ कह चुके है कि उनके पास कोई ज़ादू की छड़ी तो है नहीं जिससे अपराधियों पर अंकुश लगा सके.  पुलिस 'अपराधियों में भय और आम जन में विश्वास के अपने ध्येय वाक्य के ठीक विपरीत आम जन में भय और अपराधियों में विश्वास कायम करने में सफल होती दिखलाई पड़ रही है .जाटलैंड का यह निर्मम दलितसंहार  संघ के कथित हिन्दुराष्ट्र में दलितों की स्थिति पर सवाल खड़ा कर रहा है .

-भंवर मेघवंशी

लेखक मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ जुड़े है और राजस्थान में दलित,आदिवासी एवं घुमन्तु समुदाय के मुद्दों पर सक्रिय है ,उनसे 095710 47777 पर संपर्क किया जा सकता है }

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