BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, February 6, 2015

कुत्ता इकीसवीं सदी मा किलै नि जाण चाणा छन ? चबोड़ -- भीष्म कुकरेती

  कुत्ता इकीसवीं सदी मा किलै नि जाण चाणा छन ?

                                             चबोड़ -- भीष्म कुकरेती 

जब से राजीव गांधीन 1987 -88 मा भाषण दे छौ कि भारत तैं इक्कीसवीं सदी मा जाण चयेंद तब बिटेन हर साल कुत्तों  माँ विचार विमर्श , वाद विवाद , राज्य स्तर अर राष्ट्रीय सतर पर  सम्मेलन हूंद कि कुत्तों तैं इक्कीसवीं सदी मा जाण चयेंद कि ना। ये साल बि ब्लॉक स्तर , जिला स्तर , राज्य स्तर अर राष्ट्रीय स्तर पर कुत्तों सम्मेलन ह्वे कि कुत्तों तैं इकीसवीं सदी मा जाण चयेंद। 
कुछ कुत्तों विचार च कि चूँकि मनिख इक्कीसवीं सदी मा पॉंच गे तो कुत्तों तैं बि इकीसवीं सदी मा जाण चयेंद। यूँक असोसिएसन याने इंडियन डॉग असोसिएसन कु डॉग विजन डॉक्युमेंट फॉर 2015 का हिसाब से कुत्तों तैं बि इक्कीसवीं सदी मा जाणि चयेंद , इंडियन डॉग असोसिएसन कु बुलण च कि यदि कुत्ता  इकीसवीं सदी मा  जाल तो कुत्ता पचास मंजिली टॉवर्स माँ राला , बोतलुं  साफ़ पानी प्याला , अमेरिकन फ़ूड खाला अर एयरकंडीसण्ड मर्सडीज मा घुमला । पर यूँ कुत्तों तादाद अदा प्रतिशत से बि कम च।  इ कुत्ता अधिकतर अम्बानी , जिंदल , मित्तल  आदि खरबपतियों कुत्ता छन तो अन्य कुत्ता असोसिएसन यूंक बात  नि मनणा छन। 
 कुछ हौर कुत्तों साफ़ साफ़ बुलण च कि कुत्तों तैं इकीसवीं सदी मा जाण चयेंद।  यूँ कुकरूं मनण च कि इक्कीसवीं सदी मा जाण से हम फेसबुक , ट्वीटर , वर्ड्स ऐप आदि का  फायदा उठै सकदां।  पर यूँ कुत्तों तादाद बि कमी च।  यी नरेंद्र मोदी , अरविन्द  केजरीवाल ,  शशि थरूरर आदि का कुत्ता छन। 
 कुछ कुकुर आधुनिकता का डौर से इक्कीसवीं सदी मा नि जाण चांदन जन कि मुलायम सिंग , लालू यादव , ममता , मायावती का देसी कुत्ता। 
पर अधिसंख्य कुत्तों राय च कि मुनष्यों नकल करिक कुत्तोंन कुत्ता नि रै जाण। 
सबसे अधिक डौर कुत्तों तैं या च कुत्तोंन मनुष्यों नकल करिक स्वामिभक्ति छोड़ दीण। 
फिर कुत्तों तै भय बि  च कि मनुष्यों पद चिन्हों पर चालिक कुत्तोंन साम्प्रदायिक दंगा करण। 
कुत्तों तैं अंदेसा च कि मनुष्यों तरां कुत्तोंन बि झूठ फरेब, जाळी -साजि सीख जाण अर अपण मीटिंगों बात तो छवाड़ा कुत्तोंन अपण ब्वै बाबुं मा बि झूठ बुलण सीख जाण। 
कुत्तों तैं पूरी आशंका च कि मनुष्यों अनुसार व्यवहार करण से कि कुत्तोंन सुबेर जंतर मंतर दिल्ली मा धरना दीण कि बकरा पालक के लाभ के लिए बकरे के दाम बढ़ाओ , अर फिर स्याम दैं यूनि धरना दीण कि बखरौ मटन का दाम घटाओ।  
कुत्तों तै भगवानन एक गुण दियुं च कि कुत्ता इतिहास तैं नि दुहरांद किलैकि कुत्ता इतिहास से सीख ले लींदु।  पर कुत्तों तैं डौर लगणी च कि इक्कीसवीं सदी मा जाण से कुत्तोंन इतिहास से सिखण बंद कर दीण। 
कुत्तों तैं हौर बि डौर च कि जनि कुत्तोंन इकीसवीं सदी मा प्रवेश कार ना कि कुत्तोंन अहंकार , ईर्ष्या अर लोभ का गुलाम ह्वे जाण। 
अब कुत्तोंक असोसिएसनन अमेरिकी सलाहकार कुत्ता बुलायां छन जु भारतीय कुत्तों तैं सलाह द्याल कि भारतीय कुत्तों तैं इक्कीसवीं सदी जाण चयेंद कि ना ? 
उन आपक क्या सलाह च बल भारतीय कुत्तों तैं इक्कीसवीं सदी जाण चयेंद कि ना ?





 
6/2/15 , Copyright@  Bhishma Kukreti , Mumbai India 

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।Copyright@  Bhishma Kukreti , Mumbai India 

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